गुरु गोरखनाथ की आरती | Guru Gorakhnath Ki Aarti | Gorakhnath Ji Ki Aarti

Gorakhnath Ki Aarti

भारत भूमि पर कई महापुरुषों, संतों व गुरुओं का जन्म हुआ है जिन्होंने समय-समय पर मनुष्य जाति को अद्भुत ज्ञान दिया है और मानवता की रक्षा की है। इसी में एक गुरु का नाम है गुरु गोरखनाथ। गुरु गोरखनाथ ने अपने जीवनकाल में धर्म की स्थापना के लिए बहुत कार्य किये हैं। इसलिए आज के इस लेख में हम आपको गुरु गोरखनाथ की आरती (Guru Gorakhnath Ki Aarti) का पाठ करके बताएँगे।

गुरु गोरखनाथ को गोरक्षनाथ के नाम से भी जाना जाता है और उनके अनुयायियों को हम नाथ संप्रदाय के नाम से जानते हैं। इनका एकमात्र मंदिर उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित है जहाँ के महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी हैं जो उत्तरप्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं। आज के इस लेख में हम गोरखनाथ की आरती का पाठ (Gorakhnath Ki Aarti) करने के साथ-साथ उसका अर्थ भी आपको समझायेंगे। इसे पढ़ कर आपको गोरखनाथ जी की आरती (Gorakhnath Ji Ki Aarti) का महत्व व लाभ इत्यादि सब ज्ञात हो जाएगा।

गुरु गोरखनाथ की आरती (Guru Gorakhnath Ki Aarti)

जय गोरख देवा जय गोरख देवा।

कर कृपा मम ऊपर नित्य करूँ सेवा।।

शीश जटा अति सुंदर भाल चन्द्र सोहे।

कानन कुंडल झलकत निरखत मन मोहे।।

गल सेली विच नाग सुशोभित तन भस्मी धारी।

आदि पुरुष योगीश्वर संतन हितकारी।।

नाथ नरंजन आप ही घट-घट के वासी।

करत कृपा निज जन पर मेटत यम फांसी।।

ऋद्धि सिद्धि चरणों में लोटत माया है दासी।

आप अलख अवधूता उतराखंड वासी।।

अगम अगोचर अकथ अरुपी सबसे हो न्यारे।

योगीजन के आप ही सदा हो रखवारे।।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हारा निशदिन गुण गावें।

नारद शारद सुर मिल चरनन चित लावें।।

चारों युग में आप विराजत योगी तन धारी।

सतयुग द्वापर त्रेता कलयुग भय टारी।।

गुरु गोरख नाथ की आरती निशदिन जो गावे।

विनवत बाल त्रिलोकी मुक्ति फल पावे।।

गोरखनाथ जी की आरती – अर्थ सहित (Gorakhnath Ji Ki Aarti)

जय गोरख देवा जय गोरख देवा।

कर कृपा मम ऊपर नित्य करूँ सेवा।।

हे देव गोरख!! आपकी जय हो, आपकी जय हो। आप मेरे ऊपर हमेशा अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखें और मैं हमेशा आपकी सेवा करता रहूँ।

शीश जटा अति सुंदर भाल चन्द्र सोहे।

कानन कुंडल झलकत निरखत मन मोहे।।

आपके शीश पर जटाएं हैं और चन्द्रमा विराजित है जो बहुत ही सुन्दर लग रहे हैं। आपके कानो में कुंडल झलक रहे हैं और यह देख कर सभी का मन मोहित हो जाता है।

गल सेली विच नाग सुशोभित तन भस्मी धारी।

आदि पुरुष योगीश्वर संतन हितकारी।।

आपने अपने गले में सांप को लिया हुआ है और शरीर पर भस्म लगा रखी है। आप आदि पुरुष हैं और योगियों के भी ईश्वर हैं। आप संतों का हित करने वाले हैं।

नाथ नरंजन आप ही घट-घट के वासी।

करत कृपा निज जन पर मेटत यम फांसी।।

आप हम सभी के साथ हैं और आप हर जगह वास करते हैं। अब आप हम मनुष्यों पर भी दया कीजिये और हमारे संकटों का नाश कीजिये।

ऋद्धि सिद्धि चरणों में लोटत माया है दासी।

आप अलख अवधूता उतराखंड वासी।।

आपके चरणों में तो सभी तरह की रिद्धी व सिद्धि रहती है और वह आपकी ही दासियाँ है। आप उत्तराखंड राज्य में निवास करते हैं और आपके जैसा कोई नहीं है।

