ब्रजभूमि कहां है? जाने ब्रज भूमि का महत्व

Braj In Hindi

भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी ब्रजभूमि (Braj In Hindi) हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जहाँ हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। श्री कृष्ण से जुड़े होने के कारण ब्रज भूमि का महत्व देखते ही बनता है। यहाँ के कई गांवों से भगवान श्री कृष्ण का संबंध रहा है जहाँ आपको अवश्य होकर आना चाहिए।

बहुत से लोग यह भी जानना चाहते हैं कि ब्रजभूमि कहां है (Brij In Hindi), ऐसे में आज हम आपको इसके बारे में भी बताएँगे। दरअसल मथुरा व उसके आसपास के जो भी स्थल श्रीकृष्ण से संबंधित हैं, उन्हें ही ब्रज भूमि कहा जाता है। आइए इन सभी के बारे में एक-एक करके जान लेते हैं।

Braj In Hindi | ब्रजभूमि में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े स्थल

ब्रज भूमि केवल मथुरा को ही नहीं बोला जाता है लेकिन इसका अधिकांश भाग मथुरा के अंतर्गत ही आता है। साथ ही पूरी मथुरा नगरी ही ब्रज भूमि नहीं है जबकि मथुरा के कुछ अंश ब्रज भूमि के अंतर्गत आते हैं। ऐसे में हम आपको ब्रजभूमि में आने वाले मुख्य गाँवों और दर्शनीय स्थलों के बारे में बताने वाले हैं।

यदि आप ब्रज भूमि मथुरा की यात्रा करने का मन बना रहे हैं तो आज हम आपको यहाँ स्थित उन मुख्य स्थलों व गाँवो के बारे में बताएँगे जहाँ जाकर आप भगवान श्री कृष्ण से जुड़ सकते हैं। चलिए एक-एक करके इन सभी के बारे में जानते हैं।

#1. मथुरा में घूमने की जगह

सबसे पहले नाम आता है मथुरा का जहाँ भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। भाद्रपक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में रात्रि ठीक 12 बजे देवकी माता ने भगवान श्री कृष्ण को जन्म दिया था। यह स्थल उस समय कृष्ण के मामा कंस का कारावास था जहाँ आज विशाल मंदिर है। इसके साथ ही सांकेतिक रूप में यहाँ कारावास का निर्माण भी किया गया है जो कि भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है।

श्री कृष्ण जन्मभूमि पर स्थित मंदिर पर कई बार अफगान व मुगल आक्रांताओं के द्वारा आक्रमण किया जा चुका है। अंतिम बार इसे मुगल आक्रांता औरंगजेब के द्वारा तोड़ा गया था और उसने मंदिर के बीच में जामा मस्जिद का निर्माण करवाया था जो आज भी वहां कलंकित रूप में स्थित है। बाद में पंडित मदन मोहन मालवीय ने एक व्यापारी की सहायता से उस भूमि पर भगवान श्री कृष्ण का मंदिर बनवाया था।

इसके अलावा आप यहाँ द्वारकाधीश मंदिर व मथुरा संग्रहालय देख सकते हैं। द्वारकाधीश मंदिर भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है व यहाँ आने वाला इस मंदिर में अवश्य होकर आता है। द्वारकाधीश मंदिर के पास ही विश्राम घाट है जहाँ पर सुबह व शाम की आरती देखने लायक होती है। ब्रज भूमि का महत्व (Brij In Hindi) श्रीकृष्ण जन्मभूमि के कारण ही सबसे ज्यादा है।

#2. गोकुल में घूमने की जगह

भगवान श्री कृष्ण के जन्म लेने के बाद उनके पिता वासुदेव जी उन्हें यमुना नदी पार करके गोकुल गाँव छोड़ आए थे। तब से इस गाँव की महत्ता भी बढ़ गई थी। यह वही गाँव है जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने अपना बचपन बिताया था। इसके साथ ही यहाँ कान्हा गाय माता को भी चराने आया करते थे।

