बाबा रामदेव चालीसा (Baba Ramdev Chalisa) | रामदेव चालीसा लिरिक्स (Ramdev Chalisa Lyrics)

Ramdev Chalisa

हमारे देश में ईश्वर के साथ-साथ देवी-देवताओं, गुरुओं, समाज सुधारकों, महापुरुषों की भी पूजा करने का विधान है। यहाँ तक कि सनातन धर्म में तो प्रकृति व मनुष्य जीवन के लिए जरुरी अंगों को भी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। साथ ही हर राज्य में वहां के कुछ लोकदेवता होते हैं जिनकी मान्यता बहुत होती है। इसी में एक है राजस्थान राज्य के प्रसिद्ध लोकदेवता रामदेव जी। आज के इस लेख में आपको रामदेव चालीसा (Ramdev Chalisa) पढ़ने को मिलेगी।

ऐसा इसलिए क्योंकि रामदेव जी को समाज सुधारक माना जाता है जिन्होंने राजस्थान के एक हिस्से में लोगों को दुष्ट भैरव के आतंक से मुक्त करवाया था। इसी के साथ उन्होंने समाज में व्याप्त कई तरह की कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठायी और जीवनभर प्रजा की भलाई के लिए ही कार्य किये। वे संपूर्ण राजस्थान में परचे बंटवाने या चमत्कार करने के लिए भी बहुत प्रसिद्ध थे। इसी कारण उनकी प्रसिद्धि संपूर्ण राजस्थान व आसपास के राज्यों में भी फैल गयी।

यही कारण है कि आज के इस लेख में आपको बाबा रामदेव चालीसा (Baba Ramdev Chalisa) पढ़ने को मिलेगी। साथ ही क्या आप जानते हैं कि रामदेव बाबा की चालीसा एक नहीं बल्कि दो-दो है। आज हम दोनों तरह की रामदेव बाबा की चालीसा आपके सामने रखने जा रहे हैं। तो आइये पढ़ते हैं रामदेव चालीसा लिरिक्स (Ramdev Chalisa Lyrics) हिंदी में संपूर्ण अर्थ सहित।

रामदेव चालीसा (Ramdev Chalisa)

