रामलला पुरानी मूर्ति (Ramlala Purani Murti): राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर है। हर कोई अपने-अपने स्तर पर इस दिन को भव्य बनाने में लगा हुआ है। पूरे देश में ही एक अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है। इसी के साथ ही सभी रामभक्त यह जानने को भी उत्सुक हैं कि तीनों मूर्तिकारों में से किस मूर्तिकार की मूर्ति को राम मंदिर गर्भगृह में मुख्य मूर्ति के रूप में रखा जाएगा।
अब एक और चीज़ जो सभी राम भक्तों के मन में उठ रही है, वह यह है कि वर्षों से जिस रामलला मूर्ति की पूजा (Ramlala Old Idol) होती आ रही है और जिनके नाम पर ही राम मंदिर का केस लड़ा गया और जीता गया, उस मूर्ति का क्या होगा। अब जब राम मंदिर गर्भगृह में नयी मूर्ति स्थापित हो जाएगी तो उस पुरानी मूर्ति का क्या होगा, जिसकी आज तक हम सभी पूजा करते आये हैं।
ऐसे में आज हम आपको बताएँगे कि राम मंदिर की पुरानी मूर्ति (Ram Mandir Purani Murti) का अब क्या होगा और उसे किस रूप में स्थापित किया जाएगा। साथ ही रामलला की पुरानी मूर्ति से जुड़े कुछ अनकहे तथ्य भी आपके सामने रखे जाएंगे।
रामलला की पुरानी मूर्ति का क्या होगा?
राम मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए पूरे जोरशोर से तैयारियां चल रही है। गर्भगृह में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति बनाने का काम भी पूरा हो चुका है। देशभर के तीन सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकारों सत्यानारण पांडे, गणेश भट्ट व अरुण योगीराज जी ने रामलला की तीन मूर्तियाँ बनायी है जिसमें से किसी एक मूर्ति को मुख्य गर्भगृह में विराजित किया जाएगा जबकि अन्य दो मूर्तियों को राम मंदिर के प्रथम तल व द्वितीय तल पर विराजित किया जाएगा।
अब प्रश्न यह उठता है कि रामलला की जो मूर्ति इतने वर्षों से अपना भव्य मंदिर बनने की प्रतीक्षा कर रही थी और तब से अस्थायी टेंट में विराजमान थी, उसका अब क्या होगा। तो यहाँ हम आपको बता दें कि राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला की पुरानी मूर्ति (Ramlala Purani Murti) को राम मंदिर की चल मूर्ति घोषित कर दिया है। इस मूर्ति का स्थान राम मंदिर के गर्भगृह में नयी मूर्ति के पास ही होगा।
वर्षों से भक्तगण अस्थायी टेंट में जाकर रामलला की जिस मूर्ति के दर्शन करते आ रहे थे और उनका भव्य मंदिर बनाने के लिए प्रयास कर रहे थे, उस मूर्ति को कैसे राम मंदिर से दूर किया जा सकता है। ऐसे में भक्तों को रामलला की उस पुरानी मूर्ति के भी दर्शन हो सके, जिसने यह सब दुःख झेला और अन्तंतः लड़ाई जीती, इसलिए उसे भी मुख्य गर्भगृह में रामलला की नयी मूर्ति के पास में ही रखा जाएगा।
राम मंदिर की नयी मूर्ति तो अचल होगी जबकि पुरानी मूर्ति को चल मूर्ति के रूप में वहां रखा जाएगा। आइये जान लेते हैं कि मंदिर की अचल व चल मूर्ति में क्या अंतर होता है।
राम मंदिर की पुरानी मूर्ति होगी चल मूर्ति
जहाँ कहीं भी मंदिर होता है, वहां भगवान की दो मूर्तियाँ स्थापित की जाती है। इसमें से एक चल मूर्ति होती है तो दूसरी अचल मूर्ति होती है। अचल मूर्ति मुख्य मूर्ति होती है जो गर्भगृह के बीचों बीच स्थित होती है। जो भी भक्तगण मंदिर में दर्शन करने और ईश्वर से याचना करने आते हैं, वे इसी अचल मूर्ति के सामने ही हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हैं।
वहीं जो मूर्ति चल मूर्ति के रूप में मंदिर में रखी जाती है, वह उत्सव मूर्ति के नाम से भी जानी जाती है। जब कोई उत्सव या त्यौहार आता है, तो भगवान राम अपने मंदिर से बाहर निकल कर भक्तों के बीच जाते हैं और उनसे भेंट करते हैं। वे अपनी प्रजा के सुख दुःख देखते हैं और उन्हें दर्शन देते हैं। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार आपने जगन्नाथ पुरी में भगवान की रथयात्रा के बारे में सुना होगा। तो रामलला की पुरानी मूर्ति (Ramlala Old Idol) को चल मूर्ति या उत्सव मूर्ति के रूप में मंदिर में रखा जाएगा।
रामलला की पुरानी मूर्ति का इतिहास
रामलला की पुरानी मूर्ति (Ramlala Purani Murti) का इतिहास संघर्षों व साहस से भरा हुआ है। जिस प्रकार श्रीराम का संपूर्ण जीवन संघर्षों व चुनौतियों का साहस से सामना करते हुए बीता था, ठीक उसी तरह रामलला की यह पुरानी मूर्ति भी उसी की साक्षी बनने जा रही है। रामलला की पुरानी मूर्ति एक आपदा में प्रकट हुई थी जिसकी पूजा 23 दिसंबर 1949 से हो रही है।
