आज हम आपके साथ सिखों के 10 गुरु (Sikho Ke 10 Guru) और उनके इतिहास के बारे में संक्षिप्त जानकारी सांझा करने वाले हैं। सिख धर्म कोई ज्यादा पुराना धर्म नहीं है बल्कि यह लगभग 600 वर्ष पहले हिन्दू धर्म से अलग होकर बनाया गया एक नया धर्म था। इसकी स्थापना गुरु नानक देव जी ने की थी जो जन्म से हिन्दू थे। यहाँ तक कि सिख धर्म के 10 गुरुओं में से 6 का जन्म पूर्ण रूप से सिख परिवार में हुआ था जबकि अन्य 4 हिन्दू-सिख परिवार में जन्मे थे।
आज हम आपको सिख धर्म के सभी 10 गुरु के नाम (10 Guru Ke Naam) सहित उनके इतिहास व अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानकारी देने वाले हैं। इससे आपको सिख धर्म की उत्पत्ति सहित उनके गुरुओं के बारे में जरुरी जानकारी मिलेगी। आइए जाने सिख गुरु के नाम।
सिखों के 10 गुरु के नाम | Sikho Ke 10 Guru
सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक देवी जी के जन्म से ही शुरू हो गई थी जो हिंदू धर्म की संत परंपरा से निकाल कर बनाया गया धर्म था। इस धर्म की स्थापना का मुख्य उद्देश्य गुरुमत था अर्थात अपने गुरु के आदर्शों पर चलना व उसका पालन करना। गुरु नानक देव जी के बाद 9 अन्य गुरु हुए जिन्होंने सिख धर्म के उपदेशों व शिक्षाओं को आगे बढ़ाने का काम किया।
सिख धर्म के अंतिम गुरु गुरु गोविंद सिंह जी थे। उसके बाद सिख धर्म के 300 वर्षों के इतिहास व इसके उपदेशों को एक पुस्तक में समेटा गया जिसका नाम गुरु ग्रंथ साहिब या आदि ग्रंथ पड़ा। यही पुस्तक सिख धर्म की सबसे पवित्र पुस्तक मानी जाती है जिसका सिख धर्म के अनुयायी अनुसरण करते हैं। चलिए सिखों के 10 गुरु के नाम (10 Guru Ke Naam) सहित उनका जीवन परिचय जान लेते हैं।
#1. सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी
सिख धर्म के संस्थापक व प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji In Hindi) का जन्म कार्तिक पूर्णिमा 14 अप्रैल 1469 ईसवीं में राय भोई की तलवंडी, पंजाब, भारत (रावी नदी के किनारे) में हुआ था जो वर्तमान में पंजाब के अलग हुए हिस्से पाकिस्तान में है। इस स्थल का नाम गुरु नानक देव जी के नाम पर ननकाना साहिब कर दिया गया था। इनके पिता का नाम मेहता कल्याणदास या मेहता कालू जी व माता का नाम तृप्ता देवी था जो खत्रीकुल (क्षत्रिय) से थे।
इनकी बहन का नाम नानकी देवी व पत्नी का नाम बीबी सुलखनी था। इनके दो पुत्र श्रीचंद व लखमी हुए। इनका प्रकाश उत्सव इनकी जन्म तिथि पर ही मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी का देहांत 70 वर्ष की आयु में 22 सितम्बर 1539 ईसवीं में करतारपुर, भारतवर्ष (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। उनको मुखाग्नि गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर में दी गई थी।
#2. सिखों के दूसरे गुरु गुरु अंगद देव जी
सिख धर्म के दूसरे गुरु गुरु अंगद देव जी (Guru Angad Dev Ji In Hindi) थे जिनका जन्म पंचम वैसाख 31 मार्च 1504 ईसवीं में हरिके नामक स्थल पर मुक्तसर, पंजाब में हुआ था। इनके बचपन का नाम भाई लहणा जी था जो माँ देवी के भक्त थे। इनके पिता का नाम बाबा फेरुमल व माता का नाम रामो था जो कि खत्रीकुल (क्षत्रिय) थे।