।। दोहा ।।

श्री गुरु पद नमन करि, गिरा गनेश मनाय।

कथूं रामदेव विमल यश, सुने पाप विनशाय।।

द्वार केश ने आय कर, लिया मनुज अवतार।

अजमल गेह बधावणा, जग में जय जयकार।।

।। चौपाई ।।

जय जय रामदेव सुर राया, अजमल पुत्र अनोखी माया।

विष्णु रूप सुर नर के स्वामी, परम प्रतापी अन्तर्यामी।

ले अवतार अवनि पर आये, तंवर वंश अवतंश कहाये।

संत जनों के कारज सारे, दानव दैत्य दुष्ट संहारे।

परच्या प्रथम पिता को दीन्हा, दूश परीण्डा मांही कीन्हा।

कुमकुम पद पोली दर्शाये, ज्योंही प्रभु पलने प्रगटाये।

परचा दूजा जननी पाया, दूध उफणता चरा उठाया।

परचा तीजा पुरजन पाया, चिथड़ों का घोड़ा ही साया।

परच्या चौथा भैरव मारा, भक्त जनों का कष्ट निवारा।

पंचम परच्या रतना पाया, पुंगल जा प्रभु फंद छुड़ाया।

परच्या छठा विजयसिंह पाया, जला नगर शरणागत आया।

परच्या सप्तम् सुगना पाया, मुवा पुत्र हंसता भग आया।

परच्या अष्टम् बौहित पाया, जा परदेश द्रव्य बहु लाया।

भंवर डूबती नाव उबारी, प्रगट टेर पहुँचे अवतारी।

नवमां परच्या वीरम पाया, बनियां आ जब हाल सुनाया।

दसवां परच्या पा बिनजारा, मिश्री बनी नमक सब खारा।

परच्या ग्यारह किरपा थारी, नमक हुआ मिश्री फिर सारी।

परच्या द्वादश ठोकर मारी, निकलंग नाड़ी सिरजी प्यारी।

परच्या तेरहवां पीर परी पधारया, ल्याय कटोरा कारज सारा।

चौदहवां परच्या जाभो पाया, निजसर जल खारा करवाया।

परच्या पन्द्रह फिर बतलाया, राम सरोवर प्रभु खुदवाया।

परच्या सोलह हरबू पाया, दर्श पाय अतिशय हरषाया।

परच्या सत्रह हर जी पाया, दूध थणा बकरया के आया।

सुखी नाडी पानी कीन्हों, आत्म ज्ञान हरजी ने दीन्हों।

परच्या अठारहवां हाकिम पाया, सूते को धरती लुढ़काया।

परच्या उन्नीसवां दल जी पाया, पुत्र पाय मन में हरषाया।

परच्या बीसवां पाया सेठाणी, आये प्रभु सुन गदगद वाणी।

तुरंत सेठ सरजीवण कीन्हा, भक्त उजागर अभय वर दीन्हा।

परच्या इक्कीसवां चोर जो पाया, हो अन्धा करनी फल पाया।

परच्या बाईसवां मिर्जो चीहां, सातों तवा बेध प्रभु दीन्हां।

परच्या तेईसवां बादशाह पाया, फेर भक्त को नहीं सताया।

परच्या चौबीसवां बख्शी पाया, मुवा पुत्र पल में उठ धाया।

जब-जब जिसने सुमरण कीन्हां, तब-तब आ तुम दर्शन दीन्हां।

भक्त टेर सुन आतुर धाते, चढ़ लीले पर जल्दी आते।

जो जन प्रभु की लीला गावें, मनवांछित कारज फल पावें।

यह चालीसा सुने सुनावे, ताके कष्ट सकल कट जावे।

जय जय जय प्रभु लीला धारी, तेरी महिमा अपरम्पारी।

मैं मूरख क्या गुण तब गाऊँ, कहाँ बुद्धि शारद सी लाऊँ।

नहीं बुद्धि बल घट लव लेशा, मती अनुसार रची चालीसा।

दास सभी शरण में तेरी, रखियो प्रभु लज्जा मेरी।

रामदेव चालीसा लिरिक्स – अर्थ सहित (Ramdev Chalisa Lyrics – With Meaning)

।। दोहा ।।

श्री गुरु पद नमन करि, गिरा गनेश मनाय।

कथूं रामदेव विमल यश, सुने पाप विनशाय।।

द्वार केश ने आय कर, लिया मनुज अवतार।

अजमल गेह बधावणा, जग में जय जयकार।।

मैं अपने सभी गुरुओं को नमन करते हुए और भगवान गणेश की आराधना करते हुए, रामदेव बाबा के यश को सुनाते हुए उनकी चालीसा लिखता हूँ। वे सभी के पापों का विनाश करने वाले हैं जिन्होंने मनुष्य का अवतार लिया है। राजा अजमल के घर वे पैदा हुए हैं जिस कारण हर ओर उनकी जय-जयकार हो रही है।

।। चौपाई ।।

जय जय रामदेव सुर राया, अजमल पुत्र अनोखी माया।

विष्णु रूप सुर नर के स्वामी, परम प्रतापी अन्तर्यामी।

ले अवतार अवनि पर आये, तंवर वंश अवतंश कहाये।

संत जनों के कारज सारे, दानव दैत्य दुष्ट संहारे।

हे रामदेव बाबा! आपकी जय हो। आप अजमल के पुत्र रूप में जन्मे हो और भगवान विष्णु के रूप हो जो सभी देवता व मनुष्यों के स्वामी हैं। वे परम प्रतापी व अंतर्यामी हैं। आपने मनुष्य रूप में तंवर वंश में अवतार लिया है। आप इस धरती पर संतों की रक्षा करने और दानवों का विनाश करने के लिए आये हैं।

परच्या प्रथम पिता को दीन्हा, दूश परीण्डा मांही कीन्हा।

कुमकुम पद पोली दर्शाये, ज्योंही प्रभु पलने प्रगटाये।

परचा दूजा जननी पाया, दूध उफणता चरा उठाया।

परचा तीजा पुरजन पाया, चिथड़ों का घोड़ा ही साया।

आपने अपना पहला परचा अपने पिता को ही दिया और उनके घर में मनुष्य रूप में जन्मे। इस कारण हर जगह उल्लास छा गया। दूसरा परचा आपकी माँ को मिला और आपने उनका दूध पिया। तीसरा परचा पुरजन को मिला जिसका घोड़ा आपने ले लिया।

