गौरी नंदन आरती (Gauri Nandan Aarti) – अर्थ सहित

Gauri Nandan Ki Aarti

गौरी नंदन की आरती (Gauri Nandan Ki Aarti) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

भगवान गणेश को गौरी नंदन भी कहा जाता है क्योंकि उनका प्राकट्य माता गौरी के आशीर्वाद से ही हुआ था। माता पार्वती को ही माता गौरी के नाम से जाना जाता है। बुद्धि के देवता होने के कारण भगवान शिव ने गौरीनंदन को प्रथम पूजनीय का वरदान दिया था। ऐसे में सबसे पहले गौरी नंदन की आरती (Gauri Nandan Ki Aarti) करने का विधान है।

यह गौरी नंदन आरती (Gauri Nandan Aarti) गणेश आरती से भिन्न है किन्तु उतना ही फल देती है। ऐसे में आप अपनी इच्छानुसार दोनों में से कोई भी आरती कर सकते हैं। आज के इस लेख में हम आपके साथ श्री गौरीनंदन की आरती का पाठ (Gouri Nandan Ki Aarti) ही करने जा रहे हैं। अंत में आपको गौरी नन्दन की आरती का महत्व व लाभ भी पढ़ने को मिलेगा। तो आइये सबसे पहले करते हैं श्री गौरीनंदन जी की आरती।

गौरी नंदन आरती (Gauri Nandan Aarti)

ॐ जय गौरी नंदन, प्रभु जय गौरी नंदन
गणपति विघ्न निकंदन, मंगल निःस्पंदन।
ॐ जय गौरी नंदन॥

ऋद्धि सिद्धियाँ जिनके, नित ही चंवर करे
करिवर मुख सुखकारक, गणपति विघ्न हरे।
ॐ जय गौरी नंदन॥

देवगणों में पहले, तव पूजा होती
तब मुख छवि भक्तो के, दुख दारिद खोती।
ॐ जय गौरी नंदन॥

गुड़ का भोग लगत हैं, कर मोदक सोहे
ऋद्धि सिद्धि सह शोभित, त्रिभुवन मन मोहे।
ॐ जय गौरी नंदन॥

लंबोदर भय हारी, भक्तो के त्राता
मातु भक्त हो तुम्ही, वाँछित फल दाता।
ॐ जय गौरी नंदन॥

मूषक वाहन राजत, कनक छत्रधारी
विघ्नारण्यदवानल, शुभ मंगलकारी।
ॐ जय गौरी नंदन॥

धरणीधर कृत आरती, गणपति की गावे
सुख संपत्ति युक्त होकर, वह वांछित पावे।

ॐ जय गौरी नंदन, प्रभु जय गौरी नंदन
गणपति विघ्न निकंदन, मंगल निःस्पंदन।
ॐ जय गौरी नंदन॥

गौरी नंदन की आरती (Gauri Nandan Ki Aarti) – अर्थ सहित

ॐ जय गौरी नंदन, प्रभु जय गौरी नंदन
गणपति विघ्न निकंदन, मंगल निःस्पंदन।

गौरी नंदन जी की जय हो। हम सभी के प्रभु व ईश्वर गणेश भगवान की जय हो। गणपति भगवान हम सभी के विघ्नों को दूर कर देते हैं और हमारा मंगल ही मंगल करते हैं अर्थात गणेश जी की कृपा से हमारा सबकुछ मंगलमय ही होता है।

ऋद्धि सिद्धियाँ जिनके, नित ही चंवर करे
करिवर मुख सुखकारक, गणपति विघ्न हरे।

सभी रिद्धियाँ व सिद्धियाँ गौरीनंदन को चंवर करती है अर्थात गणेश जी की कृपा से हमें रिद्धि व सिद्धि की प्राप्ति होती है। गणेश जी का मुख बहुत ही सुख प्रदान करने वाला है और उसे देखकर हमें आनंद की अनुभूति होती है। गणपति जी हमारे संकटों का नाश कर देते हैं।

देवगणों में पहले, तव पूजा होती
तब मुख छवि भक्तो के, दुख दारिद खोती।

सभी देवताओं में सबसे पहले पूजा गौरीनंदन जी की ही की जाती है और उसके बाद बाकि देवताओं की पूजा होती है। गणपति भगवान हमें दर्शन देकर हमारे दुखों व दरिद्रता को दूर कर देते हैं।