अगम अगोचर अकथ अरुपी सबसे हो न्यारे।

योगीजन के आप ही सदा हो रखवारे।।

आप हर जगह व्याप्त हैं, आप हर जगह जाते हैं, आपका कोई रूप नहीं है, आप सभी से भिन्न व अद्भुत हैं। आप ही सभी तरह के संतों व योगियों के रखवाले हैं।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हारा निशदिन गुण गावें।

नारद शारद सुर मिल चरनन चित लावें।।

भगवान ब्रह्मा व विष्णु भी हर दिन आपका ही गुण गाते हैं और नारद मुनि, शारदा माँ, देवतागण सभी मिल कर आपका ध्यान लगाते हैं

चारों युग में आप विराजत योगी तन धारी।

सतयुग द्वापर त्रेता कलयुग भय टारी।।

आप चारों युगों में योगी के रूप में विराजते हैं। आप ही सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग व कलयुग में सभी तरह के पापों का नाश करते हैं।

गुरु गोरख नाथ की आरती निशदिन जो गावे।

विनवत बाल त्रिलोकी मुक्ति फल पावे।।

जो भी व्यक्ति प्रतिदिन गुरु गोरखनाथ की आरती करता है और उनका ध्यान करता है, उसे सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और मुक्ति मिलती है

गोरखनाथ आरती का महत्व (Gorakhnath Aarti Ka Mahatva)

अभी तक आपने गोरखनाथ आरती का पाठ कर लिया है व साथ ही उसका अर्थ भी जान लिया है किन्तु आपको इसी के साथ गुरु गोरखनाथ जी की आरती का महत्व भी पता होना चाहिए। सनातन धर्म में समय-समय पर कई महापुरुषों और संतों ने जन्म लिया है जिन्होंने मानव जीवन को उत्तम बनाने की दृष्टि से कई तरह के कार्य किये हैं। अब उनके कामो को दिखाने और उनकी महिमा को बताने के लिए ही उनकी आरती लिखी जाती है।

आपने ऊपर गोरखनाथ की आरती पढ़ी और साथ ही उसका अर्थ भी जाना। तो इसके द्वारा आपको केवल इसी आरती के माध्यम से ही गुरु गोरखनाथ जी के बारे में समूची जानकारी संक्षिप्त रूप में प्राप्त हो गयी। तो इस तरह से इस आरती के माध्यम से हमें गुरु गोरखनाथ जी के बारे में बेहतर तरीके से जानने का अवसर प्राप्त होता है और उनकी महत्ता का ज्ञान होता है।

गोरखनाथ की आरती के लाभ (Gorakhnath Ki Aarti Benefits In Hindi)

अब यदि आप प्रतिदिन बाबा गोरखनाथ की आरती का पाठ करते हैं और उनकी सच्चे मन से भक्ति करते हैं तो अवश्य ही उनकी कृपा दृष्टि आप पर रहती है और उनका आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है। देशभर में करोड़ो श्रद्धालु प्रतिदिन गुरु गोरखनाथ की आरती व चालीसा का पाठ करते हैं और उनका ध्यान लगाते हैं जिस कारण उनके मन को शांति का अनुभव होता है।

ऐसे में यदि आप भी उनका ध्यान व मनन करना चाहते हैं तो इसके लिए गोरख आरती का पाठ करने से उत्तम कुछ भी नहीं है। आज से ही आप प्रतिदिन सुबह उठ कर गोरखनाथ जी की आरती का पाठ करने का नियम बना लें और इसका परिणाम आपको कुछ ही दिनों में देखने को मिल जायेगा।

गोरखनाथ की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: गुरु गोरखनाथ की सिद्धि कैसे प्राप्त करें?

उत्तर: गुरु गोरखनाथ की सिद्धि प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन उनकी आरती व चालीसा का पाठ करें।

प्रश्न: गोरखनाथ का वास्तविक नाम क्या है?

उत्तर: गोरखनाथ का वास्तविक नाम गोरखनाथ ही है लेकिन उन्हें एक अन्य नाम गोरक्षनाथ के नाम से भी जाना जाता है।

प्रश्न: गोरखनाथ क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: गोरखनाथ बाबा गोरखनाथ व उनके अनुयायियों जिन्हें नाथ संप्रदाय कहा जाता है, उसके कारण प्रसिद्ध है।

प्रश्न: भारत में गोरखनाथ मंदिर कहां है?

उत्तर: भारत में गोरखनाथ मंदिर उत्तरप्रदेश राज्य में स्थित है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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