गौरी आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

गौरी आरती (Gori Aarti)

आज हम आपको गौरी माता की आरती (Gauri Mata Ki Aarti) हिंदी में अर्थ सहित समझाएंगे। गौरी माता की आरती को केवल पढ़ना ही पर्याप्त नहीं होता है बल्कि साथ के साथ उसका अर्थ भी समझ लिया जाए तो यह और भी शुभकारी सिद्ध होता है। यही कारण है कि आज हम आपके साथ गौरी आरती हिंदी में साझा करेंगे ताकि आप उसका संपूर्ण भावार्थ समझ सकें।

गौरी आरती (Gori Aarti) को मंगला गौरी की आरती के नाम से भी जाना जाता है। वह इसलिए क्योंकि इसे पढ़ने से मनुष्य का मंगल ही मंगल होता है। इस लेख के आखिर में आपको गौरी माता आरती के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे। आइए सबसे पहले जानते हैं गौरी माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित

Gauri Mata Ki Aarti | गौरी माता की आरती – अर्थ सहित

जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥

गौरी माता की जय हो, जय हो। वे ही ब्रह्म तथा सत्य हैं अर्थात सृष्टि की शुरुआत और अंत वही हैं और वही हमें शुभ फल प्रदान करती हैं।

अरिकुल पदम विनासिनी निज सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता॥

गौरी माता हमारे शत्रुओं का नाश कर देती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। वे ही हम सभी को जीवन प्रदान करने वाली हैं और हम सभी उनकी महिमा का वर्णन करते हैं।

सिंह को वाहन साजे कुण्डल हैं साथा।
देबबंधु जस गावत नृत्य करत ता था॥

माँ गौरी सिंह पर सवारी करती हैं और यही उनका वाहन है। उन्होंने अपने कानो में कुंडल पहन रखे हैं। सभी देवता माता गौरी के स्वागत में भजन गाते हैं और नृत्य करते हैं।

सतयुग रूप शील अतिसुन्दर नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी सखियन संगराता॥

सतयुग में गौरी माता ने बहुत ही सुन्दर रूप लिया था जिनका नाम सती था। इसके बाद उन्होंने हिमालय पर्वत के यहाँ पुत्री रूप में जन्म लिया और पार्वती कहलायी। उन्होंने अपनी सखियों सहित बहुत मौज-मस्ती की।

शुंभ निशुंभ विदारे हेमांचल स्थाता।
सहस्त्र भुजा तनु धारिके चक्र लियो हाथा॥

महागौरी ने माँ काली के रूप में शुंभ-निशुंभ राक्षसों का वध कर दिया था और उनका निवास स्थान पर्वत पर है। उन्होंने शत्रुओं का नाश करने के लिए अपनी हजारों भुजाओं में अनेक अस्त्र-शस्त्र धारण किये हुए हैं।

सृष्टि रूप तू ही है जननी शिव रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लही है हाथन मदमाता॥

इस सृष्टि को जन्म और इसे यह रूप मां गौरी ने ही दिया है। इस कार्य में वे भगवान शिव की सहयोगी रही हैं। माता गौरी के स्वागत में तो नंदी भी अपने हाथों में भृंगी व बीन लिए मदहोश होए जा रहा है।

देवन अरज कीनी हम मन चित्त को लाता।
गावत दे दे ताली मन में रंग आता॥

सभी देवता मिलकर महागौरी के सामने याचना करते हैं और हम सभी भी गौरी माँ का ही ध्यान करते हैं। हम पूजा की थाली लेकर माता गौरी के रंग में रंगकर उनकी आराधना करते हैं।

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।
सदा सुखी नित रहता सुख संपत्ति पाता॥

जो कोई भी भक्तगण माता गौरी की आरती गाता है, वह उनकी कृपा से हमेशा सुख को प्राप्त करता है और उसके घर में भी सुख-संपत्ति का वास होता है।

आशा है कि आपको गौरी आरती (Gori Aarti) का अर्थ अच्छे से समझ में आ गया होगा। अब हम गौरी माता की आरती करने से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व को भी जान लेते हैं।

गौरी माता की आरती का महत्व

हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के कई रूप माने जाते हैं जिनमे त्रिदेव को मुख्य ईश्वर तथा त्रिदेवियों को मुख्य देवियाँ माना जाता है। इसमें माँ सरस्वती को विद्या व माँ लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है जबकि माता गौरी को माँ आदिशक्ति का ही रूप मानते हुए उन्हें इस सृष्टि की जननी कहा गया है। इसी कारण गौरी आरती का महत्व बहुत बढ़ जाता है।

गौरी माता की आरती के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया गया है कि हमारे जीवन में माता गौरी का कितना अधिक महत्व है। मंगला गौरी आरती के माध्यम से आपने माता गौरी के गुणों, महत्व, शक्तियों व कर्मों के बारे में जान लिया है। तो यही महागौरी आरती का महत्व होता है। ऐसे में हमें पवित्र मन के साथ प्रतिदिन गौरी मां की आरती का पाठ करना चाहिए।

गौरी आरती के लाभ

यदि किसी कन्या के विवाह में बार-बार अड़चन आ रही है, उसके विवाह में बिना किसी कारण विलंब हो रहा है, उसे अपनी इच्छा के अनुरूप वर चाहिए जो जीवनपर्यंत उसका साथ निभाए, तो उसे माता गौरी की आरती का पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे विवाह में आ रही हर प्रकार की अड़चन व ग्रह दोष दूर हो जाते हैं।

कई बार यह देखने में आता है कि व्यक्ति की कुंडली या ग्रहों की स्थिति इस प्रकार होती है कि उसका विवाह नहीं हो पाता है या विवाह के उपरांत भी अड़चन आती है। ऐसे में मनचाहा वर प्राप्त करने और विवाह बाद शांति से जीवनयापन करने के लिए हर स्त्री को मंगला गौरी आरती का पाठ करना चाहिए। पुरुष भी मनचाही स्त्री से विवाह करने के लिए गौरी जी की आरती का पाठ कर सकता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने गौरी माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Gauri Mata Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने मंगला गौरी आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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