परच्या चौथा भैरव मारा, भक्त जनों का कष्ट निवारा।

पंचम परच्या रतना पाया, पुंगल जा प्रभु फंद छुड़ाया।

परच्या छठा विजयसिंह पाया, जला नगर शरणागत आया।

परच्या सप्तम् सुगना पाया, मुवा पुत्र हंसता भग आया।

चौथा परचा भैरव को मिला जिसका वध आपने कर दिया और भक्तों का कष्ट दूर किया। पांचवा परचा रत्ना को मिला जिसको आपने दुष्टों की नगरी से स्वतंत्र करवाया। छठा परचा विजयसिंह को मिला जो अपना नगर जलने पर आपकी शरण में आया। सातवाँ परचा सुगना को मिला जिसका मृत पुत्र हँसता हुआ आपके पास आ गया।

परच्या अष्टम् बौहित पाया, जा परदेश द्रव्य बहु लाया।

भंवर डूबती नाव उबारी, प्रगट टेर पहुँचे अवतारी।

नवमां परच्या वीरम पाया, बनियां आ जब हाल सुनाया।

दसवां परच्या पा बिनजारा, मिश्री बनी नमक सब खारा।

आठवां परचा बौहित को मिला जो परदेश में जाकर विवाह कर लाया। वापस लौटते समय उसकी नांव समुंद्र में डूबने लगी थी लेकिन आपने उसकी रक्षा की। नौवां परचा वीरम को मिला जब उसने आपको आकर अपना हाल सुनाया। दसवां परचा बिंजारा को मिला जिसका नमक मिश्री में बदल गया।

परच्या ग्यारह किरपा थारी, नमक हुआ मिश्री फिर सारी।

परच्या द्वादश ठोकर मारी, निकलंग नाड़ी सिरजी प्यारी।

परच्या तेरहवां पीर परी पधारया, ल्याय कटोरा कारज सारा।

चौदहवां परच्या जाभो पाया, निजसर जल खारा करवाया।

ग्याहरवें परचे में आपकी कृपा से वह मिश्री फिर से नमक में बदल गयी। बारहवें परचे में सिरजी को ठोकर लगी और उन्हें अक्ल आ गयी। तेरहवां परचा पाकर आपके पास पीर पधारे और अपना काम करने को कहा। चौदहवें परचे के अनुसार जाभो का सारा जल खारे पानी में बदल गया।

परच्या पन्द्रह फिर बतलाया, राम सरोवर प्रभु खुदवाया।

परच्या सोलह हरबू पाया, दर्श पाय अतिशय हरषाया।

परच्या सत्रह हर जी पाया, दूध थणा बकरया के आया।

सुखी नाडी पानी कीन्हों, आत्म ज्ञान हरजी ने दीन्हों।

पंद्रहवें परचे के अनुसार आपने राम नाम का एक सरोवर खुदवाया। सोलहवां परचा हरबू को मिला जिसे आपका दर्शन मिला। सत्रहवां परचा हरजी को मिला जिसके बकरे के थनों से दूध आ गया। आपने सरोवर बनाकर सभी को सुख दिया और हरजी को आत्मज्ञान की अनुभूति करवायी।

परच्या अठारहवां हाकिम पाया, सूते को धरती लुढ़काया।

परच्या उन्नीसवां दल जी पाया, पुत्र पाय मन में हरषाया।

परच्या बीसवां पाया सेठाणी, आये प्रभु सुन गदगद वाणी।

तुरंत सेठ सरजीवण कीन्हा, भक्त उजागर अभय वर दीन्हा।

अठारवाँ परचा हाकिम को मिला जिसने अपने सूत को धरती पर लुढ़का दिया। उन्नीसवां परचा दलजी को मिला जिसको आपकी कृपा से पुत्र प्राप्ति हुई। बीसवां परचा सेठानी को मिला जिसके पास आप चले गए। आपने सेठानी के सेठ पति को मृत से जीवित कर दिया और उन्हें अभय का वरदान दिया।

परच्या इक्कीसवां चोर जो पाया, हो अन्धा करनी फल पाया।

परच्या बाईसवां मिर्जो चीहां, सातों तवा बेध प्रभु दीन्हां।

परच्या तेईसवां बादशाह पाया, फेर भक्त को नहीं सताया।

परच्या चौबीसवां बख्शी पाया, मुवा पुत्र पल में उठ धाया।

इक्कीसवां परचा चोर को मिला और वह अंधा हो गया। बाइसवां परचा मिर्जो को मिला जिसको सातों भेद पता चल गए। तेइसवां परचा बादशाह को मिला जिसके बाद उसने रामदेव भक्तों को तंग नहीं किया। चौबीसवां परचा बख्शी को मिला जिसका मरा हुआ पुत्र फिर से जीवित हो गया।

