पृथ्वी पर दो तरह के ग्रहण लगते हैं जिन्हें हम सूर्य ग्रहण चंद्र ग्रहण (Surya Grahan Chandra Grahan) के नाम से जानते हैं। दोनों के समय परिस्थितियां भिन्न-भिन्न बनती है तथा उसका हमारी पृथ्वी पर भी अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। यह तो हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी सूर्य का एक ग्रह है जो उसके चारों ओर चक्कर लगाती है तथा चंद्रमा पृथ्वी का एकलौता उपग्रह है जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है।
दोनों के निरंतर चक्कर लगाते रहने के कारण चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण (Chandra Grahan Surya Grahan) की स्थिति बनती है। या तो चंद्रमा सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक नहीं पहुँचने देता या चंद्रमा तक सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँच पाता, इस स्थिति में ग्रहण की स्थिति उत्पन्न होती है। आज हम दोनों के समय क्या स्थितियां बनती है, इसके बारे में जानेंगे।
Surya Grahan Chandra Grahan | सूर्य ग्रहण चंद्र ग्रहण
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों ही खगोलीय घटना है। यह दोनों घटनाएँ तब होती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक रेखा में आ जाते हैं। हालाँकि इसमें चंद्रमा का एकदम सीधी रेखा में होना आवश्यक नहीं होता है। इसी कारण हमें सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के अलग-अलग प्रकार देखने को मिलते हैं। उन्हें हम पूर्ण, अर्ध, वलयाकार सूर्य ग्रहण चंद्र ग्रहण के नाम से जानते हैं।
अब आपको यह जानने की आवश्यकता है कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के समय क्या कुछ स्थिति बनती है। आइए चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण (Chandra Grahan Surya Grahan) के बारे में अच्छे से जान लेते हैं।
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सूर्य ग्रहण की स्थिति
जब सूर्य ग्रहण लगता है उस समय चंद्रमा पृथ्वी तथा सूर्य के मध्य में आ जाता है जिससे पृथ्वी के कुछ भूभाग पर या तो सूर्य का प्रकाश बिल्कुल भी नहीं पहुँच पाता या आंशिक रूप से पहुँचता है। ऐसी परिस्थिति में पृथ्वी पर पूर्ण या आंशिक सूर्य ग्रहण लगता है।
इस समय पृथ्वी पर चंद्रमा की छाया पड़ती है जिससे सूर्य के प्रकाश के पृथ्वी तक पहुँचने में गतिरोध उत्पन्न होता है। इसलिए इसे मानव जीवन पर बुरे असर के रूप में देखा जाता है क्योंकि हानिकारक किरणों का प्रभाव बढ़ जाता है। हालाँकि चंद्रमा सूर्य से अत्यधिक छोटा होता है लेकिन यह पृथ्वी के पास स्थित होने के कारण सूर्य के पूर्ण भाग या एक भाग को कुछ समय के लिए ढक पाने में सक्षम होता है।
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चंद्र ग्रहण की स्थिति
इस स्थिति में चंद्रमा पृथ्वी के पीछे चला जाता है तथा उस समय पृथ्वी चंद्रमा तथा सूर्य के मध्य में आ जाती है। इस कारण चंद्रमा तक सूर्य का प्रकाश बिल्कुल भी नहीं पहुँच पाता या आंशिक रूप से पहुँच पाता है जिसे हम पूर्ण चंद्र ग्रहण या आंशिक चंद्र ग्रहण के नाम से जानते हैं। इस समय चंद्रमा पृथ्वी की छाया क्षेत्र में होता है।
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कब होता है?
चंद्रमा सूर्य से अत्यधिक छोटा है इसलिए उस तक सूर्य का प्रकाश बिल्कुल नहीं पहुँच पाता या आंशिक रूप से पृथ्वी से परावर्तित होकर पहुँचता है जिस कारण पूरा चंद्रमा पृथ्वी की छाया क्षेत्र में आ जाता है। इसलिए पृथ्वी पर जिस समय रात होती है वहाँ चंद्र ग्रहण हर क्षेत्र में लगता है।
जबकि सूर्य के चंद्रमा से अत्यधिक बड़े होने के कारण वह उसे पूरा नहीं ढक पाता तथा उसके कुछ भूभाग को ही ढक पाता है या यू कहें कि पृथ्वी के कुछ भूभाग पर ही अपनी छाया छोड़ पाता है। इसलिए उस समय पृथ्वी पर जहाँ-जहाँ दिन होता है वहाँ हर क्षेत्र में सूर्य ग्रहण नहीं लगता।
चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण कैसे लगता है?
