नवदुर्गा: माँ दुर्गा के नौ रूपों का महत्व

Maa Durga Ke 9 Roop Ka Naam

हर वर्ष नवरात्र का पर्व चार बार आता हैं जिनमें से हम दो मनाते हैं (Maa Durga Ke 9 Roop Ka Naam)। इन्हें चैत्र तथा अश्विन मास के नवरात्र के नाम से जाना जाता हैं। बाकि दो नवरात्र गुप्त नवरात्र होते हैं जो तांत्रिक विद्या के लिए होते हैं व उस दिन माँ पार्वती की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती हैं (Nav Durga Ke Nav Roop In Hindi)। जिन नवरात्र को हम मनाते हैं उस दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने का विधान हैं।

इसलिये आज हम आपको माँ दुर्गा के हर एक रूप (Navratri 9 Devi Names In Hindi) का विस्तार से वर्णन करेंगे व उनकी महत्ता को समझाएंगे। आइये जानते हैं।

नवरात्र पर नवदुर्गा के 9 रूप (Maa Durga Ke 9 Roop Name In Hindi)

#1. माँ शैलपुत्री (Maa Shailputri In Hindi)

अपने पूर्व जन्म में माँ शैलपुत्री ने माता सती के नाम से जन्म लिया था जो भगवान महादेव की पत्नी थी। अपने पिता दक्ष के द्वारा शिव का अपमान देखकर उन्होंने अग्नि कुंड में आत्म-दाह कर लिया था। इसके पश्चात वे अगले जन्म में हिमालय पर्वत की पुत्री के रूप में जन्मी थी इसलिये शैलपुत्री कहलाई (9 Devi Name List In Hindi)।

इनका वाहन वृषभ होता हैं तथा दोनों भुजाओं में त्रिशूल और कमल का पुष्प होता हैं। माँ श्वेत वस्त्र धारण किये हुए व हल्की मुस्कान लिए हुए रहती हैं। इनकी पूजा करने से मन को स्थिरता मिलती हैं व एकाग्रता में बढ़ोत्तरी होती है।

#2. माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmcharini In Hindi)

नवदुर्गा का द्वितीय रूप माँ ब्रह्मचारिणी होती है जो भक्तों को तपस्या तथा वैराग्य का भाव दिखाती हैं। इनके नाम का अर्थ ही हमेशा ब्रह्म में लीन रहने से हैं जिससे भक्तों के अंदर त्याग, सदाचार व तप की भावना का विकास होता हैं।

माँ के दाहिने हाथ में जप माला व बाए हाथ में कमंडल होता हैं। वे सीधी खड़ी रहती है तथा तपस्या पर बल देती हैं। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों में ध्यान एकत्रित करने में सहायता मिलती हैं तथा विश्वास में बढ़ोत्तरी होती हैं।

#3. माँ चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta In Hindi)

नवदुर्गा का तृतीय रूप माँ चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता हैं। इनका जन्म ही पापियों का नाश करने तथा भक्तों को अभयदान देने के उद्देश्य से हुआ था। माँ का रूप अतिविनाशकारी हैं जिनकी 10 भुजाएं हैं। अपनी 10 भुजाओं में माँ ने विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण किये हुए हैं तथा उनका वाहन शेर है।

माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों के मन में किसी प्रकार की शंका तथा भय दूर होता हैं। साथ ही हमारे अंदर वीरता व साहस की बढ़ोत्तरी होती हैं।

#4. माँ कूष्मांडा (Maa Kushmanda In Hindi)

नवदुर्गा का चतुर्थ रूप माँ कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है जिनके द्वारा इस ब्रह्मांड की रचना हुई थी। ये हमेशा ब्रह्मांड के मध्य में स्थित रहती हैं। सूर्य के आभामंडल में रहकर उसके ताप को सहन करने की क्षमता माँ में हैं। इनकी आठ भुजाएं होने के कारण इन्हें अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है।

माँ का वाहन सिंह होता हैं तथा ये अपनी भुजाओं में विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों के साथ-साथ कमल का पुष्प, कमंडल, जपमाला व अमृत कलश लिए हुए रहती हैं। माँ की पूजा करने से भक्तों के सभी रोग दूर होते हैं तथा वे मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते है।

#5. माँ स्कंदमाता (Maa Skandmata In Hindi)

माँ दुर्गा के पंचम रूप को माँ स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है जो माता पार्वती का ही एक रूप है। इन्हें कार्तिकेय/ स्कंद की माता कहा जाता हैं इसलिये इनका नाम स्कंदमाता हैं। ये हमेशा अपने एक हाथ से कार्तिकेय के छोटे रूप को गोद में लिए हुए रहती है।

