2013 में आई केदारनाथ प्रलय के समय हुए थे यह 5 अविश्वनीय चमत्कार

Kedarnath ki pralay ke chamtkar

वर्ष 2013 ऐसा समय था जो शिव के भक्तों पर अकाल बनकर आया था। उस समय केदारनाथ व उत्तराखंड राज्य पर जो महाप्रलय आई थी उसमे हजारों भक्तों की असमय मृत्यु हो गयी थी (Kedarnath ka jal pralay)। उस प्रलय ने इतनी भीषण तबाही हुई थी कि मंदिर व नगर को पुनः वही रूप देने में वर्षों का समय लग गया था (Kedarnath aapka 2013 in Hindi)। साथ ही समय-समय पर उत्तराखंड की पहाड़ियों पर नर कंकाल मिल रहे थे। इसी से अनुमान लगाया जा सकता था कि यह कितनी बड़ी त्रासदी थी (Uttrakhand pralay date)।

उस महात्रासदी में भी कुछ ऐसे चमत्कार हुए जिस पर विश्वास करना लगभग असंभव हैं लेकिन चमत्कार हुए तो उसे अनदेखा भी नही किया जा सकता है (Kedarnath mystery in Hindi)। इसी से पता चलता है कि भगवान शिव एक तरह से स्वयं उस त्रासदी में ढाल बनकर खड़े हो गए थे। आज हम उन्हीं अविश्वनीय घटनाओं के बारे में जानेंगे (Kedarnath trasdi)।

केदारनाथ प्रलय के समय हुए थे यह 5 चमत्कार (Miracles during Kedarnath pralay in Hindi)

#1. भीम शिला का आना (Bheem Shila Kedarnath in Hindi)

जब बादलों से वर्षा रुकने का नाम नही ले रही थी, नदियों में उफान आ गया था व सब कुछ उस भयंकर बाढ़ में बहता चला जा रहा था तो उस समय केदारनाथ मंदिर पर भी संकट आ खड़ा हुआ था (Bhim Shila story in Hindi)। आख़िरकार बाढ़ का पानी केदारनाथ धाम तक पहुँच गया व अति तीव्र गति से मंदिर की ओर बढ़ने लगा। यदि वह पानी मंदिर से टकरा जाता तो मंदिर का टूटकर बह जाना निश्चित था।

उसी समय पहाड़ों से एक विशाल चट्टान टूटकर गिरी व पानी के साथ मंदिर की ओर बढ़ी। यह चट्टान तेज गति से मंदिर के ओर आई व ठीक मंदिर के पीछे आकर अपने आप रुक गयी। बाढ़ का पानी मंदिर की ओर आया तो वह इस विशाल चट्टान से टकराकर दो भागों में बंट गया व मंदिर के किनारों से निकल गया।

आज भी यह चट्टान उसी स्थान पर मंदिर के पीछे खड़ी हैं जिसे भीम शिला नाम दिया गया हैं। शिव भक्त जब केदारनाथ धाम के दर्शन करने आते हैं तो वे इस चट्टान की भी पूजा करते हैं। इसी चट्टान के कारण मुख्य मंदिर की रक्षा हो पाई थी।

#2. मंदिर में उपस्थित श्रद्धालु सुरक्षित

जहाँ एक तरफ मंदिर की ओर आ रहे व बीच मार्ग में फंसे श्रद्धालु तथा नगर इत्यादि के लोग सब बाढ़ की चपेट में आ गए थे व बहुत लोगों की मृत्यु हो गयी थी तो वही जो श्रद्धालु मुख्य मंदिर के अंदर फंस गये थे उन्हें कुछ भी नही हुआ था।

इस प्रलय में सरकारी आंकड़ों के अनुसार पांच हज़ार के आसपास लोगों की मृत्यु हो गयी थी (Kedarnath pralay death) व अनाधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इसमें लाखों भक्तों की जान चली गयी थी किंतु जो श्रद्धालु मंदिर में भगवान शिव के पास थे, वे सब के सब सुरक्षित निकाल लिए गए थे।

#3. शिवलिंग को नहीं आई खरोच

मंदिर बाढ़ के तेज प्रवाह से तो बच गया था लेकिन उसके आसपास भीषण तबाही हुई थी व पानी जमा हो गया था। साथ ही जगह-जगह से मलबा आकर मंदिर के आसपास इकठ्ठा हो गया था जिससे मंदिर को बहुत नुकसान हुआ था। यहाँ तक कि मंदिर का 6 फुट का चबूतरा भी मलबे में दब गया था।

आश्चर्य की बात यह थी कि मलबे में दबे शिवलिंग को एक खरोंच तक नही आई थी। शिवलिंग जैसे पहले था वह एक दम वैसा ही उसी अवस्था में सुरक्षित था।

#4. नंदी की मूर्ति को कोई नुकसान नही

नंदी भगवाव शिव की सवारी हैं व वहां भी शिवलिंग स्थापित होता हैं वहां शिवलिंग की ओर अपना मुख किये नंदी महाराज भी विराजमान होते हैं। इस प्रलय में मंदिर के अंदर भी नुकसान पहुंचा था व मलबा मंदिर के अंदर तक घुस गया था। मंदिर के अंदर पाँचों पांडवों व शंकराचार्य जी की मूर्ति भी क्षतिग्रस्त हो गयी थी किंतु वहां स्थित नंदी महाराज की मूर्ति को कोई नुकसान नही पहुंचा था।

इतना ही नही मंदिर के बाहर भी नंदी महाराज विराजमान थे जिनके चारो ओर बाढ़ का पानी व मलबा बिखरा पड़ा था लेकिन नंदी महाराज की मूर्ति वैसी की वैसी ही थी व उसे खरोंच तक नही आई थी अर्थात मंदिर के शिवलिंग व नंदी की मूर्तियों को कोई नुकसान नही हुआ था।

#5. शिवलिंग पर बेलपत्र

इस महाप्रलय के बाद कई महीनों तक बचाव व सुरक्षा के काम किये गए व इतने समय तक मंदिर भी बंद रहा। सरकार व अन्य धार्मिक संस्थाओं के द्वारा दिन रात लगातार लोगों को सुरक्षित निकालना, उनका ईलाज करना, पुनः निर्माण इत्यादि के कार्य किये जा रहे थे।

जब प्रलय के 6 माह के बाद मंदिर के कपाट फिर से खोले गए थे तो मुख्य पुजारी व अन्य सदस्य यह देखकर आश्चर्यचकित रह गये थे कि शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़े हुए थे जैसे कि कोई कल ही यहाँ पूजा करके गया हो।

इसे भी पढ़ें:

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.