दिवाली के दिन तिहार पर्व जो नेपाल के लोगो के द्वारा मनाया जाता है

Tihar Festival In Hindi

जिस प्रकार संपूर्ण भारतवर्ष में दीपावली का पावन पर्व पांच दिनों तक आयोजित किया जाता हैं ठीक उसी प्रकार उन दिनों नेपाल में पांच दिनों का तिहार पर्व (Tihar Festival In Hindi) मनाया जाता हैं वह भी मुख्यतया नेपाली बौद्ध लोगो के द्वारा। साथ ही इसे भारत के सिक्किम राज्य (Tihar Festival Of Sikkim In Hindi) तथा पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग व कालिंपोंग जिलो में भी प्रमुखता के साथ मनाया जाता हैं।

इसे नेपाल के दशैं/ दशहरा पर्व के बाद मुख्य पर्व माना जाता हैं जिसे दीपावली, दिवाली, यमपंचक व स्वंती के नाम से भी जाना जाता है। आइए नेपाल के प्रसिद्ध त्यौहार तिहार पर्व (Why Is Tihar Celebrated In Hindi) के बारे में जानते है।

नेपाल में मनाया जाने वाला तिहार पर्व (Tihar Festival In Nepal In Hindi)

विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुरू होता हैं (Nepal Ki Diwali) जिस दिन काग तिहार मनाया जाता हैं तथा इसका समापन भाई टिका/ भाई दूज के साथ हो जाता है। हिंदू धर्म के दीपावली पर्व के अनुसार ही इसे आयोजित किया जाता हैं लेकिन इसमें पशुओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हम आपको इस पर्व को पांच भागो में बांटकर (5 Days Of Tihar In Hindi) बताएँगे।

तिहार पर्व का पहला दिन: काग तिहार (Kag Tihar Festival Nepal In Hindi)

इस दिन काग/ कौवे पक्षी की पूजा की जाती हैं। इसे मृत्यु के देवता यमराज का सूचक माना जाता है। कौवा दुःख, मृत्यु इत्यादि अनिष्ट चीजों का प्रतीक होता है। इसलिये इस दिन नेपाल में लोग अपने घरो की छत पर कौवो के लिए दाना-पानी रखते है व उनकी पूजा करते हैं।

इससे उनकी मान्यता हैं कि यमराज उनसे प्रसन्न होते हैं (Kaag Tihar In Hindi) तथा उनके घर-परिवार से दुःखो का नाश होता है व अकाल मृत्यु टल जाती है। इसलिये इस दिन को काग त्यौहार के नाम से जाना जाता है।

तिहार पर्व का दूसरा दिन: कुकुर तिहार (Nepali Kukur Tihar Dog Festival In Hindi)

कुकुर कुत्ते को कहा जाता है जो भगवान शिव के एक रूप भैरव बाबा का वाहन होता है। हिंदू धर्म में कुत्ते को प्रिय पशु माना गया हैं जिसका मनुष्य से मधुर संबंध (Nepal Dog Friendship Festival In Hindi) रहता है। कुत्ते को हमेशा उसकी सत्यनिष्ठा, निष्कपटता व सच्चाई के रूप में जाना जाता हैं।

इसलिये इस दिन कुत्तो की पूजा (Kukur Puja) की जाती हैं। उन्हें खाना दिया जाता हैं, माथे पर तिलक लगाया जाता हैं तथा उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट किया जाता है।

इसके साथ ही कुत्ता यमराज के नरक द्वार के प्रहरी भी होते है जो नरक की रखवाली करते है। इसलिये इस त्यौहार को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।

तिहार पर्व का तीसरा दिन: गाय माता व लक्ष्मी देवी की पूजा (Gai Tihar And Laxmi Puja)

इस दिन पूरे भारतवर्ष में दीयो का त्यौहार दीपावली मनाया जाता हैं व धन की देवी माँ लक्ष्मी की आराधना की जाती हैं। ठीक उसी प्रकार नेपाल में भी धन व वैभव की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है।

