आज हम गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ करेंगे। हम सभी जब स्कूल में पढ़ते थे तब अवश्य ही हम सभी ने गायत्री मंत्र का जाप किया होगा। यहाँ तक कि हर पूजा पाठ से पहले भी गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है और यह हम सभी को याद भी होता है। गायत्री माता को भगवान ब्रह्मा की पत्नी माना गया है जो हमें सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली होती हैं।
साथ ही गायत्री माता को सरस्वती माता की तरह ही ज्ञान व बुद्धि की देवी भी माना गया है। यहीं कारण है कि आज के इस लेख में हम आपको श्री गायत्री चालीसा (Shri Gayatri Chalisa) लिखित में देने जा रहे हैं। साथ ही हम आपको गायत्री चालीसा पढ़ने के लाभ और चमत्कार भी बताएँगे। आइए सबसे पहले करते है गायत्री चालीसा का पाठ।
Gayatri Chalisa | गायत्री चालीसा
॥ दोहा ॥
जयति जयति अम्बे जयति, यज्ञ गायत्री देवी।
ब्रह्मज्ञान धारणिहृदय, आदिशक्ति सुरसेवी॥
॥ चौपाई ॥
जयति जयति गायत्री अम्बा, काटहु कष्ट न करहु विलम्बा।
तब ध्यावत विधि विष्णु महेशा, लहत अगम सुख-शांति हमेशा।
तुहि जन ब्रह्मज्ञान उर धारणी, जग तारणि मग मुक्ति प्रसारणी।
जन तन संकट नासन हारी, हरणि पिशाच प्रेत दै तारी।
मंगल मोद भरणी भय नासनि, घट-घट वासिनि बुद्धि प्रकासिनि।
पूरण ज्ञान रत्न की खानि, सकल सिद्धि दानी कल्याणी।
शम्भु नेत्र नित निरत करैया, भव भय दारुण दर पहरइया।
सर्व काम क्रोधादि माया, ममता मत्सर मोह अदाया।
अगम अनिष्ट हरण महाशक्ति, सहज भरण भक्तन उर भक्ति।
‘ॐ, रूपकलि कलषु विभंजनि, ‘भूर्भवः’ ‘स्वः’ स्वतः निरंजनि।
शब्द ‘तत्सवितु’ हंस सवारी, अरु ‘वरेण्यं’ ब्रह्म ‘दुलारी’।
‘भर्गो’ -जनतनु क्लेश भगावत, प्रेम सहित ‘देवस्य’ जु ध्यावत।
‘धीमहि’ – धीर धरत उर माहीं, ‘धियो’ बुद्धि बल विमल सुहाही।
‘यो नः’ नित नवभक्ति प्रकाशन, ‘प्रचोदयात्’ पुंज अघनाशन।
अक्षर-अक्षर महं गुण रूपा, अगम अपार सुचरित अनूपा।
जो गणमंत्र न तुम्हरो जाना, शब्द अर्थ जो सुना न काना।
सो नर दुर्लभ असतन पावत, पारस गहतन कनक बनावत।
जब लगि ब्रह्म कृपा नहिं तेरी, रहहि तबहि लगि ज्ञान की देरी।
प्राकृति ब्रह्म शक्ति बहु तेरी, महा ‘व्यहृती’ नाम घनेरी।
ॐ-तत्व निर्गुण जग जाना, भूः-मम रूप चतुर्दल माना।
र्भुवः- भुवन पालन शुचिकारी, स्वः- रक्षा सोलह दलधारी।
त- विधि रूप जन पालन हारी, त्स- रस रूप ब्रह्म सुखकारी।
वि- कचित गंध शिशिर संयुक्ता, तु- रमित घट घट जीवन मुक्ता।
व- नत शब्द सुविग्रह कारण, रे- स्व शरीर तत्वनत धारण।
ण्य- सर्वत्र सुपालन कर्त्ता, भ- भवन बीच मुद मंगल भर्ता।
र्गो- संयुक्त गंध अविनाशी, दे- तन बुद्धि वचन सुखरासी।
व- सत् ब्रह्म युग बाहु स्वरुपा, स्य- तनु लसत षत दल अनुरूपा।
धी- जनु प्रकृति शब्द नित कारण, म- नितब्रह्म रूपिणी नित धारण।
हि- यहिसर्व परब्रह्म प्रकाशन, धियो- बुद्धि बल विद्या वासन।
यो- सर्वत्रलसत थल जल निधि, नः- नित तेज पुंज जग बहु विधि।
प्र- बलअनि अकाया नित कारण, चो- परिपूरण श्री शिव धारण।
द- मन करति अघ प्रगटनि शक्ति, यात- ज्ञान प्रविशन हरि भक्ति।
जयति जयति जय जय जगधात्री, जय जय महामंत्र गायत्री।
तुहि श्रीराम राधिका सीता, तुहि कृष्ण मुखर्सित गीता।
आदिशक्ति तुहि भक्ति भवानी, जगत जननि फल वांछित दानी।
तुहि श्रीदुर्गा दुर्ग नाशिनी, उमा रमा बैकुण्ठ वासिनी।
तुहि श्री भक्ति भैरव बानी, तुम्हीं मातु मंगला मृडानी।
जेते मंत्र जगत के माहीं, पर गायत्री सम कोई नाहीं।
जाहि ब्रह्म हत्यादिक लागै, गायत्रिहिं जप सो अघ भागै।
