वट सावित्री आरती (Vat Savitri Aarti) – हिंदी अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Vat Savitri Aarti

वट सावित्री व्रत आरती (Vat Savitri Vrat Aarti)

हर वर्ष सनातन धर्म में आस्था रखने वाली करोड़ों विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु व स्वस्थ काया के लिए ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा या अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखती हैं। इस दिन वे सावित्री माता की पूजा कर वट सावित्री आरती (Vat Savitri Aarti) का पाठ करती हैं। मान्यता है कि इससे सावित्री माता की कृपा उन पर बरसती है। सावित्री माता की कृपा से उनके पति की आयु भी लंबी होती है।

ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ वट सावित्री व्रत आरती (Vat Savitri Vrat Aarti) को ही सांझा करने जा रहे हैं। चूँकि वट सावित्री की आरती मराठी भाषा में लिखी गयी है, ऐसे में हम आपके साथ वट सावित्री आरती हिंदी में (Vat Savitri Aarti In Hindi) भी सांझा करेंगे ताकि आप उसका भावार्थ समझ सकें। अंत में वट सावित्री आरती का महत्व व लाभ भी आपके साथ सांझा किया जाएगा। तो आइये सबसे पहले पढ़ते हैं वट सावित्री माता की आरती।

वट सावित्री आरती (Vat Savitri Aarti)

अश्वपती पुसता झाला। नारद सागंताती तयाला।
अल्पायुषी स त्यवंत। सावित्री ने कां प्रणीला।
आणखी वर वरी बाळे। मनी निश्चय जो केला।
आरती वडराजा॥

दयावंत यमदूजा। सत्यवंत ही सावित्री।
भावे करीन मी पूजा। आरती वडराजा।
ज्येष्ठमास त्रयोदशी। करिती पूजन वडाशी।
त्रिरात व्रत करूनीया। जिंकी तू सत्यवंताशी।
आरती वडराजा॥

स्वर्गावारी जाऊनिया। अग्निखांब कचळीला।
धर्मराजा उचकला। हत्या घालिल जीवाला।
येश्र गे पतिव्रते। पती नेई गे आपुला।
आरती वडराजा॥

जाऊनिया यमापाशी। मागतसे आपुला पती।
चारी वर देऊनिया। दयावंता द्यावा पती।
आरती वडराजा॥

पतिव्रते तुझी कीर्ती। ऐकुनि ज्या नारी।
तुझे व्रत आचरती। तुझी भुवने पावती।
आरती वडराजा॥

पतिव्रते तुझी स्तुती। त्रिभुवनी ज्या करिती।
स्वर्गी पुष्पवृष्टी करूनिया। आणिलासी आपुला पती।
अभय देऊनिया। पतिव्रते तारी त्यासी।
आरती वडराजा॥

वट सावित्री आरती हिंदी में (Vat Savitri Aarti In Hindi)

अश्वपती पुसता झाला। नारद सागंताती तयाला।
अल्पायुषी स त्यवंत। सावित्री ने कां प्रणीला।
आणखी वर वरी बाळे। मनी निश्चय जो केला।

सावित्री जी ने अपने पिता अश्वपति के सामने सत्यवान से विवाह करने की इच्छा प्रकट की किन्तु नारद मुनि ने सत्यवान की अल्पायु का रहस्य खोलकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। विवाह के कुछ समय के बाद ही अपनी बेटी के विधवा हो जाने का भविष्य जानकर अश्वपति जी गहरी चिंता में डूब गए और सावित्री को सत्यवान से विवाह नहीं करने को कहा।

दूसरी ओर, सावित्री मन ही मन सत्यवान को अपने पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थी। वह अपने निर्णय पर अडिग थी और उसने अपने पिता के सामने भी इसी इच्छा को प्रकट किया। राजा अश्वपति को अपनी पुत्री की इच्छा के आगे झुकना पड़ा और उन्होंने सावित्री का विवाह सत्यवान से करवा दिया।

दयावंत यमदूजा। सत्यवंत ही सावित्री।
भावे करीन मी पूजा। आरती वडराजा।
ज्येष्ठमास त्रयोदशी। करिती पूजन वडाशी।
त्रिरात व्रत करूनीया। जिंकी तू सत्यवंताशी।

विवाह के पश्चात सावित्री सत्यवान के साथ दांपत्य जीवन का निर्वहन करने लगी लेकिन उसे हर पल उनकी मृत्यु का भय भी सताता रहता था। इसके लिए वह प्रतिदिन ईश्वर की पूजा करती और यमराज से अपने पति को नहीं ले जाने की प्रार्थना करती थी।

आखिरकार सत्यवान की मृत्यु का समय पास आता गया। ज्येष्ठ मास की त्रयोदशी आ गयी थी और तीन दिन के पश्चात सत्यवान की मृत्यु निश्चित थी। इसके लिए सावित्री ने कठिन तप करने की ठान ली और तीन रात का व्रत करना शुरू कर दिया। फिर भी वह नियति को नहीं बदल सकी और तीसरे दिन यमराज आकर सत्यवान की आत्मा को लेकर जाने लगे।