सूर्य ग्रहण की स्थिति में चंद्रमा सूर्य के प्रकाश में गतिरोध उत्पन्न करता है तथा उसके सामने होने के कारण पृथ्वी के कुछ भाग पर अपनी छाया छोड़ता है जहाँ सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँच पाता। इसलिए चंद्रमा के अपने सामने आ जाने के कारण उस भूभाग पर सूर्य छुप जाता है।
जबकि चंद्र ग्रहण की स्थिति में सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक तो सीधे नहीं पहुँच पाता लेकिन वह पृथ्वी से परावर्तित होकर आंशिक रूप से या कम मात्रा में चंद्रमा तक पहुँचता है। इसलिए वह मटमैला/ धुंधला या हल्का लाल दिखाई देता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण की स्थिति में चंद्रमा तक प्रकाश बिल्कुल भी नहीं पहुँचता लेकिन उस समय सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पहुँचने के कारण वह हमें लाल रंग का दिखने का आभास करवाता है।
सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण में अंतर
अब हम सूर्य ग्रहण चंद्र ग्रहण (Surya Grahan Chandra Grahan) के बीच क्या कुछ अंतर देखने को मिलता है, उसके बारे में बात कर लेते हैं।
- सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है जबकि चंद्र ग्रहण में पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है।
- सूर्य ग्रहण चार तरह के होते हैं जिनके नाम पूर्ण, अर्ध, वलयाकार व संकर सूर्य ग्रहण होते हैं। चंद्र ग्रहण तीन तरह के होते हैं जिनके नाम पूर्ण, अर्ध व उपच्छाया चंद्र ग्रहण होते हैं।
- सूर्य ग्रहण में पूरा सूर्य या उसका कुछ हिस्सा दिखाई नहीं देता है जबकि चंद्र ग्रहण में पूरा चंद्रमा या उसका कुछ हिस्सा लाल या मटमैला दिखाई देता है।
- सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन लगता है जबकि चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन लगता है।
- सूर्य ग्रहण का समयकाल छोटा होता है जबकि चंद्र ग्रहण लंबे समय के लिए रह सकता है।
इस तरह से सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के बीच यह अंतर देखने को मिलते हैं। इस दौरान वातावरण में नकारात्मकता बहुत ज्यादा हो जाती है और पृथ्वी पर उसका बुरा असर देखने को मिलता है। ऐसे में हमें बहुत सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है अन्यथा हमारे स्वास्थ्य पर उसका बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है।
सूर्य ग्रहण चंद्र ग्रहण से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण किसे कहते हैं?
उत्तर: सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के समय या तो सूर्य कुछ समय के लिए दिखाई नहीं देता है या फिर चंद्रमा लाल या मटमैले रंग का दिखाई देता है। यह पृथ्वी और चंद्रमा की गति और उस समय बनी स्थिति के कारण होता है।
प्रश्न: सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण में क्या अंतर है?
उत्तर: सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है जबकि चंद्र ग्रहण के समय पृथ्वी उन दोनों के बीच में आ जाती है। यही सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के बीच मूल अंतर है।
प्रश्न: सूर्य ग्रहण का अर्थ क्या होता है?
उत्तर: सूर्य ग्रहण का अर्थ होता है चंद्रमा का पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाना और उस कारण सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पहुँच पाना या उसके कुछ हिस्से तक ही पहुँच पाना।
प्रश्न: सूर्य ग्रहण के 4 प्रकार कौन से हैं?
उत्तर: सूर्य ग्रहण के 4 प्रकार के नाम पूर्ण, अर्ध, वलयाकार व हाइब्रिड/ संकर सूर्य ग्रहण हैं। इसमें से हाइब्रिड सूर्य ग्रहण पूर्ण व वलयाकार सूर्य ग्रहण का मिश्रित रूप होता है।
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