आज हम गोरख चालीसा (Gorakh Chalisa) को हिंदी में अर्थ सहित समझेंगे। भारत भूमि पर कई महापुरुषों, संतों व गुरुओं का जन्म हुआ है जिन्होंने समय समय पर मनुष्य जाति को अद्भुत ज्ञान दिया है और मानवता की रक्षा की है। इसी में एक गुरु का नाम है गुरु गोरखनाथ। गुरु गोरखनाथ ने अपने जीवनकाल में धर्म की स्थापना के लिए बहुत कार्य किए हैं।
इसी कारण आज के इस लेख में हम आपके साथ गुरु गोरखनाथ की चालीसा का पाठ करने जा रहे हैं। गुरु गोरखनाथ को गोरक्षनाथ के नाम से भी जाना जाता है और उनके अनुयायियों को हम नाथ संप्रदाय के नाम से जानते हैं। इनका एकमात्र मंदिर उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित है जहाँ के महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी हैं।
आज के इस लेख में हम आपको गोरख चालीसा PDF (Gorakhnath Chalisa PDF) फाइल और फोटो भी देंगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं गुरु गोरखनाथ चालीसा हिंदी में।
Gorakh Chalisa | गोरख चालीसा – अर्थ सहित
॥ दोहा ॥
गणपति गिरजा पुत्र को सिमरूँ बारम्बार।
हाथ जोड़ विनती करूँ शारद नाम अधार॥
मैं गणपति के रूप और पर्वत पुत्र का बार-बार सिमरन करता हूँ। मैं उनके सामने हाथ जोड़ कर और शारदा माता का नाम लेकर उनसे प्रार्थना करता हूँ।
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गोरख अविनासी, कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी।
जय जय जय गोरख गुण ज्ञानी, इच्छा रूप योगी वरदानी।
अलख निरंजन तुम्हरो नामा, सदा करो भक्तन हित कामा।
नाम तुम्हारा जो कोई गावे, जन्म जन्म के दुःख मिट जावे।
हे गोरख गुरु! आपका विनाश नहीं हो सकता है। हे गुरुदेव! आप हम पर कृपा करो और हमारे जीवन में प्रकाश भर दो। हे गोरख बाबा! आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप अपनी इच्छा से योगी रूप में हमें वरदान देते हैं। अलख निरंजन आपके ही नाम हैं और आप हमेशा अपने भक्तों के हित का काम करते हैं। आपका नाम जो कोई भी भक्तगण लेता है, उसके सभी तरह के दुःख समाप्त हो जाते हैं।
जो कोई गोरख नाम सुनावे, भूत पिशाच निकट नहीं आवे।
ज्ञान तुम्हारा योग से पावे, रूप तुम्हारा लख्या ना जावे।
निराकार तुम हो निर्वाणी, महिमा तुम्हारी वेद न जानी।
घट घट के तुम अन्तर्यामी, सिद्ध चौरासी करे प्रणामी।
जो कोई व्यक्ति गोरख बाबा का नाम लेता है, भूत पिशाच उसके पास भी नहीं आते हैं। योग के द्वारा आपका दिव्य ज्ञान प्राप्त होता है और आपका रूप बहुत ही सुन्दर है। आपका कोई आकार नहीं है और आप निर्वाण हो, आपकी महिमा तो वेद भी नहीं जान पाए हैं। आप अंतर्यामी हैं और सिद्ध लोग भी आपको प्रणाम करते हैं।
भस्म अङ्ग गल नाद विराजे, जटा शीश अति सुन्दर साजे।
तुम बिन देव और नहीं दूजा, देव मुनि जन करते पूजा।
चिदानन्द सन्तन हितकारी, मंगल करण अमंगल हारी।
पूर्ण ब्रह्म सकल घट वासी, गोरख नाथ सकल प्रकाशी।
