विवाह संस्कार पद्धति क्या है? जाने विवाह संस्कार का महत्व

विवाह संस्कार (Vivah Sanskar)

हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से विवाह संस्कार (Vivah Sanskar) पंद्रहवां संस्कार माना जाता हैं जो उसे गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने के पश्चात करना होता है। इस संस्कार के द्वारा वह अपने पितृ ऋण से मुक्ति पाता है। हिंदू धर्म में विवाह को दो आत्माओं का मिलन बताया गया है। यह मनुष्य के मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास के लिए भी अति-आवश्यक भी होता है।

विवाह संस्कार पद्धति (Vivah Sanskar In Hindi) आज से नहीं बल्कि शुरू से चली आ रही है। आज के समय में इसमें कई तरह के बदलाव ला दिए गए हैं जो वैदिक रूप से अनुचित है। एसेमे आज हम आपको विवाह संस्कार का महत्व सहित इसे क्यों व कैसे किया जाता है, इसके बारे में समूची जानकारी देंगे।

Vivah Sanskar | विवाह संस्कार क्या है?

यह दो शब्दों के मेल से बना हैं जिसमें वि का अर्थ विशेष रूप से तथा वाह का अर्थ वहन करने से है अर्थात विशेष रूप से अपने उत्तरदायित्व तथा कर्तव्यों का वहन करना। इसमें जब एक मनुष्य अपनी शिक्षा प्राप्त कर चुका होता है तथा गुरुकुल से घर लौट आता है तब उसे समाज के नियम के अनुसार विवाह करना आवश्यक होता है ताकि वह संतान को जन्म देकर इस सृष्टि में अपना योगदान दे सके।

इसके लिए दो परिवारों के बीच में बात होती है तथा सर्वसम्मति से उनका विवाह करवा दिया जाता है। इसमें कन्यादान सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होता है क्योंकि वधु का पिता अपनी कन्या को वर पक्ष में दान कर देता है तथा अब उस पर उसका कोई अधिकार नही रह जाता। अब वह कन्या वर पक्ष के घर में चली जाती है तथा वहां अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती है।

हिंदू धर्म में विवाह संस्कार को अत्यधिक पवित्र माना गया है तथा इसके लिए विशेष नियम बनाये गए है जिसका पालन दोनों को करना होता है। साथ ही हिंदू धर्म में विवाह हो जाने के पश्चात इसे जन्मों जन्म का बंधन माना गया है।

विवाह संस्कार कब किया जाता है?

यह गृहस्थ जीवन में किया जाने वाला संस्कार (Vivah Sanskar In Hindi) है। वैसे तो इसकी कोई सीमा निर्धारित नही है लेकिन जब मनुष्य अपने पहले के चौदह संस्कार पूर्ण कर चुका हो तथा विद्या प्राप्त कर चुका हो तब उसे यह संस्कार करवाना चाहिए। इसे गृहस्थ जीवन का संस्कार इसलिये कहा जाता हैं क्योंकि इसके लिए न्यूनतम आयु पच्चीस वर्ष होना आवश्यक है तथा यह आयु सीमा वर-वधु दोनों के लिए समान रूप से लागू होती है। इसलिये यह संस्कार पच्चीस वर्ष की आयु के पश्चात करवाना चाहिए।

विवाह संस्कार के प्रकार

मनुस्मृति में Vivah Sanskar के अलग-अलग प्रकार बताएं गए हैं जिन्हें आठ भागों में विभाजित किया गया है। इनके नाम है ब्रह्म, प्रजापत्य, आर्ष, देव, गंधर्व, असुर, राक्षसपैशाच विवाह। इसमें ब्रह्म विवाह को सबसे महान तथा सही माना गया है जिसमें वर व वधु के गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने के पश्चात, शिक्षित होने पर तथा समान वर्ण में बिना किसी प्रकार के धन के लेनदेन के वैदिक मंत्रों के द्वारा किया जाता है। सबसे बुरा विवाह पैशाच विवाह को माना जाता हैं जिसमें कन्या के होश में न होने पर उसका विवाह करवा दिया जाता है।

विवाह संस्कार का महत्व

वैदिक काल से पहले विवाह प्रचलन में नही था तथा मानवों के बीच में संबंध पशुओं की भांति हुआ करता था जिसमें एक पुरुष किसी भी महिला से तथा एक महिला किसी भी पुरुष से यौन संबंध स्थापित कर सकते थे। इस कारण उस समय मातृ सत्ता प्रधानता में थी क्योंकि पिता का ज्ञान ही नही होता था जिस कारण पुत्रों को उनकी माता के नाम से पहचाना जाता था।

धीरे-धीरे जब वैदिक काल प्रारंभ हुआ तथा धर्म की स्थापना हुई तब इस प्रथा को चुनौती दी गयी तथा विवाह संस्कार पद्धति प्रचलन में आई। इसके लिए ऋषि-मुनियों ने इसे संस्कार में शामिल किया तथा इसके लिए नियम बनाये गए। तभी से परिवार परंपरा की भी शुरुआत हुई तथा व्यक्ति अपने परिवार के साथ जीवन व्यतीत करने लगा। इसका सबसे बड़ा लाभ व्यक्ति को मानसिक तथा आध्यात्मिक रूप से सहायता मिलना था।

इसके साथ ही हिंदू धर्म में तीन ऋण माने गए है जो हैं देव ऋण, ऋषि ऋण तथा पितृ ऋण। इसमें देव ऋण को यज्ञ आदि करके व ऋषि ऋण को वेदों इत्यादि का अध्ययन करके उतारा जाता था। पितृ ऋण तब समाप्त होता था जब एक पुरुष किसी स्त्री से विवाह करने के पश्चात एक संतान को जन्म देता था। इस प्रकार उसकी पितृ ऋण से मुक्ति होती थी। ऐसे में सृष्टि को चलाये रखने के लिए विवाह संस्कार (Vivah Sanskar) आवश्यक है।

विवाह संस्कार से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: विवाह संस्कार कैसे होता है?

उत्तर: विवाह संस्कार पंडित जी की उपस्थिति में वैदिक मंत्रों के साथ होता है इसके लिए वर व वधु दोनों को अग्नि देव के समक्ष प्रतिज्ञा लेनी होती है जिसका निर्वहन उन्हें जीवनभर करना होता है

प्रश्न: विवाह संस्कार क्यों आवश्यक है?

उत्तर: इस सृष्टि को सुचारू रूप से चलाये रखने के लिए विवाह संस्कार अति-आवश्यक होता है विवाह संस्कार के माध्यम से व्यक्ति अपने परिवार को आगे बढ़ता है और संतान को जन्म देता है

प्रश्न: विवाह संस्कार से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: विवाह संस्कार का अर्थ होता है स्त्री व पुरुष का आपस में जीवनभर के लिए पति-पत्नी के बंधन में बंध जाना इसके माध्यम से वे जीवनभर या मृत्यु तक एक-दूसरे का साथ निभाते हैं

प्रश्न: विवाह संस्कारों का क्या अर्थ है?

उत्तर: विवाह संस्कारों का अर्थ स्त्री व पुरुष का एक दूसरे के प्रति बंधन में बंधना और उसके लिए अग्नि देव के समक्ष प्रतिज्ञा लेना होता है यह पंडित जी व दोनों के घरवालों की उपस्थिति में होता है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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