रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है? जाने रक्षाबंधन की कहानी

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है

आज हम आपको रक्षाबंधन की कहानी (Raksha Bandhan Ki Kahani) बताएंगे। रक्षाबंधन का पर्व हजारों वर्षों से बनाया जा रहा है। इस पर्व से जुड़ी कई धार्मिक तथा ऐतिहासिक कहानियां प्रचलित हैं जिनमें से पांच मुख्य कथाएं प्रसिद्ध है। शुरू में रक्षाबंधन का त्यौहार केवल भाई-बहन तक ही सीमित नहीं था बल्कि राखी को अपने जानने वाले या महत्वपूर्ण व्यक्ति की रक्षा करने हेतु बांधा जाता था। इसका उदाहरण आप राजस्थान में राजपूत राजाओं के द्वारा युद्ध पर जाने से पहले उनकी पत्नियों द्वारा रक्षा सूत्र बांधे जाने से ले सकते हैं।

साथ ही हम आपको बताएंगे कि रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है (Raksha Bandhan Kyon Manaya Jata Hai) और इसका उद्देश्य क्या है। इस त्यौहार का मुख्य उद्देश्य एक बहन के द्वारा अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधने तथा भाई का अपनी बहन की सुरक्षा का वचन देने से होता है। तो चलिए सबसे पहले रक्षा बंधन की कहानी और उसके इतिहास के बारे में जान लेते हैं।

रक्षाबंधन की कहानी (Raksha Bandhan Ki Kahani)

क्या आप जानते हैं कि रक्षाबंधन से जुड़ी एक या दो नहीं बल्कि कुल 5 कहानियां है। इसमें से दो कथाएं पौराणिक अर्थात देवताओं से जुड़ी हुई है, एक कथा इश्वर के मानवीय अवतार से जुड़ी हुई है जबकि अंतिम दो कथाएं मनुष्य से ही। ऐसे में हम आपके सामने इन सभी कहानियों को उनके घटित होने के समय के अनुसार रखेंगे।

इससे आपको यह भी पता चल पाएगा कि आख़िरकार रक्षाबंधन की शुरुआत कहाँ से हुई थी और कब यह भाई-बहन के बीच पवित्र प्रेम का बंधन बन गया था

#1. देवराज इंद्र व इंद्राणी की कहानी

सतयुग में जब देवता पर असुर भारी पड़ने लगे थे तब देवराज इंद्र विचलित हो गए थे। महर्षि दधीचि ने उन्हें अपनी हड्डियों का वज्र बनाकर दिया था। इसके बाद वे अपने गुरु बृहस्पति का आशीर्वाद लेने पहुँचे थे। तब गुरु बृहस्पति ने इंद्र की पत्नी शुची/ इंद्राणी को उन्हें रक्षा सूत्र बांधने को बोला।

इंद्राणी ने रक्षा सूत्र को अभिमंत्रित करके देवराज इंद्र के हाथ पर बांध दिया था। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी और तब से ही रक्षाबंधन के त्यौहार की नींव पड़ी। इसी कारण राजपूत महिलाएं अपने पति के युद्धभूमि पर जाने से पहले उन्हें रक्षा सूत्र बांधती थी तथा उनके विजयी होने की कामना करती थी।

#2. माता लक्ष्मी व राजा बलि की कहानी

जब भगवान विष्णु ने राजा बलि के अहंकार को दूर करने के लिए वामन अवतार लिया था तब वे उसकी दानवीरता तथा भक्ति से अत्यधिक प्रसन्न हो गए थे। उन्होंने बलि को वरदान मांगने को कहा जिसमें बलि ने उन्हें अपने साथ पाताल लोक में रहने को कहा।

भगवान विष्णु के कई दिनों तक वैकुंठ धाम न लौटने के कारण माता लक्ष्मी परेशान हो उठी। तब उन्होंने एक साधारण महिला का वेश धरकर बलि को रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें अपना भाई बना लिया। जब राजा बलि ने उन्हें कुछ मांगने को कहा तो उन्होंने भगवान विष्णु को अपने साथ ले जाने को कहा। बलि ने भाई का वचन निभाते हुए माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु को अपने साथ ले जाने दिया।

#3. श्रीकृष्ण व द्रौपदी की कथा

जब द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का मस्तक काटकर अलग कर दिया था तब उनकी ऊँगली में चोट लग गई थी। उस समय वहाँ उपस्थित द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी ऊँगली पर पट्टी बांधी थी। तब से श्रीकृष्ण ने उन्हें अपनी बहन मान लिया था।

जब कौरवों के द्वारा भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था तब श्रीकृष्ण ने अपने भाई होने का कर्तव्य निभाते हुए द्रौपदी की साड़ी को लंबा कर दिया था। इस प्रकार श्रीकृष्ण ने अपने भाई होने का कर्तव्य निभाया तथा द्रौपदी की लाज बचाई।

#4. राजा पोरस व रोक्साना की कहानी

जब सिकंदर विश्व विजयी अभियान में निकला था तब उसका सामना महान सम्राट राजा पुरु से पहली बार हुआ था। सिकंदर की सेना तथा उसकी पत्नियों को यह अहसास था कि राजा पुरु कितने शक्तिशाली हैं। इसलिए सिकंदर की पत्नी रोक्साना ने पुरु को अपना भाई बना लिया तथा उनके हाथ में रक्षा सूत्र बांधा। उसने राजा पुरु से सिकंदर के हारने पर भी उसका वध ना करने का आग्रह किया।

