चंद्र ग्रहण कैसे होता है? जाने चंद्र ग्रहण के तीनों प्रकारों के बारे में

Chandra Grahan Kaise Lagta Hai

क्या अपने कभी सोचा है कि चंद्र ग्रहण कैसे लगता है (Chandra Grahan Kaise Lagta Hai) और उसके अनुसार उसके कितने प्रकार होते हैं!! चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना होती है। उस समय हमें चंद्रमा दिखाई तो देता है लेकिन उसका रंग लाल या फिर मटमैला होता है अर्थात वह हमें लाल या धुंधले रंग में दिखाई देता है।

अब प्रश्न यह उठता है कि चंद्र ग्रहण कैसे होता है (Chandra Grahan Kaise Hota Hai), यह कितने प्रकार का होता हैं तथा उनमें क्या कुछ अंतर होता हैं? आज हम आपको चंद्र ग्रहण के प्रकारों तथा उनके लगने की स्थिति के बारे में बताएँगे। साथ ही उस दौरान चंद्रमा कैसा दिखाई देता है, इसके बारे में भी जानकारी देंगे। आइये जानते हैं।

Chandra Grahan Kaise Lagta Hai | चंद्र ग्रहण कैसे लगता है?

चंद्र ग्रहण तब लगता हैं जब हमारी पृथ्वी सूर्य तथा चंद्रमा के मध्य में आ जाती हैं जिस कारण चंद्रमा तक सूर्य का प्रकाश नही पहुँच पाता व उस समय चंद्र ग्रहण लग जाता हैं लेकिन पृथ्वी के पीछे चंद्रमा किस स्थिति में हैं यह उस चंद्र ग्रहण के प्रकार को निर्धारित करता हैं।

चंद्र ग्रहण के प्रकारों को समझने से पहले आप यह समझ ले कि चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर तो लगाता हैं लेकिन यह केवल उसके चारो ओर एक रेखा की गोलाई में चक्कर नही लगाता अर्थात यह पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने के साथ-साथ उसकी कक्षा के ऊपर नीचे भी होता हैं। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी की कक्षा पर 5 डिग्री का कोण बनाता हुआ थोड़ा झुका हुआ हैं।

Chandra Grahan Ke Prakar
Chandra Grahan Ke Prakar

ऊपर दिए गए चित्र के माध्यम से आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि चंद्र ग्रहण कैसे होता है (Chandra Grahan Kaise Hota Hai) और उसके तीनों प्रकार कैसे बनते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक ही रेखा में चक्कर लगाने की बजाए कई रेखाओं में चक्कर लगाता है। इसे आप नीचे दिए गए चित्र से समझे।

Lunar Eclipse In Hindi
Lunar Eclipse In Hindi

अब इसमें चंद्रमा के पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने की कई रेखाएं बताई गई है। इस तरह से आप समझ गए होंगे कि चंद्रमा किन-किन रेखाओं में पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। अब जब पृथ्वी सूर्य तथा चंद्रमा के बीच में आती हैं तब चंद्रमा कभी पृथ्वी की कक्षा में ऊपर होता हैं तो कभी नीचे तो कभी बीच में। इस स्थिति के अनुसार चंद्र ग्रहण के तीन प्रकार तय होते हैं जो हमने पहले वाले चित्र में समझाया है।

आइये चंद्रमा के पृथ्वी के चारों ओर घूमने की स्थिति के अनुसार, चंद्र ग्रहण के तीनों प्रकारों के बारे में जान लेते हैं।

  • पूर्ण चंद्र ग्रहण

यह वह स्थिति होती हैं जब सूर्य, पृथ्वी तथा चंद्रमा तीनों एक ही सीधी रेखा में होते है जिससे चंद्रमा तक सूर्य का प्रकाश बिल्कुल भी नही पहुँच पाता। इस स्थिति में चंद्रमा संपूर्ण रूप से पृथ्वी की छाया में ढक जाता हैं।

