पार्वती स्तुति हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

पार्वती स्तुति (Parvati Stuti)

आज के इस लेख में हम पार्वती स्तुति (Parvati Stuti) का पाठ करने जा रहे हैं। भगवान शिव की प्रथम पत्नी का नाम माता सती था जिन्होंने अपने पिता दक्ष द्वारा शिव का अपमान किये जाने पर यज्ञ के अग्नि कुंड में कूदकर आत्म-दाह कर लिया था। इसके बाद हिमालय पर्वत की पुत्री के रूप में उनका पुनर्जन्म हुआ जिनका नाम माता पार्वती था। फिर भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ जो संपूर्ण सृष्टि की जननी कही जाती हैं।

पार्वती माता की स्तुति को केवल पढ़ना ही पर्याप्त नहीं होता है बल्कि साथ के साथ उसका अर्थ भी समझ लिया जाए तो यह और भी शुभकारी सिद्ध होता है। यही कारण है कि आज हम आपके साथ पार्वती स्तुति हिंदी में (Parvati Stuti In Hindi) भी साझा करेंगे ताकि आप उसका संपूर्ण भावार्थ समझ सकें। अंत में आपको पार्वती स्तुति के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे। आइये सबसे पहले पढ़ते हैं पार्वती माता की स्तुति

Parvati Stuti | पार्वती स्तुति

त्वं माता जगतां पितापि च हरः सर्वे इमे बालका
स्तस्मात्त्वच्छिशुभावतः सुरगणे नास्त्येव ते सम्भ्रमः।
मातस्त्वं शिवसुन्दरि त्रिजगतां लज्जास्वरूपा यत
स्तस्मात्त्वं जय देवि रक्ष धरणीं गौरि प्रसीदस्व नः

त्वमात्मा त्वं ब्रह्म त्रिगुणरहितं विश्वजननि
स्वयं भूत्वा योषित्पुरुषविषयाहो जगति च।
करोष्येवं क्रीडां स्वगुणवशतस्ते च जननीं
वदन्ति त्वां लोकाः स्मरहरवरस्वामिरमणीम्

त्वं स्वेच्छावशतः कदा प्रतिभवस्यंशेन शम्भुः पुमा
न्स्त्रीरूपेण शिवे स्वयं विहरसि त्रैलोक्यसम्मोहिनि।
सैव त्वं निजलीलया प्रतिभवन् कृष्णः कदाचित्पुमान्
शम्भुं सम्परिकल्प्य चात्ममहिषीं राधां रमस्यम्बिके

प्रसीद मातर्देवेशि जगद्रक्षणकारिणि।
विरम त्वमिदानीं तु धरणीरक्षणाय वै

Parvati Stuti In Hindi | पार्वती स्तुति हिंदी में – अर्थ सहित

त्वं माता जगतां पितापि च हरः सर्वे इमे बालका
स्तस्मात्त्वच्छिशुभावतः सुरगणे नास्त्येव ते सम्भ्रमः।
मातस्त्वं शिवसुन्दरि त्रिजगतां लज्जास्वरूपा यत
स्तस्मात्त्वं जय देवि रक्ष धरणीं गौरि प्रसीदस्व नः॥

माता पार्वती हम सभी की माता हैं और भगवान शिव हम सभी के पिता हैं। हम सभी उन्हीं की संतान हैं। सभी देवता आपकी ही संतान हैं और इस कारण उन्हें किसी प्रकार का भय नहीं है। माता पार्वती हम सभी को शुभ फल देने वाली हैं और इसमें किसी भी प्रकार का भ्रम नहीं है।

आपका गुण मातृत्व का है और आप ही शिवसुंदरी हैं। आप तीनों लोकों में लज्जा का स्वरुप हैं। हे माँ पार्वती!! आप इस पृथ्वी की रक्षा करें और यहाँ से पाप का नाश कर दें। आप हम सभी से प्रसन्न होकर हमारा उद्धार कर दीजिये।

त्वमात्मा त्वं ब्रह्म त्रिगुणरहितं विश्वजननि
स्वयं भूत्वा योषित्पुरुषविषयाहो जगति च।
करोष्येवं क्रीडां स्वगुणवशतस्ते च जननीं
वदन्ति त्वां लोकाः स्मरहरवरस्वामिरमणीम्॥

पार्वती माता ही आत्मा रूप में हमारे अंदर विद्यमान हैं। वे ही ब्रह्म स्वरुप हैं अर्थात उन्होंने ही इस सृष्टि का निर्माण किया है। उनके अंदर त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु व महेश) के गुण हैं। वे ही इस सृष्टि की जननी हैं। माता पार्वती स्वयं ही हर तत्व का प्रतिनिधित्व करती हैं और वे ही पुरुष तथा स्त्री रूप में इस पृथ्वी पर विचरण करती हैं।

उनके कारण ही इस सृष्टि में विषय की प्रधानता है और कर्म होते हैं। वे अपने विभिन्न रूपों में इस पृथ्वी पर कई तरह की क्रीड़ायें (कर्म) करती हैं और सभी गुण उन्हीं के ही अधीन हैं। तीनों लोकों के जीव माता पार्वती की वंदना करते हैं। माता पार्वती ही हमारे दुखों का अंत कर हमें वरदान देती हैं।