गुड़ का भोग लगत हैं, कर मोदक सोहे
ऋद्धि सिद्धि सह शोभित, त्रिभुवन मन मोहे।

गौरी नंदन जी को गुड़ का भोग लगाया जाता है और साथ ही उन्हें मोदक अत्यधिक प्रिय है। गणपति जी अपनी पत्नियों रिद्धी व सिद्धि के साथ तीनों लोकों के प्राणियों का मन मोह लेते हैं।

लंबोदर भय हारी, भक्तो के त्राता
मातु भक्त हो तुम्ही, वाँछित फल दाता।

उनका पेट लम्बा और मोटा है और वे इस रूप में अपने भक्तों के हर तरह के भय का नाश कर देते हैं। वे माता पार्वती के परम भक्त हैं और अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।

मूषक वाहन राजत, कनक छत्रधारी
विघ्नारण्यदवानल, शुभ मंगलकारी।

उनका वाहन मूषक अर्थात चूहा है जिस पर वे सवारी कर इधर-उधर जाते हैं। उनका छत्र सोने का बना हुआ है। वे हमारे शत्रुओं सहित सभी कष्टों का नाश कर देते हैं और हमारा मंगल करते हैं।

धरणीधर कृत आरती, गणपति की गावे
सुख संपत्ति युक्त होकर, वह वांछित पावे।

धरणीधर जी के द्वारा इस गौरी नंदन की आरती की रचना की गयी है जिसको हम सभी गाते हैं। जिस किसी पर भी गौरी नंदन जी की कृपा हो जाती है, उसके यहाँ सुख-संपत्ति का वास होता है और उसके मन की हरेक इच्छा पूरी हो जाती है।

श्री गौरीनंदन की आरती (Gouri Nandan Ki Aarti) – महत्व

माँ पार्वती के कई नाम हैं जिनमें से कुछ प्रमुख नाम माँ महागौरी, गौरी, सती व आदिशक्ति है। उन्होंने अपने शरीर के लेप से गणेश भगवान की रचना की थी जिस कारण उन्हें गौरी नंदन के नाम से भी जाना जाता है। गणेश भगवान का पहले का नाम विनायक था किन्तु जब उन्हें हाथी का सिर मिला, तब से उनका नाम गणेश रखा गया। वह इसलिए क्योंकि उन्हें भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा सभी देवताओं ने अपनी-अपनी शक्तियां दी थी जिस कारण वे सभी गणों के ईश्वर बन गए थे।

ऐसे में गौरी नंदन की आरती के माध्यम से भगवान गणेश और उनके गुणों व शक्तियों के ऊपर प्रकाश डाला गया है। इसी के साथ ही गणेश भगवान की आराधना भी की गयी है। भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करने के कारण ही श्री गौरीनंदन की आरती का महत्व इतना बढ़ जाता है।

गौरी नन्दन की आरती (Shri Gauri Nandan Aarti)- लाभ

जो भक्तगण सच्चे मन के साथ माँ गौरी व भगवान गणेश का ध्यान कर गौरी नन्दन की आरती का श्रद्धाभाव के साथ पाठ करता है, उसके अंदर अद्भुत ज्ञान का संचार होता है। ज्ञान के साथ-साथ उसका किस तरह से सदुपयोग किया जाए, इसके लिए बुद्धि का विकास भी होता है। भगवान गणेश मनुष्य को बुद्धिवान बनाने के साथ-साथ उसे आठों सिद्धियाँ व नव निधियां प्रदान करने का आशीर्वाद देते हैं।

वहीं गौरी नंदन की आरती के माध्यम से माँ गौरी भी भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। माँ गौरी की जिस किसी भी पर भी कृपा दृष्टि हो जाती है तो फिर उसका इस संसार में कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। वह व्यक्ति भयमुक्त हो जाता है और उसके सभी काम बन जाते हैं। भगवान गणेश उसके हरेक विघ्नों को दूर कर उसका जीवन सरल बना देते हैं। यही गौरीनंदन जी की आरती के लाभ होते हैं।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिaक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.