मिट्टी के बर्तन में भोजन बनाने के नियम, लाभ व सावधानियां

Mitti ke bartan me khana pakana

अपनी भारतीय संस्कृति हमेशा से महान थी जहाँ ऋषि मुनियों ने जीवन जीने के उत्तम तरीके बताये थे जिससे ना केवल हमारी आयु बढ़ती थी (Best cooking utensils for health in Hindi) बल्कि हम हमेशा के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ भी रहते थे (Is it safe to cook in clay pots)। उसी में से एक था हमेशा मिट्टी के बने बर्तनों में भोजन बनाना (Best utensils for cooking according to Ayurveda) किंतु समय के साथ-साथ हमारे ऊपर पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव बढ़ता गया व आजकल लगभग हर घर में एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना बनाया व खाया जाने लगा हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं (Mitti ke bartan me khana pakana)।

सबसे पहले हम यह जानने का प्रयत्न करेंगे कि आखिर क्यों भारतीय लोग मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने का उत्तम विकल्प होने के बाद भी एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना बनाने लगे हैं (Mitti ke bartan mein khana pakana)।

एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना बनाने के प्रमुख कारण (Aluminium bartan side effects in Hindi)

#1. सबसे बड़ा कारण तो यह हैं कि आज की आधुनिकता ने हमें इतना ज्यादा व्यस्त कर दिया हैं कि किसी के पास समय ही नही हैं। एल्युमीनियम के बर्तन मिट्टी के बर्तनों की अपेक्षा खाना बनाने में कम समय लेते हैं इसलिये लोग इसमें खाना बनाने लगे हैं (Aluminium utensils side effects in Hindi)।

#2. एल्युमीनियम के बर्तनों के टूटने का खतरा भी नही होता हैं जबकि मिट्टी के बर्तन गिरते ही टूट जाते हैं।

#3. कुछ लोग इसे अपनी ख्याति से भी जोड़कर देखते हैं और सोचते हैं कि मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाना निर्धन लोगों का कार्य हैं।

#4. बड़ी-बड़ी निजी कंपनियों को मिट्टी के बर्तनों से इतना लाभ नही मिलता था इसलिये उन्होंने एल्युमीनियम व अन्य धातुओं के बर्तन बनाने व उनकी मार्केटिंग करने में ही ध्यान दिया।

#5. बड़ी कंपनियों के द्वारा जो बर्तन बनाये जाते वही बर्तन सभी को दुकानों, शॉपिंग माल्स, ऑनलाइन वेबसाइट पर मिलते व साथ ही उनमे कई तरह के डिजाईन भी मिलते जिस कारण लोग उन्ही को खरीदने लगे।

मिट्टी के बर्तन कहा मिलेंगे? (Mitti ke bartan kaha milenge)

अब समय परिवर्तित हो रहा हैं व अब भारतवासी ही नही अपितु संपूर्ण विश्व भारत की सभ्यता व मूल्यों की महत्ता को समझने लगा हैं (Mitti ke bartan kaha milenge)। अब विभिन्न विदेशी कंपनीयां भी अपने आयुर्वेद से बने उत्पादों को निकाल रही हैं तो मिट्टी के बर्तन कैसे पीछे रहते। अब आपको आसानी से दुकानों, माल्स, ऑनलाइन वेबसाइटस (Mitti ke bartan online) इत्यादि सब जगह मिट्टी के बर्तन आसानी से मिल जायेंगे वो भी सब कंपनियों के किंतु यदि आप हमारे देश के कुम्हारों से बर्तन खरीदेंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा (Swadeshi mitti ke bartan)।

अब जब सभी हमारी संस्कृति का लोहा मान ही चुके हैं तो आज हम आपको मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने के लाभों के बारे में बताएँगे (Is it bad to use aluminum cookware?) ताकि आप आज से ही एल्युमीनियम के बर्तनों का इस्तेमाल करना बंद करे व मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने लगे। सबसे पहले जानते हैं एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना बनाने से आपको क्या नुकसान होता हैं (Chote chote mitti ke bartan me khana banana)।

एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना बनाने के नुकसान (Harmful effects of cooking in aluminium utensils in Hindi)

सबसे पहले हम आपसे पूछना चाहते हैं कि मनुष्य भोजन क्यों करता हैं? आपका उत्तर होगा ताकि उसे ऊर्जा मिले, ऊर्जा मिलेगी तो वह जीवित रहेगा व काम कर पायेगा। अब हम आपसे पूछेंगे कि उसे ऊर्जा कैसे मिलती हैं? आप कहेंगे कि उसे ऊर्जा भोजन में उपलब्ध विभिन्न पोषक तत्वों के द्वारा मिलती हैं। आपके दोनों उत्तर सही हैं।

किंतु जब हम आपको बताएँगे कि आप प्रतिदिन जो भोजन कर रहे हैं उसके 80 प्रतिशक से ज्यादा पोषक तत्व खाना बनाते समय ही नष्ट हो चुके हैं तो आपको कैसा लगेगा (Aluminium bad for health)? जी हां, एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना बनाते समय भोजन के 80 प्रतिशत से ज्यादा पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैं। इसके साथ ही उस बर्तन की धातु में उपस्थित कई हानिकारक तत्व जैसे कि सीसा, कैडमियम इत्यादि आपके भोजन में मिल जाते हैं वो अलग।

अब आप ही बताइए कि ऐसे बर्तन में खाना बनाने से आपको लाभ मिल रहा हैं या नुकसान। आपका खाना तो जल्दी पक गया, आपका समय भी बच गया लेकिन ऐसा समय बचाकर आप क्या करेंगे। जिस जीवन के लिए आप दिन भर इतनी मेहनत कर रहे हैं आपका वही शरीर धीरे-धीरे खराब हो रहा हैं तो आप क्या ही कर लेंगे (Uses of clay pots for cooking in Hindi)।

तभी आजकल लोगों की उम्र कम हो गयी हैं व उनका स्वास्थ्य भी खराब रहने लगा हैं। जब देखों किसी ना किसी को कोई ना कोई बीमारी लगी ही रहती हैं (Benefits of using clay vessels in Hindi)। इसलिये आज से मिट्टी के बर्तनों में भोजन बनाना शुरू करें ताकि कम से कम आप जो प्रतिदिन खा रहे हैं वह तो स्वस्थ हो। आइये अब हम आपको मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने के लाभ बताएँगे (Advantages of earthenware cookware in Hindi)।

मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने के लाभ (Advantages of clay pots in Hindi)

#1. खाना पकता हैं, गलता नही

जब आप कूकर इत्यादि में खाना बनाते हैं तो वह खाना पकता नही अपितु गलता हैं (Aluminium pressure cooker side effects in Hindi)। दरअसल खाना बनाने के लिए उसे हवा का लगना अति-आवश्यक हैं और कूकर में तो हवा लगेगी नही। मिट्टी के बर्तन या हांड़ी में आप जो भी पकाएंगे व धीमे-धीमे हवा के साथ पकेगा (Benefits of using clay vessels in Hindi)।

#2. सभी पोषक तत्व विद्यमान

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि एल्युमीनियम के बर्तन भोजन के 80 प्रतिशत से ज्यादा पोषक तत्व समाप्त कर देते हैं तो इसी प्रकार अन्य धातुओं के बर्तन जैसे कि पीतल, कांसा इत्यादि भी भोजन के कुछ पोषक तत्व समाप्त कर देते हैं किंतु मिट्टी के बर्तनों में आप निश्चिंत होकर खाना पकाइए क्योंकि इसमें आपके भोजन का 1 प्रतिशक पोषक तत्व भी समाप्त नही होगा बल्कि इसकी गुणवत्ता बढ़ जाएगी वो अलग (Use of clay pots for cooking)।

