केदारनाथ की आरती – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Kedarnath Aarti

आज हम आपके साथ केदारनाथ की आरती (Kedarnath Aarti) का पाठ करेंगे। उत्तराखंड राज्य में पंच केदार स्थित है जिनमें से केदारनाथ मुख्य केदार है। यहाँ पर भगवान शिव के बैल रुपी अवतार की पीठ की पूजा की जाती है जो एक चट्टान की शिला के रूप में केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थित है। वहां पर सुबह-शाम पंडित जी के द्वारा केदारनाथ आरती का पाठ किया जाता है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं।

ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ केदारनाथ जी की आरती ही सांझा करने जा रहे हैं। यहाँ आपको केवल केदारनाथ की आरती (Kedarnath Ki Aarti) ही पढ़ने को नहीं मिलेगी बल्कि उसका हिंदी अर्थ भी जानने को मिलेगा। अंत में केदारनाथ आरती का महत्व व लाभ भी आपको बताया जाएगा। तो आइये सबसे पहले पढ़ते हैं श्री केदारनाथ जी की आरती।

Kedarnath Aarti | केदारनाथ की आरती

जय केदार उदार शंकर, मन भयंकर दुख हरम्,
गौरी गणपति स्कंद नंदी, श्री केदार नमाम्यहम्।

शैली सुंदर अति हिमालय, शुभ मंदिर सुंदरम्,
निकट मंदाकिनी सरस्वती जय केदार नमाम्यहम्।

उदक कुंड है अधम पावन रेतस कुंज मनोहरम्,
हंस कुंड समीप सुंदर जै केदार नमाम्यहम्।

अन्नपूर्णा सहं अर्पणा काल भैरव शोभितम्,
पंच पांडव द्रोपदी सम जै केदार नमाम्यहम्।

शिव दिगंबर भस्मधारी अर्द्धचंद्र विभुषितम्,
शीश गंगा कंठ फणिपति जै केदार नमाम्यहम्।

कर त्रिशूल विशाल डमरू ज्ञान गान विशारद्‍,
मदमहेश्वर तुंग ईश्वर रूद्र कल्प गान महेश्वरम्।

पंच धन्य विशाल आलय जै केदार नमाम्यहम्,
नाथ पावन है विशालम् पुण्यप्रद हर दर्शनम्,
जय केदार उदार शंकर पाप ताप नमाम्यहम्।

Kedarnath Ki Aarti | केदारनाथ आरती हिंदी में – अर्थ सहित

जय केदार उदार शंकर, मन भयंकर दुख हरम्,
गौरी गणपति स्कंद नंदी, श्री केदार नमाम्यहम्।

केदार बाबा की जय हो। शिव शंकर के रूप में वे बहुत ही दयालु हैं। हमारे मन की पीड़ा और दुःख को वे ही समाप्त करते हैं। मैं हाथ जोड़कर गौरी माता (पार्वती माता), गणपति भगवान (गणेश जी), स्कंद भगवान (कार्तिक जी), नंदी व केदार देवता (भगवान शिव) को नमस्कार करता हूँ।

शैली सुंदर अति हिमालय, शुभ मंदिर सुंदरम्,
निकट मंदाकिनी सरस्वती जय केदार नमाम्यहम्।

केदारनाथ धाम बहुत ही सुंदर शैली में हिमालय की पहाड़ियों पर बनाया गया है। यह बहुत ही सुंदर दिखने वाला और शुभ मंदिर है। मंदिर के पास में ही मंदाकिनी व सरस्वती नदी बह रही है। मैं केदार बाबा को नमन करता हूँ।

उदक कुंड है अधम पावन रेतस कुंज मनोहरम्,
हंस कुंड समीप सुंदर जै केदार नमाम्यहम्।

केदारनाथ मंदिर के पास ही उदक कुंड है जिसका जल बहुत ही पावन व पवित्र है। उसके आसपास की रेत भी बहुत ही दिव्य शक्तियों वाली है। मंदिर के पास का हंस कुंड भी बहुत ही सुंदर बना हुआ है। केदार बाबा को मेरा नमस्कार है।

अन्नपूर्णा सहं अर्पणा काल भैरव शोभितम्,
पंच पांडव द्रोपदी सम जै केदार नमाम्यहम्।

हम केदार बाबा की अन्नपूर्णा माँ के साथ पूजा करते हैं। उनकी शोभा काल भैरव के साथ और भी बढ़ जाती है। मंदिर में स्थित पाँचों पांडवों और द्रौपदी की मूर्तियाँ भी पूजनीय है। मैं केदार बाबा को प्रणाम करता हूँ।

शिव दिगंबर भस्मधारी अर्द्धचंद्र विभुषितम्,
शीश गंगा कंठ फणिपति जै केदार नमाम्यहम्।