जब-जब जिसने सुमरण कीन्हां, तब-तब आ तुम दर्शन दीन्हां।

भक्त टेर सुन आतुर धाते, चढ़ लीले पर जल्दी आते।

जो जन प्रभु की लीला गावें, मनवांछित कारज फल पावें।

यह चालीसा सुने सुनावे, ताके कष्ट सकल कट जावे।

जब कभी भी किसी ने आपको याद किया, तब-तब आपने प्रकट होकर उसे दर्शन दिए। दूर-दूर से भक्त आपके दर्शन करने के लिए आते हैं। जो भी आपकी महिमा का गुणगान करता है, उसे अपनी इच्छा के अनुसार फल की प्राप्ति होती है। जो कोई भी रामदेव चालीसा सुनता है और दूसरों को सुनाता है, उसके सभी कष्ट मिट जाते हैं।

जय जय जय प्रभु लीला धारी, तेरी महिमा अपरम्पारी।

मैं मूरख क्या गुण तब गाऊँ, कहाँ बुद्धि शारद सी लाऊँ।

नहीं बुद्धि बल घट लव लेशा, मती अनुसार रची चालीसा।

दास सभी शरण में तेरी, रखियो प्रभु लज्जा मेरी।

हे रामदेव बाबा! आपकी लीला अपरंपार है, आपकी जय हो। मैं तो मूर्ख हूँ और मैं क्या ही आपकी महिमा का बखान करूँगा। मैं अपने अंदर माँ शारदा जैसी बुद्धि कैसे ही लेकर आऊँ। इसलिए मैंने अपनी बुद्धि अनुसार ही रामदेव चालीसा की रचना की है। आपके सभी भक्त आपकी शरण में हैं, इसलिए आप अपने भक्तों के मान-सम्मान की रक्षा कीजिये।

बाबा रामदेव चालीसा – द्वितीय (Baba Ramdev Chalisa)