नेपाल में इस दिन लोग प्रातः काल जल्दी उठते हैं तथा स्नान इत्यादि करके गाय माता की पूजा करते है। गाय को हिंदू धर्म में सर्वोच्च स्थान है जिसे पशु होते हुए भी माँ का स्थान दिया गया है। गाय की हरेक चीज़ मनुष्य के काम आती हैं चाहे वह उसके मल-मूत्र ही क्यों ना हो। इसलिये गाय के प्रति अपना आभार प्रकट करने के लिए नेपाल के लोग इस दिन उन्हें हरा चारा खिलाते हैं व उनकी पूजा करते हैं।

मुख्य उत्सव संध्या काल से शुरू होता हैं जब लक्ष्मी माता का आभार प्रकट करने के लिए उनकी पूजा (Diwali Is Called Tihar In Nepal In Hindi) की जाती है। माँ लक्ष्मी ही परिवार में धन व वैभव लाने की देवी मानी जाती है। इसलिये उनके प्रति अपना आभार प्रकट करने के लिए नेपाल के लोग अपने घरो को फूलों व अन्य साजो-सज्जा के सामान से सजाते है।

घर के हरेक कोने व मोहल्ले को दीपक की रोशनी (Nepal Deepawali Celebration Named As Kukur Tihar In Hindi) से जगमग कर दिया जाता है। इसी के साथ माँ लक्ष्मी की आराधना कर सभी लोग एक-दूसरे को बधाई देने जाते हैं। लड़कियां इस उपलक्ष्य में लोकगीत गाती हैं तथा लड़के इस त्यौहार की कथा को सुनाते हैं व माँ लक्ष्मी का गुणगान करते है।

इसी दिन त्रेता युग में भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान श्रीराम अपने चौदह वर्ष के वनवास को समाप्त करके पुनः अपनी नगरी अयोध्या (Diwali Celebration In Nepal In Hindi) पधारे थे। इसकी खुशी में संपूर्ण हिंदू समाज अपने घरो, दुकानों, मोहल्लो को दीयो की रोशनी से जगमग कर देता हैं।

तिहार पर्व का चौथा दिन: गोरु पूजा/ गोवर्धन पूजा/ महा पूजा/ नेपाली नववर्ष (Goru Puja In Nepal In Hindi)

इस दिन नेपाल के लोग बैल की पूजा करते हैं तथा उन्हें खाने को विभिन्न तरह के पकवान दिए जाते हैं। इसके साथ ही इस दिन गोवर्धन पूजा करने का भी प्रावधान हैं। रात्रि में लोग महापूजा अर्थात स्वयं की पूजा करते है।

इसी दिन नेपाली लोग अपना नववर्ष भी मनाते हैं। नेपाली कैलेंडर के अनुसार इसी दिन उनके वर्ष की शुरुआत होती हैं जिसे पूरे नेपाल में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

तिहार पर्व का पांचवा व अंतिम दिन: भाई टिका/ भाई दूज/ किजा पूजा (Bhai Dooj In Nepal In Hindi)

यह दिन भाई व बहन के प्रेम को प्रदर्षित करता है। मान्यता हैं कि इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। तब यमुना माता ने उनके माथे पर तिलक लगाया था तथा उनका स्वागत किया था। उस समय यमराज ने कहा था कि इस दिन जो भी बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाएगी उसके भाई की उस दिन या अकाल मृत्यु नही होगी।

इसलिये इस दिन बहने अपने भाई के माथे पर तिलक/ टिका लगाती हैं व उनका धन्यवाद अर्पित करती है। इसी के साथ बहने अपने भाई की लंबी आयु के लिए भी कामना करती है। भाई भी अपनी बहन को कुछ उपहार देते हैं व उनके माथे पर तिलक करते है।

इस प्रकार नेपाल के तिहार पर्व का भाई टिका के साथ (Significance Of Tihar Festival In Hindi) समापन हो जाता है। तिहार पर्व की हिंदू धर्म के दिवाली से बहुत समानता हैं इसलिये इसे दिवाली के नाम से ही जाना जाता है।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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