जानिए मारीच के बारे में जिसने माता सीता का हरण करवाने में सहायता की

Mama Marich information in Hindi

मारीच सुंद राक्षस व ताड़का का पुत्र था जो अगस्त्य मुनि के श्राप के कारण राक्षस बन गया था (Marich kaun tha in Hindi)। रामायण में उसकी अहम भूमिका थी क्योंकि भगवान राम ने शुरूआती राक्षसों में जिनसे युद्ध किया था उनमे एक मारीच भी था व साथ ही माता सीता के अपहरण करवाने में भी उसका अहम योगदान था (Mama Marich ki katha)। आज हम मारीच के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक का जीवन जानेंगे (Marich in Ramayana in Hindi)।

मारीच का जन्म (Marich information in Hindi)

एक समय में यक्ष के राजा सुकेतु (Suketu in Ramayana) ने भगवान ब्रह्मा से ताड़का के रूप में एक बलवान संतान मांगी। ब्रह्मा ने उन्हें हज़ार हाथियों के बल के समान ताड़का पुत्री दी। ताड़का का विवाह सुंद से हुआ जिससे उसे सुबाहु व मारीच नामक दो पुत्र हुए (Marich Ramayan mother name)। एक दिन अगस्त्य मुनि के श्राप के कारण सुंद जलकर भस्म हो गया व ताड़का व उसके दोनों पुत्र राक्षस बन गए जो नरभक्षी व दिखने में अत्यंत कुरूप थे (Subahu in Ramayana)।

भगवान राम से युद्ध (Mama Marich ki katha)

अगस्त्य मुनि से मिले श्राप के फलस्वरूप मारीच अपनी माँ ताड़का के साथ अयोध्या के निकट सरयू किनारे एक वन में आकर रहने लगा (Marich kaun tha in Hindi)। अब वह प्रतिदिन अपनी माँ व भाई के साथ मिलकर वहां के ऋषि मुनियों को तंग करता था व उनके यज्ञ में बाधा पहुंचाता था। उसी वन में ऋषि विश्वामित्र भी रहते थे जो उनके प्रकोप से परेशान थे। इसी कारण वे अयोध्या के राजकुमारों श्रीराम व लक्ष्मण को अपने साथ सुरक्षा के लिए लेकर आये।

जब ऋषि विश्वामित्र यज्ञ कर रहे थे तब मारीच अपने भाई सुबाहु के साथ उनका यज्ञ विध्वंस करने वहां आ पहुंचा लेकिन वहां पहले से ही भगवान श्रीराम व लक्ष्मण उनके यज्ञ की सुरक्षा कर रहे थे। यह देखकर उन दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ। उस युद्ध में मारीच का भाई सुबाहु मारा गया व वह स्वयं बाण के आघात से दूर समुंद्र में जाकर गिरा। इसके पश्चात उसकी माँ ताड़का का भी वध हुआ।

रावण का सहायता मांगना व मारीच का उससे विवाद (Ramayan Marich Ravan samvad)

भगवान श्रीराम व लक्ष्मण से युद्ध में बुरी तरह पराजित होने के पश्चात मारीच ने सभी तरह के बुरे कर्मों को त्याग दिया था व एक साधु बन गया था। अब वह वही समुंद्र किनारे भगवान शिव की स्तुति करता था व भक्ति में मगन रहता था। एक दिन रावण माता सीता के अपहरण करने के उद्देश्य से मारीच से सहायता मांगने पहुंचा व उसके सामने यह प्रस्ताव रखा।

रावण का प्रस्ताव पाकर मारीच ने उसका विरोध किया व माता सीता का अपहरण व भगवान श्रीराम से बैर लेने को मना किया (Marich ne Ravan ko kya samjhaya)। यह सुनकर रावण अत्यंत क्रोधित हो गया व मारीच के द्वारा सहायता ना किये जाने पर उसे मारने तक की धमकी दे डाली। मारीच ने जब सोचा कि अब रावण को समझाने का कोई प्रयास सफल नही होगा तब वह उसकी सहायता करने को तैयार हो गया।

मारीच का सुंदर मृग बनना व माता सीता का अपहरण (Mata Sita ka apharan)

इसके बाद मारीच रावण के पुष्पक विमान में बैठकर पंचवटी के वनों में गया जहाँ भगवान राम की कुटिया थी। मारीच ने अपनी मायावी शक्तियों से एक सुंदर मृग (Sone ka hiran) का रूप धारण किया व उनकी कुटिया के आसपास विचरण करने लगा। माता सीता ने जब उसे देखा तो भगवान राम को उसे अपने लिए लाने को कहा।

भगवान राम उसे लेने के लिए दौड़े तो वह भागने लगा। भागते-भागते वह उन्हें बहुत दूर ले गया व अंत में भगवान राम ने अपने धनुष बाण से उसका वध कर दिया। मरते हुए मारीच अपने असली रूप में आ गया व भगवान राम की आवाज़ में जोर-जोर से अपने प्राणों की रक्षा के लिए चिल्लाने लगा जिसके परिणामस्वरूप लक्ष्मण अपने बड़े भाई की सहायता के लिए उनके पास आये। पीछे से माता सीता को अकेला पाकर रावण ने उनका अपहरण कर लिया।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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