Sankat Mochan Mandir Varanasi: संकट मोचन हनुमान मंदिर वाराणसी के बारे में

Sankat Mochan Hanuman Mandir Varanasi

संकट मोचन हनुमान मंदिर वाराणसी (Sankat Mochan Hanuman Mandir Varanasi) उत्तर प्रदेश में स्थित है। इसेमहर्षि तुलसीदास जी के द्वारा बनवाया गया था। मान्यता है कि सोलहवीं शताब्दी में जब महर्षि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस व हनुमान चालीसा की रचना की थी, तब भक्त हनुमान ने उन्हें इसी जगह पर दर्शन दिए थे। उन्होंने ही तुलसीदास जी का श्रीराम से मिलन करवाने में सहयोग किया था।

इसलिए तुलसीदास जी ने उसी जगह पर हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया। संक्षेप में इस मंदिर को संकटमोचन मंदिर वाराणसी (Sankat Mochan Mandir Varanasi) के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में आज हम आपको Sankatmochan Hanuman Mandir Varanasi के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं

Sankat Mochan Hanuman Mandir Varanasi | संकट मोचन हनुमान मंदिर वाराणसी

गोस्वामी तुलसीदास जी और हनुमान जी के बीच के कई रोचक प्रसंग हैं। माता सीता ने हनुमान जी की रामभक्ति देखकर उन्हें कलियुग के अंत तक श्रीराम भक्तों की सेवा करने का आशीर्वाद दिया था। अब तुलसीदास जी भी श्रीराम के अनन्य भक्त थे लेकिन उनके समय में भारत भूमि पर दुष्ट मुगल आक्रांता अकबर का शासन था। ऐसे में उसने तुलसीदास जी पर भी भीषण अत्याचार किये थे।

इसी कारण स्वयं हनुमान जी तुलसीदास जी की कई बार सहायता करने आये थे और उनका मार्गदर्शन किया था। ऐसे में तुलसीदास जी ने हनुमान जी को समर्पित संकटमोचन मंदिर वाराणसी (Sankat Mochan Hanuman Mandir Banaras) का निर्माण किया था। आज हम आपके सामने इसी मंदिर की कहानी और उसके बारे में अन्य महत्वपूर्ण जानकारी रखने जा रहे हैं।

Sankat Mochan Mandir Varanasi की कहानी

सबसे पहले तो हम संकटमोचन मंदिर वाराणसी की कहानी के बारे में जान लेते हैं। तो यह उस समय की बात है जब हनुमान जी रामचरितमानस की रचना कर रहे थे और गंगा घाट पर उसके अध्याय पढ़कर सुनाया करते थे। आइये जाने।

  • गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की थी। इसके अध्यायों को वे वाराणसी के अस्सी घाट पर प्रतिदिन श्रद्धालुओं को पढ़कर सुनाया करते थे व राम भजन किया करते थे।
  • उनकी कथा सुनने एक वृद्ध कुष्ठ रोगी प्रतिदिन सबसे पहले आता और अंत में जाता। वह सभी भक्तों के पीछे अंत में बैठा करता था।
  • तुलसीदास जी प्रतिदिन सुबह के समय पीपल के वृक्ष को पानी दिया करते थे। एक दिन उस पीपल के वृक्ष पर बैठे पिशाच ने उनसे पूछा कि क्या वे श्रीराम से मिलना चाहते हैं?
  • तुलसीदास जी यह सुनकर उत्साहित हो गए और उससे पूछा कि लेकिन मुझे श्रीराम से मिलवायेगा कौन? तब पिशाच ने उत्तर दिया हनुमान।
  • यह सुनकर तुलसीदास जी शंका में पड़ गए तब उस पिशाच ने उन्हें बताया कि आपकी रामकथा सुनने जो वृद्ध कुष्ठ रोगी प्रतिदिन आता है, वही भक्त हनुमान हैं।
  • यह सुनकर तुलसीदास जी अति-उत्साहित हो गए। अगली बार रामकथा सुनने के बाद जब सभी लोग चले गए तब तुलसीदास जी ने उस वृद्ध व्यक्ति का पीछा किया।
  • हनुमान जी समझ गए कि तुलसीदास जी के द्वारा उनका पीछा किया जा रहा है, इसलिए वे वहीं रुक गए।
  • हनुमान जी के रुकते ही तुलसीदास जी उनके चरणों में गिर गए और उनसे अपने असली रूप में आने की याचना की।
  • इसके बाद हनुमान जी ने उन्हें अपने असली रूप में दर्शन दिए।
  • तब महर्षि तुलसीदास जी ने प्रथम बार हनुमान जी के ही सामने अपनी लिखी हनुमान चालीसा का पाठ करके सुनाया।
  • इसके बाद तुलसीदास जी ने हनुमान से श्रीराम से मिलने का मार्ग पूछा।
  • तब हनुमान ने उन्हें बताया कि श्रीराम व उनके छोटे भाई लक्ष्मण चित्रकूट में उन्हें मिलेंगे। इसलिए वे उनसे मिलने चित्रकूट जाएं।
  • इसके बाद हनुमान जी तुलसीदास जी के जीवन को एक नयी दिशा देकर वहां से चले गए थे।

हनुमान जी जिस घाट पर तुलसीदास जी के द्वारा रामचरितमानस का पाठ सुनने आया करते थे, वहीं पर तुलसीदास जी के द्वारा Sankat Mochan Hanuman Mandir Varanasi का निर्माण करवाया गया था। इसी कारण आज के समय में इस मंदिर का महत्व बहुत ज्यादा है। इसे वाराणसी का प्राचीन हनुमान मंदिर भी कहा जाता है।

Sankatmochan Hanuman Mandir Varanasi की संरचना

संकट मोचन हनुमान मंदिर वाराणसी की साढ़े आठ एकड़ की भूमि में फैला हुआ है। इसमें मुख्य मंदिर 2 एकड़ की भूमि पर ही स्थित है और बाकी की भूमि को वैसे ही रहने दिया गया है। मंदिर के अलावा बाकी की भूमि एक वन क्षेत्र है। इस वन में हनुमान जी के ही रूप बंदर हजारों की संख्या में यहाँ से वहां घूमते रहते हैं। आइये इस मंदिर की संपूर्ण संरचना के बारे में जान लेते हैं।

  • मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति

मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति इस तरह स्थापित की गयी है कि उसका मुख अपने प्रभु भगवान श्रीराम की ओर है और वे उन्हीं को ही एक टक देखे जा रहे हैं। भगवान हनुमान की मूर्ति के सामने श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण जी की मूर्तियाँ स्थापित है।

  • मंदिर में चढ़ता है विशेष प्रसाद

Sankat Mochan Hanuman Mandir Varanasi में हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं व भगवान हनुमान से अपने संकटों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। यहाँ भगवान हनुमान को बेसन के लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इन लड्डुओं को मंदिर में ही विशेष सामग्री के साथ देसी घी में बनाकर तैयार किया जाता है जिसे बांस के डिब्बे में पैक करके भक्तों को दिया जाता है। इस प्रसाद की ख्याति देश ही नही अपितु विदेशों में भी है।

  • चोला व सिंदूर चढ़ाने की भी है परंपरा

यहाँ आने वाले भक्तगण हनुमान जी को चमेली के तेल में मिला सिंदूर चढ़ाते हैं। इसके अलावा चोला वस्त्र जो कि पीले रंग का होता है वो भी चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी हर मान्यता पूरी होती है। इसी के साथ वहां के बंदरों को भी भक्तगण केले व अन्य फल खाने को देते हैं।

  • अप्रैल में होता है संगीत समारोह

Sankat Mochan Mandir Varanasi में हर वर्ष भक्तों के लिए एक विशेष संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है जो अप्रैल माह में लगता है। इस समारोह में देश-विदेश से कई हनुमान मंडली, गायक, कलाकार अपनी प्रतिभा दिखाने आते हैं। मंदिर में कलाकार अपनी प्रस्तुति देने के लिए किसी प्रकार का शुल्क नही लेते हैं।

  • अन्य आयोजन

भक्तगण यहाँ विशेष रूप से मंगलवार व शनिवार के दिन आते हैं। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। संगीत समारोह के अलावा यहाँ पर विशेष आयोजन रामनवमी, हनुमान जयंती, दीपावली इत्यादि त्यौहारों पर किया जाता है।

