शनिदेव आरती – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Shani Dev Aarti

आज हम शनि देव आरती (Shani Dev Aarti) का पाठ करेंगे। शनि देव यदि रूठ जाते है तो बहुत मुश्किल से मानते हैं। ऐसे में हम सभी को हर शनिवार के दिन शनि देव आरती मुख्य रूप से करनी चाहिए और शनि मंदिर भी होकर आना चाहिए।

आज के इस लेख में आपको शनिदेव आरती (Shanidev Aarti) हिंदी में अर्थ सहित भी पढ़ने को मिलेगी। इतना ही नहीं, आज हम आपको शनि आरती पढ़ने से क्या कुछ लाभ मिलते हैं और उसका क्या महत्व है, यह भी बताएँगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं शनि देव आरती हिंदी में।

Shani Dev Aarti | शनि देव आरती

जय जय शनि देव महाराज,
जग के संकट हरने वाले।

तुम सूर्यपुत्र बलधारी,
भय मानत दुनिया सारी जी।
साधत हो दुर्लभ काज॥

तुम धर्मराज के भाई,
जब क्रूरता पाई जी।
घन गर्जन करत आवाज॥

तुम नील देव विकराली,
भैंसा पर करत सवारी जी।
कर लोह गदा रह साज॥

तुम भूपति रंक बनाओ,
निर्धन सिर छत्र धराओ जी।
समरथ हो करन ममकाज॥

राजा को राज मिटाओ,
जिन भगतों फेर दिवायो जी।
जग में हो गयी जय जयकार॥

तुम हो स्वामी,
हम चरणं सिर करत नमामी जी।
पूर्ण हो जन जन की आस॥

यह पूजा देव तिहारी,
हम करत दीन भाव ते पारी जी।
अंगीकृत करो कृपालजी॥

प्रभु सुधि दृष्टि निहारौ,
क्षमिये अपराध हमारो जी।
है हाथ तिहारे ही लाज॥

हम बहुत विपत्ति घबराए,
शरणागत तुम्हरी आये जी।
प्रभु सिद्ध करो सब काज॥

यह विनय कर जोर के,
भक्त सुनावें जी।
तुम देवन के सिर ताज॥

जय जय शनि देव महाराज,
जग के संकट हरने वाले।

Shanidev Aarti | शनिदेव आरती – अर्थ सहित

जय जय शनि देव महाराज, जग के संकट हरने वाले।

हे शनि देव, आपकी जय हो, जय हो। आप ही इस जगत के सभी संकटों का समाधान करते हो।

तुम सूर्यपुत्र बलधारी, भय मानत दुनिया सारी जी।
साधत हो दुर्लभ काज॥

आप सूर्य देव के पुत्र हैं और इस दुनिया में कुछ भी गलत काम करने पर सभी को आपका भय बना रहता है। आप हम सभी के मुश्किल काम भी आसानी से बना देते हो।

तुम धर्मराज के भाई, जब क्रूरता पाई जी।
घन गर्जन करत आवाज॥

आप ही धर्मराज अर्थात स्वयं यमराज के भाई हैं, आप क्रूर लोगों के साथ उनसे भी क्रूर व्यवहार करते हो। आपका क्रोध बादलों की गर्जना से भी अत्यधिक तेज है।

तुम नील देव विकराली, भैंसा पर करत सवारी जी।
कर लोह गदा रह साज॥

आपका रूप नीला व अत्यधिक विशाल है, आप भैंस पर सवारी करते हैं। आप अपने हाथ में हमेशा लोहे की गदा साथ में रखते हैं।

तुम भूपति रंक बनाओ, निर्धन सिर छत्र धराओ जी।
समरथ हो करन ममकाज॥

आप दुष्ट अमीर लोगों को निर्धन बना देते हो और संत निर्धन लोगों को अपनी छत्रछाया में रखते हो। आप हम सभी के कार्यों को कुछ ही पलों में बना देते हो।

राजा को राज मिटाओ, जिन भगतों फेर दिवायो जी।
जग में हो गयी जय जयकार॥

जो राजा धर्म के अनुसार कार्य नहीं करते, उन पर आपकी दृष्टि पड़ते ही उनका सिंहासन चला जाता है, फिर आप अपने भक्तों और सद्पुरुषों को राज सिंहासन सौंपते हो। इसी कारण संपूर्ण जगत में आपकी जय-जयकार होती है।

