शुक्रवार आरती (Shukrawar Aarti) | आरती शुक्रवार की (Aarti Shukrawar Ki)

Shukrawar Ki Aarti

शुक्रवार की आरती (Shukrawar Ki Aarti) – महत्व व लाभ सहित

शुक्रवार के दिन को संतोषी माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। शुक्रवार की आरती (Shukrawar Ki Aarti) संतोषी माता को ही समर्पित होती है जो उनके महत्व व गुणों के बारे में बताती है। संतोषी माता को भगवान गणेश व माता रिद्धि-सिद्धि की पुत्री के रूप में जाना जाता है। यदि उनकी कृपा हो जाये तो मनुष्य को अपने जीवन में संतोष प्राप्त होता है।

यही कारण है कि आज के इस लेख में हम आपके साथ शुक्रवार आरती (Shukrawar Aarti) के माध्यम से संतोषी माता की आराधना करने जा रहे हैं। इसी के साथ ही आपको शुक्रवार की आरती को पढ़ने के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे। तो आइये सबसे पहले पढ़ते हैं आरती शुक्रवार की (Aarti Shukrawar Ki)।

शुक्रवार आरती (Shukrawar Aarti)

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन को, सुख संपत्ति दाता॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।

सुन्दर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो॥
जय संतोषी माता…॥

गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी, त्रिभुवन मन मोहे॥
जय संतोषी माता…॥

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे।
धूप दीप नैवेद्य मधुमेवा भोज धरे न्यारे॥
जय संतोषी माता…॥

गुड़ अरु चना परम प्रिय, तामें संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥
जय संतोषी माता…॥

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली आई, कथा सुनत मोही॥
जय संतोषी माता…॥

मन्दिर जग मग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई॥
जय संतोषी माता…॥

भक्ति-भाव मय पूजा, अंगीकृत कीजे।
जो मन बसे हमारे, इच्छाफल दीजे॥
जय संतोषी माता…॥

दुःखी दरिद्री रोगी, संकट मुक्त किये।
बहुधन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिये॥
जय संतोषी माता…॥

ध्यान धरे जो तेरा, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो॥
जय संतोषी माता…॥

शरण गहे की लज्जा, रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी मां अम्बे॥
जय संतोषी माता…॥

सन्तोषी मां की आरती, जो कोई जन गावे।
ऋद्धि-सिद्धि सुख संपत्ति, जी भरके पावे॥

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन को, सुख संपत्ति दाता॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।

शुक्रवार की आरती (Shukrawar Ki Aarti) – महत्व

बहुत ही कम लोगों को यह पता होता है कि संतोषी माता को भगवान गणेश की पुत्री माना जाता है। हालाँकि वेदों और शास्त्रों में इसका वर्णन नहीं मिलता है और इसी कारण इसको लेकर बहुत विरोधावास है। हालाँकि हमें विरोध से दूर संतोषी माता के गुणों का ध्यान करना चाहिए जो शुक्रवार की आरती के माध्यम से बताये गए हैं।

ऐसे में संतोषी माता का हमारे जीवन में क्या स्थान है, किस उद्देश्य के तहत उनका नाम लिया जाता है और उनका हम सभी के लिए क्या महत्व है, इसी को ही शुक्रवार आरती के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है। ऐसे में संतोषी माता के बारे में परिचय देने और उनकी आराधना करने के कारण ही शुक्रवार की आरती का महत्व बढ़ जाता है।

आरती शुक्रवार की (Aarti Shukrawar Ki) – लाभ

यदि आप हर शुक्रवार को संतोषी माता का ध्यान कर सच्चे मन के साथ शुक्रवार की आरती का पाठ करते हैं तो अवश्य ही आप पर और आपके परिवार पर संतोषी माता की कृपा होती है। इस विश्व में मनुष्य को चाहे सब कुछ मिल जाये, फिर चाहे वह धन हो, वस्तु हो, उन्नत भविष्य हो या अच्छे रिश्ते लेकिन यदि उसे संतोष नहीं मिलता है तो उसका मन कहीं भी नहीं लगता है।

ऐसे में शुक्रवार आरती के माध्यम से हम अपने अंदर संतोष की भावना को जागृत करते हैं। यदि मनुष्य के अंदर संतोष की भावना आ गयी तो वह हर काम में प्रसन्न रहता है। वर्तमान समय में संतोष ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। ऐसे में संतोषी माता की कृपा पाने के लिए आपको हर शुक्रवार को उनके नाम की आरती करनी चाहिए।

शुक्रवार की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: संतोषी माता का मंत्र क्या है?

उत्तर: संतोषी माता का मंत्र “ॐ श्री संतोषी महामाया गजानंदम दायिनी। शुक्रवार प्रिये देवी नारायणी नमोस्तुते॥” है जिसका जाप आप शुक्रवार के दिन कर सकते हैं।

प्रश्न: संतोषी माता को खुश कैसे करें?

उत्तर: यदि आप संतोषी माता को खुश करना चाहते हैं तो हर शुक्रवार के दिन संतोषी माता के रूप का ध्यान कर उनके नाम की आरती व चालीसा का पाठ करना शुरू कर दीजिये।

प्रश्न: संतोषी माता की पूजा कितने बजे करनी चाहिए?

उत्तर: संतोषी माता की पूजा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ समय सुबह का ही होता है। हालाँकि आप सुबह या शाम किसी भी समय संतोषी माता की पूजा कर सकते हैं लेकिन सूर्योदय के समय को सबसे शुभ माना जाता है।

प्रश्न: संतोषी माता को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए?

उत्तर: संतोषी माता की पूजा में आप उन्हें कमल का पुष्प चढ़ा सकते हैं। कमल का पुष्प उन्हें बहुत ही प्रिय होता है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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