भगवान विष्णु के दूसरे अवतार कूर्म अवतार की कथा

कच्छप अवतार (Kachhap Avatar)

कच्छप अवतार (Kachhap Avatar): भगवान विष्णु ने विश्व कल्याण तथा धर्म की रक्षा करने के उद्देश्य से कई अवतार लिए जिनमें से उनका कच्छप अवतार द्वितीय अवतार था। इस अवतार में भगवान विष्णु कछुए के अवतार में प्रकट हुए थे, इसलिए इसे कच्छप अवतार या कछुआ अवतार के नाम से भी जाना जाता है।

हालाँकि उनके इस अवतार का अधिकृत नाम कूर्म अवतार है जो उनका द्वितीय अवतार माना जाता है। इस अवतार को लेने के पीछे भगवान विष्णु का उद्देश्य देव-दानवों की समुद्र मंथन में सहायता करना तथा मंदार पर्वत का भार उठाना था। आज हम भगवान विष्णु के द्वितीय अवतार कूर्म अवतार की कथा (Kurma Avatar Story In Hindi) के बारे में विस्तार से जानेंगे।

कच्छप अवतार (Kachhap Avatar)

एक समय जब देवताओं को अपनी शक्ति का अत्यधिक अहंकार हो गया था तब उन्होंने ऋषि दुर्वासा का अपमान किया था। इसी से क्रुद्ध होकर ऋषि दुर्वासा ने देवताओं को श्रीहीन होने का श्राप दे दिया था। इसके पश्चात देवताओं की शक्ति दानवों के समक्ष कम हो गई थी जिस कारण दानवों के राजा बलि ने देवराज इंद्र को पराजित कर दिया था।

अब तीनों लोकों पर दानवों का राज हो गया था तथा चारों ओर अधर्म बढ़ने लगा था। यह देखकर देवता अत्यधिक विचलित हो गए तथा भगवान विष्णु के पास सहायता मांगने पहुंचे।

  • समुद्र मंथन का उपाय

जब हताश देवतागण अपनी परेशानी लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो श्रीहरि ने इसके लिए समुद्र मंथन का उपाय बताया। चूँकि प्रलय से पृथ्वी कुछ समय पहले ही उबरी थी तथा सतयुग का पुनः उदय हुआ था, इसलिए बहुत से अनमोल रत्न समुद्र की गहराइयों में छिपे थे। चूँकि समुद्र को मंथने का कार्य ना ही देवता अकेले कर सकते थे तथा ना ही दानव। इसलिए भगवान विष्णु ने इस कार्य के लिए दानवों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने तथा उसमें से बहुमूल्य रत्न पाने को कहा।

साथ ही भगवान विष्णु ने देवताओं को बताया कि इसमें से अमृत भी निकलेगा जिससे देवता अमर हो जाएंगे। अमृत को पीने से देवताओं की शक्ति दानवों से अत्यधिक बढ़ जाएगी तथा उन्हें अपना राज सिंहासन पुनः प्राप्त होगा।

  • देव-दानवों का गठबंधन

भगवान विष्णु की आज्ञा पाकर सभी देवतागण देवइंद्र के साथ राजा बलि की नगरी गए तथा उनके सामने यह प्रस्ताव रखा। वैसे तो दैत्य गुरु शुक्राचार्य को देवताओं पर विश्वास नहीं था लेकिन उन्हें उनका यह प्रस्ताव पसंद आया तथा इस कार्य के लिए उन्होंने अपनी सहमती दे दी। इसके पश्चात देवता तथा दानव क्षीर सागर में समुद्र मंथन के लिए पहुंचे।

कूर्म अवतार की कथा (Kurma Avatar Story In Hindi)

समुद्र का मंथन करने के लिए विशाल मंथनी की आवश्यकता थी जो उसे मथ सके। इसके लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र की सहायता से मंदार पर्वत को काटकर समुद्र में रख दिया। इस पर्वत की सहायता से देव व दानव समुद्र को मथने का कार्य कर सकते थे।

अब उन्हें इस पर्वत को घुमाने के लिए एक मजबूत रस्सी की आवश्यकता थी। इसके लिए भगवान विष्णु ने स्वयं अपना वासुकी नाग दिया। इस वासुकी नाग को मंदार पर्वत पर लपेटा गया। इसके मुख को दैत्यों की ओर रखा गया तथा पूँछ को देवताओं की ओर।

