दुर्गा स्तोत्र हिंदी में – अर्थ, नियम, महत्व व लाभ सहित

Durga Stotra In Hindi

आज हम आपको दुर्गा स्तोत्र इन हिंदी (Durga Stotra In Hindi) में अर्थ सहित देंगे। दुर्गा स्तोत्र तो आपको कहीं से भी आसानी से मिल जाएगी। यह आपको हर तरह की धार्मिक पुस्तकों और ऑनलाइन मिल जाएगी किन्तु प्रश्न यह है कि धर्मयात्रा की इस वेबसाइट पर लिखे गए इस लेख में आपको अलग से क्या जानने को मिलेगा जो अन्यत्र नहीं मिलेगा!!

तो इस प्रश्न का उत्तर यह है कि यहाँ पर आपको दुर्गा स्तोत्र हिंदी में (Durga Stotra Lyrics In Hindi) अर्थ सहित जानने को मिलेगा। आज हमने दुर्गा स्तोत्र की एक-एक पंक्ति को उसके हिंदी अनुवाद के साथ ही उसके भावों को समझाने का प्रयास किया है। इसे पढ़कर अवश्य ही आपको बहुत आनंद आएगा।

इसके बाद हम आपको दुर्गा स्तोत्र पढ़ने के नियम, महत्व और लाभ भी बताने वाले हैं। तो आइए सबसे पहले जानते हैं दुर्गा स्तोत्र इन हिंदी अर्थ सहित।

Durga Stotra In Hindi | दुर्गा स्तोत्र इन हिंदी

जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥

हे भगवती देवी माँ दुर्गा!! आपकी जय हो। आपको हमारा नमन है। आप हमें वरदान दीजिये। हे हमारे पापों का नाश करने वाली माँ अम्बे!! आपकी जय हो। आप हमें मनवांछित फल प्रदान करें। आपने शुम्भ-निशुम्भ नामक दैत्यों का सिर अपने गले में हार के रूप में पहना हुआ है। इसके लिए आपको हमारा प्रणाम है। आप हम सभी के दुखों को दूर करने वाली माँ हैं।

जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥

आपके दोनों नेत्र स्वयं चन्द्रमा व सूर्य के समान प्रकाश के स्रोत हैं। आपके अंदर अग्नि जैसी ऊर्जा है और आप उसी की भांति ही सभी जगह व्याप्त हो। आप ही माँ भैरवी के रूप में हो और उस रूप में सभी का कल्याण करती हो। आपने ही अन्धक नाम के दैत्य का वध कर दिया था।

जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।
जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते॥

आपने ही महिषासुर नामक राक्षस का उसकी सेना सहित वध कर दिया था। आपने ही अपने पराक्रम से अधर्म का नाश कर दिया था। आप ही सभी लोकों के पाप को दूर करने वाली हैं। आपको तो पितामह ब्रह्मा व भगवान विष्णु भी प्रणाम करते हैं। सूर्य व इंद्र देव भी आपकी ही आराधना करते हैं।

जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।
जय दुःखदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥

सभी देवता अपने मुख से आपका गुणगान करते हैं और आपकी जय-जयकार करते हैं। आप सागर में समा जाती हो और भगवान शिव भी आपको धारण करते हैं। आप ही सभी का दुःख व दरिद्रता दूर करने वाली हो। आप ही मनुष्य को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देकर उनका कुल आगे बढ़ाने में सहयोग करती हो।

जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दुःखहरे।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे॥

आप हर मनुष्य के शरीर में वास करती हो अर्थात यह सब आपका ही बनाया हुआ है। आप ही हम सभी के दुःख दूर करती हो और हमें स्वर्ग लोक के दर्शन करवाती हो। आप ही हम सभी की पीड़ा को दूर कर हमें मोक्ष प्रदान करती हो। आप ही हमें मनवांछित फल प्रदान करने वाली और रिद्धि-सिद्धि देने वाली हो।

एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियतः शुचिः।
गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥

जो कोई भी भक्तगण शुद्ध स्थान पर या अपने घर पर ही किसी साफ जगह पर, स्नान करके तथा निर्मल मन के साथ महर्षि वेदव्यास जी द्वारा रचित इस दुर्गा स्तोत्र का पाठ करता है, उस पर अवश्य ही माँ दुर्गा की कृपा दृष्टि होती है और माँ उससे प्रसन्न रहती हैं।

इस तरह से आज आपने दुर्गा स्तोत्र हिंदी में (Durga Stotra Lyrics In Hindi) अर्थ सहित पढ़ लिया है। अब हम दुर्गा स्तोत्र पढ़ने के लाभ, नियम और महत्व भी जान लेते हैं।

दुर्गा स्तोत्र पढ़ने के नियम

आपको इंटरनेट पर अलग-अलग लेखों के माध्यम से मां दुर्गा जी के स्तोत्र को पढ़ने के तरह-तरह के नियमों के बारे में बताया गया होगा जो कि अधिकतर व्यर्थ में ही लिखे गए होते हैं। पहली बात तो माँ का कोई भी भक्त दुर्गा स्तोत्र का पाठ कर सकता है और इसके लिए माँ की ओर से किसी तरह की शर्त नहीं रखी गयी है। हालाँकि आपको नैतिक तौर पर कुछ बातों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए।

