जाने उस महिला के बारे में जिन्होंने रामलला के लिए 28 वर्षों से नही किया अन्न का ग्रहण

रामलला का मंदिर बनने का उत्साह सभी में हैं लेकिन कुछ भक्त ऐसे भी हैं जिन्होंने इसके लिए लंबा संघर्ष किया हैं (Urmila Devi Ramlala Bhakt)। करीब पांच सौ वर्षों से लाखों भक्तों ने अपने जीवन का बलिदान दिया हैं तथा इसके लिए तरह-तरह से संघर्ष किया हैं। हम सभी उनके योगदान के हृदय से आभारी हैं। इन्हीं में से एक नाम हैं मध्य प्रदेश की बहन उर्मिला देवी जी का (Urmila Devi Jabalpur)।

उर्मिला जी मध्य प्रदेश राज्य के जबलपुर जिले में विजय नगर में रहती हैं। प्रभु श्रीराम के प्रति उनकी भक्ति ऐसी हैं कि उनके लिए कई वर्षों से वे उपवास पर हैं व उनका मंदिर बनने की प्रतीक्षा कर रही हैं। अब जब मंदिर भूमिपूजन की घड़ी पास आयी हैं तो उनका उपवास भी टूटेगा तथा वे 28 वर्षों के पश्चात अन्न का ग्रहण करेंगी।

सन 1992 के बाद से है उपवास पर

जब वर्ष 1992 में जब श्रीराम जन्मभूमि पर बनी अवैध व अत्याचार की प्रतीक बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया गया व वहां से उसकी एक-एक ईंट को उखाड़कर फेंक दिया गया तो पूरे देश में एक उम्मीद की किरण जाग उठी। इस पल की प्रतीक्षा सैकड़ों वर्षों से सभी कर रहे थे क्योंकि दुष्ट बाबर ने वहां राममंदिर तुड़वाकर व लाखों की संख्या में रामभक्तों का वध कर मस्जिद खड़ी की थी।

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उसी क्षण से उर्मिला देवी जी के मन में भी एक आशा की किरण जाग उठी व उन्होंने उसी समय यह संकल्प ले लिया कि जब तक वहां पर श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरू नही हो जायेगा तब तक वे अन्न का एक दाना भी ग्रहण नही करेंगी। बस फिर क्या था तब से लेकर आज तक वे केवल फलों पर अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं।

इस बात को लगभग 28 वर्षों का लंबा समय बीत चुका हैं लेकिन उर्मिला जी ने आज तक एक भी अन्न का दाना ग्रहण नही किया। उनकी वर्षों से यह आशा थी कि वे अपने जीवनकाल में राममंदिर का निर्माण कार्य शुरू होते हुए देख सके जो अब पूरा होने जा रहा हैं।

मंदिर के पक्ष में निर्णय आने पर उर्मिला जी का उत्साह

जब भारत की सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा मंदिर के पक्ष में निर्णय सुनाया गया तथा असत्य पर सत्य की विजय हुई उस दिन उर्मिला जी का उत्साह भी सातवें आसमान पर था। उन्होंने उस समय भारत के भावी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को अपनी ओर से पत्र लिखकर शुभकामनाएं भी दी थी।

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मंदिर ना जा पाने का दुःख

इस समय जब भूमिपूजन का समय पास आ रहा हैं तब उनके अंदर भी रामलला के दर्शन कर अपना उपवास तोड़ने की इच्छा थी। लेकिन कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए केवल चुनिंदा लोगो को ही अयोध्या में आने की अनुमति हैं। इसलिये उर्मिला जी वहां नही जा सकती।

हालाँकि उन्होंने अपने घरवालों से इच्छा प्रकट की हैं कि वे अयोध्या जाकर भुमिपूजन के क्षण अपनी आँखों से देखना चाहती हैं लेकिन उनके परिवारवालों ने उनके स्वास्थ्य को देखते हुए वहां जाने से मना किया हैं। इसका दुःख उर्मिला जी को भी हैं लेकिन वह शायद टीवी पर ही लाइव देखकर अपना उपवास तोड़े।

5 अगस्त को करेंगी अन्न ग्रहण

अयोध्या में जब 5 अगस्त को रामलला के मंदिर का भूमिपूजन होगा व इसका सीधा प्रसारण दुनियाभर के टीवी चैनल पर होगा तब इसे उर्मिला जी भी देख रही होंगी। अब वे 81 वर्ष की बुजुर्ग हो चुकी हैं तथा रामलला के दर्शन के बाद ही वे अन्न का ग्रहण करेंगी। इस प्रकार 28 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के पश्चात उनका उपवास समाप्त होगा।

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बाकि का जीवन अयोध्या में बिताने की इच्छा

साथ ही उर्मिला जी की यह भी आकांशा हैं कि वे अपना बाकि का जीवन भगवान श्रीराम के निकट अयोध्या में ही बिताएं। सच कहे तो कुछ-कुछ रामभक्त ऐसे होते हैं कि जिनकी भक्ति को बताने के लिए शब्द कम पड़ जाएँ लेकिन उसका पूरी तरह से बखान ना हो। धन्य हैं हम उर्मिला जी की ऐसी निश्चल रामभक्ति को देखकर।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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