अब समुद्र मंथन का कार्य प्रारंभ हो गया लेकिन एक समस्या ओर आ पड़ी। चूँकि समुद्र बहुत विशाल तथा गहरा होता है तथा इसमें कोई पक्की भूमि नहीं होती। इसलिए मंदार पर्वत अंदर रसातल में जा रहा था। यदि वह डूब जाता तो समुद्र मंथन का कार्य अधूरा रह जाता।

  • भगवान विष्णु ने लिया कच्छप अवतार

यह देखकर भगवान विष्णु स्वयं देव-दानवों की सहायता करने के लिए अपना द्वितीय अवतार लेकर आए। इसके लिए उन्होंने कछुआ का अवतार (Kachhap Avatar) लिया तथा मंदार पर्वत का भार अपनी पीठ पर उठाया। चूँकि कछुए की पीठ ठोस होती है इसलिए मंदार पर्वत उस पर टिक गया। अब देव दानवों ने कई दिनों तक समुद्र मंथन का कार्य किया।

इसके पश्चात समुद्र मंथन से एक-एक करके चौदह रत्न प्राप्त हुए जिनमें हलाहल, कामधेनु, माँ लक्ष्मी, ऐरावत हाथी, उच्च:श्रैवा घोड़ा, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, रंभा अप्सरा, वारुणी देवी, चंद्रमा, पारिजात, पांचजन्य, धन्वंतरि तथा अमृत प्राप्त हुए। जैसे ही अमृत प्राप्त हुआ वैसे ही देव-दानवों के बीच उसे प्राप्त करने के लिए भयानक युद्ध छिड़ गया। तब भगवान विष्णु ने अपना अंशावतार मोहिनी लेकर उस युद्ध को समाप्त किया तथा सृष्टि का उद्धार किया।

  • भगवान विष्णु के कूर्म अवतार का उद्देश्य

भगवान विष्णु के कच्छप अवतार लेने के पीछे उनका माँ लक्ष्मी को प्राप्त करना प्रमुख उद्देश्य था। इसके अलावा महाप्रलय के पश्चात जो बहुमूल्य रत्न तथा औषधियां समुद्र की गहराइयों में चली गई थी उन्हें प्राप्त करना आवश्यक था क्योंकि उसी के द्वारा सृष्टि का कल्याण संभव था। इसके अलावा किस प्रकार बुराई (दैत्यों) का उपयोग अच्छाई के कार्य के लिए किया जा सकता है, यह दिखाना भी इस अवतार की विशेषता थी।

इस तरह से आज आपने भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की कथा (Kurma Avatar Story In Hindi) जान ली है। साथ ही यह भी जान लिया है कि उन्होंने यह कच्छप अवतार किस उद्देश्य की पूर्ति हेतु लिया था।

कच्छप अवतार से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: कच्छप अवतार कब हुआ था?

उत्तर: जब देव व दानव मिलकर समुद्र मंथन का कार्य शुरू करने वाले थे तब मंदार पर्वत को टिकाने के लिए एक विशालकाय और कठोर आधार की आवश्यकता थी उसी समय भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार लिया था

प्रश्न: कछुआ किसका अवतार है?

उत्तर: कछुआ भगवान विष्णु का इस युग में द्वितीय अवतार है यह उन्होंने देव व दानवों की सहायता हेतु लिया था इसी के माध्यम से समुद्र मंथन का कार्य हो पाया था

प्रश्न: भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार क्यों लिया था?

उत्तर: भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार देव व दानवों की समुद्र मंथन में सहायता करने हेतु लिया था इसी कच्छप अवतार की पीठ पर ही मंदार पर्वत का आधार स्थित था

प्रश्न: भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर सबसे पहला अवतार कौन सा लिया था?

उत्तर: भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर सबसे पहला अवतार मत्स्य अर्थात मछली का लिया था इसके माध्यम से उन्होंने पिछले युग के कलियुग से मानव जीवन सहित सभी जीव-जंतुओं के बीज को इस युग के सतयुग में पहुँचाया था

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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