रामायण के युद्ध में विभीषण मेघनाथ संवाद

मेघनाथ रामायण (Meghnath Ramayan)

आज हम राम-रावण युद्ध में हुए मेघनाथ विभीषण संवाद (Meghnath Vibhishan Samvad) को आपके सामने रखने वाले हैं। मेघनाथ अपने पिता रावण की आज्ञा का हमेशा पालन करता था व उनके गलत होने के पश्चात भी उसने हमेशा उनका साथ दिया था। जितना वह अपने पिता का सम्मान करता था उतना ही वह अपने चाचा विभीषण से द्वेष रखता था क्योंकि उसके चाचा विभीषण ने उसके पिता, कुल, समाज व देश के साथ विश्वासघात किया था।

जब मेघनाथ ने लक्ष्मण को शक्तिबाण के प्रहार से मुर्छित कर दिया था तब वह बहुत प्रसन्न था। किन्तु विभीषण ने लंका के वैद्य सुषेण की सहायता से लक्ष्मण को स्वस्थ कर दिया था। इसके अलावा भी मेघनाथ को विभीषण के द्वारा श्रीराम की सेना की कई प्रकार से सहायता करने के कारण क्रोध था जिसका बदला वह लेना चाहता था। आइए युद्धभूमि में हुए विभीषण मेघनाथ संवाद (Vibhishan Meghnath Samvad) के बारे में जान लेते हैं।

Meghnath Vibhishan Samvad | मेघनाथ विभीषण संवाद

मेघनाद युद्ध में जाने से पहले लंका के गुप्त स्थान पर बने अपनी कुलदेवी मंदिर में माता निकुंबला देवी का यज्ञ कर रहा था। इसके पश्चात उसे हरा पाना असंभव था लेकिन विभीषण को इसका पता चल गया था। यदि यह यज्ञ सफल हो जाता तो युद्ध का परिणाम कुछ और होता। किंतु विभीषण ने लक्ष्मण के साथ मिलकर उस यज्ञ को असफल करवा दिया था जिसके कारण मेघनाथ विभीषण के प्राण लेने को आतुर हो उठा।

यज्ञ के असफल होने के पश्चात जब वह युद्ध भूमि में आया तो विभीषण को देखकर अत्यंत क्रोधित हो उठा। उसने विभीषण को कई कटु वचन कहे व अपने कुल से विश्वासघात करने के लिए उसे धिक्कारा। विभीषण ने भी उसकी अधर्म का साथ देने के लिए आलोचना की। चाचा भतीजे के बीच यह बहस कई देर तक चलती रही। मेघनाथ विभीषण पर देशद्रोह का आरोप लगाता तो वहीं विभीषण उस पर अधर्म का साथ देने का आरोप।

इसी बीच मेघनाथ ने कहा कि उसने विभीषण का वध करने के लिए अपना यम अस्त्र कई दिनों से संभाल रखा था। अब उसका वध इसी यम अस्त्र के द्वारा होगा। इतना कहकर मेघनाथ ने क्रोध में आकर अपना यम अस्त्र निकाल लिया और तुरंत उसे विभीषण पर छोड़ दिया।

लक्ष्मण ने काटा यम अस्त्र

रावण के बड़े व सौतेले भाई कुबेर ने लक्ष्मण को पहले ही इस बारे में सचेत कर दिया था कि रावण पुत्र मेघनाथ ने यम अस्त्र को बचाया हुआ है जिसे वह युद्ध भूमि में विभीषण को मारने के लिए छोड़ेगा। इसलिए कुबेर ने उस अस्त्र की काट पहले से ही लक्ष्मण को बता के रखी थी।

चूँकि श्रीराम ने विभीषण की सुरक्षा का भार लक्ष्मण को ही सौंपा हुआ था व कुबेर पहले से ही उन्हें इस अस्त्र की काट बता कर चला गया था। इसलिए जैसे ही मेघनाथ ने विभीषण पर यम अस्त्र को छोड़ा उसी समय लक्ष्मण ने भी मंत्र पढ़कर उस अस्त्र को काट डाला। इस प्रकार विभीषण के प्राणों की रक्षा हो सकी।

इस तरह से विभीषण मेघनाथ संवाद (Vibhishan Meghnath Samvad) के माध्यम से दोनों के बीच द्वेष भावना दिखाई देती है। हालाँकि दोनों पहले से ही एक-दूसरे को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे। वह इसलिए क्योंकि जब विभीषण रावण के दरबार में थे तब वे उसे धर्मकार्य करने के उपदेश देते थे जबकि मेघनाथ हर अधर्मी कार्य में अपने पिता को समझाने की बजाए उसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता था।

विभीषण मेघनाथ संवाद से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: राम और विभीषण का क्या रिश्ता था?

उत्तर: राम और विभीषण का मित्र व धर्म का रिश्ता था एक तरह से विभीषण श्रीराम के लिए शरणार्थी और युद्ध की रणनीति बनाने वाले की भूमिका में थे

प्रश्न: विभीषण मंदोदरी से शादी क्यों की?

उत्तर: रावण की मृत्यु के पश्चात मंदोदरी को पुनः लंका की महारानी का सम्मान लौटाने के लिए श्रीराम के कहने पर विभीषण ने उससे शादी की थी हालाँकि मूल रामायण में इसका उल्लेख नहीं मिलता है

प्रश्न: विभीषण अमर क्यों है?

उत्तर: श्रीराम ने पृथ्वी को छोड़ने से पहले विभीषण को कलियुग के अंत तक जीवित रहने और धर्म के मार्ग पर चलने का वरदान दिया था

प्रश्न: विभीषण जी की मृत्यु कैसे हुई?

उत्तर: विभीषण जी की मृत्यु नहीं हुई है क्योंकि उन्हें श्रीराम से कलियुग के अंत तक जीवित रहने का वरदान मिला है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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