राधा चालीसा (Radha Chalisa) में माता राधा के जीवन, श्री कृष्ण के प्रति उनका निश्छल प्रेम व भक्ति का वर्णन किया गया है। यदि आप भी श्री राधा चालीसा पढ़ने के इच्छुक हैं तो आज हम आपको वही देने जा रहे हैं।
इतना ही नहीं, आज के इस लेख के माध्यम से आपको राधा चालीसा PDF (Radha Chalisa PDF) फाइल और इमेज भी मिलेगी। इसे आप आगे के लिए अपने मोबाइल या कंप्यूटर में सेव करके रख सकते हैं। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री राधा चालीसा।
Radha Chalisa | राधा चालीसा
॥ दोहा ॥
श्री राधे वृषभानुजा,
भक्तनि प्राणाधार।
वृन्दावनविपिन विहारिणी,
प्रणवों बारंबार॥
जैसो तैसो रावरौ,
कृष्ण प्रिया सुखधाम।
चरण शरण निज दीजिये,
सुन्दर सुखद ललाम॥
॥ चौपाई ॥
जय वृषभान कुँवरि श्री श्यामा,
कीरति नंदिनी शोभा धामा।
नित्य बिहारिनी श्याम अधारा,
अमित मोद मंगल दातारा।
रास विलासिनी रस विस्तारिनी,
सहचरि सुभग यूथमन भावनि।
नित्य किशोरी राधा गोरी,
श्याम प्राणधन अति जिय भोरी।
करुणा सागर हिय उमंगिनि,
ललितादिक सखियन की संगिनी।
दिनकर कन्या कूल बिहारिनी,
कृष्ण प्राण प्रिय हुलसावनि।
नित्य श्याम तुमरौ गुण गावें,
राधा राधा कहि हरषावें।
मुरली में नित नाम उचारे,
तुव कारण प्रिया वृषभानु दुलारी।
नवल किशोरी अति छवि धामा,
द्युति लघु लगै कोटि रति कामा।
गौरांगी शशि निंदक बढ़ना,
सुभग चपल अनियारे नयना।
जावक युग युग पंकज चरना,
नूपुर धुनि प्रीतम मन हरना।
संतत सहचरि सेवा करहीं,
महा मोद मंगल मन भरहीं।
रसिकन जीवन प्राण अधारा,
राधा नाम सकल सुख सारा।
अगम अगोचर नित्य स्वरूपा,
ध्यान धरत निशदिन ब्रज भूपा।
उपजेउ जासु अंश गुण खानी,
कोटिन उमा रमा ब्रह्मानी।
नित्यधाम गोलोक विहारिनी,
जन रक्षक दुख दोष नसावनि।
शिव अज मुनि सनकादिक नारद,
पार न पायें शेष अरु शारद।
राधा शुभ गुण रूप उजारी,
निरखि प्रसन्न होत बनवारी।
ब्रज जीवन धन राधा रानी,
महिमा अमित न जाय बखानी।
प्रीतम संग देई गलबाँही,
बिहरत नित्य वृन्दावन माँही।
राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा,
एक रूप दोउ प्रीति अगाधा।
श्री राधा मोहन मन हरनी,
जन सुख दायक प्रफुलित बदनी।
कोटिक रूप धरें नंद नंदा,
दर्श करन हित गोकुल चंदा।
रास केलि करि तुम्हें रिझावें,
मान करौ जब अति दुख पावें।
प्रफुलित होत दर्श जब पावें,
विविध भाँति नित विनय सुनावें।
वृन्दारण्य बिहारिनी श्यामा,
नाम लेत पूरण सब कामा।
कोटिन यज्ञ तपस्या करहू,
विविध नेम व्रत हिय में धरहू।
तऊ न श्याम भक्तहिं अपनावें,
जब लगि राधा नाम न गावे।
वृन्दाविपिन स्वामिनी राधा,
लीला बपु तब अमित अगाधा।
स्वयं कृष्ण पावैं नहिं पारा,
और तुम्हैं को जानन हारा।
श्री राधा रस प्रीति अभेदा,
सारद गान करत नित वेदा।
राधा त्यागि कृष्ण को भेजिहैं,
ते सपनेहु जग जलधि न तरिहैं।
कीरति कुँवरि लाड़िली राधा,
सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा।
नाम अमंगल मूल नसावन,
त्रिविध ताप हर हरि मन भावन।
राधा नाम लेइ जो कोई,
सहजहि दामोदर बस होई।
राधा नाम परम सुखदाई,
भजतहिं कृपा करहिं यदुराई।
यशुमति नंदन पीछे फिरिहैं,
जो कोउ राधा नाम सुमिरिहैं।
राम विहारिन श्यामा प्यारी,
करहु कृपा बरसाने वारी।
वृंदावन है शरण तिहारौ,
जय जय जय वृषभानु दुलारी।
॥ दोहा ॥
श्री राधा सर्वेश्वरी,
रसिकेश्वर घनश्याम।
करहुँ निरंतर बास मैं,
श्री वृंदावन धाम॥
इस तरह से आज आपने श्री राधा चालीसा पढ़ ली है। अब हम आपके साथ राधा चालीसा PDF (Radha Chalisa PDF) फाइल और फोटो भी साझा कर देते हैं।
राधा चालीसा इमेज
यह रही राधा चालीसा की इमेज:
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राधा चालीसा PDF | Radha Chalisa PDF
अब हम राधा चालीसा की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: राधा चालीसा PDF
ऊपर आपको लाल रंग में राधा चालीसा PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
निष्कर्ष
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने राधा चालीसा (Radha Chalisa) पढ़ ली है। साथ ही हमने आपको इसकी इमेज और पीडीएफ फाइल भी उपलब्ध करवा दी है। यदि आपको इमेज या पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या होती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट करें। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।
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