चामुंडा मां की आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Chamunda Mata Ki Aarti

आज हम आपके साथ चामुंडा माता की आरती (Chamunda Mata Ki Aarti) करेंगे। माँ आदि शक्ति के कई रूप सौम्य हैं तो कई अत्यंत ही प्रचंड। इसमें सौम्य रूप भक्तों को सुख प्रदान करने के उद्देश्य से लिए गए हैं जबकि प्रचंड या रोद्र रूप में माता दुष्टों का नाश कर भक्तों के संकटों को दूर करती हैं। ऐसे में माँ के दोनों रूप ही आवश्यक हैं। चामुंडा माता माँ आदिशक्ति का रोद्र रूप ही हैं जो मुख्य रूप से आदिवासियों तथा तंत्र-मंत्र करने वाले लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं।

इस लेख में आपको केवल चामुंडा मां की आरती (Chamunda Maa Ki Aarti) ही पढ़ने को नहीं मिलेगी बल्कि आप उसका भावार्थ भी जान पाएंगे। कहने का अर्थ यह हुआ कि इस लेख में हम आपके साथ चामुंडा आरती हिंदी में भी साझा करेंगे ताकि आप उसका संपूर्ण लाभ ले सकें। अंत में चामुंडा आरती पढ़ने के फायदे व महत्व भी बताए जाएंगे।

Chamunda Mata Ki Aarti | चामुंडा माता की आरती

जय चामुंडा माता, मैया जय चामुंडा माता।
शरण आए जो तेरे, सब कुछ पा जाता॥
मैया जय चामुंडा माता…

चंड-मुंड दो राक्षस, हुए हैं बलशाली।
उनको तूने मारा, क्रोध दृष्टि डाली॥
मैया जय चामुंडा माता…

चौंसठ योगिनी आकर, तांडव नृत्य करे।
बावन भैरो झूमे, विपदा आन हरे॥
मैया जय चामुंडा माता…

शक्ति धाम कहाती, पीछे शिव मंदर।
ब्रह्मा विष्णु नारद, मंत्र जपे अंदर॥
मैया जय चामुंडा माता…

सिंहराज यहां रहते, घंटा ध्वनि बाजे।
निर्मल धारा जल की, वंडेर नदी साजे॥
मैया जय चामुंडा माता…

क्रोध रूप में खप्पर, खाली नहीं रहता।
शांत रूप जो ध्यावे, आनंद भर देता॥
मैया जय चामुंडा माता…

हनुमत बाला योगी, ठाढ़े बलशाली।
कारज पूरण करती, दुर्गा महाकाली॥
मैया जय चामुंडा माता…

रिद्धि सिद्धि देकर, जन के पाप हरे।
शरणागत जो होता, आनंद राज करे॥
मैया जय चामुंडा माता…

शुभ गुण मंदिर वाली, ‘ओम‘ कृपा कीजे।
दुख जीवन के संकट, आकर हर लीजे॥

जय चामुंडा माता, मैया जय चामुंडा माता।
शरण आए जो तेरे, सब कुछ पा जाता॥
मैया जय चामुंडा माता…

Chamunda Maa Ki Aarti | चामुंडा मां की आरती – अर्थ सहित

जय चामुंडा माता, मैया जय चामुंडा माता।
शरण आए जो तेरे, सब कुछ पा जाता॥

हे चामुण्डा माता!! आपकी जय हो। आप हम सभी की मातारानी हो और आपकी जय हो। जो कोई भी माँ चामुंडा की शरण में जाता है, उसे चामुंडा माता की कृपा से सब कुछ मिल जाता है।

चंड-मुंड दो राक्षस, हुए हैं बलशाली।
उनको तूने मारा, क्रोध दृष्टि डाली॥

एक समय में चंड-मुंड नामक दो राक्षस हुए थे जो बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली थे। उन्होंने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था और तब चामुंडा माता ने अपनी क्रोध की दृष्टि उनकी ओर करके उन्हें मार डाला।

चौंसठ योगिनी आकर, तांडव नृत्य करे।
बावन भैरो झूमे, विपदा आन हरे॥

मां चामुंडा के स्वागत में तो चौसंठ योगिनियाँ आकर तांडव नृत्य करती हैं। इसी के साथ ही उनकी पूजा में बावन भैरव बाबा आकर झूमते हैं। चामुण्डा मां हम सभी की हर विपदा दूर कर देती हैं।

शक्ति धाम कहाती, पीछे शिव मंदर।
ब्रह्मा विष्णु नारद, मंत्र जपे अंदर॥

माँ चामुंडा का शक्तिधाम हिमाचल के कांगड़ा में स्थित है और उनके पीछे ही शिव जी का भी मंदिर है। उनके मंदिर में तो स्वयं भगवान ब्रह्मा, विष्णु व नारद मुनि आकर मंत्रों का जाप करते हैं।

सिंहराज यहां रहते, घंटा ध्वनि बाजे।
निर्मल धारा जल की, वंडेर नदी साजे॥

मातारानी के मंदिर में उनकी सवारी सिंह भी रहते हैं। वहां प्रतिदिन घंटा बजाया जाता है। उसके पास में ही वंडेर नदी का जल बह रहा है जिसकी धारा बहुत ही निर्मल है।

