मेघनाद को इंद्रजीत क्यों कहा जाता है? जाने मेघनाथ को क्या वरदान था

मेघनाथ रामायण (Meghnath Ramayan)

मेघनाथ का दूसरा नाम क्या था (Meghnath Ka Dusra Naam Kya Tha) या फिर मेघनाद को इंद्रजीत क्यों कहा जाता है, इन दो प्रश्नों के उत्तर हर कोई जानना चाहता है। रावण का सबसे बड़ा पुत्र मेघनाथ अपने पिता से भी कई अधिक बलशाली था। रावण ने उसके जन्म से ही उसके लिए तैयारी कर दी थी व सभी ग्रहों व नक्षत्रों की चाल उसके अनुसार कर दी थी। इसके बाद समय-समय पर मेघनाथ ने कई यज्ञ व तप किए व राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य की सहायता से कई शक्तियां भी अर्जित की।

एक समय के बाद मेघनाथ एक तरह से अविजयी व पराक्रमी योद्धा बन चुका था जिसे हराना किसी भी मानव, देवता, दानव, गंधर्व इत्यादि के लिए असंभव था। एक ऐसा समय भी आया था जब मेघनाथ और इंद्र का युद्ध हुआ था। उस युद्ध के बाद भगवान ब्रह्मा ने मेघनाद को वरदान दिया था जिस कारण वह सर्वशक्तिशाली हो गया था। अब मेघनाथ को क्या वरदान प्राप्त था, यह भी हम आपको इसी लेख में बताएँगे।

Meghnath Ka Dusra Naam Kya Tha | मेघनाथ का दूसरा नाम क्या था?

रावण बहुत ही अहंकारी राजा था जिसे तीनों लोकों में विजय हासिल करनी थी। एक बार वह अपने विश्वविजयी अभियान पर निकला था। अपने अहंकार में चूर रावण ने देवलोक में देवताओं पर भी आक्रमण कर दिया था। वह पृथ्वी व पाताल लोक तो जीत ही चुका था और अब वह देवलोक भी जीतना चाहता था।

तब सभी देवताओं व रावण की सेना के बीच भीषण युद्ध हुआ था। देवता जानते थे कि रावण अत्यधिक शक्तिशाली है और इस कारण सभी ने मिलकर युद्ध लड़ा। इंद्र की सहायता के लिए सभी देवता आ गए और अंत में देवताओं की ही विजयी हुई। इसके बाद इंद्र ने रावण को बंदी बना लिया व कारावास में डाल दिया।

मेघनाथ और इंद्र का युद्ध

जब रावण के पुत्र मेघनाद को इस बात का पता चला तो वह अत्यंत क्रोधित हो गया। वह उसी समय अपने सभी अस्त्र-शस्त्र लेकर देवलोक गया व देवताओं सहित इंद्र पर आक्रमण कर (Meghnath Aur Indra Ka Yudh) दिया। चूँकि उसके पास भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश के दिए गए सबसे बड़े अस्त्र थे इसलिए उसने देवताओं को इंद्र समेत परास्त कर दिया। यह सभी अस्त्र व शक्तियां उसे राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य की सहायता से प्राप्त हुई थी।

सभी देवताओं के परास्त होने के बाद मेघनाथ ने अपने पिता रावण को वहाँ से मुक्त करवाया व देव राजा इंद्र को बंदी बनाकर लंका ले आया। अब इंद्र देव लंका में रावण व मेघनाथ के बंदी बन चुके थे। दोनों ने एक दिन इंद्र का वध करने का निश्चय किया।

ब्रह्मा जी आए इंद्र को बचाने

जब भगवान ब्रह्मा को रावण व मेघनाथ के द्वारा इंद्र के वध करने की योजना के बारे में पता लगा तो वे मेघनाथ के पास आए व इंद्र को मुक्त करने को कहा। ब्रह्मा जी जानते थे कि मेघनाथ इतनी जल्दी नहीं मानने वाला है इसलिए उन्होंने मेघनाथ को इंद्र को मुक्त करने के बदले उनसे कोई वरदान मांगने को कहा।

मेघनाथ ने माँगा अमर होने का वरदान

इंद्र को मुक्त करने के बदले में मेघनाथ ने भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वर मांग लिया तो भगवान ब्रह्मा ने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह सृष्टि के नियमों के विरुद्ध है। यदि भगवान भी मानव रूप में जन्म लेते हैं तो उन्हें भी एक दिन अपनी देह का त्याग करना होता है। इसलिए वे उन्हें अमर होने का वरदान नहीं दे सकते।

मेघनाथ को क्या वरदान था?