#3. स्वास्थ्य के लिए लाभदायक

जहाँ अन्य बर्तनों में पका भोजन आपके लिए थोड़ा बहुत हानिकारक भी होता हैं तो वही मिट्टी के बर्तन में बना भोजन आपके लिए और भी स्वास्थ्यवर्धक हो जाता हैं। हमारे शरीर को 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व चाहिए होते हैं जो मिट्टी के बर्तनों से नष्ट नही होते हैं। साथ ही मिट्टी में किसी भी प्रकार का रसायन या अन्य हानिकारण तत्व भी नही मिला होता हैं जिससे भोजन उत्तम ही रहता हैं।

#4. तेल इत्यादि का कम प्रयोग

जहाँ आपको अन्य बर्तनों में सब्जी इत्यादि को चिपकने से बचाने के लिए अधिक तेल का इस्तेमाल करना पड़ता हैं जिसका प्रभाव आपके हृदय, पेट इत्यादि पर पड़ता हैं वही मिट्टी के बर्तनों में आपको तेल का बहुत ही कम इस्तेमाल करना पड़ेगा क्योंकि भोजन मिट्टी के बर्तनों से चिपकेगा ही नही। इस प्रकार आपकी आधी समस्या तो यही समाप्त हो जाएगी।

#5. फिर से गर्म करने की आवश्यकता नही

अन्य बर्तनों की अपेक्षा मिट्टी के बर्तन में खाना जल्दी से ठंडा नही होता क्योंकि मिट्टी अधिक समय तक गर्म रहती हैं व अंदर का तापमान भी जल्दी से नीचे नही गिरता। इसलिये मिट्टी के बर्तन में पके खाने को फिर से गर्म करने की आवश्यकता नही। यदि आप कई देर बाद भोजन कर रहे हैं तो इसे गर्म करना पड़ेगा लेकिन फिर भी यह अन्य बर्तनों की तुलना में हानिकारक नही होगा क्योंकि भोजन को फिर से गर्म करने से उसके पोषक तत्व और ज्यादा खत्म हो जाते हैं जो मिट्टी के बर्तन में नही होता।

#6. नमी को सोखता हैं

मिट्टी की यह विशेषता हैं कि वह पानी को सोखती हैं। जब आप इसमें भोजन पका रहे होंगे तब यह अपने आप उसकी नमी को सोखेगी व वापस उसे देगी। मिट्टी के बर्तनों में सूक्ष्म छिद्र होते हैं जिनसे से नमी निकलती व जमा होती रहती हैं। यह क्रिया जल की भाप व बाहर की वायु से होती हैं। इस प्रकार भोजन अपने ही तरल पदार्थ में पकता हैं जो इसके गुणों को बनाये रखता हैं।

#7. स्वादिष्ट व सुगंधित

यदि आपने कभी किसी के यहाँ मिट्टी के बर्तनों में खाना खाया होगा तो आपको अवश्य पता होगा कि कैसे वह एक दाल को भी इतना स्वादिष्ट बना देता हैं। मिट्टी के बर्तन की यह भी सबसे बड़ी उपलब्धि हैं कि वह भोजन को स्वास्थ्यवर्धक बनाने के साथ-साथ उसे हमारे लिए स्वादिष्ट व सुगंधित भी बनाता हैं।

पहली बार मिट्टी के बर्तन का कैसे प्रयोग करें? (How to use mitti ke bartan first time in Hindi)

यदि आप मिट्टी की बर्तन ले आये हैं तो उन्हें सीधा इस्तेमाल मत करने लग जाइयेगा क्योंकि आपको पहले इसे खाना बनाने लायक तैयार करना हैं अन्यथा ये जल्दी खराब हो जायेंगे व साथ ही आपको इसका पूरा लाभ भी नही मिलेगा। इसलिये जब भी आप कोई मिट्टी का बर्तन खरीदकर लायें तो सबसे पहले नीचे दी गयी प्रक्रिया को अपनाएं।

