आज हम छठ मैया की आरती (Chhath Maiya Ki Aarti) करेंगे। हर वर्ष दीपावली के बाद बहुत ही उत्साह के साथ छठी मैया का पर्व छठ मनाया जाता है। इसकी मान्यता बिहारवासियों में अधिक है और वे बहुत ही धूमधाम के साथ छठ पर्व का आयोजन करते हैं। ऐसे में छठ मैया की आरती भी की जाती है ताकि उन्हें प्रसन्न किया जा सके।
छठ पूजा का व्रत करने की विधि तीन दिनों की होती है और उसी दौरान हर दिन छठ माता की आरती (Chhath Mata Ki Aarti) की जाती है। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ छठी मैया की आरती ही साझा करने जा रहे हैं। साथ में आपको छठ माता की आरती का अर्थ भी जानने को मिलेगा। लेख के अंत में आपको छठ देवी की आरती के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं छठ मैया आरती।
Chhath Maiya Ki Aarti | छठ मैया की आरती
जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥
जय छठी मईया॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥
जय छठी मईया॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥
जय छठी मईया॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥
जय छठी मईया॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥
जय छठी मईया॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥
जय छठी मईया॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥
जय छठी मईया॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥
जय छठी मईया॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥
जय छठी मईया॥
Chhath Mata Ki Aarti | छठ माता की आरती – अर्थ सहित
जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥
छठी मैया की जय हो। जो व्यक्ति सच्चे मन के साथ छठी माता का व्रत करता है और व्रत के सभी नियमों का पालन करता है, छठी माता उससे बहुत प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा उस पर बरसाती हैं।
केले के गुच्छे पर जो तोता मंडरा रहा है उसको वहां पर चोंच ना मारने को कहा गया है। लेकिन वह उस पर चोंच मार देता है और उसको धनुष से मार कर गिरा दिया जाता है।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥
सुगनी तोते के वियोग में रोए जा रही है और वह सह नहीं पा रही है। तोते के बिना सुगनी का कोई सहारा नहीं है। जो तोता नारियल के गुच्छे पर मंडरा रहा है उसे चोंच मारने से मना किया हुआ है।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥
लेकिन वह उस पर चोंच मार देता है और उसको धनुष से मार कर गिरा दिया जाता है। सुगनी तोते के वियोग में रोए जा रही है और वह सह नहीं पा रही है। तोते के बिना सुगनी का कोई सहारा नहीं है।
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥
जो तोता अमरूद के गुच्छे पर मंडरा रहा है उसे उस पर चोंच मारने से मना किया हुआ है। लेकिन वह उस पर चोंच मार देता है और उसको धनुष से मार कर गिरा दिया जाता है।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥
जो तोता शरीफ, सेब और सभी फलों पर मंडरा रहा है उसे उस पर चोंच ना मारने को कहा गया है।
छठी मैया की आरती का महत्व
सनातन धर्म में कई तरह के देवी-देवता हैं जिनकी अलग-अलग क्षेत्रों और समाज में मान्यता होती है। इसी में एक छठी मैया भी हैं जिनकी मान्यता मुख्य तौर पर बिहार व उत्तर प्रदेश राज्यों में अधिक है। हर वर्ष दीपावली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तक चलने वाले इस त्यौहार में दोनों ही राज्यों में बहुत ही धूम देखने को मिलती है।
ऐसे में सभी भक्तों के द्वारा पूरे विधि-विधान के साथ छठी माता की पूजा की जाती है। इसी में ही छठी माता की आरती कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। ऐसे में छठी मैया की आरती (Chhathi Maiya Ki Aarti) के माध्यम से छठी मैया के गुणों, शक्तियों, महत्व इत्यादि पर प्रकाश डाला गया है। इससे भक्तों को छठी मैया के बारे में जानकारी भी हो जाती है और साथ के साथ उनकी आराधना भी हो जाती है। यही छठी मईया की आरती का महत्व होता है।
छठ माता की आरती के लाभ
अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि छठी मईया की आरती करने से हमें क्या कुछ लाभ देखने को मिलते हैं। तो आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि त्रेता युग में माता सीता के द्वारा और द्वापर युग में माता कुंती व द्रौपदी के द्वारा भी छठी माता का व्रत कर उनकी आरती की गयी थी। ऐसे में छठी देवी की आरती करने से हमें मुख्य तौर पर पुत्र प्राप्ति या संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जो भी दंपत्ति सच्चे मन के साथ छठी माता की आरती करते हैं, उनके घर में जल्दी ही पुत्र प्राप्ति का सुख देखने को मिलता है। इसी के साथ ही जिन अन्य लोगों के द्वारा छठी मैया की आरती की जाती है और उनके नाम का ध्यान किया जाता है, तो उनके घर से सभी तरह के दुःख, संकट व विपदाएं दूर हो जाती है। यही छठी मईया की आरती करने के मुख्य लाभ होते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने छठ मैया की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Chhath Maiya Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने छठ माता की आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
छठ मैया की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: छठी माता की पूजा कैसे की जाती है?
उत्तर: छठी माता की पूजा करने के लिए नहाय खाय, संध्या अर्घ्य व उषा अर्घ्य का पालन छठ के व्रत में करना होता है। इसी के साथ ही हर दिन छठ माता की आरती करनी होती है।
प्रश्न: छठ मैया कौन सी देवी होती है?
उत्तर: छठ मैया को भगवान ब्रह्मा जी की मानस पुत्री माना जाता है जिनकी रचना सृष्टि के निर्माण के समय ब्रह्मा जी के एक अंश से हुई थी।
प्रश्न: छठ पूजा में कौन सी देवी की पूजा होती है?
उत्तर: छठ पूजा में छठी देवी की पूजा होती है जो ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं। इन्हें माता आदिशक्ति का ही एक रूप माना जाता है जो पुत्र प्राप्ति के लिए वंदनीय होती हैं।
प्रश्न: छठ माता का पूजा कब है?
उत्तर: छठ माता की पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आयोजित की जाती है। वैसे तो यह चार दिन तक चलने वाला पर्व होता है जो छठी माता की पूजा से समाप्त हो जाता है।
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