भगवान शिव दिगंबर हैं अर्थात दिशाएं ही उनके वस्त्र हैं। वे अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं। उनके मस्तक पर अर्ध चंद्रमा उनकी शोभा बढ़ाने का काम करता है। उनकी जटाओं में से माँ गंगा निकलती है। गले में उन्होंने नाग धारण किया हुआ है। मैं शिव के ऐसे रूप केदार बाबा को नमन करता हूँ।

कर त्रिशूल विशाल डमरू ज्ञान गान विशारद्‍,
मदमहेश्वर तुंग ईश्वर रूद्र कल्प गान महेश्वरम्।

शिव जी अपने हाथों में त्रिशूल व विशाल डमरू को धारण करते हैं। इससे वे संपूर्ण विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं। केदारनाथ धाम के अलावा पंच केदार में उनके मध्यमहेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथकल्पेश्वर धाम भी आते हैं।

पंच धन्य विशाल आलय जै केदार नमाम्यहम्,
नाथ पावन है विशालम् पुण्यप्रद हर दर्शनम्,
जय केदार उदार शंकर पाप ताप नमाम्यहम्।

शिव को समर्पित यह पंच केदार बहुत ही धन्य है और मैं उन पाँचों केदारों को नमन करता हूँ। शिव जी की कृपा और वास तो हर जगह है। जो कोई भी केदारनाथ मंदिर जाकर उनके दर्शन कर लेता है, उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। सभी पर दया बरसाने वाले केदार बाबा की जय हो। हम सभी के पापों का नाश करने वाले शिव शंकर को मेरा नमस्कार है।

ऊपर आपने केदारनाथ जी की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Kedarnath Ji Ki Aarti) पढ़ ली है। अब हम केदारनाथ आरती करने से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व के बारे में आपको बताने वाले हैं।

केदारनाथ जी की आरती का महत्व

महाभारत के युद्ध में भयंकर रक्तपात हुआ था और अपनों के द्वारा ही अपनों का रक्त बहाया गया था। इस युद्ध के पश्चात भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर पांडव प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव के पास गए थे। किन्तु शिव उनसे क्रोधित थे और इसी कारण बैल रुपी अवतार लेकर अंतर्धान होने लगे। ऐसा करते हुए भीम ने उन्हें देख लिया और उस बैल की पीठ को पकड़ लिया। ऐसे में बैल की पीठ वहीं रह गयी जो आज केदारनाथ के रूप में पूजनीय है।

भगवान शिव का अंश होने के कारण केदारनाथ मंदिर अत्यधिक लोकप्रिय व शक्तिशाली है। यहाँ साक्षात शिव का वास है और इसी का वर्णन केदारनाथ की आरती में किया गया है। केदारनाथ की आरती भगवान शिव के महत्व व मंदिर की दिव्यता का वर्णन करती है। इसी कारण केदारनाथ जी की आरती का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

केदारनाथ आरती के लाभ

जो भी भक्तगण केदारनाथ धाम हो आता है या अपने घर पर ही भगवान शिव का ध्यान कर केदारनाथ आरती का पाठ करता है, उसके जीवन से सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं। जिस व्यक्ति पर भगवान भोले की कृपा हो जाती है, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। उस व्यक्ति के मन से सभी तरह के भय समाप्त हो जाते हैं और वह निर्भीक बनता है।

इसी के साथ ही केदार बाबा की कृपा से भक्तों को कभी भी हार का मुहं नहीं देखना पड़ता। उनके काम में उन्नति होती है और अपने करियर में वे बहुत अच्छा कर पाते हैं। व्यापार हो या नौकरी, सभी में ही उन्नति देखने को मिलती है और घर में खुशियाँ आती है। यही केदारनाथ आरती के लाभ होते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने केदारनाथ आरती हिंदी में अर्थ सहित (Kedarnath Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने केदारनाथ की आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

केदारनाथ आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: बाबा केदारनाथ की चढ़ाई कितनी है?

उत्तर: बाबा केदारनाथ की चढ़ाई लगभग 16 किलोमीटर की है। यह एक दुर्गम चढ़ाई है जिसके लिए श्रद्धालुओं को कठिन परिश्रम करना पड़ता है।

प्रश्न: केदारनाथ में कौन सी शिवलिंग है?

उत्तर: केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव के बैल रुपी अवतार के पीठ की पूजा की जाती है। यह चट्टान के रूप में बना हुआ एक शिवलिंग है जिसकी पूजा की जाती है।

प्रश्न: बाबा केदारनाथ का कपाट कब बंद होता है?

उत्तर: हर वर्ष दीपावली के दो दिन के पश्चात अर्थात भैया दूज के दिन बाबा केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान बाबा केदारनाथ की पूजा नीचे ओंकारेश्वर मंदिर में की जाती है।

प्रश्न: क्या केदारनाथ 1 दिन में किया जा सकता है?

उत्तर: सामान्य तौर पर केदारनाथ की चढ़ाई को एक दिन में पूरा कर पाना संभव नहीं है। हालाँकि वहां के लोकल लोगों या गाइड के द्वारा ऐसा किया जा सकता है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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