आप यहाँ विशाल गौशाला देख सकते हैं। साथ ही जहाँ-जहाँ भगवान श्री कृष्ण खेलते थे व उनका बचपन बीता था, उन गलियों व मंदिरों में घूम सकते हैं। गोकुल की गालियों में घूमने का एक अलग ही आनंद आता है। यहाँ घूमकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि नटखट कान्हा अभी किसी गली से निकल कर पुनः वापस आ जाएंगे।

#3. वृन्दावन में घूमने की जगह

वृंदावन कृष्ण भक्तों के बीच में बहुत ज्यादा प्रिय है। जब गोकुल में भगवान श्री कृष्ण पर अपने मामा कंस का अत्याचार बहुत बढ़ गया था तो यशोदा माता व पिता नंद देव ने गोकुल से वृंदावन गाँव जाने का सोचा। तब वे लोग कुछ गाँववालों के साथ वृंदावन गाँव में चले गए और वहां रहने लगे। इसी जगह पर भगवान श्री कृष्ण ने अपना यौवन व्यतीत किया और रासलीला रचाई।

भगवान श्री कृष्ण के यौवन से जुड़ी जो भी कथाएं आपने सुनी है जैसे कि शेषनाग की कथा, राधा व गोपियों के साथ रासलीला रचना व बांसुरी बजाना इत्यादि, वे सभी घटनाएँ वृंदावन गाँव में ही घटित हुई थी। भगवान श्री कृष्ण के भक्त मुख्यतया इसी गाँव में आते हैं व कई दिन यहाँ व्यतीत करते हैं।

वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण के अति सुंदर व भव्य मंदिर हैं। यहाँ सबसे प्रमुख मंदिर बांके बिहारी जी का मंदिर है जहाँ भगवान कृष्ण की सांवले रंग में मूर्ति इतनी आकर्षक है कि भक्तों की नजर कान्हा जी को ना लगे इसीलिए बीच बीच में कृष्ण जी की मूर्ति को पर्दा किया जाता है।

इसके अलावा यहाँ का प्रेम मंदिर अति विशाल व सबसे सुंदर मंदिरों में से एक है। यह मंदिर रात के समय में और भी आकर्षक हो जाता है क्योंकि यहाँ विभिन्न प्रकार की रोशनी करके पल-पल में मंदिर का रंग बदला जाता है। इसी के साथ यहाँ का कृष्ण बलराम मंदिर जिसे इस्कॉन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, वह भी भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

गोविंद देव जी का मंदिर अत्यधिक पुराना है जहाँ आप भारत की प्राचीन कला व नक्काशियों को देख सकते हैं। आप यहाँ निधिवन भी घूम सकते हैं जहाँ भगवान श्री कृष्ण रासलीला रचाते थे। कहते हैं कि आज भी रात्रि के समय भगवान श्री कृष्ण यहाँ माता राधा व गोपियों के साथ रासलीला रचाने आते हैं, इसलिए सूर्योदय से पहले व सूर्यास्त के बाद यहाँ जाने की मनाही है।

इन सबके अलावा यहाँ का राधा रमण मंदिर, पागल बाबा मंदिर, माँ कात्यायनी पीठ, माता वैष्णो देवी मंदिर, रंग महल, रंगनाथ मंदिर भी आप घूम सकते हैं।

#4. गोवर्धन में घूमने की जगह

यह वही जगह है जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को इंद्र देव के प्रकोप से गाँव वालों को बचाने के लिए अपनी एक ऊँगली पर उठाया था और गाँव वालों की रक्षा की थी। यह पर्वत आज भी उसी जगह पर स्थित है जहाँ की परिक्रमा करने भक्त यहाँ आते हैं। यह परिक्रमा चार स्थानों से शुरू होती है जिनके नाम हैं राधा कुंड, जतिसरा, मानसी गंगा व दानघाटी।