  • सबसे पहले उस नए बर्तन को रात भर पानी में डुबोकर रखें व निकाल ले।
  • अब अगले दिन एक अन्य बर्तन में पानी गर्म करें व उसे मिट्टी के बर्तन में डाले। ऐसा आप 3 से 4 दिन तक करें।
  • अंतिम दिन आप इसे अंदर व बाहर से किसी ब्रश की सहायता से साफ करें ताकि इसमें से अनावश्यक मिट्टी निकल जाएँ व इसके बाद इसे धूप में सुखाएं।
  • जब यह अच्छे से सूख जाएँ तब इसके चारों और खाना बनाने का तेल लगायें व इसमें पानी भरकर गैस पर मध्यम आंच पर गर्म करें।
  • इसे 2 से 3 घंटे तक गैस पर गर्म होने दे व उसके बाद ही इसे खाना बनाने में इस्तेमाल करें।

मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करते समय सावधानियां

इसके साथ ही आपको कुछ बातों का भी ध्यान रखने की आवश्यकता हैं जो इसमें खाना बनाने व इसका उचित इस्तेमाल करने के लिए अति-आवश्यक हैं (Disadvantages of cooking in clay pots in Hindi)। आइये जानते हैं।

  • मिट्टी के बर्तन में खाना हमेशा मध्यम आंच पर ही पकाएं। तेज आंच पर बर्तन क्रैक हो सकता हैं।
  • खाना बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप गैस को अचानक से धीमे से तेज़ या तेज़ से धीमा ना करें क्योंकि इससे बर्तन क्रैक हो जायेगा।
  • मिट्टी के तवे को कभी भी गीला गैस पर ना रखें, उसको हमेशा सूखा ही रखें।
  • मिट्टी के बर्तन अन्य बर्तनों की अपेक्षा जल्दी गर्म हो जाते हैं इसलिये इसका ध्यान रखें और अपने हाथ ना जला ले।
  • खाना बनाते समय लकड़ी की चम्मच का इस्तेमाल करेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
  • आजकल बाज़ार में आपको कई चमकीले मिट्टी के बर्तन भी मिलेंगे जिनमें कई प्रकार के रसायन मिले होते हैं। इसलिये आप सुंदरता पर ना जाकर अपने लिए बेहतर चुनें (Unglazed clay pots for cooking)।
  • मिट्टी के बर्तन को फ्रिज़ में रखने से पहले उसे ठंडा होने दे। यदि आप गर्म बर्तन ही फ्रिज में रख देंगे तो वह क्रैक हो जायेगा।
  • खाली मिट्टी के बर्तन को गैस पर रखकर गैस को चालू ना करें। ध्यान रखें इसमें पानी या कुछ खाना बनाने वाली चीज़ अवश्य रखी हो तभी गैस चालू करें।

मिट्टी के बर्तनों को धोया कैसे जाएँ? (How to clean mitti ke bartan in Hindi)

मिट्टी के बर्तन धोने के लिए सामान्य साबुन या डिटर्जेंट का इस्तेमाल ना करें क्योंकि मिट्टी अपने स्वभाव के कारण साबुन के कुछ कणों को सोख लेगी जो अगली बार खाना बनाते समय उसमे मिल जायेंगे। इसके लिए आप गर्म पानी, बेकिंग सोडा, नमक इत्यादि का इस्तेमाल कर सकते हैं। गावों में लोग इसे धोने के लिए गोबर व चारकोल का इस्तेमाल करते हैं (How to clean clay pots for cooking?)।

साथ ही इस बात का भी ध्यान रखे कि आप इसे धोने के लिए मेटल के ब्रश का इस्तेमाल ना करें व धोते समय ज्यादा रगड़े नही। आप रातभर इसे पानी में छोड़ सकते हैं जिससे सुबह होने पर आप इसे आसानी से धो सके।

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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