श्रीराम ने कैसे किया खर दूषण का वध

Khar Dushan Vadh

खर दूषण रावण के सौतेले भाई थे जो समुंद्र के इस पार रावण की राक्षसी सेना का नेतृत्व करते थे (Khar Dushan In Ramayan)। उनका राज्य दंडकारण्य के वनों में फैला हुआ था जिसकी सीमा कौशल प्रदेश से लगती थी। इन्हीं वनों में भगवान श्रीराम अपने 14 वर्षों के वनवास के दौरान राक्षसों का वध कर रहे थे (Khar Dushan Vadh)। अंत में वे पंचवटी के वनों में आकर रहने लगे जो उनके प्रदेश की सीमा में आता था।

एक दिन इसी वन में सूर्पनखा ने उनको देखा था व दोनों भाइयों के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था जिसे दोनों ने ठुकरा दिया था। इससे कुपित होकर उसने माता सीता पर आक्रमण कर दिया था जिससे क्रोधित होकर लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी थी (Khar Dushan Ravan Ke Kaun The)। इसके बाद वह रोती हुई अपने भाई खर व दूषण के पास गयी जिसके पश्चात खर दूषण का वध हुआ। आज हम उसी के बारे में जानेंगे।

खर दूषण का श्रीराम के द्वारा वध (Khar Dushan Vadh)

भगवान श्रीराम ने एक बाण से मारा 14 राक्षसों को (Khar Dushan Kaun The)

अपनी बहन का यह अपमान व स्वयं की सीमा में आये शत्रु का यह साहस देखकर खर ने अपने 14 बलवान राक्षसों को श्रीराम व लक्ष्मण का वध करने के लिए भेजा (Khar Dushan Rajya)। तब प्रभु श्रीराम ने अपने एक ही बाण से 14 के 14 राक्षसों का मस्तक धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद सूर्पनखा वापस रोती व बिलखती हुई खर-दूषण के पास पहुंची।

श्रीराम ने किया मोहिनी अस्त्र का प्रयोग (Khar Dushan Ram Ki Ladai)

इसके बाद खर दूषण संपूर्ण सेना के साथ श्रीराम से युद्ध करने के लिए निकल पड़े। उनकी संपूर्ण राक्षसी सेना से श्रीराम अकेले युद्ध करने आये थे। अगस्त्य मुनि ने भगवान श्रीराम को उन पर मोहिनी अस्त्र चलाने का आदेश दिया जिससे राक्षसों को एक दूसरे में ही राम दिखने लगे तथा वे आपस में ही माया के जाल में फंसकर मर जाये।

इसके बाद भगवान श्रीराम ने खर दूषण की सेना पर मोहिनी अस्त्र का वार किया (Khar Dushan Ram Yudh Ramayan) जिसके बाद उनकी सेना पागलों की भांति आपस में ही लड़ने लगी। सभी को एक दूसरे में राम ही राम दिखाई दे रहे थे जिस कारण एक-एक करके उनके सभी सैनिक मारे गए।

खर दूषण का वध (Khar Dushan Vadh Ramayan)

जब खर दूषण की पूरी सेना आपस में लड़ कर मर गयी तब उनका भगवान श्रीराम से भीषण युद्ध हुआ। भगवान श्रीराम ने उनके सभी अस्त्रों को विफल कर उनकी माया का अंत किया व दोनों का वध कर डाला। उस युद्ध में खर दूषण का एकमात्र सैनिक अकम्पन बच पाया था जो भागकर रावण की नगरी लंका पहुंचा। उसके व सूर्पनखा के द्वारा ही रावण को सब सूचना दी गयी व खर दूषण के वध (Khar Dushan Rakshas) के बारें में बताया गया।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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