स्वर्गावारी जाऊनिया। अग्निखांब कचळीला।
धर्मराजा उचकला। हत्या घालिल जीवाला।
येश्र गे पतिव्रते। पती नेई गे आपुला।

सावित्री ने अपनी भक्ति की शक्ति का परिचय दिया और वह यमराज के पीछे चल दी। वह यमराज के साथ साथ स्वर्ग तक पहुँच गयी और सभी बाधाओं को पार कर गयी। अपने साथ मनुष्य लोक से आये इस विचित्र प्राणी को देखकर स्वयं धर्मराज भी घबरा गए और दुविधा में पड़ गए। साथ ही यमराज इस पतिव्रता नारी की शक्ति से बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हुए और उन्होंने सावित्री को वरदान मांगने को कहा।

जाऊनिया यमापाशी। मागतसे आपुला पती।
चारी वर देऊनिया। दयावंता द्यावा पती।

सावित्री ने भी यमराज को जाने नहीं दिया और वह उनके सामने अपने पति के जीवन को पुनः लौटने की याचना करती रही। यमराज ने उन्हें चार वरदान मांगने को कहा लेकिन सावित्री ने केवल अपने पति के जीवन को ही लौटाने को कहा।

पतिव्रते तुझी कीर्ती। ऐकुनि ज्या नारी।
तुझे व्रत आचरती। तुझी भुवने पावती।

यह सुनकर यमराज अत्यधिक प्रसन्न हो गए और उन्होंने उस पतिव्रता नारी की कीर्ति का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि तुम जैसी नारी कोई दूसरी नहीं है और मैं तुम्हारी पति भक्ति से बहुत प्रसन्न हुआ हूँ। इसी के साथ ही उन्होंने उसके पति के जीवन को लौटा दिया और उन्हें वापस पृथ्वी लोक पर लौटने का आशीर्वाद दिया।

पतिव्रते तुझी स्तुती। त्रिभुवनी ज्या करिती।
स्वर्गी पुष्पवृष्टी करूनिया। आणिलासी आपुला पती।
अभय देऊनिया। पतिव्रते तारी त्यासी।

हे पतिव्रता सावित्री माता!! हम सभी आपके नाम की स्तुति करते हैं। तीनों लोकों में ही आपकी कीर्ति का वर्णन किया जाता है। स्वर्ग से देवताओं ने भी आपके ऊपर पुष्प वर्षा की थी। आप यमराज से अपने पति को पुनः ले आयी थी और विधि के विधान को बदल दिया था। मैं भी एक पतिव्रता नारी हूँ और आप मेरे पति को भी अभय का वरदान दीजिये। यही मेरी आपसे याचना है।

वट सावित्री व्रत आरती (Vat Savitri Vrat Aarti) – महत्व

कहते हैं कि मृत्यु को कोई टाल नहीं सकता है और ईश्वर के द्वारा जिस व्यक्ति की जितनी आयु लिखी गयी है, वह उससे ज्यादा जीवन नहीं जी सकता है। किन्तु ईश्वर के द्वारा लिखे गए इस विधान को भी सावित्री माता ने अपनी पतिव्रता की शक्ति व भक्ति से बदल डाला था। उनकी भक्ति की शक्ति के आगे स्वयं यमराज को भी झुकना पड़ा था और उन्होंने उसके पति को जीवनदान दे दिया था। इस तरह से सावित्री माता अपने सुहाग की रक्षा करने में सफल हुई थी।

तभी से ही हर सुहागिन महिला अपने पति की रक्षा करने और ईश्वर से उनकी स्वस्थ रहने की कामना करने के लिए वट सावित्री आरती करती आ रही हैं। इस दिन वे सावित्री माता की पूजा करती हैं और वट सावित्री का व्रत रखती हैं। वट सावित्री व्रत आरती के माध्यम से सावित्री माता के बारे में ही बताया गया है। सावित्री माता के गुणों, शक्तियों और भक्ति के बारे में बताने के कारण ही वट सावित्री की आरती का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

वट सावित्री की आरती (Vat Savitri Ki Aarti) – लाभ

यदि आप वट सावित्री व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ रखती हैं, पतिव्रता धर्म का पालन करती हैं और सच्चे मन के साथ वट सावित्री आरती का पाठ करती हैं तो अवश्य ही आपके ऊपर सावित्री माता की कृपा होती है। यदि आपके पति किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं या उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है तो वह ठीक हो जाता है। इतना ही नही, बल्कि आपके पति पहले की तुलना में अधिक शक्तिशाली व ऊर्जावान बनते हैं जिससे आपके घर की उन्नति होती है।

वहीं आप अपने पति की लंबी आयु का आशीर्वाद भी वट सावित्री व्रत आरती के माध्यम से पा सकती हैं। यह आपको सदा सुहागन रहने का वरदान देता है और आपके पति की आयु लंबी हो जाती है। इस तरह से वट सावित्री की आरती के माध्यम से एक महिला अपने पति की लंबी आयु और स्वस्थ काया का आशीर्वाद सावित्री माता से पा ले लेती है।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.