तुम हो स्वामी, हम चरणं सिर करत नमामी जी।
पूर्ण हो जन जन की आस॥

आप हम सभी के स्वामी हो और इसी कारण हम सिर झुकाकर आपके चरणों में प्रणाम करते हैं। आप हम सभी के कार्यों व आशाओं को पूर्ण कीजिए शनि देव।

यह पूजा देव तिहारी, हम करत दीन भाव ते पारी जी।
अंगीकृत करो कृपालजी॥

हम सभी इस आरती के माध्यम से आपकी पूजा करते हैं, हम सभी का मन दीन भाव से आपको ही देख रहा है। इसलिए हम सभी का उद्धार कीजिए।

प्रभु सुधि दृष्टि निहारौ, क्षमिये अपराध हमारो जी।
है हाथ तिहारे ही लाज॥

हे शनि देव!! हम पर अपनी अच्छी दृष्टि रखें और हमारे सभी अपराध को क्षमा कर दीजिए। अपने भक्तों के मान-सम्मान की लाज रख लीजिए।

हम बहुत विपत्ति घबराए, शरणागत तुम्हरी आये जी।
प्रभु सिद्ध करो सब काज॥

हम संकटों से बहुत घबरा गए हैं और भयभीत हैं। इसी कारण हम सभी आपकी शरण में आये हैं। अब आप ही हम सभी के कार्य पूरे करें।

यह विनय कर जोर के, भक्त सुनावें जी।
तुम देवन के सिर ताज॥

हम सभी भक्तगण आपसे यही विनती करते हैं और पूरा जोर लगाकर आपसे याचना करते हैं। आप ही सभी देवताओं के सिर के ताज हैं अर्थात आपकी कृपा से ही उनके सिर पर मुकुट सुशोभित है।

शनिदेव आरती का महत्व

नव ग्रहों में केवल शनि ग्रह ही ऐसे है, जिनसे हर कोई भय खाता है। हालाँकि दो और ग्रह है जिनसे लोग भय खाते हैं। उन्हें राहु और केतु के नाम से जाना जाता है लेकिन ये दोनों ग्रह पाप ग्रह की श्रेणी में आते हैं। शनि ग्रह ही ऐसा है जो देवता है लेकिन वे मनुष्यों को दंड भी देते हैं। हालाँकि यह केवल मनुष्य के बुरे कर्म के लिए ही उसे दण्डित करते हैं।

ऐसे में शनि देव आरती के माध्यम से यह बताया गया है कि शनि देव किन-किन चीज़ों से प्रसन्न होते हैं। साथ ही उनकी महिमा, गुणों और शक्तियों का भी वर्णन किया गया है। शनिदेव आरती करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा हम पर बरसाते हैं। यहीं शनि देव आरती का महत्व होता है।

शनि देव आरती पढ़ने के लाभ

शनिदेव आरती पढ़ने से एक या दो नहीं बल्कि कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। सबसे पहला लाभ तो यहीं होता है कि आप पर शनि देव की टेढ़ी नज़र हटती है। वही यदि आपकी कुंडली में किसी तरह का शनि दोष है तो वह भी दूर होता है। शनि देव की कृपा से समाज में आपकी प्रतिष्ठा और सम्मान में वृद्धि देखने को मिलती है।

जो लोग प्रतिदिन शनिदेव आरती का पाठ करते हैं, उनके घर में आर्थिक संपन्नता भी आती है। व्यवसाय या नौकरी में किसी तरह की समस्या आ रही थी तो वह दूर हो जाती है। करियर या शिक्षा संबंधित हर तरह की बाधाएं स्वतः ही दूर होने लगती है। इसलिए हर किसी को कम से कम शनिवार के दिन तो शनि देव आरती का पाठ करना चाहिए। यहीं शनि देव आरती के लाभ होते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने शनि देव आरती (Shani Dev Aarti) पढ़ ली है। साथ ही आपने शनिदेव आरती पढ़ने से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट करें। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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