।। दोहा ।।

जय जय जय प्रभु रामदेव, नमो नमो हर बार।

लाज रखो आप भक्त की, हरो पाप का भार।।

दीन बंधु किरपा करो, मोर हरो संताप।

स्वामी तीनों लोक के, हरो क्लेश और पाप।।

।। चौपाई ।।

जय जय रामदेव जयकारी, विपदा हरो आप आन हमारी।

आप हो सुख सम्पत्ति के दाता, भक्त जनों के भाग्य विधाता।

बाल रूप अजमल के धारा, बनकर पुत्र सभी दु:ख टारा।

दुखियाे के आप हो रखवाले, लागत आप उन्हीं को प्यारे।

आपही रामदेव प्रभु स्वामी, घट घट के हो अन्तर्यामी।

आप हो भक्तों के भयहारी, मेरी भी सुध लो अवतारी।

जग में नाम तुम्हारा भारी, भजते घर घर सब नर-नारी।

दु:खभंजन है नाम तुम्हारा, जानत आज सकल संसारा।

सुन्दर धाम रूणेचा स्वामी, आप हो जग के अन्तर्यामी।

कलयुग मे प्रभुजी आप पधारे, अंश एक पर नाम है न्यारे।

आप हो भक्तजनो के रक्षक, पापी दुष्ट जनो के भक्षक।

सोहे हाथ आपके भाला, गले मे सोहे सुंदर माला।

आप सुशोभित अश्व असवारी, करो किरपा मुझ पर अवतारी।

नाम तुम्हारा ग्यान प्रकाशे, पाप अविधा सब दु:ख नाशे।

आप भक्तों के भक्त तुम्हारे, नित्य बसो प्रभुजी ह्रदय हमारे।

लीला अपरम्पार तुम्हारी, सुख दाता भवभंजन हारी।

निबुद्धि भी विधा पावे, रोगी रोग बिना हो जावे।

पुत्र हिन सुसन्तान पावे, सुयश ज्ञान करि मोद मनावे।

दुर्जन दुष्ट निकट नहीं आवे, भूत पिशाच सभी डर जावे।

जो कोई पुत्र हीन नर ध्यावे, निश्चय ही वो नर सुत पावे।

आपने डुबत नाव उबारी, नमक किया मिश्री को सारी।

पीरो को परचा आप दिना, नीर सरोवर खारा किना।

आपने पुत्र दिया दलजी को, ज्ञान दिया आपने हरजी को।

सुगणा का दुःख आप हरलीना, पुत्र मरा सरजीवन किना।

जो कोई आपको सुमरन करते, उनके हित पग आगे धरते।

जो कोई टेर लगता तेरी, करते बापजी तनिक ना देरी।

विविध रूप धर भैरव मारा, जांभाजी को परचा दे डाला।

जो कोई शरण आपरे आवे, मन इच्छा पूर्ण हो जावे।

नयन हिन के तुम रखवारे, कोढी पांगलो के दुःख टारे।

नित्य पढ़े चालीसा कोई, सुख संपत्ति वाके घर होई।

जो कोई भक्ति भाव से ध्याते, मनवांछित फल वो नर पाते।

मैं भी सेवक हूँ प्रभुजी तेरा, काटो जन्म मरण का फैरा।

जय जय हो प्रभु लीला तेरी, पार करो प्रभुजी नैया मेरी।

करता भक्त विनय प्रभुजी तेरी, करहूं नाथ आप मम उर डेरी।

।। दोहा ।।

भक्त समझ किरपा करो नाथ पधारो दौड़।

विनती है प्रभु आपसे भक्त करे कर जोड़।।

यह चालीसा नित्य उठ पाठ करे जो कोय।

मन वांछित फल पाय वो सुख सम्पत्ति घर होय।।

रामदेव बाबा चालीसा का महत्व (Ramdev Baba Chalisa Ka Mahatva)

जब भी किसी ईश्वर, ईश्वरीय रूप, गुरु, महापुरुष, संत इत्यादि की चालीसा लिखी जाती है तो उस चालीसा का मुख्य उद्देश्य उस महापुरुष के बारे में संपूर्ण विवरण शुरू से लेकर अंत तक देना होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपने ऊपर रामदेव बाबा की चालीसा पढ़ी और साथ ही उसका अर्थ भी जाना। तो इस रामदेव चालीसा को पढ़ कर आपको रामदेव बाबा के बारे में बहुत कुछ ज्ञान हो गया होगा।

ऐसे में यदि आपको संक्षेप में रामदेव बाबा को जानना हो और उनके कर्मों, गुणों, महत्ता इत्यादि का ज्ञान लेना हो तो आप उसके लिए रामदेव चालीसा का पाठ कर सकते हैं। इसी के माध्यम से ही आपको रामदेव पीर के बारे में बहुत कुछ ज्ञात हो जायेगा। यही बाबा रामदेव चालीसा का महत्व होता है।

रामदेव चालीसा के लाभ (Ramdev Chalisa Benefits In Hindi)

बाबा रामदेव जी ने अपने जीवनकाल में मनुष्य के कल्याण के लिए कई तरह के कार्य किये और इन्हीं कार्यों ने ही उन्हें महान पुरुष बना दिया। इसके बाद ही राजस्थान के लगभग हर जिले में बाबा रामदेव के मंदिर खोले गए जिन पर लाखों श्रद्धालु अपनी मन्नते लेकर पहुँचते हैं। ऐसे में यदि आप भी नित्य रूप से रामदेव बाबा चालीसा का पाठ करते हैं और उनकी भक्ति करते हैं तो अवश्य ही उनकी कृपा दृष्टि आप पर बरसती है।

अब यदि रामदेव बाबा आपसे खुश हो जाते हैं तो वे आपकी हर इच्छा को पूरी कर देते हैं। रामदेव चालीसा का पाठ करने से रामदेव जी बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और आपको मुहं माँगा वरदान देते हैं। इसलिए आपको अपने दुखों का नाश करने के लिए हर दिन रामदेव जी की चालीसा का पाठ करना चाहिए।

रामदेव चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: रामदेव जी ने कौन सा पंथ चलाया?

उत्तर: रामदेव जी ने कामडिया पंथ चलाया जिसका संबंध हिन्दू धर्म से है।

प्रश्न: रामदेव जी किसका अवतार थे?

उत्तर: वैसे तो रामदेव जी 15वीं शताब्दी में जन्मे एक महापुरुष थे लेकिन लोक मान्यताओं के अनुसार उन्हें श्रीकृष्ण का भी अवतार कह दिया जाता है।

प्रश्न: रामदेव जी के घोड़े का नाम क्या था?

उत्तर: रामदेव जी के घोड़े का नाम लीला था।

प्रश्न: रामदेवरा क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: रामदेवरा में राजस्थान के लोक देवता रामदेव जी ने समाधि ली थी और इसी कारण रामदेवरा प्रसिद्ध है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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