आज हम सूर्य अर्घ्य मंत्र (Surya Arghya Mantra) के बारे में जानेंगे। हिंदू धर्म में प्रातःकाल सूर्य देव को जल चढ़ाने या अर्घ्य देने की परंपरा है। इससे हमारे शरीर को कई शारीरिक व मानसिक लाभ मिलते हैं। सूर्य देव को जल चढ़ाते समय मंत्रोच्चार करना भी अति-आवश्यक बताया गया है क्योंकि इसके बिना इस विधि का संपूर्ण लाभ नही मिलता। इस मंत्र को सूर्य जल अर्पण मंत्र भी कहा जाता है क्योंकि इसमें हम सूर्य देव को जल ही अर्पित कर रहे होते हैं।
इस लेख में आपको सूर्य को जल देने का मंत्र (Surya Ko Jal Dene Ka Mantra) तो पढ़ने को मिलेगा ही बल्कि उसी के साथ ही हरेक मंत्र का क्या अर्थ है, यह भी जानने को मिलेगा। यदि मंत्रों का अर्थ जानकर उनका उच्चारण किया जाए तो इससे अधिक लाभ मिलता है। तो आइए जाने सूर्य को जल चढ़ाने का मंत्र।
Surya Arghya Mantra | सूर्य अर्घ्य मंत्र
सूर्य देव के 12 नाम होते हैं जिनका हमे सूर्य को जल देते समय उच्चारण करना चाहिए। इन्हें ही सूर्य को जल देने का मंत्र कहते हैं या यूँ कहें कि इन मंत्रों को सूर्य देव को जल चढ़ाते समय बोलना चाहिए। यह मंत्र कोई बहुत बड़े मंत्र नहीं होते हैं बल्कि यह तीन-तीन शब्दों के मंत्र होते हैं। हरेक मंत्र की शुरुआत में ॐ तो अंत में नमः शब्द होता है जबकि बीच में सूर्य देव के बारह नाम होते हैं।
इस तरह से सूर्य जल अर्पण मंत्र (Surya Jal Arpan Mantra) एक नहीं बल्कि बारह हैं। ऐसे में अब हम आपको एक-एक करके क्रमशः 12 मंत्र बताएँगे जिन्हें आपको उसी क्रम में ही बोलना चाहिए।
- ॐ मित्राय नमः
- ॐ रवये नमः
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ भानवे नमः
- ॐ खगाय नमः
- ॐ पूषणे नमः
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ मरीचये नमः
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ सवित्रे नमः
- ॐ अर्काय नमः
- ॐ भास्कराय नमः
यह बारह मंत्र ही सूर्य अर्घ्य मंत्र के नाम से जाने जाते हैं। एक बात का मुख्य तौर पर ध्यान रखें कि आपको इन्हें क्रमानुसार ही बोलना है और इन नामों को ऊपर-नीचे नहीं करना है। आइए अब इन बारह मंत्रों के अर्थ भी जान लेते हैं।
Surya Ko Jal Dene Ka Mantra | सूर्य को जल देने का मंत्र व उसका अर्थ
अब हम बात करेंगे इन सभी मंत्रों के अर्थ के बारे में। वैसे तो इनमें से प्रत्येक मंत्र सूर्य देव का एक नाम ही है लेकिन उनके उस नाम का क्या अर्थ है!! यह जानना भी आवश्यक है। तो आइए जाने सूर्य देव के बारह नामों के अर्थ।
#1. ॐ मित्राय नमः
यह सूर्य देव को हमारा मित्र बताता है। एक मित्र का अर्थ होता है, वह अपने मित्र की यथासंभव सहायता करे। ठीक उसी तरह सूर्य देव के कारण ही हमें अन्न, जल, धन इत्यादि प्राप्त हो पाते हैं। वहीं हम सूर्य देव को प्रसन्न रखने के लिए हरसंभव कार्य करते हैं। इसी कारण सूर्य देव को हम मनुष्य जाति व पृथ्वी के लिए मित्र की संज्ञा दी गई है।
#2. ॐ रवये नमः
रवये का अर्थ प्रकाश से होता है। सूर्य के कारण ही इस पृथ्वी पर प्रकाश संभव है। पृथ्वी का जो हिस्सा सूर्य के पीछे होता है, वहां अंधकार होता है अर्थात रात्रि का समय होता है। इस ब्रह्माण्ड में अथाह अंधकार में हमारे लिए सूर्य ही एकमात्र प्रकाश का साधन है। इसलिए उन्हें प्रकाश का स्रोत या देवता के रूप में देखा जाता है।
#3. ॐ सूर्याय नमः
यह सूर्य देव का मुख्य नाम है जो उन्हें दिया गया है। आपको यदि बारह मंत्र याद नहीं है तो आप केवल उनके इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं। इससे भी आपको संपूर्ण लाभ मिल जाएगा। सूर्य जल अर्पण मंत्र (Surya Jal Arpan Mantra) में यह मंत्र मुख्य मंत्र माना गया है।
अब उन्हें सूर्य नाम ही क्यों दिया गया, यह भी एक रहस्य है। दरअसल सूर्य का अर्थ होता है जो कभी ना रुकता हो और हमेशा गतिमान रहे। ऐसे में ब्रह्मांड के अंदर सूर्य देव हमेशा चलते रहते हैं और कभी रुकते नहीं हैं। इस कारण उन्हें सूर्य नाम दिया गया है।
#4. ॐ भानवे नमः
यह मंत्र सूर्य देव को शक्ति प्रदान करने वाले देवता के रूप में बतलाता है। सूर्य देव के कारण ही हमारे अंदर शक्ति व ऊर्जा का संचार संभव हो पाता है अन्यथा हमारा जीवन संभव नहीं है। ऐसे में यह सूर्य की शक्ति का परिचायक मंत्र है। सूर्य के भानु नाम का अर्थ प्रकाश देने वाले से भी होता है।
#5. ॐ खगाय नमः