त्वं स्वेच्छावशतः कदा प्रतिभवस्यंशेन शम्भुः पुमा
न्स्त्रीरूपेण शिवे स्वयं विहरसि त्रैलोक्यसम्मोहिनि।
सैव त्वं निजलीलया प्रतिभवन् कृष्णः कदाचित्पुमान्
शम्भुं सम्परिकल्प्य चात्ममहिषीं राधां रमस्यम्बिके॥

पार्वती माता ने अपनी इच्छा के अनुसार सभी को वश में किया हुआ है। कभी वे अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए शिव का रूप धारण कर लेती हैं तो कभी स्त्री रूप में शिव के साथ इस लोक का भ्रमण करती हैं। माँ पार्वती के रूप में वे तीनों लोकों के जीवों का मन मोह लेती हैं।

अपने इसी गुण के कारण कभी वे श्रीहरि के ही मानवीय रूप श्रीकृष्ण का रूप धारण कर लेती हैं जो अत्यधिक प्रतिभावान है। तो वहीं दूसरी ओर, वे शिव को अपने मन में धारण कर और उनका स्मरण कर, माता राधा का रूप ले लेती हैं और श्रीकृष्ण के साथ भ्रमण करती हैं।

प्रसीद मातर्देवेशि जगद्रक्षणकारिणि।
विरम त्वमिदानीं तु धरणीरक्षणाय वै॥

देवताओं की माता व इस जगत की रक्षा करने वाली माँ पार्वती!! अब आप हमसे प्रसन्न हो जाइये। आप ही हम सभी को सुख प्रदान करती हैं और हमारी रक्षा करती हैं।

पार्वती माता की स्तुति का महत्व

हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के कई रूप माने जाते हैं जिनमे त्रिदेव को मुख्य ईश्वर तथा त्रिदेवियों को मुख्य देवियाँ माना जाता है। इसमें माँ सरस्वती को विद्या व माँ लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है जबकि माता पार्वती को माँ आदिशक्ति का ही रूप मानते हुए उन्हें इस सृष्टि की जननी कहा गया है। इसी कारण पार्वती माता स्तुति (Parvati Mata Stuti) का महत्व बहुत बढ़ जाता है।

पार्वती माता की स्तुति के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया गया है कि हमारे जीवन में माता पार्वती का कितना अधिक महत्व है। पार्वती स्तुति के माध्यम से आपने माता पार्वती के गुणों, महत्व, शक्तियों व कर्मों के बारे में जान लिया है। तो यही माता पार्वती की स्तुति का महत्व होता है। ऐसे में हमें पवित्र मन के साथ प्रतिदिन माता पार्वती जी की स्तुति का पाठ करना चाहिए।

पार्वती स्तुति के लाभ

अभी तक आपने पार्वती स्तुति का पाठ कर लिया है तथा साथ ही उसका अर्थ व महत्व भी जान लिया है। तो यह सब पढ़कर आपको पार्वती माता की स्तुति को पढ़ने से मिलने वाले फायदों के बारे में थोड़ा बहुत ज्ञान हो गया होगा। फिर भी हम इसे विस्तृत रूप देते हुए आपको बता दें कि चूँकि पार्वती माता को ही माँ आदिशक्ति माना जाता है और उनके द्वारा ही हम सभी की उत्पत्ति हुई है तो वही हम सभी का कल्याण भी करती हैं।

माँ पार्वती ही इस सृष्टि की देखरेख करती हैं और धर्म की रक्षा करती हैं। ऐसे में यदि हमारे जीवन में कोई संकट है या आगे का मार्ग नहीं सूझ रहा है या स्वास्थ्य संबंधित कोई समस्या परेशान कर रही है, तो उसके लिए माता पार्वती को प्रसन्न किया जाना अति-आवश्यक हो जाता है। यदि हम प्रतिदिन सच्चे मन से पार्वती माता की स्तुति का पाठ करते हैं तो अवश्य ही हमारा उद्धार हो जाता है। यही पार्वती स्तुति का मुख्य लाभ होता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने पार्वती स्तुति हिंदी में अर्थ सहित (Parvati Stuti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने पार्वती स्तुति के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

पार्वती स्तुति से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: माता पार्वती की पूजा कैसे की जाती है?

उत्तर: माता पार्वती की पूजा करने के लिए आपको सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म करके, माता पार्वती की मूर्ति या चित्र के सामने बैठ कर पार्वती माता की स्तुति, चालीसा, स्तोत्र व आरती का पाठ करना चाहिए।

प्रश्न: माता पार्वती का कौन सा दिन है?

उत्तर: वैसे तो किसी भी दिन माता पार्वती की पूजा की जा सकती है लेकिन शुक्रवार का दिन देवी माता के विभिन्न रूपों को समर्पित होता है।

प्रश्न: हिंदू पार्वती से प्रार्थना क्यों करते हैं?

उत्तर: हिन्दू धर्म के अनुयायी माता पार्वती से इसलिए प्रार्थना करते हैं क्योंकि पार्वती माता ही हम सभी की जननी हैं और हमारा उद्धार करती हैं।

प्रश्न: माता पार्वती को क्या पसंद है?

उत्तर: ऐसे मनुष्य जो धर्मकार्य करते हैं, मन में श्रद्धा भाव रखते हैं और सभी के प्रति परोपकार की भावना रखते हैं, वे माता पार्वती को पसंद आते हैं।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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