रामलला की यह मूर्ति पहले अस्थायी मंदिर में विराजित थी। ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी जन्मभूमि पर तो विदेशी आक्रांताओं के द्वारा बनायी गयी बाबरी मस्जिद खड़ी थी। रामलला कई वर्षों तक उस अस्थायी मंदिर में रहे। सन 1992 में जब बाबरी को कई सेवकों के द्वारा पैरों से रोंदकर तोड़ डाला गया तब रामलला की मूर्ति को भी अस्थायी टेंट में रखा गया। यह एक त्रिपाल था जहाँ पर पुलिस का सख्त पहरा रहता था।
वर्षों वर्ष तक सर्दी गर्मी में रामलला इसी त्रिपाल में ही रहे। भक्तगण भी जब रामलला की मूर्ति के दर्शन करने आते तो डर के साए में जाते और रामलला की यह दुर्दशा देखकर आँखों में आंसू लिए बाहर आते। आखिरकार वर्ष 2019 में सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय आ गया और राम मंदिर के पक्ष में निर्णय आया। इसके बाद रामलला की पुरानी मूर्ति को अस्थायी मंदिर में शिफ्ट कर दिया गया था जो आज तक वहीं है।
अब 22 जनवरी के दिन रामलला की नयी मूर्ति (Ram Mandir Old Idol) के साथ ही उनकी इस पुरानी मूर्ति को भी वहां उत्सव मूर्ति के रूप में रखा जाएगा। राम मंदिर दर्शन करने आने वाले तमाम भक्त नयी मूर्ति के साथ ही उस पुरानी मूर्ति के भी साक्षी बनेंगे।
रामलला की पुरानी मूर्ति का महत्व
आपने ऊपर रामलला की पुरानी मूर्ति (Ramlala Purani Murti) का इतिहास तो जान लिया लेकिन जो लड़ाई रामलला की इस मूर्ति के द्वारा लड़ी गयी है, उसके बारे में अभी जानना बाकी है। दरअसल श्रीराम का जीवन जिस तरह से संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन उसी के साथ ही उन्होंने चुनौतियों का भी डटकर और धैर्य से सामना किया, ठीक उसी तरह का परिचय रामलला की इस पुरानी मूर्ति ने भी दिया है।
न्यायालय में देवकीनंदन अग्रवाल जी के द्वारा ही राम मंदिर जन्म भूमि का केस फाइल किया गया था। तब उन्होंने रामलला की इसी मूर्ति के नाम पर ही यह केस फाइल किया था। उस पूरी भूमि पर विराजमान रामलला के ऊपर ही पूरा केस लड़ा गया था और अंत में सर्वोच्च न्यायालय ने 2019 में माना था कि उस पूरे क्षेत्र पर विराजित रामलला का ही अधिकार है।
इस तरह से न्यायालय का निर्णय विराजमान रामलला की उस पुरानी मूर्ति (Ram Mandir Old Idol) के पक्ष में आया था, जिसकी हम इस लेख में बात कर रहे हैं। ऐसे में जिस रामलला की मूर्ति को आधार मानकर पूरा केश लड़ा गया और जीता गया, उसे कैसे अनदेखा किया जा सकता है। इसी कारण राम मंदिर ट्रस्ट ने इस मूर्ति को चल मूर्ति के रूप में मंदिर में गर्भगृह में स्थान दिया है।
राम मंदिर की पुरानी मूर्ति से जुड़ा विवाद
अब राम मंदिर की पुरानी मूर्ति (Ram Mandir Purani Murti) को लेकर विवाद भी उठ खड़ा हुआ है और कुछ लोग इस पर अकारण ही प्रश्न उठा रहे हैं। कुछ राजनेता और पूर्वाग्रह से ग्रसित लोग यह कह रहे हैं कि जिसके लिए इतने वर्षों से लड़ाई लड़ी गयी, अब उसकी बजाये नयी मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित करने की क्या जरुरत। पुरानी मूर्ति को ही मुख्य मूर्ति के रूप में गर्भगृह में क्यों स्थापित नहीं किया जा रहा है?
तो इन सभी प्रश्नों के उत्तर राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येन्द्र दास जी ने दिए हैं। उन्होंने कहा है कि रामलला की जो पुरानी मूर्ति है, वह आपदा में प्रकट हुई बहुत छोटे कद की मूर्ति है। ऐसे में जब भक्तगण 25 फीट दूर से राम जी के दर्शन करेंगे तो उन्हें राम जी ठीक से दिखाई नहीं देंगे।
इसी के साथ ही नयी मूर्तियाँ राम जी के 5 वर्षीय बाल स्वरुप को ध्यान में रखकर बनायी गयी है। इसके लिए वाल्मीकि रामायण व तुलसीदास रामचरितमानस में श्रीराम के रंग-रूप के वर्णन के आधार पर ही मूर्तियों का निर्माण किया गया है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद तो स्वयं श्रीराम उस मूर्ति में विराजमान हो जाएंगे।
सनातन धर्म में यह कोई नयी बात नहीं है कि ईश्वर के द्वारा अपनी पुरानी मूर्ति को त्याग कर नयी मूर्ति को धारण किया जाता है। इससे पुरानी मूर्ति का महत्व कम नहीं हो जाता है क्योंकि ईश्वर का वही रूप उसी मूर्ति में भी वास करता है। इसी के लिए ही प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम किया जाता है।
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