महिलाएं चूड़ियां क्यों पहनती हैं? जाने महिलाओं के चूड़ियां पहनने के 7 लाभ

Scientific Benefits Of Wearing Bangles In Hindi

भारतीय महिलाओं के परिधान में चूड़ियों व कंगन का प्रमुख स्थान (Scientific Benefits Of Wearing Bangles In Hindi) है। किसी भी विवाहित स्त्री के हाथ बिना चूड़ी या कंगन के अशुभ माने जाते हैं। यहाँ तक कि अविवाहित या विधवा महिला को भी हाथ में एक-दो कंगन या कुछ चूड़ियाँ पहनने को कहा जाता (Benefits Of Wearing Bangles In Hindi) है किंतु आपके मन में प्रश्न होगा कि आखिरकार चूड़ियां क्यों पहनी जाती हैं? या फिर चूड़ी पहनने का महत्व क्या है?

आज हम आपको महिलाओं के द्वारा चूड़ियाँ पहनने का रहस्य सहित इसके लाभ (What Is The Use Of Wearing Bangles In Hindi) बताएँगे ताकि आप जान सकें कि आखिर इसके पीछे छुपे हुए ऐसे क्या लाभ हैं जिनके कारण इन्हें विवाहित स्त्री के सोलह श्रृंगार में से एक माना गया है।

महिलाओं के चूड़ियां पहनने के 7 लाभ

चूड़ियां पहनने से महिलाओं को एक नहीं बल्कि कई लाभ देखने को मिलते हैं। इससे उनका रक्त संचार तो बेहतर होता ही है बल्कि साथ ही मानसिक शांति का भी अनुभव होता (Significance Of Wearing Glass Bangles In Hindi) है। आज हम एक-एक करके 7 मुख्य लाभों को आपके सामने रखने जा रहे हैं जो महिलाओं के द्वारा चूड़ियां पहनने से देखने को मिलते हैं।

#1. रक्त संचार का बेहतर होना

हाथ में कई तरह की नाड़ियाँ होती हैं जिनका सीधा संबंध रक्त संचार (ब्लड प्रेशर) व हृदय से होता है। हाथों में चूड़ियाँ या कंगन पहनने से ये इन नसों से दिनभर टकराती हैं व घर्षण पैदा करती हैं। इस कारण उन नसों पर अप्रत्याशित रूप से दबाव पड़ता है तथा वे दबती रहती हैं।

इन नसों पर चूड़ियों के लगातार दबाव पड़ते रहने से महिलाओं को बीपी व हृदय संबंधी समस्याएं बहुत ही कम होती हैं। यही कारण होता है कि महिलाओं में हृदयाघात (हार्टअटैक) की समस्या बहुत कम देखने को मिलती है व साथ ही उनका रक्त संचार भी बेहतर तरीके से काम करता है।

#2. एक्यूप्रेशर लाभ

महिलाएं पुरुष की तुलना में शारीरिक रूप से कमजोर होती हैं और उन्हें घर के कई शारीरिक काम भी करने होते हैं जिनमें मेहनत लगती है। चूड़ियों को पहनने से महिलाओं को कई एक्यूप्रेशर लाभ मिलते हैं क्योंकि ये हाथ के कई दबाव बिंदुओं को दबाकर महिलाओं को शारीरिक रूप से मजबूती प्रदान करने का काम करती हैं।

यही कारण होता है कि महिलाओं को मुख्यतया विवाह के पश्चात चूड़ियाँ पहनने को कहा जाता है ताकि वे शारीरिक रूप से मजबूत बने और घर के सभी काम आसानी से कर सकें। इसके साथ ही चूड़ियाँ पहनने से महिलाओं को सांस संबंधी समस्याओं का भी सामना बहुत कम करना पड़ता है।

