मेघनाथ के द्वारा श्रीराम व लक्ष्मण को नागपाश में बांधना

Ram Laxman Nagpash Yudh Story

मेघनाथ रावण का ऐसा पुत्र था (Nagpash Astra) जो संपूर्ण जगत में सबसे शक्तिशाली योद्धा था। उसने भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश के महान अस्त्रों ब्रह्मास्त्र, नारायण अस्त्र, पशुपति अस्त्र प्राप्त किये हुए थे। इसके अलावा भी उसके पास कई ऐसे शस्त्र थे जो शत्रु का विनाश कर सकते थे (Ram Laxman Nagpash Yudh Story In Hindi)।

जब श्रीराम के साथ युद्ध में रावण के एक-एक करके सभी महान योद्धा, भाई-बंदू इत्यादि मारे गये तब उसने अपने सबसे बड़े पुत्र इंद्रजीत को युद्ध में भेजा (What Is Nagpash In Hindi)। इंद्रजीत के युद्ध भूमि में आते ही रावण के छोटे भाई विभीषण ने श्रीराम व लक्ष्मण को सचेत कर दिया व उन्हें मेघनाथ की शक्तियों से भी परिचित करवा दिया। इसके बाद भगवान श्रीराम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को मेघनाथ से युद्ध करने भेजा।

मेघनाथ का नागपाश में श्रीराम व लक्ष्मण को बांधना (Nagpash Ram Lakshman Story In Hindi)

मेघनाथ व लक्ष्मण युद्ध (Ramayan Mein Nagpash)

लक्ष्मण स्वयं शेषनाग का अवतार थे जो इस पृथ्वी पर मानव रूप में भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम की सहायता के उद्देश्य से आये थे। चूँकि लक्ष्मण एक मानव रूप में थे इसलिये मेघनाथ के राक्षस रूप होने के कारण उनकी शारीरिक शक्ति उनसे कम थी। साथ ही लक्ष्मण उस समय वनवासी का जीवन जी रहे थे जिसके कारण उनके पास रथ इत्यादि भी नही था।

दूसरी ओर मेघनाथ के अपना मायावी रथ था जिसको वह अपनी इच्छानुसार आकाश व पृथ्वी में ले जा सकता था। इस रथ की सहायता से वह तीव्र गति से किसी भी दिशा से आक्रमण कर सकता था। सुबह से शाम तक लक्ष्मण व मेघनाथ के बीच भीषण युद्ध हुआ व लक्ष्मण ने उसके तीव्र बाणों का अपनी युद्धकला व तप की शक्ति से भलीभांति उत्तर दिया।

विभीषण की चिंता (Ram Laxman Nagpash Yudh Story In Hindi)

युद्ध करते-करते संध्या होने लगी व दिन ढ़लने लगा। दिन ढ़लने के साथ ही मेघनाथ की शक्ति भी बढ़ती जाती थी जिस कारण वह अपनी माया का प्रभाव दिखाने लगा था। विभीषण को इस बात का पता था इसलिये उन्होने भगवान श्रीराम को सचेत किया व स्वयं उन्हें युद्धभूमि में जाकर लक्ष्मण की सहायता करने को कहा।

भगवान श्रीराम-लक्ष्मण व मेघनाथ युद्ध

विभीषण की बात सुनकर भगवान श्रीराम स्वयं युद्धभूमि में लक्ष्मण की सहायता करने गए किंतु तब तक मेघनाथ की शक्ति अत्यधिक बढ़ चुकी थी। वह सभी दिशाओं से उन पर तीव्र बाणों की वर्षा कर रहा था जिसका उत्तर दोनों दे भी रहे थे।

मेघनाथ का नागपाश में बांधना (Ram Laxman Nagpash Mein Bande)

इसके बाद इंद्रजीत ने आकाश से तीव्रगति से नागपाश बाण (Nagpash Weapon) चलाया व भगवान श्रीराम व लक्ष्मण दोनों को उससे बांध दिया। वह बाण इतना शक्तिशाली था कि दोनों वनवासी उसमे बंधकर उसी समय मुर्छित हो गए व धीरे-धीरे मृत्यु के मुख में जाने लगे। इस अस्त्र का निर्माण स्वयं भगवान ब्रह्मा ने किया था जो मनुष्य से लिपटने के पश्चात उनके प्राण लेकर ही छोड़ता है।

पूरी वानर सेना में उदासी छा गयी व जामवंत, सुग्रीव, विभीषण किसी को भी इसका उपचार नही पता था। सभी विलाप कर रहे थे व अपनी हार मन चुके थे। उधर माता सीता भी इस समाचार को सुनकर अत्यंत विलाप करने लगी व रावण के महल में खुशियाँ शुरू हो गयी।

हनुमान ले आये गरुड़ देवता को (Garud Devta And Nagpash In Ramayan)

इसका केवल एक ही उपचार था वह था स्वयं गरुड़ देवता के द्वारा नागपाश को काटना। इसका ज्ञान भगवान हनुमान को था और वे तुरंत गरुड़ देवता के पास पहुँच गये। गरुड़ देवता ने पहले इसे भगवान की माया समझकर जाने से मना किया लेकिन हनुमान व नारद मुनि के समझाने से वे जाने को तैयार हो गए। उन्होंने गरुड़ देवता को सारी बात बताई व अपने साथ लंका ले आये।

गरुड़ देवता का नागपाश को काटना (Ram Lakshman Nagpash Se Mukti)

गरुड़ देवता जैसे ही भगवान श्रीराम व लक्ष्मण के पास पहुंचे तो वे उन्हें देखते ही रह गये। उन्होंने अपनी चोंच से कद्रू के पुत्र नागों को काट डाला (Whose Sons Were The Serpents Of The Weapon Nagpash) व भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को इससे मुक्ति दिलाई। नागपाश से मुक्ति पाते ही उनका प्रभाव कम हो गया व कुछ ही समय में दोनों को चेतना आ गयी (Nagpash Kiske Putra The)।

चेतना में आने के पश्चात प्रभु ने गरुड़ देवता का धन्यवाद किया। इसके पश्चात गरुड़ देवता फिर से अपने लोक में चले गए व प्रभु पर आई विपत्ति टल गयी।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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2 Comments

  1. Aapke is lekh ke hisab se meghnaad ne Sri Ram aur Lakshmanji ko naagpash mein bandha tha. Parantu Hanumanashtak ke Anusar ravan ne unhe naagpash mein bandha tha na ki meghnaad ne.
    “Ravan yudh anjaan kiyo tab naag ki plans save sir daro, sri Raghunath samet sabe dal moh bhayonye Sankar bharo.”
    Kripya kar ke spasht kijiye.
    DHANYAVAD.

    1. जी आप बिल्कुल सही कह रहे हैं लेकिन धर्म ग्रंथों में कई बार ऐसा देखने को मिलता हैं कि वे आपस में कुछ बातों को लेकर भिन्न-भिन्न मत रखते हैं। उसी में से एक मत श्रीराम व लक्ष्मण को नागपाश में बांधने को लेकर हैं। रामायण व रामचरितमानस में मेघनाद के द्वारा ही श्रीराम व लक्ष्मण को नागपाश में बांधने को बताया गया हैं और यहीं प्रसिद्ध मत हैं।

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