गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है? जाने गुरु पूर्णिमा का उद्देश्य

गुरु पूर्णिमा का महत्व

हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को पवित्र गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima In Hindi) का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व अपने शिक्षक अर्थात गुरु को समर्पित होता है व इसे पूर्णिमा के दिन मनाये जाने के कारण इसे गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। अब आपके मन में प्रश्न उठ रहा होगा कि आख़िरकार गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है और इसके पीछे का क्या रहस्य है!!

दरअसल गुरु पूर्णिमा (Guru Poornima In Hindi) को मनाने के पीछे धार्मिक महत्व तो है ही, बल्कि इसके साथ ही यह पर्यावरण से जुड़ा हुआ पर्व भी है। जहाँ एक ओर, हम सभी अपने गुरुओं का आभार प्रकट करते हैं तो वही किसानों के लिए यह बहुत ही अनुकूल समय माना जाता है। आज हम गुरु पूर्णिमा का महत्व, कारण तथा उससे मिलती शिक्षा के बारे में जानेंगे।

Guru Purnima In Hindi | गुरु पूर्णिमा

हर वर्ष आषाढ़ मास कि पूर्णिमा के दिन इस त्यौहार को मनाया जाता है। इसी कारण इसका नाम गुरु पूर्णिमा पड़ा है। इसमें गुरु शब्द इसलिये जोड़ा गया है क्योंकि यह मुख्या रूप से गुरुओं के प्रति अपना आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। वही इसका संबंध सनातन धर्म के सबसे मुख्य गुरु महर्षि वेदव्यास से भी है। वही पूर्णिमा शब्द इसकी तिथि के कारण जोड़ा गया है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार जुलाई महीने के आसपास पड़ता है।

यह त्यौहार मुख्य तौर पर अपने गुरु के प्रति आभार प्रकट करने के लिए भी मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग अपने-अपने गुरु या जिन्होंने भी उनका मार्गदर्शन किया है, उनके प्रति सम्मान दिखाते हैं और अपना आभार प्रकट करते हैं। एक गुरु ही अपने शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और उसको अपने जीवन में कुछ करने लायक बनाते हैं। इसलिए गुरु पूर्णिमा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

साथ ही यह पर्व वर्षा ऋतु के आगमन से पूर्व मनाया जाता है जो कि पृथ्वी के लिए सबसे अनुकूल समय होता है। इस ऋतु में ना तो ज्यादा ठंड रहती है व ना ही ज्यादा गर्मी। इसके साथ ही वर्षा ऋतु में फसलों इत्यादि को पानी मिलता है जिससे सृष्टि के जीवनयापन के लिए भोजन का निर्माण होता है। इसी कारण गुरु पूर्णिमा से तात्पर्य एक अज्ञानी मनुष्य के मस्तिष्क में ज्ञान का भंडार भरने से भी है।

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है?

वैसे तो गुरु पूर्णिमा को मनाने के कई कारण है लेकिन मुख्य कारण भगवान शिव का सप्त ऋषियों को विद्या का ज्ञान देना है। सनातन धर्म में भगवान शिव को महायोगी की संज्ञा दी गयी है व इसी के साथ उन्हें आदिगुरु के नाम से भी जाना जाता है। आदिगुरु वे जिन्होंने इस विश्व को सबसे पहले ज्ञान का भंडार दिया था।

सबसे पहले गुरु सप्त ऋषि थे जिन्हें विद्या तथा धर्म का ज्ञान स्वयं आदिगुरु भगवान शिव से प्राप्त हुआ था। भगवान शिव ने अपने शिष्य के तौर पर सप्त ऋषियों का चुनाव किया था तथा गुरु पूर्णिमा के पावन दिन को उन्होंने ज्ञान देने के लिए चुना था। इसलिये तब से इसकी महत्ता को देखते हुए उस दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।

इसका दूसरा मुख्य कारण इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म होना भी है। वेदव्यास जी ने ही प्रसिद्ध काव्य महाभारत की रचना की थी। इसी के साथ उन्होंने वेदों तथा पुराणों का भी रचनाकार या सूत्रधार माना जाता है। इसलिये गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima In Hindi) के पर्व को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं, इस त्यौहार का संबंध जैन व बौद्ध धर्म में भी है। आइए उनके बारे में भी जान लेते हैं।

  • जैन धर्म में गुरु पूर्णिमा

जैन धर्म कि मान्यताओं के अनुसार, जब महावीर स्वामी जी को कैवल्य ज्ञान कि प्राप्ति हो गई थी। तब इसी दिन उन्होंने गौतम स्वामी को अपना गणधर (शिष्य) बनाया था। इससे वे भी गुरु बन गए थे जिस कारण जैन धर्म में भी गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।

  • बौद्ध धर्म में गुरु पूर्णिमा

बौद्ध धर्म में भी गुरु पूर्णिमा (Guru Poornima In Hindi) का अपना महत्व है। उनके अनुसार, इसी दिन गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम धार्मिक भाषण उत्तर प्रदेश राज्य के सारनाथ में दिया था। इससे बहुत लोग प्रभावित हुए थे और उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

सनातन धर्म में गुरु को सबसे महान बताया गया हैं। आपने नीचे दिया गया श्लोक तो अवश्य सुना होगा तथा इसे हर विद्यालय में भी सिखाया जाता हैं:

गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः

गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः!!