धनिहो धनि त्रैलोक्य वंदिनी, जय हो श्री ब्रह्म नंदिनी।
॥ दोहा ॥
श्री गायत्री चालीसा, पाठ करै सानंद सहज
तरै पातक हरै, हरै न पुनि भव फंद॥
बास होई गृह लक्ष्मी, गहि मन वांछित आस,
आस पूर्णलहि सकल विधि, विरच्यो सुन्दर दास॥
ऊपर आपने श्री गायत्री चालीसा (Shri Gayatri Chalisa) पढ़ ली है। अब बारी आती है गायत्री चालीसा पढ़ने के लाभ और उसके चमत्कार को जानने की। तो चलिए वह भी जान लेते हैं।
गायत्री चालीसा के चमत्कार
गायत्री माता माँ आदिशक्ति का ही एक रूप हैं या फिर यूँ कहें कि माँ आदिशक्ति ही गायत्री माता हैं। सनातन धर्म में देवी माता के हर रूप का एक गुण होता है और इसी कारण उनकी पूजा की जाती है किन्तु गायत्री माता इन सभी से बिल्कुल भिन्न हैं। वह इसलिए क्योंकि इन्हें धर्म की स्थापना करने वाली प्रमुख देवी माना जाता है। हिन्दू धर्म का मुख्य आधार वेद ही हैं और यही सबसे पुराने ग्रंथ हैं जो सृष्टि की रचना से पहले और बाद में भी रहेंगे।
तो इन्हीं चारों वेदों की जननी गायत्री माता को माना जाता है। चारों वेदों की शक्तियां भी गायत्री मंत्र में ही निहित होती है और इसकी छाप गायत्री चालीसा में भी देखने को मिलती है। गायत्री चालीसा के माध्यम से हम गायत्री माता के द्वारा प्रदान की जाने वाली शक्तियां ग्रहण कर सकते हैं और आत्म-ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं। गायत्री चालीसा का मुख्य चमत्कार यही है कि इसके जाप से आप स्वयं ब्रह्म को अपने अंदर अनुभव कर सकते हैं और परम ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
गायत्री चालीसा पढ़ने के लाभ
ऊपर आपने गायत्री चालीसा के चमत्कारों को पढ़ा तो उससे आपको गायत्री चालीसा के लाभ भी कुछ सीमा तक समझ में आ गए होंगे। फिर भी हम इसे विस्तार देते हुए बता दें कि गायत्री माता को केवल चारों वेदों की ही नहीं अपितु सभी तरह के शास्त्रों व पुराणों की भी जननी माना जाता है। उनके द्वारा ही धर्म व संस्कृति की स्थापना की गयी थी तथा मनुष्य जाति को जीवन पद्धति व मानव कल्याण का संदेश दिया गया था।
यदि हम गायत्री चालीसा का नियमित रूप से पाठ करते हैं तो हम अपने अंदर एक नयी चेतना का अनुभव करते हैं। इस चेतना के माध्यम से हम में कार्य करने की शक्ति आती है और साथ के साथ हम मेधावी भी बनते हैं। इससे हमारे दिमाग का विकास होता है और हमारी सोचने-समझने की शक्ति भी बढ़ती है। कुल मिलाकर नियमित रूप से गायत्री चालीसा को पढ़ने से हमारे दिमाग व शरीर का संपूर्ण रूप में विकास होता है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) पढ़ ली है। साथ ही आपने श्री गायत्री चालीसा पढ़ने के लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
गायत्री चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: गायत्री माता किसका अवतार है?
उत्तर: गायत्री माता को देव माता, ज्ञान गंगा व वेदों की जननी माना जाता है जो माँ आदिशक्ति का ही एक रूप हैं।
प्रश्न: गायत्री माता के कितने नाम हैं?
उत्तर: गायत्री माता के कुल 108 नाम हैं जिनमे से कुछ प्रसिद्ध नाम देव माता, वेद माता, ज्ञान गंगा इत्यादि है।
प्रश्न: गायत्री माता कौन सी देवी है?
उत्तर: चारों वेदों, शास्त्रों, पुराणों इत्यादि की जननी गायत्री माता ही हैं तथा इन्हें ही संस्कृति व धर्म की रचना करने वाली माना जाता है।
प्रश्न: गायत्री मंत्र में कितने देवता हैं?
उत्तर: गायत्री मंत्र में कुल 24 अक्षर होते हैं और यह 24 आदि देवताओं का सूचक माना जाता है।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: