राखी पर हमें क्या लिखना चाहिए? पढ़ें राखी पर कविता

Rakshabandhan Par Kavita

आज हम आपको रक्षाबंधन पर कविता (Rakshabandhan Par Kavita) सुनाने जा रहे हैं। रक्षाबंधन का पर्व एक भाई व बहन के बीच पवित्र रिश्ते का त्यौहार होता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है तथा यह कामना करती है कि उसका भाई हमेशा स्वस्थ, खुशहाल व समृद्ध रहे। इसके बदले एक भाई अपनी बहन को आजीवन रक्षा करने का वचन देता है।

यदि आप भी अपने भाई या बहन को विश करने के लिए एक प्यारी सी राखी पर कविता (Rakhi Par Kavita) ढूँढ रहे हैं तो आज हम आपकी इसमें सहायता करेंगे। हमने भाई व बहन के लिए समर्पित कुछ सुंदर कविताएँ तैयार की हैं जिन्हें आप उन्हें सुनाकर खुश कर सकते हैं।

Rakshabandhan Par Kavita | रक्षाबंधन पर कविता

यहाँ आपको एक नहीं बल्कि कुल चार कविताएँ मिलेंगी। यह चार कविताएँ क्रमशः बड़ी बहन, छोटी बहन, बड़ा भाई व छोटे भाई को समर्पित है। इस तरह से आपका भाई या बहन आपसे छोटा हो या बड़ा, आप उन्हें हमारी लिखी कविता समर्पित कर सकते हैं। यकीन मानिए उन्हें यह कविता बहुत पसंद आने वाली है। आइए एक-एक करके चारों कविताओं का आनंद उठाते हैं।

Raksha Bandhan Poem In Hindi | बड़ी बहन के लिए राखी पर कविता

कभी-कभी सोचता हूँ अगर तू ना होती तो क्या होता,

बड़ी बहन बनकर जो कर्तव्य निभाती हो तुम,

मानो लगता है जैसे कि ईश्वर ने एक नहीं दो-दो माएं दी हैं,

कभी एक सख्त होती है तो दूसरी नरम,

एक डांट देती है तो दूसरी प्यार से सहला देती है,

कभी-कभी सोचता था कि मम्मी के ना होने पर भी सब खिलौने कौन जचा देता था,

अकेले में तो तुम डांट मारती थी लेकिन मम्मी के सामने सारा इल्जाम भी खुद पर ले लेती थी,

मेरी चीजों को पापा से अपने लिए कहकर मंगवा लेती थी फिर चुपके से मुझे लाकर दे देती थी,

सोचता हूँ तू ना होती तो कौन मुझे स्कूल में टीचर की मार से बचाता,

किसके सामने मैं अपनी बड़ी बहन का रौब दिखाता,

तुझसे ही मैंने अपनी मर्यादा में रहना सीखा,

दूसरो की बहनों की भी इज्जत करना सीखा,

तू नहीं होती तो पता नहीं आज क्या ही होता मैं,

आज अपने ससुराल में है पर लगता है जैसे कि अभी भी वही ममता का हाथ मेरे सिर पर है,

मम्मी पापा का ख्याल कब कैसे रखना है तू ना बताती तो कैसे होता,

कभी-कभी सोचता हूँ अगर तू ना होती तो क्या होता।

Rakhi Poem In Hindi | छोटी बहन के लिए रक्षाबंधन पर कविता

ऐ छोटी, सुन ना, तू है तो सब है…

सब पता नहीं पर ये जानता हूँ कि तू है तो सब है,

जिस दिन तूने जन्म लिया तब सब तुझे ही प्यार कर रहे थे,

मेरा प्यार बंटता देख मुझे जलन तो हो रही थी,

लेकिन जब तुझे देखता तो सब जलन दूर हो जाती,

तेरे वो नन्हे से हाथ जब मैंने अपने हाथ में लिए तो मानो एक परी आ गई हो जिंदगी में,

