हम सभी यह तो जानते हैं कि श्रीकृष्ण को अपनी बांसुरी से कितना लगाव था लेकिन एक समय ऐसा आया था जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने ही हाथों से उस बांसुरी को तोड़ डाला था। इसके बाद उन्होंने जीवनभर बांसुरी तो क्या अन्य किसी वाद्ययंत्र को भी हाथ तक नहीं लगाया था। आखिरकार कृष्ण ने बांसुरी क्यों तोड़ी (Krishna Ne Bansuri Kyo Todi)? इसके पीछे की घटना बहुत ही मार्मिक है जिसका जानना आपके लिए आवश्यक है।
भगवान श्रीकृष्ण को विश्व में दो ही चीज़ें सबसे अधिक प्रिय थी जिसमे एक थी बांसुरी व दूसरी राधा। जब भी भगवान श्रीकृष्ण बांसुरी की मधुर धुन बजाते थे तो राधा दौड़ी-दौड़ी चली आती थी। राधा और बांसुरी का आपस में अनकहा सा रिश्ता था जो श्रीकृष्ण ही जानते थे। ऐसे में श्रीकृष्ण के बांसुरी तोड़ने के पीछे भी राधा ही एकमात्र कारण (Why Krishna Broke His Flute In Hindi) थी। आइये उसके बारे में जान लेते हैं।
Krishna Ne Bansuri Kyo Todi | कृष्ण ने बांसुरी क्यों तोड़ी?
द्वापर युग में जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो मानो मथुरा के तो भाग ही खुल गए थे। इसके बाद जब श्रीकृष्ण ने अपने हाथों में बांसुरी पकड़ी और उसे बजाया तो आसपास के सभी लोग उसकी मधुर धुन को सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाया करते थे। राधा भी बांसुरी की धुन को सुनकर ही श्रीकृष्ण के पास भागी चली आती थी। यही राधा-कृष्ण का प्रेम था।
ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण के बांसुरी तोड़ने के पीछे भी राधा ही थी लेकिन कैसे, यह बहुत बड़ा रहस्य है। बहुत लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं है। ऐसे में आज हम आपके साथ इसी अनकहे रहस्य को खोलने जा रहे हैं। आइये जाने आखिरकार कृष्ण ने अपने बांसुरी क्यों तोड़ी (Krishna Ne Apni Bansuri Kyu Todi)!!
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जब अलग हुए भगवान श्रीकृष्ण व राधा
कृष्ण और राधा की प्रेमकथा सर्वाधिक लोकप्रिय है। यहाँ तक कि आज भी कृष्ण का नाम राधा के साथ लिया जाता है। किसी भी मंदिर में आपको भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति अपनी पत्नियों के साथ नहीं अपितु अपनी प्रियतमा राधा के साथ दिखाई देगी।
एक समय ऐसा आया था जब भगवान श्रीकृष्ण राधा से हमेशा के लिए अलग हो गए थे। यह वह समय था जब उन्हें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए वृंदावन को छोड़ना था और मथुरा जाकर कंस का वध करना था। इसके पश्चात उन्हें अपने सांसारिक कर्तव्यों का निर्वहन करना था।
जब भगवान श्रीकृष्ण वृंदावन छोड़कर जाने वाले थे तब उनका मन बहुत व्याकुल था। उस समय राधा भी उनसे मिलने आई थी और उनसे ना जाने की विनती की थी किन्तु कृष्ण के समझाने पर वे मान गयी थी। किंतु राधा ने श्रीकृष्ण के जाने से पहले उनसे वचन मांग लिया था कि राधा के देह त्याग से पहले श्रीकृष्ण उन्हें एक बार दर्शन अवश्य देंगे। श्रीकृष्ण ने सहजता से यह शर्त मान ली और वहां से चले गए।
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दोनों ने किया अपने सांसारिक कर्तव्यों का निर्वहन
उसके पश्चात् भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा जाकर दुष्ट राक्षस कंस का वध किया और रुक्मिणी से विवाह किया। इसके बाद उन्होंने अपनी नगरी द्वारका में बसा ली और वहां राज करने लगे। इसी के साथ महाभारत के युद्ध में भी उन्होंने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई व धर्म की रक्षा की।