अर्थात गुरु का स्थान स्वयं त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु व महेश) से भी ऊपर माना गया है। हिंदू धर्म में ब्रह्मा को सृष्टि निर्माता, विष्णु को सृष्टि संचालक तथा शिव को सृष्टि का विनाशक बताया गया है। किंतु इन सब बातों तथा धर्म का ज्ञान हमें केवल गुरु से ही मिल सकता है। यदि हमारे जीवन में एक गुरु ना हो तो हमें ना ही भगवान की महत्ता का ज्ञान हो पायेगा तथा ना ही सांसारिक मूल्यों का।

एक गुरु के बिना यह सृष्टि अंधकारमय हो जाएगी जहाँ चारो ओर केवल अशिक्षा, अराजकता, अपराध तथा भय की स्थिति रहेगी। एक गुरु के कारण ही हमें मानवीय मूल्यों को समझने तथा सही व गलत के बीच भेद करने की क्षमता आ पाती है।

इसके साथ ही हिंदू धर्म में एक शिक्षक को उनके ज्ञान तथा स्थिति के अनुसार पांच भागों में विभाजित किया जाता हैं। इन्हें क्रमानुसार अध्यापक, उपाध्याय, आचार्य, पंडित तथा गुरु की उपाधि दी गयी है। इसमें गुरु की उपाधि सबसे ऊँची तथा महत्वपुर्ण मानी गयी है। गुरु का अर्थ केवल शिक्षक से ही नही अपितु वह व्यक्ति है जो आपके जीवन की दिशा को ही बदल डाले।

गुरु शब्द में “गु” का अर्थ होता है “अंधकार या अज्ञान” व “रु” का अर्थ होता हैं “उसका विनाशक” अर्थात गुरु से तात्पर्य हमें अंधकार रुपी अज्ञान से ज्ञान रुपी प्रकाश की ओर ले जाने वाला। एक गुरु वह होता हैं जो अपने शिष्य के अंदर छुपी हुई प्रतिभा को पहचानकर उसके जीवन की दिशा को ही बदल डाले। उदाहरण के तौर पर गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन की तीरंदाजी की प्रतिभा जानकर उसे विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बना डाला।

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाते हैं?

यह दिन अपने गुरु को विशेष आभार प्रकट करने का दिन होता है। इस दिन जिस किसी से भी आपको अच्छी शिक्षा प्राप्त हुई हो, जिसनें आपके जीवन में एक बड़ा व सकारात्मक बदलाव लाया हो, उनके प्रति अपना आभार अवश्य प्रकट कीजिये। वह व्यक्ति आपके माता-पिता, शिक्षक तथा मित्र कोई भी हो सकता है।

गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima In Hindi) का मुख्य उद्देश्य अपने मार्गदर्शक को सम्मान देने तथा प्रोत्साहन देने से होता है। इसलिये आप अपने गुरु के प्रति आभार प्रकट करना मत भूलियेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात जिस बात के लिए आप उनका आभार प्रकट कर रहे है, उस शिक्षा को कभी नही भूलियेगा। इसी के साथ यह प्रयास भी करिएगा कि आपके कारण भी किसी के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव आ सके।

गुरु पूर्णिमा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?

उत्तर: अपने गुरु के प्रति आभार प्रकट करने और उनकी अहमियत को जानने के लिए ही गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है साथ ही इस दिन महर्षि वेदव्यास का भी जन्म हुआ था जिन्होंने कई ग्रंथों कि रचना की थी

प्रश्न: गुरु पूर्णिमा में किसकी पूजा की जाती है?

उत्तर: गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुओं, शिक्षकों, अध्यापकों की पूजा की जाती है आपके जीवन में जिसने भी आपका मार्गदर्शन किया है, उनकी पूजा इसी दिन जाती है

प्रश्न: गुरु पूर्णिमा कब होता है?

उत्तर: गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह दिन जुलाई महीने या उसके आसपास पड़ता है

प्रश्न: गुरु पूर्णिमा का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: गुरु पूर्णिमा का उद्देश्य ज्ञान व शिक्षा के महत्व को जानना होता है साथ ही जिनसे हम यह शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, उनका हमारे जीवन में क्या स्थान है, यह भी हमें गुरु पूर्णिमा ही सिखाता है

प्रश्न: गुरु पूर्णिमा का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर: गुरु पूर्णिमा का दूसरा नाम व्यास पूर्णिमा है वह इसलिए क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी का भी जन्म हुआ था इस कारण इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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