गोवर्धन पर्वत की कुल परिक्रमा 21 किलोमीटर लंबी है। कई भक्त इसे नंगे पैर पैदल लगाते हैं जिसमे 5 से 6 घंटे का समय लगता है। यदि आप इसे ईरिक्शा या ऑटो से लगाएंगे तो 1 से 2 घंटे का समय लगेगा। ब्रजभूमि (Braj In Hindi) में गोवर्धन की यात्रा भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र है।

#5. बरसाना में घूमने की जगह

यह माता राधा का गाँव है जो भगवान श्री कृष्ण की प्रियतम थी। जब भगवान श्री कृष्ण अपनी बांसुरी बजाया करते थे तब माता राधा बरसाना गाँव से दौड़ी-दौड़ी वृंदावन चली आती थी। यहाँ पर माता राधा रानी का प्रसिद्ध मंदिर है।

होली के पास बरसाना गाँव की लट्ठमार होली बहुत प्रसिद्ध है। इस दिन यहाँ पर बरसाने की महिलाएं गोकुल के पुरुषों पर लट्ठ से वार करती हैं और गोकुल के पुरुष ढाल से अपनी रक्षा करते हुए उन पर रंग डालने का प्रयास करते हैं। एक तरह से पूरी ब्रज भूमि मथुरा में ही होली की धूम रहती है।

इन सबके अलावा आप यहाँ कीर्ति मंदिर, श्री माताजी गौशाला, राधा रस मंदिर, गह्वर वन भी देख सकते हैं। श्री माताजी गौशाला में करीब दस हज़ार गाय हैं और गह्वर वन निधिवन के जैसा ही प्रसिद्ध है।

#6. नंद गांव में घूमने की जगह

यह भगवान श्रीकृष्ण के पिता नंद बाबा का गाँव था। वे यहाँ के प्रधान थे। श्रीकृष्ण के जन्म के बाद सबसे पहले वे यहीं रहे थे और कंस ने कई मायावी राक्षस कृष्ण का वध करने इस गाँव में भेजे थे। किंतु हर बार यहाँ के ग्वालों के द्वारा कान्हा के जीवन की रक्षा कर ली जाती थी। लगातार कृष्ण पर हो रहे आक्रमण से चिंतित नंदबाबा और यशोदा माता ने नंदगांव को छोड़कर गोकुल गाँव जाने का मन बना लिया था। यहाँ पर सबसे मुख्य नन्द बाबा का मंदिर है जहाँ आप जा सकते हैं

इसके अलावा ब्रजभूमि (Braj In Hindi) में और भी कई गाँव आते हैं जो भगवान श्री कृष्ण से जुड़े हुए हैं। पूरी ब्रजभूमि को 84 कोस की परिक्रमा भी कहा जाता है। इसलिए आप जब भी मथुरा में जाकर आएं तब आप इन गाँवो में अवश्य होकर आएं।

ब्रज भूमि से जुड़े प्रश्नोत्तर

प्रश्न: बृज भूमि का अर्थ क्या है?

उत्तर: बृज भूमि का अर्थ हुआ मथुरा व उसके आसपास के वह सभी स्थल जिनका संबंध श्रीकृष्ण से रहा है उदाहरण के तौर पर वृंदावन, नंद गाँव, गोकुल, बरसाना इत्यादि

प्रश्न: ब्रज का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर: वैसे तो ब्रज एक बहुत ही विशाल भूभाग को कहा जाता है लेकिन आमतौर पर वृंदावन को भी ब्रज बोल दिया जाता है वह इसलिए क्योंकि श्रीकृष्ण का मुख्य संबंध वृंदावन से ही रहा था

प्रश्न: क्या ब्रज एक शहर है?

उत्तर: नहीं, ब्रज कोई शहर नहीं है यह मथुरा व उसके आसपास के स्थलों को नाम दिया गया है जिनका संबंध भगवान श्रीकृष्ण से रहा है

प्रश्न: ब्रज क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: ब्रज क्षेत्र में ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, वहीं उनका बचपन बीता था और वहीं पर वे युवा होने तक रहे थे श्रीकृष्ण से संबंधित होने के कारण ही ब्रज क्षेत्र प्रसिद्ध है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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