इसी के साथ-साथ माता राधा ने भी विवाह कर लिया और अपने सभी कर्तव्यों का पालन किया किन्तु उनका प्रेम श्रीकृष्ण के लिए कभी कम नही हुआ। माता राधा हमेशा श्रीकृष्ण की प्रतीक्षा करती रही और इसी तरह समय के साथ-साथ दोनों का जीवन व्यतीत हो रहा था।
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अंतिम समय में जब श्रीकृष्ण राधा से मिले
जब माता राधा ने अपने सभी कर्तव्य निभा लिए और बूढ़ी हो गयी तब उन्होंने अपने अंतिम समय में भगवान श्रीकृष्ण का आह्वान किया। श्रीकृष्ण भी अपने दिए वचन के अनुसार उनसे मिलने आये। माता राधा का ऐसा रूप देखकर श्रीकृष्ण अत्यधिक व्याकुल हो गए और उनसे कुछ मांगने को कहा किन्तु माता राधा ने कुछ भी मांगने से मना कर दिया व अपनी अंतिम इच्छा प्रकट की। उन्होने श्रीकृष्ण को पहले की तरह मधुर धुन में बांसुरी बजाने को कहा।
यह सुनकर श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी निकाली और उसे बजाने लगे। श्रीकृष्ण ने लगातार दिन-रात बांसुरी की मधुर धुन बजाई और यह सुनते-सुनते ही माता राधा ने अपने प्राणों का त्याग कर दिया। अपने सामने अपनी ही प्रिय राधा को निष्प्राण देखकर श्रीकृष्ण का हृदय भर आया। जिस बांसुरी की धुन पर राधा दौड़ी-दौड़ी चली आती थी, वही आज अपने प्राण त्याग चुकी थी।
ऐसे में उन्होंने उसी समय अपनी बांसुरी को तोड़ डाला और पास की झाड़ियों में फेंक दिया। श्रीकृष्ण को अपनी बांसुरी बहुत प्यारी थी किन्तु इस घटना के बाद उन्होंने कभी बांसुरी तो क्या, किसी अन्य वाद्य यंत्र को भी हाथ तक नहीं लगाया था और जीवनभर इनका त्याग कर दिया था। भगवान श्रीकृष्ण के राधा के प्रति इस प्रेम के कारण ही आज तक उनका नाम माता राधा के साथ लिया जाता है।
निष्कर्ष
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपको यह भलीभांति पता चल गया होगा कि कृष्ण जी ने बांसुरी क्यों तोड़ी। हालाँकि कृष्ण का राधा से कभी विवाह नहीं हुआ था लेकिन उनका प्रेम इतना सच्चा था कि आज तक हम श्रीकृष्ण का नाम उनकी आठ पत्नियों के साथ नहीं बल्कि राधा के साथ ही लेते हैं।
अब यदि कोई आपसे यह पूछे कि कृष्ण ने बांसुरी क्यों तोड़ी (Krishna Ne Bansuri Kyo Todi), तो आप उसका सही उत्तर दे सकते हैं। हालाँकि यह प्रमाणिक नहीं है कि श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी सच में तोड़ दी थी क्योंकि इसका वर्णन ग्रंथों में ना मिलकर लोक मान्यताओं में मिलता है। दरअसल राधा का वर्णन ही ग्रंथों में ना होकर बाद के काव्यों में है।
कृष्ण के बांसुरी तोड़ने से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी क्यों तोड़ी?
उत्तर: भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी माता राधा के प्रेम के चलते तोड़ी थी। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख पढ़ना होगा।
प्रश्न: क्या कृष्ण ने बांसुरी बजाना बंद कर दिया?
उत्तर: जी हां, एक समय ऐसा आया था जब श्रीकृष्ण ने अपनी प्रिय बांसुरी को बजाना ही छोड़ दिया था। इसके पीछे का कारण राधा थी लेकिन क्यों, उसके लिए आपको यह लेख पढ़ना होगा।
प्रश्न: कृष्ण की मृत्यु के बाद राधा का क्या हुआ?
उत्तर: राधा की मृत्यु श्रीकृष्ण के मृत्यु से पहले हो गयी थी। ऐसे में आपके द्वारा पूछा गया यह प्रश्न ही अनुचित है।
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