दुर्गा स्तोत्र हिंदी में | Durga Stotra In Hindi | दुर्गा स्तोत्र इन संस्कृत | Durga Stotra Lyrics In Hindi

Durga Stotra

विश्व में कोई अन्य ऐसा धर्म नहीं है जहाँ ईश्वरीय शक्ति के रूप में नारीत्व की पूजा की जाती हो जबकि सनातन धर्म में माँ आदिशक्ति जिन्हें हम माँ दुर्गा के नाम से भी जानते हैं, वह ईश्वर के लिए भी पूजनीय है। श्रीराम जब रावण के साथ अंतिम युद्ध पर जारहे थे तब उन्होंने माँ दुर्गा का ही ध्यान किया था और सर्वोच्च ईश्वर भी माँ की आराधना करते हुए देखे जा सकते हैं। यही कारण है कि सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए दुर्गा स्तोत्र (Durga Stotra) का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

अब यदि आप ऑनलाइन दुर्गा स्तोत्र इन संस्कृत में ढूढेंगे तो आपको कई तरह की वेबसाइट पर अलग-अलग भांत के माँ दुर्गा स्तोत्र (Durga Stotra Lyrics In Hindi) पढ़ने को मिल जाएंगे जिनमें से बहुत जगह गलत दुर्गा स्तोत्र भी दिया गया है। इसमें भाषा की त्रुटियाँ, व्याकरण व अलंकार की गलतियाँ तथा कहीं-कहीं पर तो संपूर्ण दुर्गा जी का स्तोत्र ही गलत दिया गया है।

ऐसे में आज के इस लेख में हम आपके साथ संपूर्ण दुर्गा स्तोत्र सांझा करेंगे। इतना ही नहीं, आपको दुर्गा स्तोत्र हिंदी में (Durga Stotra In Hindi) अर्थ सहित भी पढ़ने को मिलेगी ताकि आप इसका संपूर्ण अर्थ जान सकें। अंत में आपको दुर्गा माता के स्तोत्र को पढ़ने के नियम, महत्व व लाभ के बारे में भी जानने को मिलेगा। तो आइये पढ़ते हैं श्री दुर्गा स्तोत्र संपूर्ण अर्थ सहित।

दुर्गा स्तोत्र (Durga Stotra)

जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।

जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे।।

जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।

जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे।।

जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।

जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते।।

जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।

जय दुःखदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे।।

जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दुःखहरे।

जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे।।

एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियतः शुचिः।

गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा।।

दुर्गा स्तोत्र हिंदी में (Durga Stotra In Hindi)

जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।

जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे।।

हे भगवती देवी माँ दुर्गा!! आपकी जय हो। आपको हमारा नमन है। आप हमें वरदान दीजिये। हे हमारे पापों का नाश करने वाली माँ अम्बे!! आपकी जय हो। आप हमें मनवांछित फल प्रदान करें। आपने शुम्भ-निशुम्भ नामक दैत्यों का सिर अपने गले में हार के रूप में पहना हुआ है। इसके लिए आपको हमारा प्रणाम है। आप हम सभी के दुखों को दूर करने वाली माँ हैं।

जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।

जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे।।

आपके दोनों नेत्र स्वयं चन्द्रमा व सूर्य के समान प्रकाश के स्रोत हैं। आपके अंदर अग्नि जैसी ऊर्जा है और आप उसी की भांति ही सभी जगह व्याप्त हो। आप ही माँ भैरवी के रूप में हो और उस रूप में सभी का कल्याण करती हो। आपने ही अन्धक नाम के दैत्य का वध कर दिया था।

जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।

जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते।।

आपने ही महिषासुर नामक राक्षस का उसकी सेना सहित वध कर दिया था। आपने ही अपने पराक्रम से अधर्म का नाश कर दिया था। आप ही सभी लोकों के पाप को दूर करने वाली हैं। आपको तो पितामह ब्रह्मा व भगवान विष्णु भी प्रणाम करते हैं। सूर्य व इंद्र देव भी आपकी ही आराधना करते हैं।

जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।

जय दुःखदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे।।

सभी देवता अपने मुख से आपका गुणगान करते हैं और आपकी जय-जयकार करते हैं। आप सागर में समा जाती हो और भगवान शिव भी आपको धारण करते हैं। आप ही सभी का दुःख व दरिद्रता दूर करने वाली हो। आप ही मनुष्य को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देकर उनका कुल आगे बढ़ाने में सहयोग करती हो।

जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दुःखहरे।

जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे।।

आप हर मनुष्य के शरीर में वास करती हो अर्थात यह सब आपका ही बनाया हुआ है। आप ही हम सभी के दुःख दूर करती हो और हमें स्वर्ग लोक के दर्शन करवाती हो। आप ही हम सभी की पीड़ा को दूर कर हमें मोक्ष प्रदान करती हो। आप ही हमें मनवांछित फल प्रदान करने वाली और रिद्धि-सिद्धि देने वाली हो।

एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियतः शुचिः।

गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा।।

जो कोई भी भक्तगण शुद्ध स्थान पर या अपने घर पर ही किसी साफ जगह पर, स्नान करके तथा निर्मल मन के साथ महर्षि वेदव्यास जी द्वारा रचित इस दुर्गा स्तोत्र का पाठ करता है, उस पर अवश्य ही माँ दुर्गा की कृपा दृष्टि होती है और माँ उससे प्रसन्न रहती हैं।

माँ दुर्गा स्तोत्र पढ़ने के नियम (Maa Durga Stotra – Niyam)