क्रोध रूप में खप्पर, खाली नहीं रहता।
शांत रूप जो ध्यावे, आनंद भर देता॥

माँ का रूप अत्यंत क्रोधित है और वे इसी क्रोध रूप में दुष्टों, राक्षसों, कपटी, कुटील, दैत्यों, असुरों इत्यादि का वध कर देती हैं। जो भक्तगण सच्चे व शांत मन के साथ चामुण्डा माँ का ध्यान करता है, उसे आनंद की अनुभूति होती है।

हनुमत बाला योगी, ठाढ़े बलशाली।
कारज पूरण करती, दुर्गा महाकाली॥

हनुमान जो कि योगी रूप में हैं और ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, वे माँ के साथ रक्षक के रूप में विराजित हैं। चामुंडा जी दुर्गा व महाकाली के रूप में हमारे सभी काम पूरा कर देती हैं।

रिद्धि सिद्धि देकर, जन के पाप हरे।
शरणागत जो होता, आनंद राज करे॥

चामुण्डा मां हमें रिद्धि व सिद्धि प्रदान करती हैं तथा हमारे पापों को दूर कर देती हैं। जो भक्तगण माता चामुंडा की शरण में जाता है, माँ उसे आनंद प्रदान करती हैं।

शुभ गुण मंदिर वाली, ‘ओम‘ कृपा कीजे।
दुख जीवन के संकट, आकर हर लीजे॥

हे माँ चामुंडा!! आप तो शुभ फल देने वाली हैं और अब आप अपने भक्तों पर भी कृपा कीजिये। आप आकर हमारे सभी दुखों, पीड़ा, संकट, कष्टों, विपदा इत्यादि को दूर कर दीजिये।

चामुंडा आरती का महत्व

माँ आदिशक्ति या माँ पार्वती ने समय-समय पर अपना महत्व बताने के उद्देश्य से तथा धर्म रक्षा हेतु कई तरह के अवतार लिए हैं। जहाँ एक ओर, उनका गौरी रूप अत्यंत सौम्य व मन को आनंद देने वाला है तो वहीं चामुंडा या काली रूप में वे कपटी, कुटील व दुष्ट लोगों के मन में भय पैदा करती हैं। अब यदि सामान्य पुरुष या कोई बच्चा मातारानी का यह रोद्र रूप देखता है तो वह उनसे भय खाता है जो कि अनुचित है।

मातारानी ने चामुंडा के रूप में अपना यह रोद्र व प्रचंड अवतार सज्जन मनुष्यों को डराने के उद्देश्य से नहीं अपितु दुर्जन लोगों में भय पैदा करने और उनका विनाश करने के लिए लिया है। ऐसे में चामुंडा माता की शक्तियों, गुणों, उद्देश्यों, कर्मों इत्यादि को बताने के उद्देश्य से ही चामुंडा आरती की रचना की गयी है ताकि भक्तगण उनके बारे में विस्तृत रूप में जान सकें। यही चामुंडा आरती का मुख्य महत्व होता है।

चामुंडा आरती के फायदे

यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन से चामुंडा माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर चामुंडा माता की आरती का पाठ करते हैं तो इससे आपको कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ तो यही है कि आपकी अपने शत्रुओं पर विजय होती है और यहाँ तक कि आपके शत्रुओं का मन परिवर्तन तक हो जाता है और वे आपसे मित्रता करने को तत्पर दिखाई देते हैं।

इसी के साथ ही यदि आपके या आपके परिवार के ऊपर किसी तरह का संकट आ खड़ा हुआ है, व्यवसाय या नौकरी में कोई समस्या आ रही है, भविष्य का मार्ग नहीं दिखाई दे रहा है, कोई धर्मसंकट है, करियर नहीं बन पा रहा है या कोई अन्य संकट, बाधा, विपत्ति, कष्ट, पीड़ा, दुःख इत्यादि हैं तो वह सब भी चामुंडा माता आरती के माध्यम से दूर हो जाते हैं और आप सुखमय जीवन व्यतीत कर पाते हैं। यही चामुंडा जी की आरती का लाभ होता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने चामुंडा माता की आरती (Chamunda Mata Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने चामुंडा मां की आरती करने के फायदे और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

चामुंडा आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: चामुंडा का नाम क्या है?

उत्तर: चामुंडा देवी का नाम चामुंडा इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने चंड-मुंड नामक दो राक्षसों का वध किया था। इसके बाद सरस्वती माता के द्वारा उन्हें यह नाम उपाधि के रूप में दिया गया था।

प्रश्न: चामुंडा माता का कौन सा दिन है?

उत्तर: मुख्य रूप से मंगलवार के दिन चामुंडा माता की पूजा करने का विधान है। माँ चामुंडा के मंदिर व शक्तिपीठ में भी मंगलवार के दिन भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

प्रश्न: क्या काली और चामुंडा एक ही है?

उत्तर: माँ काली माँ आदिशक्ति का सीधा रूप हैं जिन्होंने अपने रोद्र अवतार में कई तरह के राक्षसों का वध किया था। काली के द्वारा चंड-मुंड राक्षसों का वध किये जाने पर उनका नाम चामुंडा पड़ गया था।

प्रश्न: चामुंडा मां की सवारी क्या है?

उत्तर: चामुंडा मां की सवारी सिंह होती है और उनके हरेक मंदिर में सिंह की मूर्ति अवश्य ही बनी होती है।

प्रश्न: चामुंडा माता मंदिर कहां स्थित है?

उत्तर: वैसे तो देशभर में चामुंडा माता के कई मंदिर हैं लेकिन उनका प्रमुख मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ा शहर की पालनपुर तहसील से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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