संकट मोचन मंदिर वाराणसी दर्शन समय

मंदिर प्रातः 5 बजे खुल जाता है। इस समय सुबह की आरती होती है व साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। सुबह की आरती विभिन्न ढोल-नगाड़ों व मंत्रों के साथ की जाती है। मंदिर दोपहर के समय 12 से 3 बजे के बीच बंद रहता है। इसके बाद संध्या की आरती 9 बजे होती है व उसके बाद मंदिर बंद हो जाता है। मौसम में परिवर्तन के अनुसार आरती के समय में भी थोड़ा बहुत परिवर्तन संभव है।

Sankat Mochan Hanuman Mandir Banaras हर दिन अपने भक्तों के लिए खुला रहता है। इस तरह से आप सोमवार से लेकर रविवार, सप्ताह के किसी भी दिन मंदिर में जाकर हनुमान जी के दर्शन कर सकते हैं। बस दोपहर के समय हनुमान जी विश्राम करते हैं। इस कारण 12 बजे से लेकर 3 बजे तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं।

संकटमोचन मंदिर वाराणसी पर हुआ था आतंकवादी हमला

सन 2006 में वाराणसी शहर में आंतकवादियों के द्वारा 3 विस्फोट किये गए थे। इसमें से एक विस्फोट इस मंदिर के अंदर भी हुआ था। उस समय मंदिर में आरती हो रही थी व भारी मात्रा में श्रद्धालु यहाँ उपस्थित थे। इस विस्फोट में मंदिर में करीब 7 से 10 भक्तों की जान चली गयी थी व 35 से 40 भक्त घायल हो गए थे।

इस विस्फोट के बाद से मंदिर परिसर की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया था। अब Sankatmochan Hanuman Mandir Varanasi में नियमित रूप से पुलिस के सिपाही तैनात रहते हैं। साथ ही समय-समय पर वरिष्ठ अधिकारी यहाँ की निगरानी करते रहते हैं।

संकटमोचन हनुमान मंदिर वाराणसी कैसे पहुंचें?

यह मंदिर भारत के सबसे बड़े व प्राचीन धार्मिक शहर वाराणसी में स्थित है जो भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का संसदीय क्षेत्र भी है। यहाँ के लिए आपको देश के सभी बड़े शहरों से रेलगाड़ी व बस की सुविधा मिल जाएगी। इसी के साथ अब यहाँ एअरपोर्ट भी बन चुका है। इसलिए आप यहाँ किसी भी मार्ग से आ सकते हैं। साथ ही यहाँ पर असंख्य होटल, रेस्टोरेंट, धर्मशाला, होमस्टे, कमरे इत्यादि की सुविधा भी उपलब्ध है।

इस तरह से आज आपने संकट मोचन हनुमान मंदिर वाराणसी (Sankat Mochan Hanuman Mandir Varanasi) के बारे में समूची जानकारी ले ली है। अब यदि आप वाराणसी की यात्रा पर जाएं तो अवश्य ही यहाँ के प्रसिद्ध व मान्यता प्राप्त हनुमान मंदिर भी जाएं।

संकटमोचन मंदिर वाराणसी से संबंधित प्रश्नोत्तर

संकट मोचन मंदिर काशी की किस दिशा में है?

उत्तर: संकट मोचन मंदिर काशी की दक्षिण दिशा में है जो हनुमान जी को समर्पित है इसका निर्माण महर्षि गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा करवाया गया था

प्रश्न: संकट मोचन मंदिर कितना पुराना है?

उत्तर: काशी का संकट मोचन मंदिर लगभग 400 से 500 वर्ष पुराना है इसे गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा सोलहवीं शताब्दी में बनवाया गया था

प्रश्न: वाराणसी में संकट मोचन क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: वाराणसी में संकट मोचन मंदिर वही जगह है जहाँ पर हनुमान जी तुलसीदास जी का रामायण पाठ सुनने आया करते थे

प्रश्न: संकट मोचन मंदिर किसने बनवाया था?

उत्तर: संकट मोचन मंदिर गोस्वामी तुलसीदास जी ने बनवाया था इसी जगह पर ही हनुमान जी ने तुलसीदास जी को दर्शन दिए थे

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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