आपको इंटरनेट पर अलग-अलग लेखों के माध्यम से मां दुर्गा जी के स्तोत्र को पढ़ने के तरह-तरह के नियमों के बारे में बताया गया होगा जो कि अधिकतर व्यर्थ में ही लिखे गए होते हैं। पहली बात तो माँ का कोई भी भक्त दुर्गा स्तोत्र का पाठ कर सकता है और इसके लिए माँ की ओर से किसी तरह की शर्त नहीं रखी गयी है। हालाँकि आपको नैतिक तौर पर कुछ बातों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए।

उदाहरण के तौर पर आप बिना नहाये या नहाने के पश्चात यदि शौच गए हैं तो दुर्गा स्तोत्र का पाठ करने से बचें। आप जहाँ भी दुर्गा मां स्तोत्र का पाठ कर रहे हो, वह जगह स्वच्छ हो अर्थात किसी अनुचित जगह पर माँ दुर्गा स्तोत्र का पाठ करने से बचें। इसी के साथ ही जब भी आप दुर्गा जी स्तोत्र का पाठ करना शुरू करें तो अपने मन को भी शांत रखें और उसमे किसी भी तरह के अनुचित या बुरे विचार ना आने दें।

कुल मिलाकर हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि दुर्गा माता के स्तोत्र को पढ़ने से पहले जगह, तन व मन का स्वच्छ व निर्मल होना आवश्यक होता है। यदि आप बिना इसके भी दुर्गा स्तोत्र का पाठ करते हैं तो आपको कोई हानि तो नहीं होगी किन्तु कुछ लाभ भी नहीं मिलेगा। इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है कि आप स्नान करके स्वच्छ जगह पर और निर्मल मन के साथ ही श्री दुर्गा स्तोत्र का पाठ करें।

दुर्गा माँ स्तोत्र का महत्व (Durga Maa Stotra – Mahatva)

सनातन धर्म में कई तरह की देवियों व उनके तरह-तरह के रूपों के बारे में बात की गयी है तथा उनका महत्व दर्शाया गया है किन्तु उन सभी का आधार माँ आदिशक्ति जिन्हें हम माँ दुर्गा के नाम से भी जानते हैं, वही हैं। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि माँ पार्वती, माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती तथा अन्य देवियाँ माँ दुर्गा का ही एक रूप हैं या उनसे प्रकट हुई हैं। माँ दुर्गा ही इन सभी की आधार देवी मानी जाती हैं।

माँ दुर्गा स्तोत्र के माध्यम से हम सभी को यह बताने की चेष्ठा की गयी है कि उनके जैसा कोई दूसरा नहीं है और जो व्यक्ति दुर्गा माँ का स्तोत्र पढ़ता है, उसका उद्धार होना तय है। श्री दुर्गा स्तोत्र के माध्यम से माँ दुर्गा के गुणों, शक्तियों, पराक्रम, कर्मों, महत्व इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया गया है ताकि भक्तगण माँ के पराक्रम बारे में अच्छे से जान सकें। यही दुर्गा स्तोत्र का महत्व होता है।

दुर्गा स्तोत्र इन संस्कृत में पढ़ने के फायदे (Durga Stotra Lyrics In Hindi – Benefits)

अब आपको माँ दुर्गा स्तोत्र का पाठ करने से क्या कुछ लाभ मिलते हैं, इसके बारे में भी जानना होगा तो हम आपको निराश ना करते हुए इसके बारे में भी बताएँगे। दरअसल दुर्गा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को एक नहीं बल्कि कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं जो उसके जीवन की दिशा तक को बदल सकते हैं। सीधे शब्दों में कहा जाए तो मां दुर्गा स्तोत्र का पाठ करने के फायदे बहुत सारे हैं।

जो व्यक्ति नियमित रूप से ऊपर बताये गए नियमों का पालन करते हुए दुर्गा स्तोत्र पढ़ता है, उसे अवश्य ही इसका प्रभाव कुछ ही सप्ताह में देखने को मिल जाता है। अब इनमे से कौन-कौन से लाभ आपको मिल सकते हैं, वह हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं। आइये जाने दुर्गा स्तोत्र पढ़ने से मिलने वाले लाभ।

  • यदि आपका कोई काम नहीं बन पा रहा है या रह-रह कर उसमें किसी ना किसी तरह की रूकावट आ रही है तो माँ दुर्गा के प्रभाव से वह जल्दी ही बन जाता है।
  • यदि आपका मन खिन्न है या आप किसी बात को लेकर तनाव में हैं तो माँ दुर्गा स्तोत्र के प्रभाव से मन शांत होता है तथा तनाव दूर हो जाता है।
  • यदि आपको आगे का कोई मार्ग समझ नहीं आ रहा है या जीवन में क्या किया जाए, इसको लेकर चिंतित हैं तो आगे का मार्ग भी सुगम होता है तथा आपको एक नयी राह भी मिलती है।
  • माता दुर्गा के प्रभाव से और उनके स्तोत्र के नियमित पाठ से आपका यश परिवार, मित्रों व समाज में फैलता है तथा मान-सम्मान में वृद्धि देखने को मिलती है।
  • यदि आपके ऊपर कोई बुरा साया है या बुरी शक्तियों का प्रभाव है तो वह भी दुर्गा माँ के प्रभाव से समाप्त हो जाता है। यह लाभ तो आपको बस दुर्गा स्तोत्र के पाठ के कुछ दिनों में ही देखने को मिल जाएगा।

हालाँकि दुर्गा स्तोत्र को पढ़ने के इनके अलावा भी कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं जो हर व्यक्ति की स्थिति के अनुसार अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। फिर भी हमने उनमें से कुछ चुनिंदा लाभों को आपके सामने रखा है ताकि आपको यह पता चल सके कि यदि आप नियमित रूप से दुर्गा स्तोत्र पढ़ेंगे तो आपके ऊपर उसका क्या प्रभाव होगा।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.