इनकी पत्नी का नाम माता खिवीं था जिनसे इनके दो पुत्र दासु व दातु जी तथा दो पुत्रियाँ अमरो व अनोखी हुई थी। इन्हें 7 मार्च 1539 को सिख धर्म के दूसरे गुरु का प्रभार दिया गया था। गुरु अंगद देव जी का देहांत 47 वर्ष की आयु में 29 मार्च 1552 ईसवीं में खादुर साहिब, अमृतसर, पंजाब में हुआ था।
#3. सिखों के तीसरे गुरु गुरु अमर दास जी
सिख धर्म के तीसरे गुरु गुरु अमर दास जी (Guru Amar Das Ji In Hindi) का जन्म 5 मई 1479 ईसवीं में बासरके, अमृतसर, पंजाब में हुआ था। इनके पिता का नाम तेजभान व माता का नाम बखत कौर था जो कि हिंदू धर्म के वैष्णव संप्रदाय से थे। इनकी पत्नी का नाम माता मानसा देवी था जिनसे इनके 4 पुत्र-पुत्रियाँ भाई मोहन, भाई मोहरी, बीबी दानी व बीबी भानी हुए थे।
इन्हें 26 मार्च 1552 को सिख धर्म के तीसरे गुरु के रूप में प्रभार सौंपा गया था। गुरु अमर दास जी का देहांत 95 वर्ष की आयु में 1 सितम्बर 1575 ईसवीं में गोविन्दवल साहिब, तरन तारण, पंजाब में हुआ था।
#4. सिखों के चौथे गुरु गुरु रामदास जी
सिख धर्म के चौथे गुरु गुरु रामदास जी (Guru Ramdas Ji In Hindi) का जन्म कार्तिक मास 24 सितम्बर 1534 ईसवीं में चुना मंडी, पंजाब, भारतवर्ष (वर्तमान लाहौर, पाकिस्तान) में हुआ था। इनके बचपन का नाम भाई जेठामल सोढ़ी था। इनके पिता का नाम हरिदास व माता का नाम दयावती था जो कि खत्री (क्षत्रिय) कुल से थे। इनका विवाह माता भानी रानी जी (गुरु अमर दास जी की बेटी) से हुआ था जिससे उनके तीन पुत्र महादेव, पृथी चंद व अर्जन देव जी हुए।
इन्हें 1 सितम्बर 1574 ईसवीं में गुरु की उपाधि दी गई थी व सिख धर्म के चौथे गुरु के रूप में अपनाया गया था। गुरु रामदास जी का देहांत 46 वर्ष की आयु में 1 सितम्बर 1581 ईसवीं में गोविन्दवल साहिब, तरन तारण, पंजाब में हुआ था।
#5. सिखों के पांचवें गुरु गुरु अर्जन देव जी
सिख धर्म के पांचवें गुरु गुरु अर्जन देव जी (Guru Arjan Dev Ji In Hindi) का जन्म 15 अप्रैल 1563 ईसवीं में गोविन्दवल, तरन तारण, पंजाब में हुआ था। इनके पिता का नाम गुरु राम दास (सिख धर्म के चौथे गुरु) व माता का नाम भानी देवी जी (सिख धर्म के तीसरे गुरु की बेटी) था। ये पहले गुरु थे जिनका जन्म सिख परिवार में ही हुआ था। इनका विवाह माता गंगा से हुआ था जिनसे उनका पुत्र हरगोबिंद देव जी हुए।
अपने पिता गुरु रामदास की मृत्यु के बाद 1 सितम्बर 1581 ईसवीं में इन्हें सिख धर्म के पांचवे गुरु की उपाधि दी गई। गुरु अर्जन देव जी को क्रूर मुगल आक्रांता व भारत के शासक जहाँगीर द्वारा काराग्रह में डालकर इस्लाम स्वीकार करने को कहा गया था। उनके मना करने पर उन्हें कई यातनाएं दी गई व 5 दिन तक गर्म तवे पर बिठाकर रखा गया।
पांचवें दिन उनके ऊपर गर्म तेल और रेत भी डाली गई लेकिन उन्होंने इस्लाम नही कबूला। पांचवें दिन इन भीषण यातनाओं को सहते हुए 43 वर्ष की आयु में 30 मई 1606 ईसवीं में वर्तमान लाहौर, पाकिस्तान में उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद जहाँगीर द्वारा उनके जले हुए शव को रावी नदी में बहा दिया गया था।
#6. सिखों के छठे गुरु गुरु हरगोबिंद देव जी