वो तेरी प्यारी सी मुस्कान और नन्हे से हाथ,

तेरा वो प्यार से मुझे भईया बुलाना और फिर खिलखिलाके हँसना,

वो तेरा छुपके से मेरी चीज़े खा जाना,

मेरी जगह पर तेरा सो जाना,

भईया बोलके अपने इल्जाम मुझ पर डाल देना,

मुझसे बिना पूछे, मेरी जेब से पैसे निकाल लेना,

लेकिन सुन छोटी, तू है तो सब है…

तू ही है जिसने हमेशा पापा की डांट से बचाया,

मम्मी के सामने हमेशा मेरा पक्ष लिया,

मेरे लिए किसी से भी लड़ गई,

अपने भईया के लिए सब कुछ भूल गई,

इसलिए भगवान से यही बोलूँगा,

तू जैसी भी है लेकिन तू है तो सब है।

Raksha Bandhan Kavita | बड़े भाई के लिए राखी पर कविता

मेरा भईया, सबसे न्यारा,

जब आँखें खोली पहली बार, तब सामने तू खड़ा देख रहा था,

मुझे देखकर सहला रहा था तो कभी मुझे छेड़ रहा था,

माँ ने बताया कि तेरी छोटी बहना है तब से तू मुझे बहना बहना बोल रहा था,

पापा जब काम पर जाते और मम्मी काम में लग जाती,

तब तू ही माँ पापा बनकर मुझसे खेल रहा था,

मैं रोती तो तू बेचैन हो उठता और मेरे लिए नई-नई चीज़े लाकर देता,

कोई मुझे डांटता तो तू सब डांट सुन लेता,

जब बड़ी हुई तो बोला कि कोई परेशान करे तो अपने भाई को बताना,

बस यही बात सुनकर मैं बेफिक्र रहती,

अपनी सहेलियों के सामने तेरी बड़ाई करती,

वे भी सोचती कि तेरे जैसा भाई हमें भी मिले,

लेकिन मैं इतराके कहती वो तो मेरा ही भाई है,

शादी करके ससुराल गई तो तेरा ही आसरा था,

मम्मी पापा ने तो सौंप दिया था उन्हें लेकिन तू बोला कि मेरी प्यारी बहना है इसे कुछ हुआ तो मैं नहीं देख पाउँगा,

सभी जानते हैं यहाँ कि मैं तो यहाँ हूँ लेकिन मेरी एक जान तो वहाँ बसती है,

और इस जान को कुछ हुआ तो वो जान सह नहीं पाएगी,

ऐ भईया, मेरी भाभी को भी कह देना, मैं तो अब नहीं हूँ वहाँ लेकिन मेरी जान का खुद से भी ज्यादा ध्यान रखे,

क्योंकि तेरी जान भी मेरे अंदर ही बसती है।

Rakhi Par Kavita | छोटे भाई के लिए रक्षाबंधन पर कविता

मेरा छोटू, सबसे खोटू,

है तो मुझसे छोटा तू लेकिन है बहुत खोटा तू,

बात-बात पर जिद्द करना और अपनी हर बात मनवाना,

माँ पापा जब ना माने तो अपनी बहना को तंग करना,

फिर मेरे जरिए अपनी बात को मनवा लेना,

सच में रे बहुत खोटा है तू, लेकिन सबसे निराला भी है तू,

यूँ तेरा दीदी कहकर मुझे गले से लगा लेना और अपनी हर बात बता देना,

जो माँ पापा को ना बता पाए वो अपनी बहना को झट से बता देना,

जो भी मिलता उसे अपनी दीदी को भी दे देना,

हर चीज़ में मुझे ही याद करना और मेरे बिना कुछ नहीं करना,

मम्मी पापा की डांट से बचने को मेरे पीछे छुप जाना फिर बाद में मेरी डांट सुनना,

तेरा वो छुपके से हँसना और मेरे सामने रोना,

सच में रे बहुत खोटा है तू,

लेकिन एक दिन जब चली जाउंगी तब तू बहुत ही याद आएगा रे,

फिर कौन बिन सोचे मुझसे अपनी बात कह देगा,

कौन मेरा पल्लू पकड़कर यूँ बच्चों की भाँति जिद्द करेगा,

जाने के बाद अपनी बहना को भूल ना जाना,

वरना जब आउंगी तो बहुत कान खिंचुंगी,

लेकिन रहना हमेशा यूँ ही, मेरा खोटा, सबसे छोटा।

इस तरह से आज आपने रक्षाबंधन पर कविता (Rakshabandhan Par Kavita) पढ़ ली है। यहाँ आपने कुल चार कविताएँ पढ़ी। आशा है कि आपको यह पसंद आई होगी।

रक्षाबंधन पर कविता से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: रक्षाबंधन पर कविता कैसे लिखें?

उत्तर: इस लेख में हमने आपको रक्षाबंधन पर एक नहीं बल्कि कुल चार कविताएँ दी हैं। आशा है कि यह सभी कविताएँ आपको अवश्य ही पसंद आएगी

प्रश्न: रक्षाबंधन पर क्या लिखें?

उत्तर: आप रक्षाबंधन पर अपने भाई या बहन के लिए एक प्यारी सी कविता लिख सकते हैं इस लेख में हमने भाई-बहन के रिश्ते के ऊपर कुल चार कविताएँ लिखी हैं।

प्रश्न: रक्षाबंधन पर क्या लिखूं?

उत्तर: रक्षाबंधन पर लिखने को तो बहुत कुछ है जैसे कि इस पर कविता लिखी जा सकती है या कोई प्यारा सा संदेश इस लेख में हमने रक्षाबंधन पर कविता लिखी है

प्रश्न: राखी पर हमें क्या लिखना चाहिए?

उत्तर: राखी पर आपको अपने भाई या बहन के लिए एक प्यारा सा संदेश लिखना चाहिए यह संदेश आप अपने किसी परिचित को भी भेज सकते हैं और उन्हें राखी की शुभकामनाएं दे सकते हैं

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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