उदाहरण के तौर पर आप बिना नहाये या नहाने के पश्चात यदि शौच गए हैं तो दुर्गा स्तोत्र का पाठ करने से बचें। आप जहाँ भी दुर्गा मां स्तोत्र का पाठ कर रहे हो, वह जगह स्वच्छ हो अर्थात किसी अनुचित जगह पर माँ दुर्गा स्तोत्र का पाठ करने से बचें। इसी के साथ ही जब भी आप दुर्गा जी स्तोत्र का पाठ करना शुरू करें तो अपने मन को भी शांत रखें और उसमे किसी भी तरह के अनुचित या बुरे विचार ना आने दें।

कुल मिलाकर हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि दुर्गा माता के स्तोत्र को पढ़ने से पहले जगह, तन व मन का स्वच्छ व निर्मल होना आवश्यक होता है। यदि आप बिना इसके भी दुर्गा स्तोत्र का पाठ करते हैं तो आपको कोई हानि तो नहीं होगी किन्तु कुछ लाभ भी नहीं मिलेगा। इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है कि आप स्नान करके स्वच्छ जगह पर और निर्मल मन के साथ ही श्री दुर्गा स्तोत्र का पाठ करें।

दुर्गा स्तोत्र का महत्व

सनातन धर्म में कई तरह की देवियों व उनके तरह-तरह के रूपों के बारे में बात की गयी है तथा उनका महत्व दर्शाया गया है किन्तु उन सभी का आधार माँ आदिशक्ति जिन्हें हम माँ दुर्गा के नाम से भी जानते हैं, वही हैं। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि माँ पार्वती, माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती तथा अन्य देवियाँ माँ दुर्गा का ही एक रूप हैं या उनसे प्रकट हुई हैं। माँ दुर्गा ही इन सभी की आधार देवी मानी जाती हैं।

माँ दुर्गा स्तोत्र के माध्यम से हम सभी को यह बताने की चेष्ठा की गयी है कि उनके जैसा कोई दूसरा नहीं है और जो व्यक्ति दुर्गा माँ का स्तोत्र पढ़ता है, उसका उद्धार होना तय है। श्री दुर्गा स्तोत्र के माध्यम से माँ दुर्गा के गुणों, शक्तियों, पराक्रम, कर्मों, महत्व इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया गया है ताकि भक्तगण माँ के पराक्रम बारे में अच्छे से जान सकें। यही दुर्गा स्तोत्र का महत्व होता है।

दुर्गा स्तोत्र पढ़ने के फायदे

अब आपको माँ दुर्गा स्तोत्र का पाठ करने से क्या कुछ लाभ मिलते हैं, इसके बारे में भी जानना होगा तो हम आपको निराश ना करते हुए इसके बारे में भी बताएँगे। दरअसल दुर्गा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को एक नहीं बल्कि कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं जो उसके जीवन की दिशा तक को बदल सकते हैं। सीधे शब्दों में कहा जाए तो मां दुर्गा स्तोत्र का पाठ करने के फायदे बहुत सारे हैं।

जो व्यक्ति नियमित रूप से ऊपर बताये गए नियमों का पालन करते हुए दुर्गा स्तोत्र पढ़ता है, उसे अवश्य ही इसका प्रभाव कुछ ही सप्ताह में देखने को मिल जाता है। अब इनमे से कौन-कौन से लाभ आपको मिल सकते हैं, वह हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं। आइये जाने दुर्गा स्तोत्र पढ़ने से मिलने वाले लाभ।

  • यदि आपका कोई काम नहीं बन पा रहा है या रह-रह कर उसमें किसी ना किसी तरह की रूकावट आ रही है तो माँ दुर्गा के प्रभाव से वह जल्दी ही बन जाता है।
  • यदि आपका मन खिन्न है या आप किसी बात को लेकर तनाव में हैं तो माँ दुर्गा स्तोत्र के प्रभाव से मन शांत होता है तथा तनाव दूर हो जाता है।
  • यदि आपको आगे का कोई मार्ग समझ नहीं आ रहा है या जीवन में क्या किया जाए, इसको लेकर चिंतित हैं तो आगे का मार्ग भी सुगम होता है तथा आपको एक नयी राह भी मिलती है।
  • माता दुर्गा के प्रभाव से और उनके स्तोत्र के नियमित पाठ से आपका यश परिवार, मित्रों व समाज में फैलता है तथा मान-सम्मान में वृद्धि देखने को मिलती है।
  • यदि आपके ऊपर कोई बुरा साया है या बुरी शक्तियों का प्रभाव है तो वह भी दुर्गा माँ के प्रभाव से समाप्त हो जाता है। यह लाभ तो आपको बस दुर्गा स्तोत्र के पाठ के कुछ दिनों में ही देखने को मिल जाएगा।

हालाँकि दुर्गा स्तोत्र को पढ़ने के इनके अलावा भी कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं जो हर व्यक्ति की स्थिति के अनुसार अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। फिर भी हमने उनमें से कुछ चुनिंदा लाभों को आपके सामने रखा है ताकि आपको यह पता चल सके कि यदि आप नियमित रूप से दुर्गा स्तोत्र पढ़ेंगे तो आपके ऊपर उसका क्या प्रभाव होगा।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने दुर्गा स्तोत्र इन हिंदी (Durga Stotra In Hindi) में अर्थ सहित पढ़ लिया है। साथ ही आपने दुर्गा स्तोत्र का महत्व, नियम और पढ़ने के लाभ के बारे में भी जान लिया है। यदि आप इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपको प्रत्युत्तर देंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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