राम मंदिर समाचार (Ram Mandir News): अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर राम मंदिर बनवाने के लिए वर्षों से ना जाने कितने ही रामभक्तों ने कष्ट झेला है, घोर तपस्या की है और हर दिन रामलला के वापस विराजमान होने का सपना देखा है। अब जब अन्तंतः 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है तो वर्षों से तपस्या कर रहे कई रामभक्तों की तपस्या पूरी होने वाली है।
इसी में एक हैं मध्य प्रदेश के दमोह में रह रहे बलराम पांडे जी (Balram Pandey Ram Mandir)। वैसे तो बलराम पांडे जी का परिवार मूल रूप से अयोध्या का ही है लेकिन बहुत वर्षों पहले ही आर्थिक कारणों की वजह से उनका परिवार अयोध्या से दमोह शिफ्ट हो गया था। फिर भी बलराम जी का रामलला के प्रति मोह देखिये कि उन्होंने राम मंदिर बनवाने के लिए अपने चप्पल जूतों तक का त्याग कर दिया और 40 वर्षों से सर्दी गर्मी नंगे पैर ही घूम रहे हैं।
अब जब 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूरी हो जाएगी तो वैसे ही बलराम जी का लिया गया संकल्प भी पूरा हो जाएगा। इसके बाद वे रामलला के दर्शन कर फिर से पैरों में चप्पल जूते पहनेंगे। आइये जानते हैं बलराम पांडे जी की कहानी उन्हीं की जुबानी।
बलराम पांडे रामलला की प्रतीक्षा में 40 सालों से घूम रहे नंगे पैर
बलराम पांडे जी (Balram Pandey Ram Mandir) का परिवार पहले अयोध्या में ही रहा करता था। यह 19वीं सदी की बात है जब बलराम जी का परिवार अयोध्या में राम मंदिर के पास ही पूजा पाठ करके अपना गुजर बसर किया करता था। फिर धीरे-धीरे परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब होती चली गयी जिस कारण 1907 में ही उनका परिवार अयोध्या से दमोह आकर बस गया।
दमोह बसने के बाद भी उनके परिवार ने अयोध्या में जाकर रामलला के दर्शन करना नहीं छोड़ा। फिर जब बलराम जी पैदा हुए तो वे भी अयोध्या आते जाते रहते थे। इसी दौरान जब बलराम जी 16 वर्ष के हुए और उन्होंने रामलला की दयनीय स्थिति देखी तो उसी समय उन्होंने राम मंदिर बनने तक अपने जूते चप्पल का त्याग कर दिया।
1983 में अयोध्या गए बलराम पांडे
बलराम जी (Balram Pandey Damoh) का परिवार अक्सर अयोध्या जाता रहता था। सन 1983 की बात है, उस समय बलराम जी मात्र 16 वर्ष के थे। वे भी अपने परिवार सहित अयोध्या में रामलला के दर्शन करने पहुंचे। संकरी गलियों से होते हुए जब बलराम जी रामलला के पास पहुंचे तो वहां उनकी दयनीय स्थिति देखकर उनका मन बहुत ही विचलित हो गया।
उस समय स्वयं रामलला तो एक चबूतरे पर बने टेंट में रहते थे जबकि उनके सामने ही दुष्ट आक्रांताओं के द्वारा बनायी गयी बाबरी मस्जिद खड़ी थी। राम जन्म भूमि पर ही रामलला की इस दयनीय स्थिति को देखकर बलराम जी का मन बहुत ही दुखी हो गया।
जब बलराम जी ने लिया कठोर प्रण
रामलला की इस स्थिति को देखकर बलराम जी (Balram Pandey Ayodhya) ने उसी समय एक कठोर प्रण लेने का निर्णय ले लिया। वे नंगे पैर ही रामलला के दर्शन करने गए थे और उन्होंने अपने परिवारजनों से कह दिया कि जब तक इस विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण नहीं होता और रामलला पुनः अपने स्थान पर विराजमान नहीं होते, तब तक वे पैरों में चप्पल जूते नहीं पहनेंगे। इस कार्य में चाहे कितने ही वर्ष लग जाएं लेकिन तब तक वे नंगे पैर ही रहेंगे।
16 वर्ष की आयु में उनके मुहं से ऐसी बातें सुनकर सभी भौंचक्के रह गए थे। उनके परिवारवालों ने उन्हें समझाने का बहुत प्रयत्न किया लेकिन बलराम जी अपने निर्णय पर अडिग रहे। आज भी वे नंगे पैर ही रहते हैं।
पूर्व कृषि मंत्री की बात पर भी नहीं झुके
इसके कई वर्षों के बाद बलराम जी की भेंट पूर्व कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया से हुई। जब उन्होंने बलराम जी के कठोर संकल्प के बारे में सुना तो उन्होंने भी उनसे चप्पल पहनने की विनती की किन्तु बलराम जी ने इसके लिए साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा था कि चाहे उनकी मृत्यु तक भी उन्हें नंगे पैर रहना पड़े तो वे रहेंगे लेकिन रामलला का मंदिर बनने से पहले वे चप्पल जूते नहीं पहनेंगे।
22 जनवरी के बाद पहनेंगे चप्पल
अब जब 22 जनवरी के दिन श्रीराम के भव्य मंदिर का उद्घाटन हो रहा है और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है तो उसी के साथ ही बलराम जी (Balram Pandey Ram Mandir) का संकल्प भी पूरा होने वाला है। बलराम जी ने कहा है कि वे 22 जनवरी के दिन 50 लोगों के साथ अयोध्या जाएंगे और यदि भीड़ के कारण यह संभव नहीं हो पाया तो उसके बाद अयोध्या जाएंगे।
सबसे पहले वे अयोध्या की सरयू नदी में स्नान करेंगे और फिर राम मंदिर में रामलला के दर्शन करने के बाद ही पैरों में जूते चप्पल पहनेंगे। रामलला के लिए ऐसा त्याग करने वाली ना जाने कितनी ही कहानियां देश-विदेश से सुनने को मिल रही (Ram Mandir News) है।
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