भगवान ब्रह्मा ने मेघनाथ को अमर होने का वरदान देने से तो मना कर दिया लेकिन उन्होंने उसे एक अन्य वरदान दिया जो अमर होने के समान ही था। उनके अनुसार यदि मेघनाथ किसी भी युद्ध में जाने से पहले अपनी कुलदेवी निकुंबला का यज्ञ पूरा कर लेगा तो उसे कोई भी परास्त नहीं कर पाएगा। उस युद्ध में उसकी विजय निश्चित होगी। यह मेघनाद को मिला सबसे बड़ा वरदान (Meghnath Ko Kya Vardan Tha) था।

इसी के साथ ब्रह्मा जी ने यह भी बताया कि जो कोई भी उसके यज्ञ को बीच में ध्वस्त कर देगा तो उसी मनुष्य के हाथों मेघनाथ की मृत्यु होगी। आगे चलकर मेघनाद का यह यज्ञ लक्ष्मण के द्वारा विफल किया गया था। इस तरह से उसकी मृत्यु भी लक्ष्मण के हाथों ही हुई थी।

मेघनाद को इंद्रजीत क्यों कहा जाता है?

मेघनाथ यह वरदान पाकर अत्यंत प्रसन्न था व उसने ब्रह्मा के कहे अनुसार देव इंद्र को मुक्त कर दिया। मेघनाथ के पराक्रम को देखकर भगवान ब्रह्मा अत्यंत प्रसन्न हुए व उन्होंने उसे इंद्रजीत की उपाधि दी। इसी कारण मेघनाथ को इंद्रजीत (Meghnath Ko Indrajeet Kyon Kahate Hain) कहा जाता है। इससे उन्होंने एक तो मेघनाथ को सम्मानित किया ताकि वह पूरे विश्व में इंद्र को जीतने वाले राक्षस के रूप में जाना जाए। साथ में इससे उन्होंने इंद्र के अहंकार पर भी चोट की।

इस तरह से हमने आपके प्रश्न मेघनाथ का दूसरा नाम क्या था (Meghnath Ka Dusra Naam Kya Tha), का उत्तर दे दिया है। साथ ही यह भी बता दिया है कि आखिरकार मेघनाथ को इंद्रजीत क्यों कहा जाता है व इसके पीछे का क्या रहस्य है।

इंद्रजीत से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: मेघनाथ को क्या वरदान मिला था?

उत्तर: मेघनाथ को भगवान ब्रह्मा से यह वरदान मिला था कि यदि वह युद्धभूमि में जाने से पहले अपनी कुलदेवी निकुम्बला का यज्ञ कर लेता है तो वह उस युद्ध में अविजयी रहेगा

प्रश्न: मेघनाथ ने इंद्र को कैसे जीता?

उत्तर: मेघनाथ के पास ब्रह्माण्ड के तीनों शक्तिशाली अस्त्र थे साथ ही उसे गुरुदेव शुक्राचार्य की सहायता से अद्वितीय शक्तियां मिली थी इसी के बल पर उसने इंद्र को भी जीत लिया था

प्रश्न: मेघनाथ के कितने नाम है?

उत्तर: मेघनाथ का दूसरा और सबसे मुख्य नाम इंद्रजीत है हालाँकि मेघनाथ नाम अशुद्ध है और इसे शुद्ध रूप में मेघनाद लिखा जाता है

प्रश्न: मेघनाथ का नाम मेघनाथ क्यों पड़ा?

उत्तर: मेघनाथ का नाम मेघनाथ नहीं मेघनाद पड़ा था वह इसलिए क्योंकि पैदा होते ही उसने बादलों की गर्जना जैसी आवाज की थी

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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