आपके शरीर पर भस्म, गले में माला व सिर पर जटाएं बहुत ही सुन्दर लग रही है। आपके जैसा कोई दूसरा देव नहीं है और सभी देवता, मुनि, मनुष्य आपकी ही पूजा करते हैं। आप संतों का हित करते हैं और अमंगल को दूर कर हमेशा मंगल करते हैं। आपके द्वारा सभी शुभ कार्य संपन्न हो जाते हैं।
गोरख गोरख जो कोई ध्यावे, ब्रह्म रूप के दर्शन पावे।
शंकर रूप धर डमरू बाजे, कानन कुण्डल सुन्दर साजे।
नित्यानन्द है नाम तुम्हारा, असुर मार भक्तन रखवारा।
अति विशाल है रूप तुम्हारा, सुर नर मुनि जन पावें न पारा।
जो कोई व्यक्ति आपका ध्यान करता है, उसे सीधा ब्रह्म स्वरुप के दर्शन हो जाते हैं। आप अपना शंकर रूप धर कर डमरू बजाते हुए और कानो में कुंडल पहन कर नाचते हैं। आपका एक नाम नित्यानंद है और आप असुरों का संहार कर भक्तों की रक्षा करते हैं। आपका रूप बहुत ही विशाल है और देवता, मनुष्य, ऋषि-मुनि इत्यादि उसको पार नहीं पा सकते हैं।
दीन बन्धु दीनन हितकारी, हरो पाप हम शरण तुम्हारी।
योग युक्ति में हो प्रकाशा, सदा करो सन्तन तन वासा।
प्रातःकाल ले नाम तुम्हारा, सिद्धि बढ़े अरु योग प्रचारा।
हठ हठ हठ गोरक्ष हठीले, मार मार वैरी के कीले।
हे दीन बंधुओं के हितकारी! हम आपकी शरण में आये हैं और आप हमारे सभी पाप हर लीजिये। आप हमारे जीवन में प्रकाश फैला दो और हमारे शरीर में वास करो। जो व्यक्ति सुबह-सुबह आपका नाम लेता है, उसे अद्भुत ज्ञान की प्राप्ति होती है। आप बहुत हठीले भी हैं।
चल चल चल गोरख विकराला, दुश्मन मार करो बेहाला।
जय जय जय गोरख अविनाशी, अपने जन की हरो चौरासी।
अचल अगम हैं गोरख योगी, सिद्धि देवो हरो रस भोगी।
काटो मार्ग यम को तुम आई, तुम बिन मेरा कौन सहाई।
आप मेरे दुश्मनों को मार दीजिये। हे गोरखनाथ! आप हमारे सभी दुःख हर लीजिये। आप अचल अगम हैं और आप हमें सभी तरह की सिद्धियाँ प्रदान करें। आप ही हमारा मार्ग प्रशस्त करेंगे और आपके बिना कौन ही हमारा होगा।
अजर अमर है तुम्हरी देहा, सनकादिक सब जोरहिं नेहा।
कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा, है प्रसिद्ध जगत उजियारा।
योगी लखे तुम्हारी माया, पार ब्रह्म से ध्यान लगाया।
ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे, अष्टसिद्धि नव निधि घर पावे।
आपकी काया अजर अमर है। आपके शरीर का तेज सौ सूर्यों से भी ज्यादा तेज है जिससे संपूर्ण विश्व में उजाला होता है। सभी योगी पूरे ध्यान के साथ आपकी माया को देख पाते हैं। जो व्यक्ति आपका ध्यान लगाता है, उसे आठों सिद्धियों व नौ निधियों की प्राप्ति होती है।
शिव गोरख है नाम तुम्हारा, पापी दुष्ट अधम को तारा।
अगम अगोचर निर्भय नाथा, सदा रहो सन्तन के साथा।
शंकर रूप अवतार तुम्हारा, गोपीचन्द, भरथरी को तारा।
सुन लीजो प्रभु अरज हमारी, कृपासिन्धु योगी ब्रह्मचारी।
आपका नाम शिव गोरख भी है और आप पापी व दुष्ट लोगों का संहार कर देते हैं। आप हमेशा ही अपने भक्तों के साथ बने रहें। आप शंकर के रूप हैं। अब प्रभु आप हमारी विनती को सुन लीजिये और हमारा उद्धार कीजिये।
पूर्ण आस दास की कीजे, सेवक जान ज्ञान को दीजे।
