मेघनाथ का शक्तिबाण चलाना व लक्ष्मण का मुर्छित होना

Laxman Murchit Meghnath

रावण का पुत्र मेघनाथ ऐसा योद्धा था (Laxman Murchit Meghnath) जिसने युद्धभूमि में भगवान श्रीराम की वानर सेना में त्राहिमाम मचा दिया था। जब वह युद्धभूमि में पहली बार उतरा था तब उसने स्वयं भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को नागपाश में बांध दिया था। यह इतना शक्तिशाली अस्त्र था जिससे दोनों भाई मृत्यु के मुहं में धीरे-धीरे जा रहे थे लेकिन गरुड़ देवता ने आकर उन्हें बचा लिया था। गरुड़ देवता ने अपनी चोंच से नागपाश को काटकर उन्हें मुक्त करवाया था (Laxman Murchit Kaise Hue)।

अब यह दूसरी बार था जब मेघनाथ युद्धभूमि में आया था। इस समय वह अत्यंत क्रोधित भी था क्योंकि उसके नागपाश अस्त्र को विफल कर दिया गया था (Laxman Murchit By Whom)। आज वह रण भूमि में कोई ऐसा आघात पहुँचाने आये था जो शत्रु की हिम्मत तोड़ दे। इसी युद्ध में उसने भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण को एक बाण से मुर्छित कर दिया था। आज हम उसी युद्ध के बारें में जानेंगे।

मेघनाथ के द्वारा लक्ष्मण को मुर्छित करना (Laxman Murchit Kand)

लक्ष्मण का युद्ध भूमि में जाना (Lakshman Shaktimaan)

मेघनाथ की गर्जना सुनकर लक्ष्मण अपने भाई श्रीराम की आज्ञा से उससे युद्ध करने पहुंचे। लक्ष्मण ने इस बार भी मेघनाथ के साथ भयंकर युद्ध किया किंतु वह अपनी माया का प्रयोग कर रहा था जिस कारण लक्ष्मण का उसे परास्त करना कठिन था। उसके तीव्र बाणों की वर्षा व किसी भी दिशा में युद्ध करने से लक्ष्मण व्याकुल हो उठे व अपने भाई भगवान श्रीराम के पास गए।

लक्ष्मण ने मांगी ब्रह्मास्त्र चलाने की आज्ञा (Meghnath Laxman Shakti)

मेघनाथ के कपट पूर्ण युद्ध से क्रोधित होकर लक्ष्मण अपने भाई श्रीराम से ब्रह्मास्त्र को चलाने की आज्ञा मांगने गए। मेघनाथ निरंतर वानर सेना को समाप्त किये जा रहा था किंतु भगवान राम ने लक्ष्मण को ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल करने से मना कर दिया। उन्होंने लक्ष्मण को समझाया कि जब कोई मनुष्य हमारे सामने प्रत्यक्ष रूप से युद्ध ना कर रहा हो, हमारी शरण में आ गया हो, युद्धभूमि से भाग गया हो या पागल हो गया हो, ऐसे चार मनुष्यों पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग धर्म शास्त्रों में वर्जित माना गया है।

लक्ष्मण पर शक्तिबाण का प्रहार (Lakshman Ko Shakti Baan Kisne Mara)

भगवान श्रीराम के द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग मना करने पर लक्ष्मण फिर से युद्धभूमि में गए व मेघनाथ से युद्ध करने लगे। मेघनाथ आकाश में किसी भी दिशा से लक्ष्मण पर बाण चला रहा था जिसका लक्ष्मण प्रतिकूल उत्तर दे रहे थे। फिर मेघनाथ ने लक्ष्मण को चकमा देकर उन पर तीव्र गति से शक्तिबाण चलाया जो अत्यंत भयानक था। हनुमान जी ने जब यह देखा तो उन्होंने उस बाण को रोकने का प्रयास किया लेकिन विफल रहें (Lakshman Ko Shakti Baan Kisne Mara Tha)।

वह बाण आकाश मार्ग से तेज गति से आया व लक्ष्मण की पीठ में जाकर धंस गया। उसका प्रहार इतना तेज था कि लक्ष्मण के हाथों से धनुष बाण छूट गये और वे मुर्छित होकर वही गिर पड़े।

मेघनाथ से नही उठे लक्ष्मण (Shakti Arror Hit Laxman Story In Hindi)

लक्ष्मण को मुर्छित देखकर मेघनाथ आकाश से उनके पास आया व उन्हें उठाकर रावण के पास ले जाने लगा किंतु लक्ष्मण शेषनाग का अवतार थे। उनके भूमि पर गिरते ही वे इतने भारी हो गए कि मेघनाथ के बहुत जोर लगाने के पश्चात भी वे उनसे नही उठे। थक हारकर उसे लक्ष्मण को वही छोड़कर जाना पड़ा। इसके बाद हनुमान जी ने लक्ष्मण को उठाया व युद्धभूमि से दूर श्रीराम के पास लेकर गए।

संजीवनी बूटी से बची जान

तत्पश्चात लंका के वैद्य सुषेन की सहायता से श्रीराम को लक्ष्मण को चेतना में लाने का उपाय पता चला जिसे सूर्योदय से पहले करना था (Lakshman Shakti Ram Vilap)। इसके लिए हिमालय पर्वत से संजीवनी बूटी को लाना था जिसका उत्तरदायित्व स्वयं भगवान हनुमान ने लिया। संजीवनी बूटी से लक्ष्मण को फिर से चेतना आ गयी व शक्तिबाण के घाव से मुक्ति मिली।

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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