रामायण में कबंध कौन था (Kabandh Kaun Tha) व उसकी कहानी क्या है!! वैसे तो रामायण में समय-समय पर कई तरह के राक्षसों से श्रीराम का सामना हुआ था किन्तु उन सभी में यह Kabandh Rakshas सबसे विचित्र था। वह इसलिए क्योंकि इस कबंध राक्षस का रूप बहुत ही विचित्र था जिसकी लंबी-लंबी भुजाएं थी लेकिन शरीर के नाम पर बस मुख और हाथ ही थे।
साथ ही श्रीराम ने ना केवल इसका वध किया था बल्कि इसका अंतिम संस्कार भी किया था। अब श्रीराम को किसी राक्षस का वध कर उसका अंतिम संस्कार करने की क्या आवश्यकता थी? यह तो आपको कबंध राक्षस की कहानी (Kabandha Ramayana) को पढ़कर ही पता चल पाएगा। तो आइए जाने कबंध राक्षस कौन था व उसका रामायण में क्या योगदान रहा था।
Kabandh Kaun Tha | रामायण में कबंध कौन था?
कबंध राक्षस का असली नाम दनु था जिसका जन्म गन्धर्व जाति में हुआ था। वह बचपन से ही अत्यधिक बलशाली व सुंदर था। उसकी सुंदरता के कारण उसके शरीर से एक अलग प्रकाश निकलता था। साथ ही उसे स्वयं भगवान ब्रह्मा का भी वरदान था कि उसे किसी अस्त्र से नहीं मारा जा सकता है।
अपने बल व पराक्रम के कारण उसमें अहंकार आ गया था। सुंदर शरीर के होते हुए भी वह राक्षसी रूप धारण कर ऋषि मुनियों को डराया करता था। आज हम उसी श्राप तथा कबंध राक्षस के वध के बारे में जानेंगे।
ऋषि स्थूलशिरा से मिला श्राप
कबंध ऐसे ही राक्षसों के भयानक रूप धारण कर प्रतिदिन किसी ना किसी ऋषि को डराया करता था। एक दिन उसने स्थूलशिरा ऋषि को भी डराने के लिए भयानक राक्षस का रूप धारण किया। ऋषि स्थूलशिरा के पास कई दैवीय शक्तियां थी व वे दनु के इस कृत्य से अत्यंत क्रोधित हो गए थे। इसी क्रोध में उन्होंने उसे श्राप दिया कि वह जिस प्रकार का रूप धारण करके उन्हें डरा रहा है वही उसका हमेशा के लिए रूप हो जाएगा और वह राक्षसों के जैसा ही व्यवहार करेगा।
ऋषि के श्राप स्वरुप दनु का शरीर वैसा ही रह गया, उसकी दोनों भुजाएं अत्यंत लंबी व विशाल बन गई व सारा दिव्य ज्ञान विलुप्त हो गया। अब वह एक राक्षस की भाँति व्यवहार करने लगा।
ऋषि ने दिया श्राप का उपाय
अपनी यह अवस्था देखकर दनु ऋषि स्थूलशिरा के सामने गिड़गिड़ाने लगा व क्षमा की याचना करने लगा। ऋषि को भी उस पर दया आ गई व उन्होंने इस श्राप से मुक्त होने का उपाय बताया। उन्होंने कहा कि एक दिन भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण के साथ माता सीता को ढूंढते हुए यहाँ आएंगे व तुम्हारी दोनों भुजाएं काट देंगे। इसके बाद जैसे ही वे तुम्हारा दाह संस्कार करेंगे तो तुम श्राप से मुक्त हो जाओगे व पुनः अपने इसी शरीर को प्राप्त करोगे।
देव इंद्र से युद्ध
इसके पश्चात दनु का देवराज इंद्र से युद्ध हुआ। चूँकि दनु को ब्रह्मा जी के द्वारा दीर्घायु होने व किसी अस्त्र से ना मरने का वरदान प्राप्त था इसलिए इंद्र उनकी हत्या नहीं कर पाए। लेकिन उनके वज्र के प्रहार से दनु का राक्षस शरीर उसके कबंध (पेट) में समा गया व केवल मुख व भुजाएं ही बाहर रही। तब से वह उसी स्थल पर पड़ा रहा व अपनी लंबी-लंबी भुजाएं फैलाकर पशु पक्षियों को पकड़ कर अपना भोजन करता। तब से उसका नाम Kabandh Rakshas पड़ा।
Kabandha Ramayana | कबंध रामायण
जब भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण के साथ माता सीता की खोज में वहाँ पहुँचे तो कबंध ने उन्हें अपनी भुजाओं में जकड़ लिया। इससे क्रोधित होकर लक्ष्मण ने उसकी दोनों भुजाएं काट दी। यह देखकर कबंध ने उन दोनों का परिचय जाना व सारी बात बताई। साथ ही यह बताया कि पुनः अपने गन्धर्व शरीर को प्राप्त करने के बाद वह माता सीता की खोज में उनकी सहायता कर सकता है। अतः भगवान राम व लक्ष्मण ने उनका विधि पूर्वक दाह संस्कार किया।
Kabandh Rakshas की मुक्ति
दाह संस्कार होते ही कबंध को ऋषि स्थूलशिरा के श्राप से मुक्ति मिली व पुनः उन्होंने अपने दनु गन्धर्व के शरीर को प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने भगवान राम को उनकी भक्त शबरी का पता दिया। साथ ही उन्होंने बताया कि वहाँ से उन्हें सुग्रीव तक पहुँचने का रास्ता मिलेगा जो माता सीता को ढूंढने में उनकी सहायता करेंगे। यह कहकर वे अंतर्धान हो गए।
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने यह जान लिया है कि रामायण में कबंध कौन था (Kabandh Kaun Tha) व क्यों उसका शरीर ऐसा हो गया था। भगवान श्रीराम ने अपने जीवनकाल में ना केवल मनुष्यों का बल्कि दैत्यों का भी उद्धार किया था जिसमें से एक यह Kabandh Rakshas था।
Kabandha Ramayana से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: कबंध राक्षस पूर्व जन्म में कौन था?
उत्तर: कबंध राक्षस अपने पूर्व जन्म में दनु नाम का एक सुंदर व बलशाली गंधर्व था जिसे ऋषि के द्वारा श्राप दिया गया था।
प्रश्न: कबंध राक्षस देखने में कैसा था?
उत्तर: कबंध राक्षस का शरीर बहुत ही विचित्र था। उसका पूरा शरीर उसके पेट में समा गया था और साथ ही दो लंबी-लंबी भुजाएं थी।
प्रश्न: रामायण में कबांध राक्षस कौन थे?
उत्तर: रामायण में कबांध राक्षस का सामना भगवान श्रीराम व लक्ष्मण से हुआ था। वह दिखने में बहुत ही कुरूप व विचित्र था जिसका वध लक्ष्मण के हाथों हो गया था।
प्रश्न: कबंध राक्षस ने राम लक्ष्मण से क्या इच्छा व्यक्त की?
उत्तर: कबंध राक्षस ने मरने से पहले श्रीराम और लक्ष्मण को अपना दाह संस्कार करने की इच्छा प्रकट की थी ताकि उसे इस शरीर से मुक्ति मिल सके।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: