गंगा मैया की आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

गंगा जी की आरती (Ganga Ji Ki Aarti)

आज के इस लेख में आपको गंगा जी की आरती (Ganga Ji Ki Aarti) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ने को मिलेगी। सनातन धर्म में माँ गंगा को सबसे पवित्र नदी माना गया है जिसका उद्गम स्थान गंगोत्री है। गंगा जी की आरती के अर्थ को पढ़ने से आपको उसके भावार्थ को समझने में सहायता मिलेगी।

यदि गंगा मैया की आरती (Ganga Maiya Ki Aarti) को अर्थ सहित जान लिया जाए तो उससे हमें गंगा माता के गुणों व महत्व का ज्ञान होता है। अंत में आपको गंगा माता की आरती के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे। आइए सबसे पहले जान लेते हैं गंगा माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित।

Ganga Ji Ki Aarti | गंगा जी की आरती – अर्थ सहित

ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्यावत, मनवांछित फल पाता॥

हम ब्रह्माण्ड के प्रथम अक्षर ॐ मंत्र का जाप करते हुए गंगा माता की जय-जयकार करते हैं। श्री गंगा माता की जय हो। जो भी मनुष्य माँ गंगा का ध्यान करता है और उनकी आरती का पाठ करता है, उसे अपनी इच्छानुसार फल की प्राप्ति होती है।

चन्द्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता॥

माँ गंगा से जो प्रकाश निकल रहा है या जो उनकी ज्योति है, वह चन्द्रमा के समान शीतल व मन को ठंडक प्रदान करने वाली है। गंगा जल इस सृष्टि में सबसे पवित्र व निर्मल जल है जो हमारे पापों का नाश कर देता है। जो भी व्यक्ति सच्चे मन से माँ गंगा की शरण में चला जाता है, वह भव सागर को भी पार कर लेता है।

पुत्र सगर के तारे, सब जग की ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता॥

गंगा मैया ने तो अपनी शक्ति से राजा सागर के सभी साठ हज़ार पुत्रों का उद्धार कर दिया था। गंगा जी को इस जगत की हरेक चीज़ का ज्ञान है अर्थात वे हमारे मन को जानती हैं। जिस किसी पर भी गंगा मैया की कृपा होती है, उसे तीनों लोकों में सुख की प्राप्ति होती है।

एक ही बार जो तेरी, शरणागति आता।
यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता॥

जो व्यक्ति एक बार भी मां गंगा की शरण में चला जाता है और उनकी भक्ति को पा लेता है तो वह जीवन-मरण के इस खेल से मुक्त हो जाता है अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

आरती माता तुम्हारी, जो जन नित गाता।
दास वही सहज में, मुक्ति को पाता॥

जो कोई भी भक्तगण प्रतिदिन गंगा मैया की आरती करता है, उसे सरलता से ही मुक्ति मिल जाती है और वह विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करता है।

ऊपर आपने गंगा मैया की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Ganga Maiya Ki Aarti) पढ़ ली है। इससे आपको गंगा जी की आरती का भावार्थ समझ में आ गया होगा। अब हम गंगा आरती के लाभ और महत्व भी जान लेते हैं।

गंगा आरती का महत्व

मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान करने पर मनुष्य के पाप धुल जाते हैं लेकिन आप यह मत सोचिये कि आप बुरे कर्म करते जाएंगे और गंगा स्नान करने पर उन सभी कर्मों के पाप धुल जाएंगे। दरअसल गंगा नदी में स्नान करने पर हमारे केवल वह पाप धुलते हैं जो हमसे अनजाने में हो जाते हैं जबकि जो बुरे कर्म सोच समझकर किये गए हैं, उनका दंड ईश्वर हमें अवश्य देते हैं।

गंगा जी की आरती के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया गया है कि यह भारत की सबसे पवित्र नदी ही नहीं है अपितु इसके जल में चमत्कारिक शक्तियां हैं। गंगा आरती में माँ गंगा के गुणों, महत्व व पूजा के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है और यही गंगा माता की आरती का महत्व होता है। ऐसे में हमें प्रतिदिन गंगा मैया की आरती का पाठ करना चाहिए।

गंगा आरती के लाभ

गंगा मैया तो सभी की हैं और हर कोई उसमें डुबकी लगा सकता है और माँ के आँचल में समा सकता है। मनुष्य के अंतिम संस्कार के बाद उसके शरीर की राख को गंगा नदी में बहाने की ही परंपरा रही है जिससे कि उसकी आत्मा को शांति व मोक्ष मिल सके। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन गंगा माँ की आरती का पाठ करता है तो उसके मोक्ष मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

गंगा मां की आरती के माध्यम से व्यक्ति का तन व मन दोनों ही शुद्ध हो जाते हैं। इससे शरीर तो रोग मुक्त रहता ही है बल्कि साथ के साथ उसके मन में भी सकारात्मक विचार आते हैं। गंगा आरती के माध्यम से व्यक्ति आत्मिक शांति का अनुभव करता है और उसके मन से तनाव दूर हो जाता है। जो व्यक्ति प्रतिदिन गंगा जी की आरती का पाठ करता है, उसे अंत समय में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने गंगा जी की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Ganga Ji Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने गंगा आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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