इनकी चार भुजाएं हैं जिनमें दो भुजाओं में कमल पुष्प तथा एक भुजा वर मुद्रा में रहती हैं। देवी स्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों के मन से बुरी प्रवत्तियों का नाश होता हैं तथा अच्छे विचारों का सृजन होता हैं। लोग संतान प्राप्ति की इच्छा से भी इनकी पूजा करते हैं।

#6. माँ कात्यायनी (Maa Katyayani In Hindi)

माँ दुर्गा के छठे रूप को माँ कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म एक महत्वपूर्ण उद्देश्य के लिए हुआ था जिन्हें त्रिदेव ने अपनी शक्ति को एकत्रित कर जन्म दिया था। माँ कात्यायनी ने देवताओं की रक्षा करने के उद्देश्य से महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था।

इनकी चार भुजाएं हैं जिनमे से दो भुजाएं वर मुद्रा तथा अभय मुद्रा में हैं तथा बाकि दो भुजाओं में कमल पुष्प तथा खड़ग हैं। माँ कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों के संकट दूर होते हैं तथा शत्रु का भय नही रहता। साथ ही जो कन्याएं सुयोग्य वर की तलाश हैं वे माँ कात्यायनी की पूजा अवश्य करे।

#7. माँ कालरात्रि (Maa Kaalratri In Hindi)

माँ दुर्गा का सातवाँ रूप माँ कालरात्रि हैं जो दिखने में बहुत भयानक तथा अंधकार के समान काला हैं। इनकी उत्पत्ति असुरों का वध करने के उद्देश्य से हुई थी। जब माँ दुर्गा ने शुंभ-निशुंभ राक्षसों का वध कर दिया तब रक्तबीज एक ऐसा राक्षस था जिसका वध होने के पश्चात उसके रक्त की बूंदे भूमि पर गिरते ही उतने ही नए रक्तबीज राक्षस और पैदा हो रहे थे। तब माँ कालरात्रि ने जन्म लेकर उस राक्षस के रक्त की बूंदे भूमि पर गिरने से पहले ही पी ली थी व उसका अंत किया था।

माँ का रूप एक दम भयानक हैं जिनके गले में विद्युत के समान चमकती माला हैं। हाथों में माँ खड्ग व वज्र धारण किये हैं तथा अन्य दो भुजाएं वर मुद्रा व अभय मुद्रा में हैं। माँ की पूजा करने से भक्तों का रात्रि भय, अंधकार भय, जल भय व अग्नि भय दूर होता हैं।

#8. माँ महागौरी (Maa Mahagauri In Hindi)

माँ दुर्गा के आठवें रूप को माँ महागौरी के नाम से जाना जाता हैं जो अत्यंत मनोहर तथा सुख देने वाला है। माँ का रंग श्वेत होता हैं तथा ये श्वेत वस्त्रों व आभूषणों को धारण किये हुए रहती हैं। इसलिये ही इनका नाम महागौरी पड़ा था।

माँ की चार भुजाएं हैं जिनमें त्रिशूल व डमरू हैं तथा बाकि दो भुजाएं वर मुद्रा व अभय मुद्रा में हैं। माँ की पूजा करने से भक्तों को सुख की प्राप्ति होती हैं। विवाहित स्त्रियों के सुहाग की रक्षा होती हैं तो अविवाहित स्त्रियों के लिए विवाह के योग बनते हैं।

#9. माँ सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri In Hindi)

माँ दुर्गा का अंतिम रूप माँ सिद्धिदात्री अत्यंत महत्वपुर्ण हैं क्योंकि यह मनुष्य को सभी आठों सिद्धियाँ प्रदान करके उसका उद्धार करता हैं। इसके पश्चात मनुष्य के मन में कोई इच्छा नही रह जाती तथा उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।

माँ का स्वरुप भी अत्यंत सुखदायी हैं तथा वे कमल के पुष्प पर विराजमान रहती हैं। उनकी चार भुजाओं में गदा, चक्र, कमल पुष्प व शंख हैं। माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से मनुष्य का मन नियंत्रण में रहता हैं तथा सांसारिक मोह माया से छुटकारा मिलता हैं।

तो यह थे माँ दुर्गा के 9 रूप जिनकी पूजा नवरात्र के दिनों में की जाती हैं। प्रत्येक माता भक्तों को अलग-अलग शक्ति व ऊर्जा प्रदान करती हैं (Maa Durga Ke 9 Roop Name In Hindi) जिससे हम सभी का उद्धार होता हैं। इसलिये नवरात्र के प्रत्येक दिन माँ के रूप की पूजा करे व उनका ध्यान लगाए।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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