सिख धर्म के छठे गुरु गुरु हरगोबिंद देव जी (Guru Hargobind Dev Ji In Hindi) का जन्म 19 जून 1595 ईसवीं में गुरु की वडाली, अमृतसर, पंजाब में हुआ था। इनके पिता सिख धर्म के छठे गुरु गुरु अर्जन देव जी व माता का नाम गंगा था। इन्होने 3 महिलाओं से विवाह किया था जिनका नाम माता दामोदारी, नानकी व महादेवी था। इनकी सभी पत्नियों से संताने हुई जिनके नाम बाबा गुरदिता, बाबा सूरज मल, बाबा अणि राय, बाबा अटल राय, गुरु तेग बहादुर व बीबी वीरो थे।
गुरु अर्जन देव जी की जहाँगीर के द्वारा हत्या के बाद गुरु हरगोबिंद जी को मात्र 11 वर्ष की आयु में 24 जून 1606 ईसवीं में सिख धर्म के छठे गुरु की उपाधि दे दी गई थी। इसी के साथ उन्होंने सिख धर्म में अकाल तख़्त व हथियार रखने की प्रथा शुरू की ताकि मुगलों से सिखों की रक्षा की जा सके। गुरु हरगोबिंद देव जी का 48 वर्ष की आयु में 3 मार्च 1644 ईसवीं में किरतपुर साहिब, पंजाब में सतलुज नदी के किनारे देहांत हो गया था। जहाँ पर उनको मुखाग्नि दी गई वहां पर आज पातालपुरी साहिब गुरुद्वारा स्थित है।
#7. सिखों के सातवें गुरु गुरु हर राय जी
सिख धर्म के सातवें गुरु गुरु हर राय जी (Guru Har Rai Ji In Hindi) का जन्म 16 जनवरी 1630 ईसवीं में किरतपुर साहिब, रूपनगर, पंजाब में हुआ था। इनके पिता का नाम बाबा गुरुदिता (गुरु हरगोबिंद जी के पुत्र) व माता का नाम निहाल कौर था। इनका विवाह माता कृष्ण देवी से हुआ था जिनसे उनके दो पुत्र बाबा राम राय व गुरु हरी कृष्ण का जन्म हुआ।
सिखों के छठे गुरु व अपने दादा की मृत्यु के पश्चात गुरु हर राय जी को 3 मार्च 1644 ईसवीं में सिख धर्म का सातवाँ गुरु चुन लिया गया। इनका देहांत 31 वर्ष की आयु में 6 अक्टूबर 1661 ईसवीं में पंजाब के किरतपुर साहिब में हुआ था।
#8. सिखों के आठवें गुरु गुरु हरी कृष्ण जी
सिख धर्म के आठवें गुरु गुरु हरी कृष्ण जी (Guru Hari Krishan Ji In Hindi) का जन्म 7 जुलाई 1656 ईसवीं में पंजाब के किरतपुर साहिब में हुआ था। इनके पिता सिख धर्म के सातवें गुरु गुरु हर राय जी व माता कृष्ण देवी जी थे। इनका विवाह नही हुआ था क्योंकि इनकी मृत्यु मात्र 8 वर्ष की आयु में ही हो गई थी। इसलिए इन्हें सिख धर्म में बाल गुरु की संज्ञा भी दी गई है।
सिखों के सांतवें गुरु गुरु हर राय जी के बड़े पुत्र राम राय को औरंगजेब ने बंदी बनाकर अपने पक्ष में कर लिया था। इसके बाद उनके पिता ने सिख धर्म से उन्हें निष्कासित कर, गुरु हरी कृष्ण जी को मात्र 5 वर्ष की आयु में 6 अक्टूबर 1661 ईसवीं में सिख धर्म के आठवें गुरु की उपाधि दे दी थी। गुरु हरी कृष्ण जी का देहांत मात्र 8 वर्ष की आयु में 30 मार्च 1664 ईसवीं में दिल्ली में हो गया था।
#9. सिखों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर जी
सिख धर्म के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर जी (Guru Tegh Bahadur Ji In Hindi) का जन्म 1 अप्रैल 1621 ईसवीं में पंजाब के अमृतसर जिले में हुआ था। उनके पिता सिख धर्म के छठे गुरु गुरु हरगोबिंद देव जी व माता का नाम नानकी देवी था। इनके बचपन का नाम त्याग मल था। इनका विवाह माता गुजरी देवी जी से हुआ था जिनसे उन्हें गुरु गोविंद सिंह जी पुत्र के रूप में प्राप्त हुए।
