नल नील का श्राप जो बन गया वरदान व हुआ रामसेतु का निर्माण

Nal Neel Ko Shrap

नल विश्वकर्मा (Nal Neel Father Name In Hindi) के पुत्र थे व उनके भाई नील थे जो वानर प्रजाति से थे। वे किष्किन्धा की सेना के सेनापति थे जिन्होंने भगवान श्रीराम की माता सीता की खोज व रावण से युद्ध में सहायता की थी। इनका प्रमुख योगदान समुंद्र पर बनाये गए सेतु के रूप में याद किया जाता है। बचपन में एक ऋषि के द्वारा मिला श्राप इनके लिए वरदान साबित हुआ था। आइये जानते हैं उस कथा के बारें में।

नल-नील का श्राप व समुंद्र पर सेतु बनाना (Nal Neel Abhiyan Ram Setu Ka Nirman)

नदी में ऋषियों की वस्तुएं फेंक देना (Nal And Neel In Hindi)

नल व नील वानर प्रजाति के होने के कारण बहुत चंचल स्वभाव के थे जो ऋषि-मुनियों के साथ रहते थे। जब वे छोटे थे तब अपने चंचल स्वभाव के कारण उन्हें बहुत तंग किया करते थे। अपने इसी नटखटपन में वे ऋषि-मुनियों के सामान इत्यादि को उठाकर नदी में फेंक दिया करते थे। जब ऋषि मुनि अपनी ध्यान साधना में लीन होते थे तो दोनों बालक छुपके से आते व उनका सामान उठा ले जाते व नदी समुंद्र में फेंक आते थे।

नल और नील को किसने श्राप दिया था (Nal Aur Neel Ko Rishi Ka Shrap)

दोनों बालकों की इस नादानी से सभी ऋषि बहुत परेशान थे। अतः एक दिन एक ऋषि ने दोनों को श्राप दिया कि उनके द्वारा जल में फेंकी गयी कोई भी वस्तु डूबने की बजाये उस पर तैरने लगेगी। उसके बाद से वे जो भी वस्तु जल में फेंकते तो वह तैरने लगती।

नल-नील द्वारा सेतु का निर्माण (Nal Neel Setu Ramayan)

जब भगवान श्रीराम संपूर्ण वानर सेना के साथ समुंद्र के तट पर पहुंचे तो उसे पार करने के लिए उन्होंने समुंद्र देव का आह्वान किया। समुंद्र देव ने उनके सामने प्रकट होकर उनकी समस्या के निवारण नल-नील को मिला श्राप बताया। उन्होंने कहा कि इनके श्राप को ही आधार बनाकर आप अन्य वानरों की सहायता से इन्हें पत्थर, चट्टान इत्यादि लाकर दे व जो भी वस्तु ये समुंद्र में फेंकेंगे वह उसके तल पर तैरने लगेगी।

इस प्रकार वानर सेना ने नल नील की सहायता से केवल पांच दिनों में ही 100 योजन का लंबा पुल समुंद्र पर बना डाला जिस पर श्रीराम सहित संपूर्ण वानर सेना चल कर गयी।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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