आज हम आपको मेघनाथ वध (Meghnath Vadh) के बारे में बताएंगे। मेघनाथ एक ऐसा योद्धा था जिसका वध करना साधारण मानव तो क्या स्वयं देवताओं, गंधर्व, दानवों इत्यादि के लिए भी असंभव था। वह अपने पिता व लंका के राजा रावण से भी अत्यधिक शक्तिशाली था। जब रावण प्रथम बार युद्धभूमि में गया था तब भगवान श्रीराम से पराजित होकर वापस लौटा था किंतु मेघनाथ ने तीन दिनों तक भीषण युद्ध किया था।
प्रथम दिन उसने स्वयं नारायण के अवतार श्रीराम व लक्ष्मण को नागपाश में बांध दिया था जिसे गरुड़ देवता के द्वारा मुक्त करवाया गया था। द्वितीय दिन उसने लक्ष्मण को शक्तिबाण से मुर्छित कर दिया था जिसके बाद संजीवनी बूटी के कारण उनके प्राणों की रक्षा हो पाई थी। अंतिम दिन मेघनाथ की मृत्यु हुई थी। आखिर मेघनाथ का वध (Meghnath Ka Vadh) किस प्रकार हुआ, आइए जानते हैं।
Meghnath Vadh | मेघनाथ वध
मेघनाद को इंद्रजीत की उपाधि स्वयं भगवान ब्रह्मा ने दी थी व साथ ही एक वर दिया था। उसी वर के फलस्वरूप वह निकुंबला देवी का यज्ञ कर रहा था जिसके संपूर्ण होने के पश्चात उसे हराना असंभव था। इसलिए लक्ष्मण ने उसका यह यज्ञ विफल कर दिया था। भगवान ब्रह्मा ने मेघनाथ को वर देते समय बताया था कि जो कोई भी उसका यज्ञ पूर्ण होने से पहले विफल कर देगा उसी के हाथों उसकी मृत्यु होगी।
मेघनाथ को त्रिदेव से तीन शक्तिशाली अस्त्र प्राप्त हुए थे जिसके कारण वह ब्रह्मांड में अविजयी था। वह तीन अस्त्र थे ब्रह्मास्त्र, पशुपति अस्त्र व नारायण अस्त्र। जब मेघनाथ ने लक्ष्मण पर यह तीनों अस्त्र एक-एक करके चलाए तो तीनों ही लक्ष्मण का कुछ नहीं बिगाड़ पाए। क्योंकि लक्ष्मण स्वयं भगवान विष्णु के शेषनाग के अवतार थे जिन पर इनका कोई प्रभाव नहीं हुआ था।
Meghnath Ka Vadh | मेघनाथ का वध होना
इसके बाद भी मेघनाथ लक्ष्मण के साथ भीषण युद्ध कर रहा था। उसके पास कई मायावी शक्तियां थी व हवा में उड़ने वाला रथ जिसकी सहायता से वह लक्ष्मण पर दसों दिशाओं से आक्रमण कर रहा था। लक्ष्मण भी उससे लगातार तीन दिन तक युद्ध कर रहे थे किंतु उसकी माया व तीव्र गति के कारण उसे हरा नहीं पा रहे थे।
अंत में लक्ष्मण ने एक बाण उठाया व उसे मेघनाथ पर छोड़ने से पहले उस बाण को प्रतिज्ञा दी कि यदि श्रीराम उसके भाई व दशरथ पुत्र हैं, यदि श्रीराम ने हमेशा सत्य व धर्म का साथ दिया है, यदि श्रीराम अभी धर्म के लिए कार्य कर रहे हैं, यदि मैंने श्रीराम की सच्चे मन से सेवा की है तो तुम मेघनाथ का गला काटकर ही वापस आओगे। यह कहकर लक्ष्मण ने मेघनाथ पर तीर छोड़ दिया।
यदि वह तीर मेघनाथ की गर्दन बिना काटे वापस आ जाता तो भगवान श्रीराम के चरित्र पर लांछन लगता। अतः उस तीर के द्वारा मेघनाथ वध (Meghnath Vadh) हुआ व उसका मस्तिष्क धड़ से कटकर अलग हो गया। इस प्रकार अत्यंत पराक्रमी योद्धा मेघनाथ के जीवन का अंत हो गया।
मेघनाथ वध से जुड़े प्रश्नोत्तर
प्रश्न: मेघनाथ वध कैसे हुआ?
उत्तर: मेघनाथ वध श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण के हाथों हुआ था। उन्होंने अपनी शक्ति से मेघनाथ का सिर धड़ से अलग कर दिया था।
प्रश्न: मेघनाथ किसके हाथों और कैसे मारा गया?
उत्तर: मेघनाथ लक्ष्मण के हाथों मारा गया था। लक्ष्मण ने अपनी शक्ति से बाण चलाकर मेघनाथ का गला काट दिया था।
प्रश्न: मेघनाथ का पूर्व जन्म क्या था?
उत्तर: मेघनाथ के पूर्व जन्म के बारे में कोई उल्लेख नहीं मिलता है। अपने इस जन्म में वह लंकापति रावण का सबसे बड़ा पुत्र था।
प्रश्न: क्यों केवल लक्ष्मण ही मेघनाथ को मार सकते हैं?
उत्तर: मेघनाथ को मारने के लिए 14 वर्षों तक ब्रह्मचर्य का जीवन अनिवार्य था जो लक्ष्मण ने जिया था। इस कारण लक्ष्मण ही मेघनाथ को मार सकते थे।
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