#3. मानसिक शांति

चूड़ियों का पहनना मानसिक विकास के लिए भी उत्तम है। चूड़ियाँ आपस में टकराकर जो ध्वनि उत्पन्न करती है वह उसी प्रकार वातावरण में शुद्धि करती है जैसे कि मंदिर में घंटा। चूड़ियों से उत्पन्न हुई ध्वनि आसपास में सकारात्मकता फैलाती है। कांच की चूड़ियाँ वातावरण से ऊर्जा को ग्रहण कर महिला को पहले से ज्यादा सशक्त व ऊर्जावान बनाती है।

#4. एकाग्र मन व भावनात्मक संतुलन

चूड़ियों की खनक से महिला को अपना मन एकाग्र करने में भी सहायता मिलती है। एक शोध में यह बात सामने आई है कि जो महिलाएं चूड़ियाँ पहनती हैं वह भावनात्मक संतुलन अच्छे से कर पाती हैं अर्थात वह अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रख पाने में बाकी महिलाओं की तुलना में कई बेहतर होती हैं।

#5. सोने व चांदी की चूड़ी के लाभ

पुराने समय में सोने या चांदी से बनी चूड़ियाँ या कंगन पहनने की परंपरा थी। ये ऐसी धातु हैं जो शरीर के लगातार संपर्क में रहे तो वे शरीर को बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती हैं। इसलिए प्राचीन समय में शरीर पर सोने-चांदी की भस्म भी लगाई जाती थी। महिलाओं का इसकी चूड़ियाँ पहनने के पीछे भी यही कारण था।

#6. रंगों का प्रभाव

हाथों में विभिन्न रगों की चूड़ियाँ भी महिला के मन में प्रभाव डालती हैं व उनको प्रसन्न रखती हैं। खासकर विवाहित महिला के लिए यह अत्यंत उपयोगी होती है। जब भी किसी महिला का विवाह होता है तब उसका चूड़ियाँ पहनना अनिवार्य होता है। इसके पीछे का कारण यह है कि महिला जिस घर में बचपन से पली बढ़ी, अब उसे उस घर को छोड़कर नए घर में जाना होता है।

इसलिए ऐसे समय में महिला ना केवल सुंदर दिखे बल्कि अंदर से भी खुश व सकारात्मक बनी रहे, उसके लिए उसे विभिन्न रंगों की चूड़ियाँ पहनाई जाती है ताकि उसके जीवन में भी रंग यूँ ही बने रहे।

#7. गर्भवती महिला को लाभ

जब महिला गर्भवती होती है तब गोद भराई के समय उसे चूड़ियाँ देने की परंपरा होती है जो उसके प्रसव के लिए अत्यंत लाभदायक होती है। गोद भराई महिला के तीसरे पड़ाव में की जाती है जो कि गर्भावस्था का सातवें से नौवें महीने का समय होता है। इस समय तक माँ के पेट में भ्रूण के सुनने की क्षमता विकसित हो जाती है तथा वह अपनी माँ का अनुभव कर सकता है। चूड़ियों की खनक से भ्रूण को अपनी माँ के साथ संपर्क करने, सुनने की क्षमता, अकेलेपन की भावना का दूर होना इत्यादि कई लाभ मिलते हैं।

निष्कर्ष

तो यह थे कुछ लाभ जिस कारण भारतीय संस्कृति में महिलाओं को चूड़ियाँ पहनाई जाती हैं। इन्हीं लाभों को देखते हुए ही पुरुष भी कड़ा पहनते हैं। सिख समुदाय में भी चूड़ियों के रूप में विवाहित महिलाओं के चूड़ा पहनने की परंपरा (Scientific Benefits Of Wearing Bangles In Hindi) है।

इस तरह भारतीय समाज के विभिन्न राज्यों में चूड़ियों को पहनने का विधान व रंग उनकी संस्कृति के अनुसार है जैसे कि कहीं लाल रंग की चूड़ियाँ पहनी जाती हैं तो कहीं हरे रंग की किंतु सभी संस्कृति में इनका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को स्वास्थ्य व मानसिक लाभ प्रदान करवाना ही होता है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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