श्री जगन्नाथ अष्टकम का पाठ – महत्व व लाभ सहित

Jagannath Ashtakam In Hindi

आज हम आपके साथ जगन्नाथ अष्टकम (Jagannath Ashtakam) का पाठ करेंगे। जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा से कौन परिचित नहीं होगा। हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया से जगन्नाथ रथयात्रा शुरू होती है जो दस दिन पश्चात जगन्नाथ मंदिर में वापसी के साथ संपन्न हो जाती है। हिन्दू धर्म के चार धाम में से एक धाम जगन्नाथ पुरी है जो भगवान श्रीकृष्ण के जगन्नाथ रूप को समर्पित है।

यहीं कारण है कि आज हम श्री जगन्नाथ अष्टकम (Shri Jagannath Ashtakam) का पाठ करने जा रहे हैं। लेख के अंत में जगन्नाथ अष्टकम पढ़ने से मिलने वाले लाभ व महत्व भी साझा किए जाएंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं भगवान जगन्नाथ अष्टकम।

Jagannath Ashtakam | जगन्नाथ अष्टकम

कदाचित् कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत तरलो
मुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपः।
रमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे॥

भुजे सव्ये वेणुं शिरसि शिखिपिच्छं कटितटे
दुकूलं नेत्रान्ते सहचर-कटाक्षं विदधते।
सदा श्रीमद्‍-वृन्दावन-वसति-लीला-परिचयो
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥

महाम्भोधेस्तीरे कनक रुचिरे नील शिखरे
वसन् प्रासादान्तः सहज बलभद्रेण बलिना।
सुभद्रा मध्यस्थः सकलसुर सेवावसरदो
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥

कृपा पारावारः सजल जलद श्रेणिरुचिरो
रमा वाणी रामः स्फुरद् अमल पङ्केरुहमुखः।
सुरेन्द्रैर् आराध्यः श्रुतिगण शिखा गीत चरितो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे॥

रथारूढो गच्छन् पथि मिलित भूदेव पटलैः
स्तुति प्रादुर्भावम् प्रतिपदमुपाकर्ण्य सदयः।
दया सिन्धुर्बन्धुः सकल जगतां सिन्धु सुतया
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे॥

परंब्रह्मापीड़ः कुवलय-दलोत्‍फुल्ल-नयनो
निवासी नीलाद्रौ निहित-चरणोऽनन्त-शिरसि।
रसानन्दी राधा-सरस-वपुरालिङ्गन-सुखो
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथगामी भवतु मे॥

न वै याचे राज्यं न च कनक माणिक्य विभवं
न याचेऽहं रम्यां सकल जन काम्यां वरवधूम्।
सदा काले काले प्रमथ पतिना गीतचरितो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे॥

हर त्वं संसारं द्रुततरम् असारं सुरपते
हर त्वं पापानां विततिम् अपरां यादवपते।
अहो दीनेऽनाथे निहित चरणो निश्चितमिदं
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे॥

जगन्नाथाष्टकं पुन्यं यः पठेत् प्रयतः शुचिः।
सर्वपाप विशुद्धात्मा विष्णुलोकं स गच्छति॥

ऊपर आपने श्री जगन्नाथ अष्टकम (Shri Jagannath Ashtakam) पढ़ लिया है। जो लोग प्रतिदिन जगन्नाथ भगवान का ध्यान कर उनके अष्टकम का पाठ करते हैं, उन्हें अभूतपूर्व लाभ देखने को मिलते हैं। ऐसे में अब हम जगन्नाथ अष्टकम के फायदे और महत्व भी जान लेते हैं।

श्री जगन्नाथ अष्टकम का महत्व

जगन्नाथ भगवान श्रीकृष्ण का ही एक रूप हैं। मान्यता है कि श्रीकृष्ण की मृत्यु के बाद उनके हृदय से ही भगवान विश्वकर्मा जी ने जगन्नाथ सहित तीनों मूर्तियों का निर्माण किया था। ऐसे में जगन्नाथ भगवान का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। उनका यह रूप इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि जब यशोदा माता द्वारका नगरी के लोगों को श्रीकृष्ण के बचपन की अठखेलियाँ बता रही थी तब श्रीकृष्ण की लज्जा के मारे आँखें बहुत बड़ी हो गयी थी।

ऐसे में जगन्नाथ भगवान का महत्व बताने के उद्देश्य से ही जगन्नाथ अष्टकम की रचना की गयी है। इसी के साथ ही जगन्नाथ अष्टकम के माध्यम से उनकी आराधना भी की गयी है। तो यही श्री जगन्नाथ अष्टकम का महत्व होता है।

जगन्नाथ अष्टकम के लाभ

यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ जगन्नाथ अष्टकम का पाठ करते हैं तो इससे आपको अभूतपूर्व लाभ देखने को मिलते हैं। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के ऐसे अवतार थे जो सभी कलाओं में निपुण थे। उनका यह अवतार कलयुग की दृष्टि से बहुत ही प्रासंगिक था। कलयुग में मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग श्रीकृष्ण के दिखाए गए मार्ग पर चलकर बहुत आसानी से पाया जा सकता है।

एक तरह से श्रीकृष्ण ही कलयुग में हमारा मार्गदर्शन करने में सक्षम हैं। भगवान जगन्नाथ उनके अनेक रूपों में से एक रूप का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में जगन्नाथ जी के अष्टकम के माध्यम से हमें कलयुग में अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखने, मोहमाया से बचे रहने तथा मोक्ष प्राप्ति के मार्ग में आगे बढ़ने की शक्ति मिलती है। यही जगन्नाथ अष्टकम के लाभ होते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने जगन्नाथ अष्टकम (Jagannath Ashtakam) पढ़ लिया हैं। साथ ही आपने जगन्नाथ अष्टकम पढ़ने से मिलने वाले लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

जगन्नाथ अष्टकम से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: भगवान जगन्नाथ के अंदर क्या है?

उत्तर: भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों को श्रीकृष्ण भगवान के हृदय से बनाया गया था। उसके ऊपर के आवरण को अन्य धातुओं व लकड़ी से बनाया जाता है जिसे हर बारह वर्ष में बदल दिया जाता है।

प्रश्न: जगन्नाथ पुरी इतना प्रसिद्ध क्यों है?

उत्तर: हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक धाम जगन्नाथ पुरी का मंदिर है जहाँ श्रीकृष्ण के हृदय से बनायी गयी तीनों मूर्तियाँ स्थापित की गयी है। इसी कारण जगन्नाथ पुरी इतना प्रसिद्ध है।

प्रश्न: पुरी जगन्नाथ मंदिर की छाया क्यों नहीं है?

उत्तर: पुरी जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला व स्थिति इस प्रकार है कि सूर्य की किरणें इस पर सीधी पड़ जाती है और मंदिर की छाया नहीं बन पाती है।

प्रश्न: पुरी का झंडा विपरीत दिशा में क्यों है?

उत्तर: इस बात का कोई वैज्ञानिक तथ्य या आधार नहीं है। यह संपूर्ण रूप से ईश्वरीय शक्ति का ही प्रतीक है कि जगन्नाथ पुरी का झंडा वायु की विपरीत दिशा में बहता है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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