पतित पावन अधम अधारा, तिनके हेतु तुम लेत अवतारा।
अलख निरंजन नाम तुम्हारा, अगम पन्थ जिन योग प्रचारा।
जय जय जय गोरख भगवाना, सदा करो भक्तन कल्याना।
अपने इस दास की सभी इच्छाएं पूरी कीजिये और सेवक जान हमें ज्ञान दीजिये। आपने अधर्म का नाश करने के लिए ही अवतार लिया है। आपका नाम अलख निरंजन है और आपने सभी का मार्ग प्रशस्त किया है। हे गोरख भगवान! आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप सदैव अपने भक्तों का कल्याण करें।
जय जय जय गोरख अविनासी, सेवा करें सिद्ध चौरासी।
जो ये पढ़हि गोरख चालीसा, होय सिद्धि साक्षी जगदीशा।
हाथ जोड़कर ध्यान लगावे, और श्रद्धा से भेंट चढ़ावे।
बारह पाठ पढ़े नित जोई, मनोकामना पूर्ण होई।
हे गोरख भगवान! आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आपकी हम सभी सेवा करते हैं। जो भी व्यक्ति यह गोरख चालीसा का पाठ करता है, उसकी सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। जो भी हाथ जोड़ कर आपका ध्यान लगाता है और आपको श्रद्धाभाव से भेंट चढ़ाता है, साथ ही बारह बार गोरखनाथ चालीसा का पाठ करता है, उसकी सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
॥ दोहा ॥
सुने सुनावे प्रेम वश, पूजे अपने हाथ।
मन इच्छा सब कामना, पूरे गोरखनाथ॥
अगर अगोचर नाथ तुम, पारब्रह्म अवतार।
कानन कुण्डल सिर जटा, अंग विभूति अपार॥
सिद्ध पुरुष योगेश्वरो, दो मुझको उपदेश।
हर समय सेवा करूँ, सुबह शाम आदेश॥
जो भी गोरखनाथ चालीसा को दूसरों को सुनाता है और आपकी पूजा करता है, गुरु गोरखनाथ उसकी सभी तरह की इच्छाएं, कामनाएं पूरी कर देते हैं। आप अगम अगोचर हैं और ब्रह्म के ही अवतार हैं। आपके कानो में कुंडल और सिर पर जटाएं हैं, अंगों पर भस्म लगी हुई है। हे सिद्ध पुरुष व योगियों के ईश्वर, आप मुझे उपदेश दीजिये। मैं हर समय आपकी सेवा करूँ, ऐसा मुझे आदेश दीजिये।
गोरख चालीसा फोटो
यह रही गोरख चालीसा की फोटो:
यदि आप मोबाइल में इसे देख रहे हैं तो फोटो पर क्लिक करके रखिए। उसके बाद आपको फोटो डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा। वहीं यदि आप लैपटॉप या कंप्यूटर में इसे देख रहे हैं तो इमेज पर राईट क्लिक करें। इससे आपको इमेज डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा।
गोरख चालीसा PDF | Gorakhnath Chalisa PDF
अब हम गोरख चालीसा की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: गोरख चालीसा PDF
ऊपर आपको लाल रंग में गोरख चालीसा PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
निष्कर्ष
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने गोरख चालीसा हिंदी में अर्थ सहित (Gorakh Chalisa) पढ़ ली है। साथ ही हमने आपको गोरख चालीसा PDF फाइल और फोटो भी उपलब्ध करवा दी है। यदि आपको फोटो या पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या होती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।
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