यह सूर्य देव को आकाश में विचरण करने वाले पक्षी के रूप में परिभाषित करने वाला मंत्र है। सूर्य देव हमें आकाश में ही दिखाई देते हैं और वहीं फिर से छुप जाते हैं। इसलिए उन्हें आकाश में घूमने वाले पक्षी के रूप में देखा जाता है।
#6. ॐ पूषणे नमः
सूर्य देव के कारण ही हमें हर तरह का पोषण प्राप्त होता है। उनसे मिलने वाले विटामिन के कारण ही हमारी हड्डियाँ मजबूत बनती है। उनकी ऊर्जा से ही खेतों में अन्न व जंगलों में पेड़-पौधे उगते हैं जिनसे हमारा पेट भरता है। यह सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र तो है ही लेकिन इसके साथ ही यह उनके महत्व व उपयोगिता को भी दर्शाता है।
#7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
सूर्य देव के कारण ही हम सभी का जन्म होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि सूर्य देव नहीं होंगे तो हमारा अस्तित्व नहीं हो सकता है। सूर्य देव की कृपा के कारण ही माँ के गर्भ से हमारा जन्म होता है। यही सूर्य देव के इस मंत्र में बताया गया है।
#8. ॐ मरीचये नमः
सूर्य देव हमेशा सकारात्मकता का संदेश देते हैं। वे हमारे जीवन से अंधकार को दूर कर प्रकाश फैलाने का काम करते हैं। ऐसे में सूर्य देव का यह मंत्र हमारे अंदर से बुराई को दूर कर अच्छाई जागृत करने का प्रतिनिधित्व करता है।
#9. ॐ आदित्याय नमः
भगवान सूर्य से ही इस पृथ्वी का शुभारंभ हुआ है। एक तरह से सूर्य देव ही पृथ्वी के रचनाकार हैं और हमारा आदि और अनंत वही हैं। इस कारण सूर्य देव को आदित्य नाम दिया गया है। यह सूर्य को जल देने का मंत्र (Surya Ko Jal Dene Ka Mantra) तो है ही लेकिन इसी के साथ ही यह सूर्य देव के महान रूप को दिखाता है।
#10. ॐ सवित्रे नमः
यह सूर्य देव की पवित्रता को दर्शाता है। इसके माध्यम से हमारा मन भी पवित्र होता है और सकारात्मक ऊर्जा का हमारे अंदर प्रवेश होता है। सूर्य देव के अंदर इतनी शक्ति होती है कि उसके माध्यम से तन व मन दोनों पवित्र हो जाते हैं।
#11. ॐ अर्काय नमः
यह सूर्य देव को महानतम बताने के लिए कहा गया मंत्र है। सूर्य देव इस पृथ्वीवासियों के लिए सबसे महान देवता व ईश्वर हैं। इसी कारण जब स्वयं भगवान विष्णु भी मनुष्य अवतार में जन्म लेते हैं तो वे सूर्य देव की आराधना करते हैं।
#12. ॐ भास्कराय नमः
सूर्य देव हम सभी को जागृत करने का काम करते हैं। अब हम सभी सुबह सूर्योदय के समय या उजाला होने के बाद ही उठते हैं। ऐसे में सूर्य देव केवल हमें जागृत करने का ही नहीं बल्कि हमारे मन को भी जागृत करने का काम करते हैं। इससे हमारे अंदर नए-नए विचार आते हैं और हम उन्नति करते हैं।
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने सूर्य अर्घ्य मंत्र (Surya Arghya Mantra) के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। आज आपने इन मंत्रों के साथ-साथ उनके अर्थ को भी जान लिया है। ऐसे में आगे से जब भी आप सूर्य देव को जल चढ़ाएं तो इन मंत्रों का जाप करना ना भूलें।
सूर्य अर्घ्य मंत्र से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र क्या है?
उत्तर: सूर्य को अर्घ्य देने का एक नहीं बल्कि कुल बारह मंत्र होते हैं जिनके बारे में हमने आपको इस लेख में अर्थसहित बताया है।
प्रश्न: सूर्य को अर्घ देते समय क्या बोलना चाहिए?
उत्तर: सूर्य को अर्घ देते समय आपको सूर्य देव के बारह नाम बारह मंत्रों की सहायता से बोलने होते हैं। इनके बारे में हमने आपको इस लेख में बताया है।
प्रश्न: सूर्य का मूल मंत्र क्या है?
उत्तर: सूर्य का मूल मंत्र “ॐ सूर्याय नमः” होता है जिसका जाप आप कभी भी कर सकते हैं।
प्रश्न: सूर्य को जल देते समय क्या बोले?
उत्तर: सूर्य को जल देते समय 12 मंत्रों का जाप किया जाता है। इन सभी मंत्रों के बारे में हमने इस लेख में विस्तार से जानकारी दी है।
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जय श्री राम।
आप जी की वेबसाइट को बिना फेसबुक , इंस्टाग्राम इनस्टॉल किये कैसे प्रयोग में लाएं। आप इस संबंधी सॉफ्टवेयर / एप्लीकेशन उपलब्ध करा दीजिये।
जय श्री राम ।
जी अभी इसके लिए सुविधा नही है लेकिन भविष्य में यदि यह संभव हो पाया तो अवश्य ही इस पर कार्य किया जाएगा।
Your 6th mantra is wrongly shown as Om Pushpe namah. It should be Om Pushne namah.
जी आपका आभार। मंत्र को ठीक कर लिया गया है।