दीपावली का बौद्ध धर्म में महत्व व गौतम बुद्ध और सम्राट अशोक से जुड़ी कथा

Diwali According To Buddhism In Hindi

दिवाली का त्यौहार हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मो (Diwali According To Buddhism In Hindi) में भी मनाया जाता हैं जैसे कि जैन, बौद्ध व सिख धर्म। इन सभी धर्मो में इस दिन कुछ न कुछ शुभ हुआ था जिस कारण दिवाली का महत्व (Significance Of Diwali In Buddhism In Hindi) और भी बढ़ जाता हैं। बुद्ध धर्म में दिवाली का अत्यधिक महत्व हैं क्योंकि इसी दिन सम्राट अशोक ने हिंदू धर्म का त्याग कर बौद्ध धर्म को अपना लिया था। आइए जानते हैं बौद्ध धर्म में दीपावली का महत्व

बौद्ध धर्म में दिवाली का महत्व (Diwali In Buddhism In Hindi)

गौतम बुद्ध का कपिलवस्तु वापस आना (History Of Diwali In Buddhism)

ऐसी मान्यता हैं कि बौद्ध धर्म के भगवान गौतम बौद्ध इसी दिन अपनी जन्मभूमि कपिलवस्तु में 18 वर्षो के पश्चात वापस लौटे थे। उनके वापस आने की खुशी में वहां के लोगो ने लाखो दीप प्रज्जवलित कर उनका भव्य स्वागत किया था।

उसी समय गौतम बुद्ध ने “अप्पो दीपो भवः” का उपदेश अपने शिष्यों (Diwali Is Celebrated By Remembering Lord Buddha) को दिया था। तब से उसकी याद में दिवाली का त्यौहार बौद्ध धर्म में मनाया जाता है।

सम्राट अशोक का बौद्ध धर्म अपनाना (Ashoka Buddhism In Hindi)

आज से हजारो वर्ष पूर्व आचार्य चाणक्य ने एक शुद्र को भारत के प्रमुख राजा की राजगद्दी तक पहुँचाया था जो थे महाराज चंद्रगुप्त मौर्य। उन्ही के पौत्र/ पोते थे सम्राट अशोक जिन्हें युद्ध लड़ना अत्यधिक अच्छा लगता था। वे शुरू से ही इतने हिंसक थे कि उन्होंने अपने से बड़े सभी 99 भाइयो को मारकर राज सिंहासन का पद प्राप्त किया था।

कलिंग के भीषण युद्ध के पश्चात उन्होंने दिवाली के दिन ही हिंदू धर्म का त्याग कर बौद्ध धर्म को पूर्णतया अपना लिया था। इसके बाद उन्होंने जीवनभर देश-विदेश में बौद्ध धर्म का प्रचार और बौद्ध स्तूपों व मूर्तियों का निर्माण किया। सम्राट अशोक के द्वारा ही भारत व आसपास के देशो में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया गया जिस कारण यह विश्व का एक बड़ा धर्म उभरकर सामने आया। बौद्ध धर्म के अनुयायी इसी की याद में प्रमुखता से दिवाली का त्यौहार मनाते हैं।

किंतु यह आधा-अधूरा सत्य हैं क्योंकि लोगो की यह मान्यता हैं कि सम्राट अशोक ने हिंसा से व्यथित होकर हिंदू धर्म को त्याग दिया था व शांति के धर्म बौद्ध को अपना लिया था (Importance Of Diwali In Buddhism In Hindi) जबकि सत्य इसके बिल्कुल विपरीत हैं। बौद्ध धर्म को अपनाने के पश्चात सम्राट अशोक ने युद्ध तो नही किये लेकिन अन्य धर्म मुख्यतया जैन धर्म के प्रति उनके अत्याचार बहुत बढ़ गए थे। इसलिये बौद्ध धर्म को अपनाने के पश्चात सम्राट अशोक अहिंसावादी बन गए थे यह कथन सरासर अनुचित हैं।

नेपाल में दिवाली का त्यौहार (Nepal Ki Diwali)

नेपाल में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगो के लिए दिवाली का त्यौहार बहुत मुख्य हैं। वे इसे हिंदू धर्म की भांति ही पांच दिनों के लिए मनाते हैं जिसे तिहार पर्व के रूप में जाना जाता हैं। इन पांच दिनों में वे क्रमशः कौवे, कुत्ते, गाय, बैल की पूजा करते हैं तथा अंतिम दिन भाई-टिका के रूप में मनाया जाता हैं।

दिवाली वाले दिन सभी बौद्ध धर्म के लोग माँ लक्ष्मी की आराधना करते हैं। इसी के साथ बौद्ध मंदिरों व घरो को दीपक से सजा दिया जाता हैं व एक-दूसरे को बधाई दी जाती हैं। जिस प्रकार हिंदू धर्म में दिवाली का त्यौहार मनाया जाता हैं उसी प्रकार बौद्ध लोग भी इसे वैसे ही मनाते हैं।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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