राजस्थान के थार मरुस्थल का रामायण के द्रुमकुल्य से संबंध

Drumkulya In Ramayan

आज हम जो राजस्थान में स्थित थार मरुस्थल देखते है (Story Of Ramayana Drumkulya) वह एक समय में हरी भारी जगह थी जहाँ समुंद्र का जल भी पहुँचता था लेकिन एक घटना के पश्चात यह भूमि हमेशा के लिए मरुभूमि बन गयी (Drumakulya Ramayan)। आखिर क्यों इसे मरुस्थल में परिवर्तित कर दिया गया व उस घटना के पीछे कौनसी कथा जुड़ी हुई हैं, आज हम उसी के बारें में आपको बताएँगे (Drumkulya In Ramayan)।

रामायण व राजस्थान का मरुस्थल (How The Great Indian Desert Thar Formed In Hindi)

श्रीराम ने ताना ब्रह्मास्त्र (Shri Ram Ka Samudra Par Krodh)

जब भगवान श्रीराम माता सीता की खोज में समुंद्र तट पर पहुंचे थे तो पूरी वानर सेना को लंका तक पहुंचने के लिए उसे पार करना था। तब समुंद्र देव से मार्ग मांगने के लिए भगवान श्रीराम ने 3 दिनों तक निर्जला व्रत किया था लेकिन समुंद्र देव ने उनकी कोई सहायता नही की थी।

अंतिम दिन भगवान श्रीराम समुंद्र देव पर इतने ज्यादा क्रोधित हो गए थे कि उन्होंने ब्रह्मास्त्र का अनुसंधान किया व उसे समुंद्र देव की ओर तान दिया। उन्होंने समुंद्र देव को चेतावनी दी कि वे इस ब्रह्मास्त्र से समुंद्र का सारा जल सुखाकर उसे एक खाली स्थल में बदल देंगे ताकि वानर सेना समुंद्र को लांघ सके।

समुंद्र देव ने मांगी क्षमा (Ramayan Samudra Dev)

भगवान श्रीराम के द्वारा ब्रह्मास्त्र तान देने से समुंद्र देव उनके सामने प्रकट हुए व उनसे क्षमा मांगी। उन्होंने विधि के विधान के अनुसार जल का गुण बताया व उसमे असंतुलन होने से सृष्टि पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसकी व्याख्या उनके सामने की। समुंद्र देव के द्वारा क्षमा मांगने व उचित उत्तर देने से श्रीराम का क्रोध शांत हुआ लेकिन एक बार ब्रह्मास्त्र का अनुसंधान कर लिया जाये तो उसे चलाना आवश्यक हो जाता हैं। इसलिये श्रीराम ने समुंद्र देव से ही इसका उपाय पूछा।

समुंद्र देव ने बताया द्रुमकुल्य स्थल उपयुक्त (Drumkulya In Ramayan)

इस पर समुंद्र देव ने उन्हें पश्चिम दिशा में द्रुमकुल्य (Drumatulya) नामक एक स्थल बताया व कहा कि वहां पर कई डाकू व बुरी प्रवत्ति के लोग रहते हैं जो उनके जल का दुरुपयोग करते है। इसलिये वे यह ब्रह्मास्त्र उस दिशा में छोड़कर उनका विनाश कर दे।

भगवान श्रीराम ने चलाया द्रुमकुल्य पर ब्रह्मास्त्र (Where Is Drumakulya Located)

समुंद्र देव से उपाय जानकर भगवान श्रीराम ने उन डाकुओं इत्यादि के विनाश के उद्देश्य से पश्चिम दिशा की ओर ब्रह्मास्त्र ताना व कहा कि यह ब्रह्मास्त्र वहां की संपूर्ण भूमि को मरुभूमि में परिवर्तित कर देगा किंतु साथ ही वहां सुगंधित व दिव्य औषधियों का भी निर्माण होगा जो वहां के जीव जंतुओं के काम आएगी। यह कहकर भगवान श्रीराम ने उस दिशा में ब्रह्मास्त्र को छोड़ दिया।

कहते हैं कि उसके बाद वह भूमि हमेशा के लिए मरुभूमि बन गयी व वहां के समुंद्र का जल भी सूख गया। आज उसी भूमि को हम थार मरुस्थल (Drumkulya Desh Now Name) के नाम से जानते है जो भारत का सबसे बड़ा मरुस्थल है। कुछ लोगों की मान्यता के अनुसार इसके लिए विभिन्न स्थल बताये गये हैं जैसे कि कजाकिस्तान, अफगानिस्तान इत्यादि (Drumkulya Desh Current Name) लेकिन मरू भूमि होने के कारण इसी स्थल की मान्यता सबसे अधिक प्रचलित है।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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