इसके बाद जब राजा पोरस तथा सिकंदर के बीच युद्ध हुआ तब राजा पोरस की हाथियों की सेना के आगे सिकंदर की घोड़ों की सेना टिक नहीं पाई। उस युद्ध में सिकंदर का घोड़ा मारा गया तथा वह नीचे गिर पड़ा। तब राजा पोरस ने सिकंदर को मारने के लिए अपना भाला उठाया तो उन्हें वह रक्षा सूत्र दिखाई पड़ा। अपनी बहन को दिए वचन की लाज रखने के लिए उन्होंने सिकंदर को जीवित छोड़ दिया।

#5. रानी कर्णावती तथा हुमायूँ की कहानी

यह कथा इतिहास में हमें गलत तरीके से पढ़ाई जाती है। हमें बताया जाता है कि हुमायूँ ने अपनी बहन कर्णावती की रक्षा के लिए चित्तोड़ को बहादुर शाह जफर से बचाया था। दरअसल रानी कर्णावती के पति राणा सांगा की हुमायूँ के पिता बाबर ने हत्या कर दी थी। उसके बाद बहादुर शाह जफ़र ने जब मेवाड़ पर आक्रमण किया तब रानी कर्णावती ने हुमायूँ से सहायता मांगी थी।

हुमायूँ जान बूझकर देरी से आया तथा तब तक मेवाड़ की सेना युद्ध हार चुकी थी और रानी कर्णावती सभी महिलाओं के साथ जौहर कर चुकी थी। तब हुमायूँ ने बहादुर शाह की सेना को पीछे खदेड़कर रानी कर्णावती के कमजोर पुत्र विक्रमादित्य को मेवाड़ का राजा बनाया ताकि वह उनके अधीन रहकर कार्य कर सके।

Raksha Bandhan Kyon Manaya Jata Hai | रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है?

अब हम जानेंगे कि आख़िरकार हम रक्षा बंधन क्यों मनाते हैं और उसके पीछे का कारण क्या है? दरअसल इसकी शुरुआत तो देव इंद्र व इंद्राणी ने की थी। उसके बाद माता लक्ष्मी ने बलि को अपना भाई मानकर उसे रक्षा सूत्र बाँधा था। लेकिन रक्षाबंधन की आधिकारिक तौर पर शुरुआत करने का श्रेय भगवान श्रीकृष्ण और उनकी धर्म बहन द्रौपदी को जाता है।

वह इसलिए क्योंकि द्रौपदी उनकी सगी या रिश्ते की बहन नहीं थी बल्कि उसने तो श्रीकृष्ण को अपना धर्म भाई बनाया था। इसी कारण वह हर वर्ष रक्षाबंधन वाले दिन श्रीकृष्ण को राखी बाँधा करती थी। इसके बदले श्रीकृष्ण ने भी जीवनभर उसके मान की रक्षा करने का वचन दिया था। अब इस वचन को निभाने की बारी तब आई थी जब भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था। उस समय द्रौपदी के पति, ससुर, देवर, गुरुजन, महान योद्धा इत्यादि सभी चुप बैठे हुए थे।

उस समय अकेले श्रीकृष्ण ही थे जिन्होंने द्रौपदी के मान की रक्षा की थी। बस इसी के बाद से ही रक्षाबंधन का त्यौहार सभी भाई-बहनों के बीच में अत्यधिक लोकप्रिय हो गया। उसके बाद से इस दिन सभी बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनके स्वस्थ व दीर्घायु होने की कामना करती है तो वहीं भाई अपनी बहन के मान की रक्षा करने का वचन देते हैं। इस तरह से आज आपने रक्षाबंधन की कहानी (Raksha Bandhan Ki Kahani) सहित इसके महत्व के बारे में भी जान लिया है।

रक्षा बंधन की कहानी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: रक्षा बंधन क्यों मनाते हैं?

उत्तर: रक्षा बंधन केवल एक त्यौहार ना होकर भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की बागडोर भी होता है बस इसी पवित्र रिश्ते को इस दिन के माध्यम से याद किया जाता है

प्रश्न: क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्योहार?

उत्तर: रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते को याद करने और उनके बीच इस रिश्ते को हमेशा मजबूत बनाए रखने के लिए बनाया जाता है इस दिन सभी बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है

प्रश्न: रक्षाबंधन के पीछे कौन सी कहानी है?

उत्तर: रक्षाबंधन के पीछे भगवान श्रीकृष्ण व द्रौपदी की कहानी है द्रौपदी श्रीकृष्ण को अपना भाई मानती थी और इसलिए उन्हें राखी बाँधा करती थी इसी राखी की लाज उन्होंने द्रौपदी चीरहरण के समय रखी थी

प्रश्न: क्या पत्नी पति को राखी बांध सकती है?

उत्तर: रक्षाबंधन को भाई-बहन का त्यौहार माना जाता है और धर्म के अनुसार भी इसे इसी तरह से मनाया जाता है ऐसे में पत्नी अपने पति को राखी नहीं बांध सकती है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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