सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa): माँ सरस्वती को संगीत व विद्या की देवी माना गया है। यदि मनुष्य के पास शिक्षा या बुद्धि का ही अभाव होगा तो वह कभी भी प्रगति नहीं कर सकता है। यही कारण है कि हर छात्र के द्वारा मुख्यतया माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। यहाँ तक कि हम शिक्षा से जुड़ी हरेक वस्तु को माँ सरस्वती का ही रूप मानते हैं। ऐसे में यदि हम प्रतिदिन सरस्वती चालीसा का पाठ करेंगे तो यह बहुत ही शुभकारी होता है।
इसी के साथ ही हम आपको सरस्वती चालीसा हिंदी में PDF (Saraswati Chalisa PDF) फाइल और इमेज भी देंगे। ऐसे में आपको आगे भी सरस्वती चालीसा का पाठ करना हो तो आप इसे डाउनलोड कर अपने मोबाइल में सेव कर सकते हैं। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं सरस्वती जी की चालीसा।
Saraswati Chalisa | सरस्वती चालीसा
॥ दोहा ॥
जनक जननि पद कमल रज,
निज मस्तक पर धारि।
बन्दौं मातु सरस्वती,
बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव,
महिमा अमित अनंतु।
रामसागर के पाप को,
मातु तुही अब हन्तु॥
॥ चौपाई ॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी,
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी।
जय जय जय वीणाकर धारी,
करती सदा सुहंस सवारी।
रूप चतुर्भुजधारी माता,
सकल विश्व अन्दर विख्याता।
जग में पाप बुद्धि जब होती,
जबहि धर्म की फीकी ज्योती।
तबहि मातु ले निज अवतारा,
पाप हीन करती महि तारा।
बाल्मीकि जी थे हत्यारे,
तव प्रसाद जानै संसारा।
रामायण जो रचे बनाई,
आदि कवि की पदवी पाई।
कालिदास जो भये विख्याता,
तेरी कृपा दृष्टि से माता।
तुलसी सूर आदि विद्धाना,
भये और जो ज्ञानी नाना।
तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा,
केवल कृपा आपकी अम्बा।
करहु कृपा सोइ मातु भवानी,
दुखित दीन निज दासहि जानी।
पुत्र करै अपराध बहूता,
तेहि न धरइ चित सुन्दर माता।
राखु लाज जननी अब मेरी,
विनय करूं बहु भाँति घनेरी।
मैं अनाथ तेरी अवलम्बा,
कृपा करऊ जय जय जगदम्बा।
मधु कैटभ जो अति बलवाना,
बाहुयुद्ध विष्णू से ठाना।
समर हजार पांच में घोरा,
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा।
मातु सहाय कीन्ह तेहि काला,
बुद्धि विपरीत करी खलहाला।
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी,
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी।
चंड मुण्ड जो थे विख्याता,
छण महु संहारेउ तेहिमाता।
रक्तबीज से समरथ पापी,
सुरमुनि हृदय धरा सब काँपी।
काटेउ सिर जिम कदली खम्बा,
बार बार बिनऊँ जगदम्बा।
जगप्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा,
छण में वधे ताहि तू अम्बा।
भरत-मातु बुद्धि फेरेऊ जाई,
रामचन्द्र बनवास कराई।
एहिविधि रावन वध तू कीन्हा,
सुर नर मुनि सबको सुख दीन्हा।
को समरथ तव यश गुन गाना,
निगम अनादि अनंत बखाना।
विष्णु रूद्र अज सकहिन मारी,
जिनकी हो तुम रक्षाकारी।
रक्त दन्तिका और शताक्षी,
नाम अपार है दानव भक्षी।
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा,
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा।
दुर्ग आदि हरनी तू माता,
कृपा करहु जब जब सुखदाता।
नृप कोपित जो मारन चाहै,
कानन में घेरे मृग नाहै।
सागर मध्य पोत के भंजे,
अति तूफान नहिं कोऊ संगे।
भूत प्रेत बाधा या दुःख में,
हो दरिद्र अथवा संकट में।
नाम जपे मंगल सब होई,
संशय इसमें करइ न कोई।
पुत्रहीन जो आतुर भाई,
सबै छांड़ि पूजें एहि माई।
करै पाठ नित यह चालीसा,
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा।
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै,
संकट रहित अवश्य हो जावै।
भक्ति मातु की करैं हमेशा,
निकट न आवै ताहि कलेशा।
बंदी पाठ करें शत बारा,
बंदी पाश दूर हो सारा।
राम सागर बाधि सेतु भवानी,
कीजै कृपा दास निज जानी।
॥ दोहा ॥
माता सूर्य कान्ति तव,
अंधकार मम रूप।
डूबन से रक्षा करहु,
परूँ न मैं भव कूप॥
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि,
सुनहु सरस्वति मातु।
राम सागर अधम को,
आश्रय तू ही ददातु॥
सरस्वती चालीसा इमेज | Full Saraswati Chalisa Image
यह रही सरस्वती चालीसा की इमेज:
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सरस्वती चालीसा हिंदी में PDF | Saraswati Chalisa PDF
अब हम Saraswati Chalisa PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: सरस्वती चालीसा हिंदी में PDF
ऊपर आपको लाल रंग में सरस्वती चालीसा हिंदी में PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) पढ़ ली है। यदि आपको सरस्वती चालीसा हिंदी में PDF फाइल या इमेज डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
सरस्वती चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: माता सरस्वती का सरल मंत्र क्या है?
उत्तर: माता सरस्वती का सरल मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः” है।
प्रश्न: सरस्वती मंत्र का जाप कैसे करें?
उत्तर: आप किसी भी समय सरस्वती माता का ध्यान कर उनके मंत्र का जाप कर सकते हैं।
प्रश्न: सरस्वती मंत्र कितनी बार बोलना चाहिए?
उत्तर: वैसे तो आप कितनी भी बार सरस्वती मंत्र का जाप कर सकते हैं लेकिन यदि आप दिन में 108 बार सरस्वती मंत्र का जाप करते हैं तो यह आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।
प्रश्न: माता सरस्वती की प्रार्थना कैसे करें?
उत्तर: यदि आप सरस्वती माता की प्रार्थना करना चाहते हैं तो निश्चित तौर पर आपको सरस्वती माता की चालीसा, आरती व वंदना करनी चाहिए।
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