ऐसी स्थिति में सूर्य का जो प्रकाश पृथ्वी पर पहुँचता हैं वह कई रंगों में विभाजित होता है लेकिन हमारे वायुमंडल में आकर सभी रंग सोख लिए जाते हैं तथा केवल लाल रंग ही बचता है। इसलिये उस समय हमें चंद्रमा पूर्ण रूप से लाल रंग में दिखाई पड़ता हैं।

  • अर्ध चंद्र ग्रहण

इस स्थिति में चंद्रमा पृथ्वी के पीछे तो होता हैं लेकिन वह उसके ठीक पीछे न होकर उसकी कक्षा के थोड़ा ऊपर या नीचे की ओर होता हैं। इस स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी की सतह से टकराकर चंद्रमा तक पहुँचता हैं लेकिन वह उसके कुछ भाग को ही छू पाता हैं।

इस स्थिति में चंद्रमा का कुछ भाग संपूर्ण रूप से पृथ्वी की छाया क्षेत्र में होता हैं जहाँ सूर्य का प्रकाश बिल्कुल भी नही पहुँचता इसलिये वह क्षेत्र हमे लाल दिखाई देता हैं तथा जिस क्षेत्र पर सूर्य का प्रकाश पृथ्वी की सतह से परावर्तित होकर पहुँचता हैं वह हमें मटमैला सा दिखाई पड़ता है जो कि आंशिक लाल होता है। इस स्थिति को अर्ध चंद्र ग्रहण के नाम से जाना जाता है।

  • उपच्छाया चंद्र ग्रहण

इस स्थिति में चंद्रमा पृथ्वी के पीछे ऐसी स्थिति में होता हैं जहाँ वह पूर्ण रूप से पृथ्वी की छाया क्षेत्र में तो होता हैं लेकिन सूर्य का प्रकाश पृथ्वी से परावर्तित होकर संपूर्ण चंद्रमा पर भी पड़ता हैं। ऐसी स्थिति में हमें चंद्रमा का वास्तविक रंग तो नही दिखाई देता लेकिन वह हमें धुंधला या मटमैला दिखाई पड़ता हैं अर्थात इस समय हमें संपूर्ण चंद्रमा आंशिक लाल दिखाई देता हैं। इस स्थिति को उपच्छाया चंद्र ग्रहण का नाम दिया गया है।

आज के इस लेख के माध्यम से आपने चंद्र ग्रहण कैसे लगता है (Chandra Grahan Kaise Lagta Hai) और उसके तीनों प्रकार कैसे बनते हैं, इसके बारे में पूरी जानकारी ले ली है। यदि अभी भी आपके मन में मोई शंका रह गई हो तो आप नीचे कमेंट कर हमसे पूछ सकते हैं।

चंद्र ग्रहण के प्रकार से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: चांद का ग्रहण कैसे लगता है?

उत्तर: चांद का ग्रहण तब लगता है जब वह पृथ्वी के पीछे उस कक्षा में चला जाता है जहाँ सूर्य के किरणें सीधी उस तक ना पहुँच कर पृथ्वी से टकरा कर पहुँचती है

प्रश्न: चंद्र ग्रहण किस ग्रह का कारण बनता है?

उत्तर: चंद्र ग्रहण पृथ्वी ग्रह और सूर्य तारे के कारण होता है पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है जबकि चंद्रमा पृथ्वी का उस दौरान यदि सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक रेखा में आ जाते हैं तो चंद्र ग्रहण होता है

प्रश्न: चंद्र ग्रहण लगे तो क्या करना चाहिए?

उत्तर: यदि चंद्र ग्रहण लगने वाला है तो उस समय आपको अन्न-जल नहीं ग्रहण करना चाहिए इसी के साथ ही आपको मंत्रों का जाप करना चाहिए और भगवान का नाम लेना चाहिए

प्रश्न: चंद्र ग्रहण में क्या क्या सावधानी रखनी चाहिए?

उत्तर: चंद्र ग्रहण के समय आपको ना तो बाहर निकलना चाहिए और ना ही अन्न-जल ग्रहण करना चाहिए इस दौरान गर्भवती महिलाओं को तो घर के अंदर कमरे में बैठना चाहिए

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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