गुरु हरी कृष्ण जी के बीमारी से ग्रस्त हो जाने पर गुरु तेग बहादुर जी को 20 मार्च 1664 ईसवीं में सिख धर्म के नौवें गुरु के रूप में उपाधि दे दी गई थी। इसके कुछ वर्षों पश्चात विदेशी मुगल आक्रांता व भारत के सम्राट क्रूर औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को बंदी बनाया व इस्लाम स्वीकार करने को कहा। गुरु तेग बहादुर ने उस समय कहा था कि हम सीस कटा सकते हैं पर केश नही। इसके बाद भरी सभा में औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी का सीस धड़ से अलग करवा दिया था।
गुरु जी का देहांत 54 वर्ष की आयु में 11 नवंबर 1675 ईसवीं में दिल्ली में हुआ था जहाँ पर आज शीशगंज गुरुद्वारा है। जहाँ उन्हें मुखाग्नि दी गई वहां आज रकाब गंज साहिब गुरुद्वारा है।
#10. सिखों के अंतिम गुरु गुरु गोविंद सिंह जी
सिख धर्म के दसवें व अंतिम गुरु गुरु गोविंद सिंह जी (Guru Govind Singh Ji In Hindi) का जन्म 5 जनवरी 1666 ईसवीं में बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। इनके पिता सिख धर्म के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर जी व माता का नाम गुजरी देवी था। इनका विवाह माता जीतो, माता सुंदरी व माता साहिब देवां जी से हुआ था जिनसे उन्हें 4 पुत्र अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह व फतेह सिंह प्राप्त हुए।
गुरु गोविंद सिंह जी को उनके पिता व नौवें गुरु की हत्या के बाद 11 नवंबर 1675 ईसवीं में सिख धर्म के दसवें गुरु की उपाधि दी गई। गुरु गोविंद सिंह जी का देहांत 41 वर्ष की आयु में 7 अक्टूबर 1708 ईसवीं में नांदेड, महाराष्ट्र में हो गया था। इसके बाद गुरु गोविंद सिंह जी के कहे अनुसार सिखों के ग्यारहवे व चिरस्थायी गुरु गुरु ग्रंथ साहिब को मान लिया गया था जो सिख धर्म की पवित्र पुस्तक है।
इस तरह से आज के इस लेख में आपने सिखों के 10 गुरु (Sikho Ke 10 Guru) के नाम तो जान ही लिए हैं, साथ ही उनके इतिहास के बारे में भी संक्षिप्त रूप से जानकारी ले ली है। ज्यादातर सिख गुरुओं का जीवन मुस्लिम आक्रांताओं के साथ संघर्ष करने में ही बीता था। वहीं उनमें से कई की हत्या भी कर दी गई थी।
10 गुरु के नाम से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सिखों के 10 गुरुओं के नाम क्या है?
उत्तर: सिखों के 10 गुरुओं के नाम गुरु नानकदेव, अंगददेव, अमरदास, रामदास, अरजनदेव, हरगोबिंददेव, हरराय, हरीकृष्ण, तेग बहादुर व गोविंद सिंह जी है।
प्रश्न: कुल कितने गुरु हैं?
उत्तर: सिख धर्म में कुल 10 गुरु हैं जबकि हिन्दू धर्म में असंख्य गुरु हैं। सिख धर्म में गुरु को ईश्वर मानकर उनकी आराधना की जाती है।
प्रश्न: सिखों के दशम गुरु का नाम क्या है?
उत्तर: सिखों के दशम गुरु का नाम गुरु गोविंद सिंह जी है जिन्हें गुरु गोबिंद सिंह जी भी कह दिया जाता है।
प्रश्न: सिख धर्म में सिर्फ 10 गुरु ही क्यों होते हैं?
उत्तर: सिख धर्म के दसवें गुरु ने अपने बाद गुरु पद को समाप्त कर दिया था। इसके पश्चात उन्होंने सिख धर्म के अनुयायियों को गुरु ग्रंथ साहिब के अनुसार चलने का संदेश दिया था।
प्रश्न: सिख का सबसे शक्तिशाली गुरु कौन है?
उत्तर: सभी गुरु का अपना अलग-अलग महत्व है। ऐसे में किसी एक गुरु के महत्व को दूसरे गुरु से कम आंकना सही बात नहीं है।
प्रश्न: सिख पहले कौन थे?
उत्तर: सिख पहले हिन्दू धर्म के अनुयायी ही थे। उनके प्रथम गुरु तथा सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म हिन्दू धर्म की क्षत्रिय जाति में हुआ था।
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